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मूरख पंचायत ,..सच के सपने-७

हमार देश
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गतांक से आगे
मरियल बाबा का बनावटी सा गुस्सा फूटा ……….“..भाड़ में गए अमरीका नाटो रूस नेहरू गाँधी …….दुनिया सब समझती है !……गौ माता धरती माता से मूरख कथा कहाँ घुसेड गए नालायक !….हमारी याददाश्त पहिले बीड़ी पी गयी ,..बची तुम न बचने दोगे ……..लालची शैतानों के पिट्ठू गाँधी लोग गौमाता के कत्लेआम करवाते हैं !…..”
पीड़ित पंच ने मौका संभाला ………..“.. महापापी मंडली गौहत्या से मोटा मुनाफा काटती है ,…उनके बापों का भारत खाने मिटाने का घिनौना सपना पूरा होता है ,….नेता माफिया गौ तस्करी के गिरोह चलाते हैं !….अपना हिस्सा लेकर घोर अपराध को संरक्षण देते हैं ,…शैतान लोग इंसान को अपनी माता काटकर खाना सिखाये हैं ……गौमांस के निर्मम निर्यात से लुटेरी सत्ता कमाई करती है ,………करोड़ों निरीह गायें बंगलादेश जाकर कटती हैं !……खास गाँधी गुलाम सिब्बलवा तक मांस फैक्ट्री खोले है ,…..गली गली कतलखाने हैं ,..मंदराजी कामधेनु बेदर्दी से कटती हैं ,……मूरख इंसानी पेट मानवता का कब्रगाह बना है ,…..थू है सत्ता पर ,.थू है इंसान पर ..थू है इंसानी लालच पर ,..थू है इंसानी जबान पर …..थू है लालच में डूबे मानवता द्रोही शैतानों पर !.. महापाप से बड़ा महापाप अधर्मी इंसानों को लाखों साल का नरक देगा !….”…………पंच का क्रोध आसमान पर पहुंचा तो एक बुजुर्ग ने डोरी खींची
…..“…थू हम मूरखों पर भी है ,….जान समझकर नरक अपनाते हैं ,…अनमोल गौसंपदा की बेकदरी हमारी नालायकी है …गौ माता की हड्डियां तक खेत को अपार शक्ति देती हैं !..”
दूसरे पंच बोले …………“.सही कहते हो चाचा !. पवित्र अमानत गऊ माता की दुर्दशा के अपराधी हमहू हैं ,…कांग्रेस गाँधी को हमने सर पर चढाया ,…मक्कारों की कुटिल अंग्रेजी नीतियों में हम फंसे !..उनके जाल में अपनी महान सभ्यता संस्कृति भाषा हम छोड़ते हैं !…बूढी गाय बछड़े आवारा छोड़ दिए जाते हैं !…मानवता पालने वाला गौ परिवार कटने से बचा तो सड़कों पर बीमार जिंदगी जीता है ,…….घायल होता है ,..घायल करता है !…”
पंचाधीश बोली ………….“..आजकल का छोडो भैय्या !…..बड़े जुगाड़ से मानवता भटकाई गयी …आज राज शैतान का है ,..कल भगवत्ता आएगी !…..गाय मानवता की आदि पालक है !…..गाय साक्षात देवनिवास है ,…गौरक्षा गौपूजा गौसेवा का फल अनमोल है ,……..गौवध घोरतम अपराध है !…..गौमांस खाने वाले घोर अपराधी हैं ,..उनको प्रायश्चित करना होगा !…..घोरतम अपराध की हर सजा कम होगी !..ऊ करवाने वाले खातिर धरती की सब सजा मिलाकर कम हैं !…”
मरियल से बुजुर्ग फिर बोले ………“…..मानवता ऊपरी मानवद्रोहियों को लटकायेगी ,…..सब नीचे वाले सुधर जायेंगे !…….. शुद्ध मन से रामनाम जपेंगे ,..पश्चाताप करेंगे ….सद्कर्म करेंगे .. पाप कटेंगे …बकाया वहां भुगतेंगे !..”
एक युवा बोला …………“..और अवारा गाय बछड़े समस्या नही समाधान हैं !……हर गाँव नगर तहसील में पंचायती गौशालायें बनानी चाहिए ,… तमाम खाद बनेगी ,…खेतों को ज्यादा अमृत मिलेगा तो अन्न फल दूध घी में आएगा !….मानव शरीर में जायेगा !…सबका तन मन शुद्ध होगा ,……भ्रष्ट रक्तबीजों की तरह बढ़ती बीमारियाँ मिटेंगी !…….”
कोने वाला मूरख फिर चहका ………… “..बछड़ों को फिर खेती में काम लाएंगे !………ट्रेक्टरी जुताई से खेत खराब होते हैं ,…मित्र कीट केंचुआ लोग मरते हैं ,……सुन्दर समतल खेत ऊबड़खाबड़ हो गए !…. बैलिहर खेती से हर काम बढ़िया होता है ,……ट्रेक्टर जुताई से बैल जुताई तिगुना अच्छी है !…..सबको बैल पालना चाहिए !……कम खेत वाले भाई बहिन बैल पालकर अच्छा रोजगार कमा सकते हैं ,…नजदीकी लदान खातिर उन्नत बैलगाडियां नाधेंगे !…..डीजल मशीन की मंहगी मार से बचेंगे ,….महान कृषिकर्म में बड़े पैमाने पर फिर मानवश्रम पशुश्रम लगना चाहिए !..”
पंच पूर्ण सहमत हुए …………“…जरूर लगेंगे भैय्या !…..शासन सत्ता अच्छा देशभक्त हो तो नरेगा छाप सरकारी जेसीबी दलाल मिट जायेंगे !…हमारा सब धन हमारे काम आएगा !…काला धन आते ही भारत की सुनहली चमक दुनिया को प्रकाश देगी !…आत्म संपन्न सोने की चिड़िया को लुटेरों से खैरात नहीं अपना अधिकार चाहिए !…”
दूसरे पंच भी बोले ………..“..हम पुरानी बात फिर दोहराते हैं … अधिकार का कुंजी कर्तव्य है ,…….भारत भूमि पर सबकी खातिर सम्मान प्रेम भरा पूरा रोजगार है !…गुलामी के टुकड़े मंजूर नहीं ,….गौ कृषि सच्ची खाद्य सुरक्षा है !…बिना गाय के धरती पर केवल गारंटेड बीमारी भुखमरी मिलेगी !…”
कुछ सोचकर युवा फिर बोला ……………..“…और बैलों से आटा चक्की चल सकती है !…..मशीनी पिसाई से अन्न की ताकत जल जाती है ,…..मशीनी पिसाई एक रुपया से बैलचक्की की तीन रुपया सस्ती पड़ेगी !……आटा जलेगा नहीं ,…चार रोटी की ताकत एक से मिलेगी !….शुद्ध अन्न का पूरा तत्व योगी शरीर पचायेगा !…सब हृष्टपुष्ट बलशाली निरोग होंगे ….तमाम हरित रोजगार बनेंगे !…”
“…ईश्वरी वरदान काम न लेंगे तो घाटे में न रहेंगे !….”………एक ऊटपटांग मत आया तो पंच बोले ……………. “..साक्षात ईश्वरीय वरदान की रक्षा सेवा सदुपयोग संवर्धन करना मानव धरम है ..”
बुजुर्गा माई बोली …………..“…….गौ पालन गौ रक्षा महान धर्म है !…..गौ रक्षा खातिर मानव जाति को शीश तक चढ़ाना चाहिए !……..भारतीय जाति की गायों को विज्ञानी सहायता से बढ़ाना चाहिए !…….भारतीय गाय की अनमोलता विज्ञान जान सकता है !….जहाँ गौपूजा गौसेवा होती है वहां सुख शान्ति रहती है !…….”
एक मूरख दुःख पश्चाताप भरे भाव से बोला …………..“…हमारी मूरखता से गौ परिवार को महान कष्ट दुःख हुआ ,…..अब न होने देंगे ,……..हम प्रभु से क्षमा मांगते हैं ,..कृपा करने की प्रार्थना करते हैं !….उन्होंने गौसेवा खातिर खुद अवतार लिया ,…….प्रभु तुम्हारी जय हो !.. गौ माता की जय हो !…”………………पंचायत हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थना जयकार में शामिल हुई ……भाव शांत होने पर एक युवा बोला
“…अच्छा गौ किसानी के और फायदे बताओ !…..”
पंच फिर बोले ………..“…गौ किसानी के फायदे अनेक हैं ….शब्द नही अनुभव से समझो ,…जब गौपालन हमारा मुख्य खेतिहर धंधा था ..तब हम सर्वसम्पन्न सर्वसुखी विश्वगुरु थे !…अपराध अन्याय अत्याचार का नामोनिशान नहीं था !…सर्वत्र भगवत्ता थी !……गौ दर्शन ही ख़ासा पुण्य है ,..सेवा की मेवा वही जाने जो करता है ,……सब शुद्ध खायेंगे पियेंगे तो शुद्ध बनेंगे ,……शुद्ध तन मन बुद्धि से सच्चा सुख मिलेगा भाई !….परमसुख मिलेगा ..भगवान मिलेंगे …”
……….“…अच्छा किसानी का बताओ ..”………….युवा ने अगला सवाल किया तो पंच आगे बोले .
“..अन्नदाता किसान आज मजबूर परेशान है !…लूटतंत्री मंहगाई कुशासन भ्रष्टाचार कुरीतियों से बेहाल है !.. डाकू लोग पिलान से खाते भटकाते बहकाते हैं !…..विदेशी निवेश कंपनी के बहाने हमारे अनमोल खेत हड़पने का साजिश करते हैं !..”
दूसरे पंच बोले ……………“..ई इनका पुराना धंधा है ,..सब बंद होगा ….बीमारी फैलाकर इलाज के नाम पर हड़पते हैं !…..विदेशी निवेश सहायता सफ़ेद साजिश है ,……डंकल बीज से खेतों में अनेक घास फूस जहर कीड़े आ गए ,…विदेशी गेंहू के साथ मामा पापा अंकल सब आये !…..भयानक गाजरघास विदेशी देन है !…जहर से बीमारी महामारी लालची लूटतंत्र की देन है !…हम आदि कृषक हैं !….हमको खेती धंधे शिक्षा का कोई विदेशी माडल कतई न चाहिए !……विदेशी दलालों का हर सफेदपोश जहरीला पिलान और गुलाम करेगा !……….स्वदेशी तरीके से हम दुनिया को राह दिखाएंगे !…”
लाल कुर्ते वाला मूरख बोला ………..“…….अन्नदाता को किताबी के साथ हिसाबी सम्मान भी चाहिए !…. हमारी कमतर आमदनी पक्की होनी चाहिए ,…बढ़िया समर्थ स्वदेशी कृषियोजना अमल करनी चाहिए !….बुजुर्ग बीमार किसान मजदूर को पेंशन मिलनी चाहिए !…..उपज खरीद का ठोस प्रबंध पंचायत से होना चाहिए …. हर तहसील में गोदाम होने चाहिए !……पंचायत जरूरत भर रखे ,….जरूरतमंद को बांटे ! ……बाकी उपज जिला प्रांत के हवाले हो !…….देश में जरूरत के हिसाब से अन्न बांटा जाय !……फ़ूड कार्पोरेशन का काम पंचायत से राजधानी तक होना चाहिए !…..सबकी जिम्मेदारी से कोई भूखा कुपोषित न रहेगा !……हमारी धर्मी पंचायतें सबसे तालमेल कर लेगी !….. हमारा काला धन मिलेगा …. दलाल कंपनी हटेगी …मानवता जुटेगी !..”
…………..“..दलाल कंपनी मिट जायेगी भैय्या !……अब ई बताओ शासन सरकार पंचायत कैसे चले !…….”……….एक युवा ने समर्थन करते हुए सवाल किया तो पंच बोले ..
“…ग्रामपंचायत प्रांतपंचायत और राष्ट्रपंचायत का काम बंटा होना चाहिए ,….सबको स्वतंत्रता से सब काम मिलबांटकर करने चाहिए !…..कुल बजट का तिहारा तीनों को मिले !…”
आगे वाला युवा ने चहककर पंच को काटा ……….“..अरे काला धन मिलेगा … हमारा बजट कई गुना बढ़ेगा !……हर नेक काम खातिर भरपूर धन होगा ,..कोई गरीब भूखा बेकार न रहेगा ,….मंहगाई हमेशा समुद्रतल पर रहेगी ,…..बजट के इन्तजार में गड्ढे बूढ़े न होंगे …सड़कें पथरीली खदान न बनेंगी !..”
साथी युवा ने प्यार से डपटा ………..“..चुप करो यार !….पहले काका को बात पूरी करने दो ..”
पंच आगे बोले ………… “..जिलापंचायत तहसीलपंचायत पुल जैसा काम करेंगी !…..ग्राम नगर पंचायत गाँव शहर क़स्बा का व्यवस्था देखे !……..प्रांत व्यवस्था प्रांत पंचायत देखे !…… सुरक्षा शिक्षा विदेशी सम्बन्ध व्यापार विज्ञान शोध संविधान कानून समाधान निगरानी उत्थान जैसे काम राष्ट्र पंचायत देखे !..बाकी काम प्रांत पंचायत ग्राम नगर पंचायत करे !……हर जिला का योग्य सच्चा सांसद हो ,..वही जिला का पंचाधीश हो ,…हर तहसील का पंचाधीश सच्चा विधायक हो ,..कतरनी सीमायें काम खराब करती हैं ,..जिला मल्लूपुर सांसद कल्लूपुर बनाया है ,.जनता लल्लू बनी है !…..सांसद विधायक साल में एक डेढ़ महीना राजधानी बैठे बाकी समय पक्के कार्यालय जिला तहसील में मिलना चाहिए ….घर होटल फ़ारम पर महफ़िल न जमनी चाहिए …..घरेलू महफ़िलों में हरामखोर जायज नाजायज बाप औलादें बनती हैं ,….एक भ्रष्ट बीस को भ्रष्ट बनाता है !.”
मरियल बाबा बोले ……….“… एक महामहाभ्रष्ट सफेदपोश नेहरू गाँधी खानदान पूरे देश को भ्रष्ट करता है !…”
युवा ने बाबा को टोका ………..“..फिर एक दिन उनका अंत तुरंत होता है !…. एक अवतारी महानायक देश को उबारकर उठाता है ,.जैसे स्वामीजी जुटे हैं ,…जरूरत ऊको देखने की है !…..”
बाबा गर्व से भर गए ……..बोले …“..हमारे महानायक देश की हर जुबान पर हैं ,..हर भारतीय जुबान के दर्द का उपचार उनके पास है ,….स्वामीजी देश की आशा विस्वास हैं …..करोड़ों भारतपुत्र पुत्री उनके पथगामी हैं !.”
………..“…हमें सत्तर खौव्वों की मंडली न चाहिए ,…बीस गद्दारों से दो सौ गुना अच्छा काम एक सच्चा भारतीय करेगा !…दिल्ली में दस बीस कर्मठ राष्ट्रभक्त मंत्री बहुत हैं !……. दर्जन भर विभाग से राजधानी सरपट दौडेगी !….सांसद मंत्री प्रधानमंत्री बने तो जिला खातिर उपसांसद बने !…राज्यसभा सांसद बेमतलबी मतलब गांठते हैं ,…..”…एक और मत उठा तो समर्थन भी मिला .
“..ऊ लूटतंत्री वफादारी का मस्त ईनाम लेते हैं …..काम कुटिलता का .. भयानक घाटा हमारा .. माल उनका !..”
लूटतंत्र पर अगला मूरख वार हुआ ……….“… फालतू राष्ट्रपति महल देश के काम आना चाहिए ! …ऊ बनाने में हमारा अथाह खून पसीना लगा है !……अरबों की शाहखर्ची करने वाले राष्ट्रपति को गुलाम मुहर नहीं देश का सक्रिय सिपाही होना चाहिए !…. राष्ट्रपति का चुनाव सीधे जनता करे !….. बीए पास जनता राष्ट्रपति का चुनाव करें !….आधे से ज्यादा वोट पाने पर चुनाव पक्का होना चाहिए !..”
पीछे से मतभिन्नता सामने आई …………“…हमको राष्ट्रपति राजपाल काहे चाहिए !…..पालतू सफेदपोश हमारे हजारों करोड़ बिना भ्रष्टाचार किये खाते हैं ,..देशद्रोहियों के बेगैरत गुलाम वफादारी साबित कर मस्त सैर सपाटा प्रवचन करते हैं !…….राष्ट्रपति राज्यपाल वाला काम काबिल सच्चे स्वतंत्र न्यायाधीश कर सकते हैं !……..विदेश संपर्क मेल मिलाप खातिर काबिल दूत व्यापारी और तमाम कलाकार ज्ञानी गुरु लोग हैं !….”
“.बात सही है भैय्या ,..पालतू राष्ट्रपति राज्यपाल का फालतू काफिला हमारा ही खून चूसता है !…अकेले राष्ट्रपति भवन से पूरी सरकार चल सकती है ! ….बाकी दिल्ली दिलवालों के काम आ सकती है ,..”…………एक और समर्तःन मिला तो कोने वाले मूरख ने फिर सवाल किया .
“…..इतने से काम न चलेगा …शासन सत्ता विस्तार से बताओ !..”
पंचाधीश प्यार से बोली ………..“..शासन सत्ता का महान धर्म होता है !..ऊकी रचना शुद्धतम सुन्दरतम योग्यतम होना चाहिए .हम मूरख का जानें …जो स्वामीजी कहेंगे हम वही करेंगे ,…..फिरौ कभी जरूर बतियायेंगे !….अब सेहत बतिया लेते हैं !..”
“.. जरूर बतियाओ दादी .. अब कृषि चर्चा का सार रसा बताय दो !…”…………एक युवती बोली तो सूत्रधार मुस्कराकर काव्यात्मक अंदाज में बोले .
“..हम कहे न सार रसा इच्छानुसार निकालो !………..कृषि बिना भारत का कोई मतलब नहीं ..और गऊ बिना कृषि बेकार है !…..किसान बिना इंसान झूठ है .. सम्मान बिना किसान बेजार है !…..धन बिना सम्मान कौने काम का .. कालाधन निकाले बिना धन कहाँ !…काला धन तब आएगा जब गाँधी छाप अंग्रेजी लूटतंत्र जाएगा !….लूटतंत्र तब जायेगा जब पूरा भारत जागेगा !…..जगाने खातिर भगवान रामदेव जुटे हैं !…..साथै जुट जाओ तो धर्म है … नहीं तो अधर्म है !…”
सूत्रधार के रसीले चुटीले सार पर पंचायत मूक हो गयी ….भावुक पंचाधीश भावमुक्त हो गयी ….उसी अंदाज में बोली ……“.. स्वामीजी के महान पुरुषार्थ से भारत जाग रहा है ….. बस उठने ही वाला है !…जल्दी भारत दौडेगा .. चोर मंडली भागेगा !….अन्धाराज जाएगा सुख सागर लहराएगा !….राक्षसराज मिटेगा रामराज्य बनेगा !……….बोलो भारत माता की जय !…..गौ माता की जय !……धरती माता की जय !…..स्वामीजी की जय !…..जयजय सीता राम ….”..पंचायत भी उनके साथ बहने लगी ……उत्तेजनाहीन शांत जयकारों से माहौल अद्भुत हो गया ………क्रमशः

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