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गतांक से आगे ……………
…..“..सजा में हमको कुछ शंका है !…….”…………….एक युवती के सकुचे प्रश्न पर बाकी आँखें प्रश्निल हो गयी ….एक युवा बोला ……….. “…..शंका काहे है !…..मोदी जी भ्रष्टाचारी गद्दारों से मुक्त राजनीति का वचन दिए हैं !…….अन्दर तक काले गांधियों की पूरी लंगोटी उतरेगी !….”
एक अधेड़ बोला ………“..लेकिन उनको गवाह सबूत कहाँ मिलेंगे !….मनमोहन सरकार अब तक सबूते स्वाहा करती रही !……सब माल पचाकर दूजे रास्ते निकाल दिए होंगे !…..हसन अली जैसे हजारों पाचक विसर्जक कीड़े दिनरात जुटे रहे ,…….बेहिसाब माल देखकर चोर विदेशी बैंक खुदै यहाँ आ गए !……..”
दुसरे ने प्रतिवाद किया ………….“…सनातन संपन्न भारत का सब माल पचाना दुस्कर कार्य है ,…..फिरौ हरामखोर लुटेरों की कार्यकुशलता तारीफे काबिल है ,…..सब योजना परियोजना खरीद बिक्री नीलामी दलाली तैनाती में बेहिसाब खाया ,……हमारे अकूत राजसी हीरे जवाहरात सोना चांदी इटली लाद ले गए !……फिरौ तमाम सबूत गवाह जिन्दा होंगे !….”
युवा फिर बोला ……..“……….. एक कीड़ा मगरमच्छ गिरोह न बचेगा ,…..हर रास्ता की पूरी जांच होई !…..कालेधन पर मोदीजी हाई पावर एसआईटी बनाए हैं ,….आईबी सीबीआई ईडी फीडी सबके मुखिया कर्ताधर्ता हैं !…….सबका मुखिया बड़ा जस्टिस जज शाह है !………धूमधाम से चोरों की शामत आएगी ,……पातालो में गड़े पाप खोद निकालेंगे !…..सर से पैर तक काले भेड़ियों का असल चेहरा सामने आएगा !…..देश अपना हक़ औ हर अपराधी सजा पायेगा !…..”
मरियल से बाबा ने समझाते हुए पुछा ……….“..समय आवै दो सब देखेंगे !……. एसआईटी का मतलब का होता है ,….”
“…ईका मतलब है विशेष स्पेसल जांच दल !…….”…………युवा ने उत्तर दिया तो दूसरा युवा बोला …..
…….“..अक्सर सांठगाँठ इन्तजामी दलो बन जाता है !…. महाचोर केवल गहरी सांठगाँठ से बच सकते हैं…..गांधी मार्का बड़के मगरमच्छों ने अपना गिरोह बहुत फैलाया है ,…सब दलों में मगरमच्छ भरे हैं !…भाजपौ में भरपूर कांग्रेसी कालिख है ,…….सफाई कार्य काम कुछ कठिन लेकिन भरपूर संभव है !..”
मरियल बाबा फिर बोले ………………..“……बिटिया की शंका गलत नहीं है ,..देश बहुत दिन से मूरख बनता आया है ,…..पूरा विश्वास पूरे काम के बादे होगा !……..”
युवती तनिक आवेशित संकोच से फिर बोली ………….“…हम ई सजा का बात नहीं किये !……भगवान् से सबको सजा मिलती है ,……कौनो हालत में बिना प्रायश्चित भुगतान भरपाई के छुटकारा नहीं है ,…..फिर इंसानी व्यवस्था में सजा का का मतलब है !……..न्याय में चूक हुई तो !….फिर मृत्युदंड कितना सही है ! .”………….
कुछ पल मौन के बाद एक पंच बोले ….
“…मृत्युदंड उतनै सही है जितना अपराध गलत है ,…..नीचतम अपराध पर सजायेमौत जायज जरूरी है ,……….. सुधार खातिर सजा जरूरी है !……लेकिन आजकल सबकुछ उल्टा सीधा है ,…मानवतावादी लबादे वाले लोग आज मानवता के ख़ास विरोधी लागें !……….”
एक युवा ने पंच का समर्थन किया ………..“…ई बात सही है ,……चालू मूरख मानवतावाद मांसाहार जरूरी बताता है ,….शुद्ध शाकाहारी मानव के शरीर मन बुद्धि पर पड़े वाला घातक असर न बतावे !….”
एक महिला बोली ……….“..ऊ लोग हमारे पूर्वजों को शुद्ध मांसाहारी बताते हैं ,….दुर्भाग्य से हम झूठ सही को मानते हैं !….”
पीछे बैठा एक मूरख उचका ………….“…झूठी थ्योरी से घोडा गदहा मुंह उठाकर पत्ती खाया तो लम्बा जिराफ बना !…..फिर इंसान मांस खाता तो कुत्ता भेड़िया शेर जैसे नुकीले पैने दांत होते !…..हम जबान से चाटकर पानी पीते !.”
आगे वाला आगे बढ़ा……….. “…ई सब कुबुद्धि भौकाल है ,…हम सनातन ज्ञानी विज्ञानी किसान हैं ,….कहीं अन्न दूध फल की कमी में कुछ मानव समूह जरूर मांस खाये ,……..लेकिन मानवता आदि शाकाहारी है ,….सही शाकाहार से सब पुष्टि औषधि तंदुरुस्ती है !…… आधुनिक विज्ञान ने तमाम झूठ फैलाया है !…..अब सबको समझना चाहिए !…”
“……अरे कान्ग्रेस छाप मानवतावादी गौमांस जरूरी बताते हैं ,….न रहे गाय न बचेगा मानव !…..राक्षस लोग मानवता की तहरी पकाकर खायेंगे !….”………….बीच से एक और आवाज आई तो एक पंच बोले …..
“….गौहत्या जल्दी से पहिले बंद होना चाहिए !……गौहत्या मानवता पर कलंक महापाप है ,…..बहुतै घोर दंड मिलेगा !……इंसान जब चेतें तबहीं सबेरा !……..महामूरख गौहत्यारों भक्षकों को एक लाइन में समझना चाहिए ,….गाय मानवता खातिर अनमोल ईश्वरी वरदान है !……इंसान को हर हालत में गौरक्षा गौसेवा करना चाहिए ,..सबका लाभ होगा …..गौपालन गौसेवा के लाभ अनंत है !…”
“..भगवान् हमको वरदान देते हैं ,….हम महापापी मूरख उकी हत्या करते हैं ,……अपने पालक को मिटते देखते हैं !…..”…………………एक और मूरख बोला तो मरियल से बाबा फिर बोले
“…एकदिन शातिर कुबुद्धिजीवियों का जालिम जाल टूटेगा .. शुद्ध मानवता जागेगी !…….जागी मानवता गौ हत्या मांसाहार खुदै निषेध करेगी !…..ईसे तमाम तरह की शरीरी दिमागी बीमारी होती है ,…….महापाप खाता ऊपर से बढ़ता चढ़ता है ,…कैसे चुका पाएंगे !!…………भगवान् हमको अन्न फल दूध दही घी दाल सब्जी खाय खातिर बनाए हैं !………हम मूरख मानव कब्रिस्तान लटकाए समशान में घूमते हैं !……नासमझ मानवाधिकारी खुद मानवद्रोह करते हैं !…”
एक और बाबा बहने लगे ……….“…मानवाधिकारियों की का कहें ,……मानवता के नाम पर समलिंगता स्थापित करते हैं ,…..जिस चीज को भगवान् जाहे खातिर बनाया है .. मानवता का हित वही खातिर उपयोग उपभोग करे में है !……..कौनो वस्तु अंग का गलत इस्तेमाल गलतै परिणाम देगा !……”
कुछ युवा बाबा बोले …………“…यहाँ सब माता बहनें बिटिया बैठी हैं !…..बलात्कार कामुकता समलिंगता पर बात करना सही नही है !……”
सूत्रधार बीच में कूदे…………….“…ऐसा है माता बहिनों भैय्या लोग !…..ई मुद्दा समूची मानवता का है ,……नर नारी सब जानते हैं !……..,….कामुकता जीव का ईश्वरदत्त स्वभाव जरूरत है ,……..प्रेम लज्जा संयम नियम मानवी सदगुण है ,… अतिकामुकता बहुतै खतरनाक बीमारी है ,…… कारनौ निदान होगा !,,…….ई चर्चा होना चाहिए ,…लेकिन सीमित लोगन के बीच !….खुली पंचायत में ई चर्चा बंद करो !…”
पहले वाले बाबा ने युवा बाबा को टोका ………“…काहे शरमाते हो भगीरथ ,..अब शरम कहाँ बची !….सबै मोबाइल कम्पूटर पे नंगा नाचते है !..”.
दूसरे बाबा ने दहला जड़ा ………………“….ई कहना हमारा दोगलापन है लल्लू भाई !…..काम बीमारी हमरो जमाने में रही ,…..तब कम थी ,..गुप्त थी ,…..अशिक्षा से थी ,….अब नशा कुशिक्षा साजिश बहुतै ज्यादा बंटाधार किये है ,…..तकनीकी तेज जमाने में यहौ बीमारी बहुत तेज बढ़ी है !…….
मरियल से बाबा आगे बोले ………….“……हमारे जमाने में गिनती के लोग बेईमानी किये ,……करीबन सब फल भुगते ,….बाकी आगे भुगता हो,….अब लोग जमाने बेईमानी का बताते हैं !…..”
एक पंच बोले ………..“..ज़माना हमसे है काका !……….एकदिन सबको सुधरने पड़ेगा !…..नहीं तो कर्मफली कालचक्कर पूरा बदला लेगा !…..”..
मरियल बाबा का आत्मक्रोध जागा …………“..हम जाने कब सुधरेंगे !.. दोगलापन हमारी आदत बना है ,..शरम हैय्ये नहीं !…”
सूत्रधार फिर बोले ………..“…..यहाँ शरम दोमुंहापन का बात नहीं !…… सम्बन्ध की महान गरिमा होती है !……..कुछ नीच मूरख मानव इनहू को कुचलते हैं …….लेकिन .. मानवता का भला सम्बन्ध सुचिता पोषने में है !……..फिलहाल ई मुद्दा छोड़ो .. बिटिया का सजा वाला सवाल निपटाओ !….”
एक पंच युवती से बोले …………………“…..अपराध पर सजा जरूर होना चाहिए बिटिया ,..अव्वल तो मानव समाज अपराधमुक्त होना चाहिए ,….न्याय व्यवस्था अचूक होनी चाहिए !……..पारदर्शिता से चूक की गुंजाईश मिटती है !….हमारी पुरातन पंचायती न्याय व्यवस्था अचूक थी ,………..न्याय अधिकारी निरपेक्ष सत्यनिष्ठ होना चाहिए !……..जांचकर्ता स्वतंत्र समर्थ कर्तव्यनिष्ठ होना चाहिए !……..आज नीरक्षीर इंसानी विवेक कम लागे तो विज्ञानी सहायता लेनी चाहिए ,..जांच पड़ताल सुनवाई तेज सटीक होना चाहिए !….जांच परखकर नार्को जैसे टेस्ट को मान्यता मिलनी चाहिए !…हमको परमपिता को नहीं भूलना चाहिए !….”.
“….हम ईश्वरीय व्यवस्था समझकर अपना लें तो अपराधे नहीं होगा !…”………….पंचाधीश के संक्षिप्त मत पर एक युवा बोला ….
“…तब फिरसे सतयुग होगा दादी !……..लेकिन मौजूदा संक्रमणकाल में सही दंड व्यवस्था से पीड़ित अपराधी समाज सबको लाभ है !…….सच्चे न्यायदंड के भय से समाज को अपराध से मुक्ति मिलेगी !…..पीड़ित को संबल साहस का औषधि मिलेगा …..दंड से अपरधियो का बहुत लाभ होता है ,…..जनम जन्मान्तर तक अपराध का सूद ब्याज नहीं ढोना पड़ेगा !………ईलिए अपराध कोई करे मानवता के हित में दंड देना जरूरी है !…..न्यायकर्ता को सच के सिंघासन पर बैठना चाहिए !…”
पीछे से एक युवक बोला …………“…..यहाँ तो न्यापालिका पूरी बिकाऊ लागे ,……न्यायमूर्ति सरकार का झमेला अलग चलता है !….कौन जाने कौन कैसे जज बनकर न्याय नीलाम करता है !…..लुटेरी सरकार का पुराना वकील आज जज बनना चाहता है ,…..जज कालेजियम प्रणाली पर गहरे सवाल हैं !…..सरकारो न्यायाधीश नियुक्ति में हिस्सा चाहती है !..”
एक और पंच बोले ……………“…जज चयन कालेजियम को पूर्ण स्वच्छ होना चाहिए ,….. नियुक्ति में सरकारी हिस्सेदारी गलत होगी !….लेकिन उसको गलत नियुक्ति रोकने का ठोस अधिकार चाहिए !……जज और वकील श्रेणी अलग होना चाहिए !……वकील बेचारा झूठ सांच एक में बांचता है ,…जज की जिम्मेदारी सांच पर हर आंच रोके की है !……..न्यायाधीश चयन पारदर्शी होना चाहिए ,…योग्यता अनुभव सत्यनिष्ठा आधार होना चाहिए !…”
बीच से एक आवाज आई ………….“…भैय्या चालू न्यायतंत्र अंग्रेजी लूटतंत्र का पुरातन साथी है !…….सबकुछ सही करे खातिर भगवाने पर भरोसा करो !…..बाकी .. मोदी राज का हाल बताओ !…”………क्रमशः
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