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मूरखमंच ,…..सादर प्रणाम कलामजी !….1

हमार देश
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आदरणीय मित्रों ,…सादर प्रणाम

आज फिर मूरख मंच की तलाश में निकला तो कुछ कामयाबी मिली ,…एक पीपल के नीचे छह सात मूरख मिले ,..पूंछने पर पता चला ,…..ज्यादातर लोग रोजी रोटी की भागमभाग में हैं ,…..कुछ लोग मानव की खोज में मस्त हैं ……… बाकी लोग खेतीबाड़ी में लगे हैं ,……..फिलहाल ये लोग यहाँ विकट बिजली की प्रतीक्षा में बेचैन हैं ,…….इस क्षेत्र से इन्द्रदेव कुछ रूठे हैं ,…… धान तो धान मोटिया फसलें चरी चारा तक सूखने की कगार पर हैं ,…… “..कहीं भयानक बहिया कभी कहीं सपाट सा सूखा ”…………प्राकृतिक अंधेरगर्दी पर मूरख लोग भगवान् को भी जोरदार गाली चढ़ाते हैं ….हम मूरख यह नहीं जानते या जानना ही नहीं चाहते कि….हर परमेश्वरी कोप के कारण भी हम हैं …..और हमारे आदिकारण भी वही हैं !……..खैर यहाँ बड़ा मुद्दा बिजली का है …….यह मंडली घोर बिजली संकट के कारण और निदान पर चर्चा में जुटी थी ,………….एक भाई फिर अपने मुद्दे पर लौटा ….. “…..अगर कलाम जी बिजुली विज्ञानिक होते तो आज हम दिनरात बलफै न देखते !……खेत भरकर चार दिन चैन से सोते ……आज पंचवां दिन अनींद है .. चक्कर लगाते लगाते मन कहता है …..अब धान न लगाना , चाहै भूखे सो जाना !…..”

वरिष्ठ मूरख ने समझाया ………. “………काहे बौखलाते हो भयऊ !…..अन्न उत्पादन सबसे जरूरी है ,….धरती पर किसान सबसे महान कर्मठ दिलेर इंसान है …..आज कुछ अटका भटका है कल सुधरेगा !…..आज संकट है तो कल निदानौ होगा ,….भगवान् आज हमसे रूठे हैं ..कल बरसेंगे !……आज एक कलाम हमको छोड़ गए ….कल और कलाम बनेंगे !…….आज प्रेम श्रद्धा से श्रद्धांजलि दो …… कल शान से इस्तकबाल करेंगे !…”

चश्मे वाला भाई खड़ा होकर शुरू हुआ तो सब खड़े हो गए …….“….. कलाम साहेब को हमारा दिल से सलाम .. आत्मा से प्रणाम पहुंचे !………देहत्याग के बादौ आपकी प्रेरक चेतना देश में समाई है ,….ईश्वर ई चेतना को और शक्ति दें ,..सोयी मानवता को जागने का बल जागे !……..आप हमसे दूर नहीं जा सकते …..आप जैसा कर्मठ कुशल गुण बल संपन्न देशभक्त बिरला पैदा होता है ,….आप भारत के सच्चे रत्न हैं ,….आपके सद्गुणों सत्कर्मों का सुफल पूरे देश को मिला है !…….भारतवर्ष आपका कृतज्ञ है !….आप भागवत गीता के सच्चे साधक थे ,….आपमें शिवत्व रामत्व का समत्व था !……..आप सच्चे धर्मनिष्ठ कर्मयोगी थे !…..और …”…………..उत्साही वरिष्ठ ने लपकते हुए काटा

“…और कलाम साहेब ,…… तुम जिन्दा इंसान थे ,…. इंसानियत के पुजारी थे ……तुम यारों के यार, प्रेमियों के प्रेमी, कला साहित्य के रसिया थे  ,……..तुम फिर इस धरती पर जनम लोगे ,…देश के लिए तुम्हारा अथाह प्यार तुमको फिर यहाँ लाएगा !…..तुम हमेशा राष्ट्र चिंतन करते थे ,……तुम भी जारी संसदीय मछलीबाजार से पीड़ित थे ,….. तुम मानवता के लिए पीड़ा लेकर गए हो !……….परमप्रेमी परमात्मा को तुम्हारे प्रेम का प्रतिउत्तर देना ही होगा !……..हम भारतवासी आपको बार बार सादर प्रणाम करते हैं ……और ..बार बार हरबार यहाँ आने की विनम्र प्रार्थना करते हैं !…”

सब ने मौन मुद्रा में हाथ जोड़ा …….चश्मे वाला फिर बोला ….. “…कलाम साहब आपको चलते फिरते काम करते करते शानदार प्राकृतिक मौत मिली है !……ईश्वर आप पर सदा कृपालु रहे !…..आप बड़े कर्मठ सद्कर्मी पुण्यात्मा थे !……..महान मानव आपको फिर से नमन है !..”

…….एक और भाई बोला ………….“….अब्दुल कलाम एक महान शुरुआत का नाम है !…….वो एक महान सवाल छोड़कर अमर हुए हैं !…….उनके किये काम हमारी विकास यात्रा की शुरूआती नींव हैं ,…..अंधलोभी दुनिया में सुरक्षा बहुतै जरूरी है ,…..उन्होंने भारतीय सुरक्षा को आत्मनिर्भर बनाने में जीवन खपा दिया ,…..शांतिप्रिय ऊर्जावान डाक्टर एपीजे अब्दुल कलाम हमारे रक्षक भारतरत्न हैं!………महामहिम अब्दुल कलाम भारतीय मानस के ह्रदय में बैठ गए ,…….फिर कलाम सर विद्यार्थियों को लगातार अनमोल शिक्षा ऊर्जा प्रोत्साहन बाँटते बाँटते चले गए !………..उनको हमारी पीढियां आदर्श मानती हैं ,….उनके रास्ते पर चलकर हमारे जवान राष्ट्रप्रिय ज्ञानी विज्ञानी देशभक्त मानव बनेंगे !….हम कलाम साहब को सादर श्रद्धांजलि देते हैं !….उनकी आगे की यात्रा परम सुखद अतिशुभ मुदमंगलकारी हो !……”

दो मिनट सब वाणी से मौन रहे ,……फिर एक भाई बैठते हुए बोला ……..“…..भैय्या मानने जानने करने में बहुतै अंतर है !…….हमारे जैसे गिरे लोग कलाम को आज सलाम करते हैं ,…बाकी सब मौके गुलछर्रे ….मन की मौज … धुंवा के छल्ले …..खैनी पान गुटखे की पीक ….दारू गांजा भांग स्मैक अंग्रेजी नशा पोस्ता अफीम ………पिच्चर पोस्टर देहदर्शन सिनेमा सीरियल सेक्स … घटिया गाना बजाना ताश पत्ती जुआ सिटियाबाजी लफ्फाजी बहानेबाजी !……काम क्रोध मद लोभ की अधिकता में हम डूबे हैं !……….हम अहंकारी ईर्ष्यालू लोभी झगड़ालू कामी कुटिल द्वेषी हैं !………नंगई लुच्चई मक्कारी में हमारा कोई सानी नहीं है !……हम वाकई बहुत घटिया हैं !..”

चश्मे वाले भाई ने समर्थन किया ……………“.. सही है रामू ……चालू अंग्रेजी राज में हम बहुतै गिरे हैं !….पहले अशिक्षा ने हमारा सत्यानाश किया ,…..फिर चौतरफा मिलने वाली कुशिक्षा ने साढ़े सत्यानाश कर दिया ……सब तमसे तमस छा गया ,…….हमने झूठे मौज खातिर केवल पद पैसा को जिंदगी का लक्ष्य बनाया है ,…….मानवोचित सद्कर्म की जगह चोरी मक्कारी कौनो कर्म कुकर्म करना पड़े तो शौक से करते हैं !……यही लिए हम दुःख के दरिया में डूबे रहते हैं !….कुटिल व्यवस्था बाकी काम तमाम करती है !…”

रामू फिर बोला …………..“……ई गिरी हालत भारत पर पच्छिमी फूहड़ता लादने से हुआ है ,……..साजिशदान बुद्धिमान मैकाले के गढ़े कुशिक्षा जाल में हम फंस गए ,….सोने की चिड़िया से हम लोहे का पिंजरा बन गए ,……हम अपनी पहचान .. अपने ज्ञान .. सुख शान्ति सम्मान क्या भगवानो को भूल गए हैं ,….अब यहाँ दारू पीना टाप फैशन है !…….आधुनिक युवा के आदर्श ..डाक्टर कलाम !………पढाई .. आई आई टी !…..काम विदेशी नौकरी का !……जनधन से पढ़े तमाम काबिल लोग ज्यादा धन खातिर विदेशी गुलामी करते हैं !..”

चश्मे वाला फिर बोला ………..“……..लेकिन देश सेवा का महाधन कमाने से चूकते हैं …..जब जागेंगे तभी सवेरा !………विज्ञान तकनीक अनुसंधान का ज्ञान देश खातिर जुट जाए तो सबका जीवन उठेगा ….मानवता से तमाम मुसीबत हटेंगी !…….”

वरिष्ठ मूरख ने और सकारात्मकता लाने की कोशिश की …………“…तमाम ज्ञानी विज्ञानी भारतसेवा में जुटे हैं ,….अब तमाम और जुटेंगे ,…नए बच्चे विज्ञान को और आसमान के पार ले जायेंगे !……..दुनिया में हर किसम के लोग हैं !….हमको सौ करोड़ कलाम नहीं चाहिए !…सौ पचास मिल गए तो मानवता का नक्शा बदल जाएगा …. पचास किसिम का तकनीक …..पांच प्रकार का बिजली लो !…”

दढ़ियल मूरख बोला …………… “….पचरंगा अचार बनायेंगे का ,…..उन्नततम तकनीको मानवता पर छाई मुसीबत नहीं हटा सकती ,….मानवता का मूल इंसानी आचार विचार हैं ……उसकी शक्ति सुशिक्षा संयम है ,…..सबकी मूल भगवत्ता है !…………भगवत्ता से भटके रहे तो तकनीक में कितनौ उछलें … अटके ही रहेंगे !..”

चश्मे वाला भाई फिर बोला ………..“…मानवता को अन्दर बाहर से भागवत प्रकृति का सम्मान करना होगा !….वर्ना अनमोल इंसानी जिंदगियां रेत के घरौंदे जैसे मिटती रहेंगी ,…..तूफ़ान सैलाब सूखा भूचाल सुनामी ज्वालामुखी सबका कारण असंतुलन है !…..मानव धरती का किरायेदार स्वामी है !….हम अनंत भागवत प्रेम के आभारी नहीं हुए ,…प्रकृति का किराया नहीं चुकाया ….तो दुर्भाग्य ही मिलेगा ! …..”

वरिष्ठ मूरख फिर बोला ……….“…ई सब छोड़ो भैय्या !….. सैलाब बहिया आई तो क्रूज स्टीमर हेलीकाप्टर में घूमेंगे !…..बरसात रूठी तो धरती से निकालकर जियेंगे !…….फिर वहां ख़तम तो का करेंगे ….ट्रेन से समुद्र पियेंगे .. जल मिटा तो सब मिटेंगे !…….प्राकृतिक संयम उपभोग उपयोग संरक्षण होना चाहिए ,……..ई लिए सबका इलाज योग है ,….योग से मलिन मोह का नाश होता है ,…सब भोगी लोभी विकृति मिटती है ,……योग से उत्थान होता है ,…..योगयुक्त होकर ही दो पैरों वाला जानवर मानव बन सकता है ….शैतान भी इंसान बन सकता है !..”

रामू साफगोई से बोला …..“…..योग महिमा सब जानते हैं ,…अपनाता कोई कोई हैं !……कुछ लोग अपने नए स्टाइल नाम में करते हैं ,………ज्यादा तो करते ही नहीं …कोई कोई चलते फिरते पांच मिनट में निपटा लेते हैं …….कुछ को योग काटने दौड़ता है …..कुछ को योग के नाम से बेचैनी छा जाती है …… कुकर्मी बेशर्म कांग्रेस ने विश्व योग दिवस का बहिष्कार किया ! …..राष्ट्रीय गौरव वाले दिन चमचों को गरियाते रहने का जिम्मा देकर मैय्या भैय्या दीदी जीजा सब अपनी विदेश सैर पर भागे होंगे ,…….और भाई ………अब तमाम नकली योगगुरु भी हैं ,……खुद भोग लोभ अहंकार में चोटी तक फंसे हैं .. मस्त मिलावटी योग ट्रेनिंग का पंचतारा धंधा है !…..आजकल तमाम कुत्ते कमीने लोग फिटनेस खातिर योग करते है !…..लेकिन काम वही ….दूसरों का खाना है !…”

चश्मे वाले ने समझाया ………..“…योग करे योगी होवे में भारी अंतर है ,…….सब योगगुरु स्वामीजी जैसे कहाँ हो सकते हैं !……….न उनके जैसे महान काम कर सकते हैं ,……पूर्ण योगी ही पूरी मानवता को उठाते हैं !……हमारे आदर्श परमपराक्रमी महान गुरुजन सामने हैं तो हम इधर उधर गलत सलत काहे देखें ,….केवल अच्छा देखें .. अच्छा करें .. अच्छा बनें !…………गलत लाइन वाले खुदै सुधरेंगे ….भोगकर सुधरें चाहे योगकर !…….हमको आशा है कि एक दिन हर इंसान सच्चा योगी होगा !…….परम पवित्र पतंजलि योगपीठ का महायज्ञ जरूर पूरा होगा ,……..पूरी मानवता सुखी संपन्न होगी !…..”

वरिष्ठ मूरख ने श्रद्धा से समर्थन किया ……….“…ऊ दिन जरूर आएगा ,….निःस्वार्थ स्वामीजी का महान परमार्थ पुरुषार्थ महानतम फल देगा ,….वो परमेश्वर के प्रत्यक्ष दूत हैं …..लुटी पिटी घायल मानवता उनको बार बार प्रणाम करती है ….स्वामीजी मानवता को नया जीवन देने आये हैं ,….हम जैसे पतितों का पूरा उत्थान करने आये हैं ,……मानवता को योग जरूरी है ,…. भगवत्ता से जुड़कर हम कुछौ कर सकते हैं !…”

“..योग जरूरी है …लेकिन तकनीको जरूरी है ,….”………..रामू ने फिर अपना मत रखा तो चश्मे वाला अड़बड़ाकर बोला ……

शेष अगले भाग में

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