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गतांक से आगे …
……..जयकारे रुकते ही मरियल से बाबा ने खड़े होकर डंडा दिखाया ,…….. “…अरे नालायक मूरखों !……….. बिना पानी तेल तरकारी डाले रसा कैसे निकाल लिया ……..समझाओ हमका !….”
सूत्रधार कुछ बोलने को हुए तो बाबा ने फिर डपटा ……….. “….तुम नकल मारकर वकालत पढ़े हो ,….अंग्रेजी क़ानून कायदा जानते हो …या .. बिकाऊ जज अफसर से मिलते हो !………बीज पानी बिना कैसे फसल काटोगे !…” ………..सूत्रधार खिसियाकर पिछड़ लिए .
…बाबा आगे बोले …….. “…गौहत्या भारत पर भयानक काला दाग है ,…. मानवता पर कालिख है ,…ई मिलकर मिटाना है !……. गौरक्षा गौसेवा करने से भविष्य उजला होगा ….. गौ वरदान हमको उठाएगा …. मानवता पर दिव्य चमक आएगी !………….जीवन खेती खातिर पानी बहुतै जरूरी है …..ऊ भी बतियाओ !..”
तमाम नजरें बाबा को सम्मान से देखने लगी वो बैठ गए ………..सूत्रधार बोले …. “..बाबा हम बात करे वाले थे !…………..भारत को तमाम जीवनदायी नदियाँ पालती हैं ,..अकेले गंगा माता के अमृत से करीबन तिहारी आबादी आबाद है !..”
“..लेकिन हम उनको बर्बाद करने में जुटे हैं !..”…………एक माता ने जैसे सबका दर्द उठाया .
पंच पीड़ा से बोले ….. “…..हम उनको बर्बाद नही करते ,….. आत्महत्या करने पर उतारू हैं ….हम अपनी संतति बर्बाद करते हैं ,…अथाह जीवहत्या का पाप करते हैं … हम घोर मूरख हैं बहिन !..”
एक युवा ने प्रतिवाद किया …….. “…..मूरख हैं नहीं चाचा ….मूरख थे !……..शैतान सफेदपोशों के शातिर जाल में मूरख बनते रहे !…..” ………….पंचायत युवा से सहमत दिखी …
“..और ..केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए !…”………..एक किशोर ने पटरी काटी तो कुछ कटीली मुस्कानें कुछ गुस्सा दिखा …. चलती गाड़ी की जंजीर खींचने जैसे अपराधबोध से वो नजर चुराने लगा
..एक पंच बोले ….. “…हम उनको अच्छे काम खातिर शुभकामना देते हैं !…”
“.. कांग्रेस से कौनो होटल में डील का खबर है !…….”……….एक ने कटाक्ष फेंका तो दूसरे ने लपका ….
“..देश के दल्ले बिना डीलिंग समर्थन काहे देंगे !….और केजरीवाल कंपनी भयंकर नाटकबाज है ….पहले कांग्रेस से सौ मील दूर रहने की बाल कसम खायी ,…जनता को कांग्रेस से दस मील दूर रहने की कसम खवाई …..फिर कुर्सी खातिर कसमै पचा गया !……..आम आदमी का वाहवाही लूटे खातिर मेट्रो से गया …….बाजू में खाली गाड़ियां दौड़ती रही !…..बिगड़े बिन्नी को सेट करे खातिर रातभर वीआईपी गाड़ियां दौड़ी !….बिना तामझाम के औरो मुख्यमंत्री चलते हैं …टीवी पर घोषणा कोई नहीं किया !…”
पंच फिर बोले ………..“….हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि ऊ चालाकी भरी कुटिल रणनीतियों से बाज आये !……. उनका आम आदमी को छलने वाली मक्कार सरलता … सफेदपोशी और नकली दिखावे वाला कांग्रेसी लबादा उतरे !…….ऊ एनजीओ सेवा सादगी मार्का विदेशी दलाली छोड़ सच्चा भारतपुत्र बने …. अहंकारी अन्धकार छोड़ स्वामीजी की शरण गहे ….सच की सेवा करे …. योग करे …तबहीं असल कल्यान होगा !…..वैसे कुछौ हासिल करे असल इतिहास मक्कारे कहेगा !…”
एक बुजुर्ग बोले ……..“…स्वामीजी को कतई उनकी जरूरत नहीं है ….स्वामीजी के साथ भारत खड़ा है !….आप पार्टी ने छलिया आम आदमियत दिखाकर दोगली जीत पाई हैं ,…वही कांग्रेस का आदि तरीका रहा !……दोनों नयी पुरानी कठपुतली लागें ,.. उनकी बागडोर विदेशी हाथों में है…….. मैच फिक्स लगता है …….नूराकुश्ती गलामिलन जांच पड़ताल तूतू मैंमैं वाहवाह हायहाय सब नजरबंदी खेल है ….चलता रहेगा !…..बीमारी बढ़ाकर सफेदपोश इलाज से खाने का नयी नयी मेज सजाना पुराना साजिश है …..गुप्त विदेशी लुटेरों का कामयाब आदत है !…सब महालूट करावे वाला गाँधी कुनबा चालू चहवान का बाल बांका करेगा !……वैसे शीला जैसे एकाधे लुटेरे झूठमूठ में कुर्बान हो सकते हैं !……”
“..अच्छा अरविन्द ने भाजपा का समर्थन काहे न लिया ……हर्षवर्धन से ज्यादा सरल सच्चा ईमानदार खुदौ न होगा !..”……एक और सवाल उठा तो बुजुर्ग झल्लाये
“..हम का जानें !…..घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खायेगा का …मुर्गी !…….ऊ सब गणित भिड़ाकर चलता है ,..हमारी तरह मूरख थोड़े है !…”
दूसरे पंच बोले …………“… एकदिन सबको अकल आएगी बाबा !…….हम पक्के मूरख हैं ,.लेकिन भगवान कृपा से इतना समझते हैं ….मस्त त्यागी नाटक दिखा भारत खाने खातिर चालाक चिट्टी कठपुतलियाँ विदेशी शैतानों की जरूरत हैं …….यहाँ कठपुतली त्यागी मैय्या गुलाम कठपुतलियों से महालूटें कराती है !……गाँधी नेहरू कठपुतली छाप छल कपट मक्कारी से टोपी पहनाकर भारत कटा .. चौतरफा देश लुटा ….सनातन सोने की चिड़िया और कंगाल हुई !…पहले केवल धन गया था ….अब धन के साथ सबकुछ जा रहा है !….फिरौ आम आदमी पार्टी को हम दिल से मुबारकवाद बधाई देते हैं !….ऊ नकली दिखावे से ज्यादा सच्चाई से जनहित करें … भला होगा !…”
“…सब तरफ नाटक लागे भैय्या !…….सच के उत्थान की राह बताओ ….राजनीति सही लाइन पर कैसे चले !..”…..एक महिला उबासी भरे अंदाज में बोली तो बुद्धिजीवी टाइप मूरख बोला
“..राज धन नीति !….माने राज नीति ……. राज करे खातिर जो नीति अपनाई जाय ऊ राजनीति है !..”
हमेशा की तरह साथी भी कूदा …….“..अंग्रेजी कांग्रेस एंड बैंगनी कंपनी का फूट डालो लूटराज करो राजनीति है !……”
………..“..गिरे बिगड़े राष्ट्र को उठाने बनाने खातिर हमको राष्ट्रनीति चाहिए !….मोदी जैसा समर्पित ठोस राष्ट्रनेता चाहिए ,….चौतरफा गीदड़ भोज मिटाने खातिर सच्चे शेर चाहिए ….लुटेरों से वसूली करने वाले राष्ट्रनायक चाहिए. !..”…………एक युवा गरजा तो पंचाधीश बोली
“…हर हिन्दुस्तानी राष्ट्रनायक बनेगा !……देश राष्ट्रनीति अपनाने को बेकरार है ,…..स्वामीजी बीस साल से मानव गढ़ते हैं !…..निष्काम महायोगी नित मानवता उठाते हैं !…….उनके गढे करोड़ों नेक मानव पूरी मानवता को उठाएंगे !….मोदीजी स्वामीजी भारत को फिर शिखर पर चढाएंगे !….सत्यमेव जयते सनातन सच है !…”
“…दल केजरीवाल दिल्ली को फिरी पानी देगा !…”…………..भटके युवा ने ही फिर गाड़ी पानी पर चढ़ाई तो सूत्रधार बोले
“…पहले ढंग से पानी तो दें ..फिरी बाद में लुटाएंगे !….पानी अनमोल है …..जल से जीवन है !………भगवान ने हमको भरपूर जल दिया है ,…लेकिन जहर भोगी संस्कृति फैलाने वाले मक्कार लूटतंत्र में अनमोल खजाना घटता जाता है !….”
“..उपाय का है !…गंगाजी बचाने खातिर बहुत लोग आत्मदान किये हैं !….हमारे अनेक साधु सन्यासी अपना जीवन होम किये ……..लेकिन लुटेरी सत्ता को केवल पूंजी चाहिए !….”…………..एक बुजुर्ग बोले तो महिला का गुस्सा फूटा
“..डाकू लोग गंगा बचाने खातिर हमारे हजारों लाखों करोड़ खाय गए .. तिलभर गंगा शुद्ध न हुई !…”
बुजुर्ग तनिक गुस्से में फिर बोले … “…शैतान डाकुओं का पेट फटेगा बिटिया …..शुद्ध सुलभ जल का उपाय बताओ …”
एक पंच बोले ………. “..शुद्ध जल तीन तरह से मिलता है !…… नदियों से .. वर्षा से ..और धरती माता के गर्भ से …..तीनों को बचाना और बढ़ाना होगा !.”
“..पहिले नदियों का बताओ !….”…………बुजुर्ग ने जैसे आदेश दिया तो युवा बोला
“..सब नदियाँ जोड़े का पिलान है !….काला धन आते ही ई महायोजना शुरू होगी..”
कुछ सोचकर पंच बोले ….. “…लाभ हानि का आंकड़ा लगाना विज्ञानियों का काम है … हम नदियों को जोड़े से सहमत नहीं हैं !…… प्रकृति भगवान ने सबको जरूरत के हिसाब से जोड़ा है !….जरूरत से ज्यादा उनको छेड़ना गलत लागे !….बड़ी नहरें बनाने में कितनी जमीन जायेगी …प्रकृति बदलेगी !….फिर पानी तो उतने रहेगा ,…. वर्षाजल का पूरा सदुपयोग होना चाहिए …..जहाँ जल बहुतै कम है वहां खातिर कुछ नहर नाली पैप लगाना ठीक है !…
…“… हाइटेक पैप लगाना ज्यादा ठीक लगता है …..बहुत कम जमीन में ज्यादा काम होगा !….लेकिन तकनीकी जुगाड़ में खर्चा ज्यादा आ सकता है !..”………… एक मूरख ने मत दिया तो दूसरा बोला ……
“..काला धन मिलने पर सब सार्थक काम खातिर धन होगा ,…..मसला सूखे क्षेत्र में पानी जाने का है ,…ऊ विज्ञानी लोग देखेंगे …सब पक्ष देख समझकर काम करना चाहिए …..हम काहे खाली खोपड़ी घुसाते हैं !….”
“ नदी जोड़े से बाढ़ का खतरा कम होगा बाबा !…”…………….युवा ने फिर अपनी बात रखी तो पंच बोले ….
“…ज्यादातर नदी में एकसाथ बाढ़ आती है ,…तब सिंचाई का जरूरत कम होता है !….पानी कहाँ काहे जाएगा !…..और बाढ़ से जीव इंसान के बचाव खातिर पूरा प्रबंध होना चाहिए !….पर्याप्त तटबंध नाव स्टीमर अल्पवास सुविधा होना चाहिए …..बाढ़ केवल विनाश नहीं करती ….उपजाऊ जीवन भी देती है !….बाढ़ क्षेत्र में अगली फसल बिन सिंचाई खाद के भरपूर से ज्यादा उपज देती है !…”
“..बाढ़ का एक कारण बेहिसाब चीनी नेपाली पानी है !….”……एक महिला बोली तो पंच ने समझाया …
“..सब देश राज्य को मिलसमझकर साझी समस्या निपटाना चाहिए ,….लाभहानि में कुदरती भागीदारी होना चाहिए ..मानवता मिलकर चलेगी तो उठेगी !…”
एक मूरख आवेश में आया ……….“..चीन का मिलेगा ….ऊ सब हड़पने की फिराक में है !……चौथे दिन घुसपैठ करता है ,….दिल्ली दरबार नकली बंदर की तरह म्याऊँ म्याऊँ करता है !.”
एक युवा तड़पा …………“…चीन की औकात चीनी मिट्टी जितनी है !…..राष्ट्रभक्त भारतसत्ता चार दिन में उनका घमंड चूर कर देगी !..उनकी खातिर हमारा बाजार बंद हुआ तो घुटनों पर बैठे मिलेंगे !.”
एक माता शान्ति से बोली ………..“..ई काम खातिर हमारा स्वदेश प्रेम जागना चाहिए !….चीनी सामान लेना पीछे से भारतद्रोह है ,… भारतपुत्र को जाने अनजाने माई बाप से द्रोह नहीं करना चाहिए !…. हर चीनी सामान का बहिष्कार होना चाहिए !….”
युवा फिर बोला …….“..चीनी सामान सुन्दर सस्ता कबाड़ है अम्मा !……इलेक्ट्रानिक कबाड़ जहर से ज्यादा घातक है .. हम मूरख नये फैशन के चस्के में फंसे हैं !…..और उनकी घुसपैठ गहरी है ….आमजन को पते न चलता कि चांदनी चौक का माल है कि चीन का …. चांदनी चौके चीनी माल से भरी है !…”
“..लालच इंसान को राष्ट्रद्रोही बनाता है !….व्यापारी का लालच मोटा मुनाफा है ….खरीदार का लालच कम दाम में ज्यादा माल है !…..”………….एक और मत आया तो पंच साहब बोले
“.. हमको लालच छोड़ना होगा …..तबहीं भारत बचेगा ….हमरी मूर्खता से चीन की ताकत बढ़ी है ,…ऊ कैलाश मानसरोवर की तरह हमारा लेहलद्दाख पूर्वोत्तर हड़पना चाहता है !…”
सूत्रधार का गुस्सा फटा …………..“..ऊ केवल लद्दाख अरुणाचल नहीं ….तिब्बत की तरह पूरा भारत हड़पना चाहता है !. नेपाल बर्मा भूटान पाकिस्तान सब पडोसी उसके शिकंजे में हैं…….उके दलाल पूरे देश में जमे हैं !……दिल्ली की शातिर दलाली से उन्होंने नक्सलवाद बढ़ाया है !……..बिके नक्सली नेताओं ने अंग्रेजतंत्र में लुटे भारतपुत्रों को अपना मोहरा बनाया है ,..नक्सली पुलिस लड़ाई में दोनों तरफ हमारी गोलियाँ हमारे सीने हैं !..हमारा बारूद हमारा बदन चीरता है ! ..खौफनाक हालात में तुरंत जागना हमारी जिम्मेदारी है …..साजिशबाज विदेशी दलालों लुटेरों मक्कारों देशद्रोहियों को भगाना हमारा कर्तव्य है !…..स्वदेशी भारत स्वाभिमान बढ़ाना हमारा दायित्व है !…”
माता फिर शान्ति से बोली ………….“…हर चीनी सामान का बहिष्कार कर स्वदेशी अपनाना हमारा पहला कर्तव्य है …….”
“…हम अपना कर्तव्य करेंगे !…..हमारी राष्ट्रभक्त सत्ता अंधे आयात पर रोक लगायेगी !…”……..एक युवती ने माता को सहलाया तो युवा बोला
“..रोक कैसे लगेगी दीदी !…..हम विश्वव्यापार शर्तों से बंधे हैं !…”
“..ई का है !…”…….ग्राम मामा ने सवाल किया तो एक पंच फिर बोले
“..विश्वव्यापार संगठन दुनिया में सुचारू व्यापार खातिर व्यवस्था है !…लेकिन ई दिखावा फर्जी है …उनका असल काम दुनिया पर अमरीकी पूंजीखोरों का एकक्षत्र राज बनाना है !…….दिल्ली में दलालों का राज है तो सबकुछ उनका है !…सड़क किनारे फड़ी लगाने वाला मेहनतकश समाजी व्यापारी उनकी निगाह में चोर उचक्का है ….किसान फ़ालतू का आइटम है …..सच्चे भारती व्यापार को सौ तरह से रोकते हैं !……आदमखोर पूंजीडकैतों खातिर भारतद्रोही कांग्रेस कंपनी लाल कालीन बिछाती है !…”
दूसरे पंच ने गुस्से को सार्थकता दी ………….“..व्यापार माने दुनिआवी आवश्यकता की पूर्ति है !…..व्यापार मानवता का जरूरी अंग है ….ई पूरी तरह मानवतापूर्ण होना चाहिए ….भारत से चीनी अमरीकी विदेशी साजिशें तुरंत मिटानी चाहिए …..विश्व व्यापार संगठन का सही पुनर्गठन हो नहीं तो हमारे जूते के नीचे रहे !…..हमारा अपना विशाल बाजार उद्योग कारीगर उत्पाद कच्चामाल है !….हमारा सब काम स्वाभिमान से चलेगा !….हम शान से उन्नति करेंगे !…”
…….“…भैय्या ..चीन का अमरीका से गुप्त समझौता होगा …. भारत कटेगा .. बराबर बंटेगा !..हिंद पाक पर दोनों शैतानों की भयानक साझी साजिशें हैं !…दोनों सत्ताएं उनकी गुलाम हैं !..”……….एक मूरख ने अपना मत दिया तो पीछे वाले बुजुर्ग बोले …….
…“..सब गुलामी मिटेगी ….सब साजिशों का इलाज होगा ….लेकिन तुम्हारा का इलाज है … कहाँ से कहाँ भाग जाते हो …एक एक बात करो !…. जल का बात चली थी ,…मरती नदियों को कैसे बचाया जाय !….बीच में चीन नेपाल अमरीका घुस गया !..”
बाबा की बात पर मूरख ने कोने से व्यंग्य किया ……………“..निकालो चीन अमरीका को और शुद्ध जल लाओ !…काका को बड़ी तकलीफ है …..”……………….क्रमशः
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