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मूरख पंचायत ,…..अंततः !

हमार देश
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गतांक से आगे ………………

…मरियल बाबा ने सांत्वना दी ……..“…अपनी कोशिश में जुटे रहो ……कौनो दिन जरूर मिल जाई !….”

एक मूरख ने पंच से नया सवाल किया ………..“…एक और मुद्दा है ,….शंकराचार्यजी साईं बाबा की भगवान् जैसी पूजा गलत बताये हैं !………टीवी पर साई भक्त उनसे उलझे हैं !…….तुम का कहते हो !..”

एक पंच बोले ………………….“..हमारी औकात कुछ कहने की कहाँ है ,……लेकिन दो साफ़ सच सामने है ,…पहला सबमें भगवान् हैं !…..दूसरा साईं बाबा भगवान् नहीं थे !….ऊ भगवान् होते तो उनके जाने से पहले दुनिया भागवत प्रकाश से दमकती !…..मारकाट लूट गुलामी शैतानी मिट जाती …..पांच पीढ़ी पहले सुखशांति भरा रामराज होता !…..अयोध्यापुरी द्वारिकापुरी जैसा सद्ज्ञानी सद्कर्मी वैभव दुनिया में फैलता !…..ऊ भगवान् होते तो शैतानी अँधेरा हमको कैसे खाता !….”

मरियल बाबा फिर चर्चा में कूदे …………“….साईं बाबा सरल फ़कीर थे ,…ऊ इंसानियत को कुछ अच्छे सच्चे समतावादी सन्देश देकर गए !…….ऊ सिरडी से बाहर गए नहीं !……सबको बराबर समझना माँगना खाना मस्त रहना उनका काम था !….इतने से कोई भगवान् नही बनता ,…..मानवरूप में भगवान मानवता का उद्धार करने खातिर महानतम पुरुषार्थ करते हैं !…..आमजन को साथ लेकर अन्यायी शैतान से सीधा संघर्ष करते हैं !.”

एक और पंच बोले …………“..लेकिन हमरी बजारू मानसिकता ने उनको भगवान् बनाया ,………चालू व्यापारियों ने उनको नकद कर अथाह लाभ कमाया !…. फटे चोगे में गुजरने वाले फ़कीर को हमने सोने चांदी से लाद दिया ,…….उनकी आत्मा मूरख भक्तों को कोसती होगी !…..उन्होंने भगवान् पर श्रद्धा और सबूरी धीरज को सबसे ऊपर माना है !…..चट दर्शन चढ़ावा फट आशीर्वाद लेने वाले हम मूरख उनको कहाँ समझ सकते हैं !….धीरे से भगवान् बना दिया ….जोर से परचार कर दिया !..”

एक युवा ने अपनी कहानी सुनाई …………..“…हम अपनी बात बताते हैं ,…संतोषी माता का कौनो वेद पुराण कथा में नाम नहीं है ,….मानव भावना गूंथकर जय संतोषी माता फिलिम बनी !…..भक्तों की लाइन लग गयी !……हमार अम्मा ने औलाद की मन्नत मानकर शुक्रवार का ब्रत किया ,….दो साल बाद हम पैदा हुए नाम रखा संतोष लाल !….”

एक मूरख ने व्यंग्य किया …………“…अगर अम्मा कौनो पीपल बरगद नदी गाय देवता की पूजा उतने श्रद्धा मन से करती तब्बो तुमही पैदा होते !…… नाम कुछ और होता !..”

युवा बुरा माने बिना बोला ………….“…हमारा असली राशि वाला नाम और है …….लिखा पढ़ी में ई आ गया !……हमार कहने का मतलब ई है कि …..महत्त्व ऊ परमशक्ति का है जो सर्वव्यापी है …..जिसका छोटा सोंता सबके भीतर है ,..सब नाम उनके सब काम उनका !…….आशीर्वाद कृपा कौनो नाम काम से मिले ,…रहेगा उनके हिसाबे से !…फिर हमे एकै को मानना चाहिए !..”

साथी मूरख भी गंभीर हो गया ………….“……हैय्ये एक है !……कुलमिलाकर केवल हमारे कर्मों भावनाओं का महत्व है ,…उनकी कृपा से आत्मशक्ति जागकर परमशक्ति से जुड़े तो परमकल्याण है ,………”

“.सबका कल्याण होना चाहिए !…..लोगबाग कहते हैं कि साईं बाबा उनकी मन्नत पूरी करते हैं !….”……………..एक महिला ने प्रश्न किया तो एक पंच फिर बोले ..

“…ई अधूरा सच है ,…..तमाम से ज्यादा की नहीं पूरी हुई है ,……कुछ चालबाज लोग मन्नतपूर्ती का स्वार्थी दिखावा करते हैं ,….बाकी आँख बंदकर पीछे लग जाते हैं ,…..मन्नत माने मन का नत होना !……कौनो नाम रूप को परमशक्ति जान मानकर हम पूरे मन से प्रार्थना करते हैं तो …. बाहर के साथ हमारे अन्दर बैठे भगवान् सक्रिय होते हैं ,…मन बुद्धि शरीर को शक्ति मिलती है ,…….कमाई कामना पवित्र है तो परमपिता अक्सर पूरी करते हैं !……ई सच्चाई के चालबाज जानकारों ने जबरन तमाम भगवान् बना दिये !……..गाजी बाबा जैसे तमाम पापी जुल्मी अत्याचारियों की मजारें पवित्र बतायी गयी ,…..हम मूरख जन वहां भी अगरबत्ती सुलगाकर मन्नत मांगते हैं !…”

एक युवती बोली ……………..“…….ई छली अर्धसत्य सीधा सीधा अधर्म है !…..भागवत पूजा का पूरा लाभ पूर्ण परमेश्वर को पूजने से मिलेगा !…..वर्ना जोर लगाकर एक लिया तो चार गंवाना पड़ेगा !…….राम राम ओंकार जपना सबसे अच्छा है !….”

पंच फिर बोले ………..“….सब सच्चे नाम अच्छे हैं !……..पूर्ण अवतारी भगवान् श्री कृष्ण ॐ को सबसे पवित्र नाम बताये है ……..ब्रम्हा विष्णु महेश उमा रमा ब्रम्हाणी गणेश राम कृष्ण ईश्वर अल्ला गाड देवी देवता सूरज धरती हवा पानी प्रकृति सब ओंकार नाद में हैं !……कोई बाहर अलग नहीं है !……समूची मानवता खातिर भगवान राम सबसे अच्छे आदर्श हैं !..”

बढ़ती चर्चा पर पंचाधीश बोली ………….“…शंकराचार्यजी ठीक कहे हैं ,….साईं कतई बाबा भगवान् नहीं थे ,……..लेकिन शंकराचार्यों जी में भगवान हैं !….सब में भगवान् हैं ,..कम ज्यादा सब भूले है !… आज शंकराचार्यों बने तमाम मूरख इंसान पाखंडी धंधा करते हैं !….तमाम मठों मंदिरों डेरों में अधर्म होता है ,…इस्लामी खलीफा आतंक का पर्यायवाची होता है ,….इसाई पोप के घोर काले इरादे सफ़ेद कपड़ों में गुमशुदा हैं !……बहुतायत दुनिया पाखण्ड का शिकार है !…..आखिरकार सबको अपने कर्म कुकर्म भुगतनै पड़ेगा !….”

एक पंच ने प्रार्थनावत हाथ जोड़े ……………“…..भगवान हमपर दया करें ,…… भगवत्ता के साफ़ दर्शन कराएँ !…….हम सुख शान्ति की भण्डार भगवत्ता अपनाने के समर्थ अधिकारी बनें !………पापखंड झूठ पाखण्ड से मानवता को मुक्ति मिले !…………धर्म के नाम पर लूट हत्या युद्ध बलि चालबाजी चढ़ावा स्वार्थपूर्ती ख़तम हो !…….अँधेरे अशांति अन्याय अपराध अत्याचार में डूबी समूची मानवता पवित्र सनातन सूत्र से बंधकर मौज करे !……सब शांतिपूर्ण उन्नति उत्थान करे !….सब जगह उनका ही गुणगान हो !..”

सूत्रधार बीच में आये ………….“.. हर सद्कामना पूरी होती है भाई ,…..अंततः हर पाखण्ड का अंत होता है ,….ऊ चाहे निजी हो …समाजी हो ..कुनबाई हो ..सत्ताई हो .. या पंथी धर्मी हो !….हम सोच विचार के सही काम नहीं करेंगे तो महाकाल का क्रोध ताप सबको शुद्ध करेगा !………अब हम मूरख पंचायत को यही विश्वास के साथ समाप्त करना चाहिए ! ,.”………………..सब शान्ति से सुनते रहे ……सूत्रधार फिर बोले

“….फिलहाल ई लम्बी उबाऊ मूरख पंचायत अपने उद्देश्य में नाकाम रही है ,……कारण केवल हमारा ठोस मूरखपना है …..ई नाकामी का अपराध केवल हमारे सिर पर है !……..फिरौ हमको पूरा विश्वास है कि एक दिन परमपिता की महानतम कृपा होगी ,..हमारा अज्ञान अहंकार विकार अन्धकार सब मिटेगा !…… सनातन काल से आजतक अनेकों ऋषियों मुनियों सिद्धों की कठोर तपस्या फिर फलित होगी !………हर मूरख में सच्चा मानव जागेगा !……..हम सतपथ पर बहुत आगे बढ़ेंगे ,…….सनातन महान भारत का महान पुनरुत्थान होगा !….समूची मानवता भगवत्ता के परमसुख सागर में मस्त गोते लगाएंगी !.”

एक युवा बेसब्री से बोला …………..“…..आमीन हो भैय्या !……..ई पंचायत में चर्चा जा हर्जा खर्चा ज्यादा नफा कम है !……….हम पहिले जैसी सीमित चर्चा गाहे बगाहे करते रहेंगे !………ई नाकामी मात्र हमारी मूरखता की है ,…फिरौ ई हमको बहुत प्यारी है ……काहे से कि इसने परमप्रेम का सुगन्धित एहसास दिया है !……..और तमाम कुछ सिखाकर ही जायेगी ……अब हमलोग चलते हैं !…”

अब तक मौन एक किशोर खड़ा होकर बोला ……..“…भगवान खातिर दो ठू शेर जैसा मिला है ,…ई पढ़कर पंचायत का अंत करते तो अच्छा है  !..”……………सहमती का इन्तजार किये बिना युवा शुरू हो गया …..

“..हँसते हँसते मिल जांए रस्ते जिंदगी सदा मुस्कराती रहे !

तू और मैं हम बन जांए खुशियों की बारिश आती रहे !!

…..अंधी इंसानियत को उनका करम चाहिए !

…..आँख मिले तो अच्छा वर्ना सहारा चाहिए !!….”

बालक के कतरन शेर पर पंचायत में मूक मुस्कानें फैली ,…..सूत्रधार ने भारत माँ का जयकारा लगाया ,..पंचायत ने जोशपूर्ण साथ दिया ,…..एक बार फिर भारत माता की जय !….भारत माता की जय !!…..वन्देमातरम गूंजने लगा ……………..अंततः मूरख पंचायत का पूर्ण विसर्जन हो गया !…….मुझे भी फिलहाल कोई नया काम ढूढना पड़ेगा !………आदरणीय पाठकों और अनमोल प्रेरणादायक श्रद्धेय लेखकों को सादर हार्दिक प्रणाम

वन्देमातरम !

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