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मूरख पंचायत ,….चरित्र साजिश -२

हमार देश
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गतांक से आगे
………एक पंच साहब बोले …………“..चरित्र धर्म चेतना का पैदावार है ,..कर्म का आधार है !……ऊपरी तौर पर चरित्र निर्माण के चार चरण है !……..पहिला है जनम से पहले का खाद पानी !…..सद्कर्मी स्वस्थ सुखी खुशमिजाज माँ बाप की औलाद का चरित्र अच्छा होगा !……….नशेड़ी बीमार कुकर्मी दुखी बीज वाली औलाद में पैदाइशी खराबी हो सकती है !..”
एक महिला ने सिर हिलाया …………….“..तबहीं हमारे पूर्वज माँ बच्चे की खुशी खातिर गर्भाधान संस्कार करते थे !..कुछ आजौ करते हैं ,..लेकिन चालू दुनिया में संस्कारी खुशी कम दिखावा पाखण्ड ज्यादा होता है !…”
“.हमारे पुर्वज बहुत सयाने थे ,…गर्भ से मौत तक संस्कारों का विज्ञानी महत्त्व है ,….. सोलहों संस्कार का गहरा अर्थ है ,….आज का विज्ञान चाहे तो लाभ सिद्ध कर सकता है ,..लेकिन मटकी का घुन मटकी से बाहर काहे देखेगा !…”……………..एक बुजुर्गा ने महिला को समझाया
पंच फिर बोले ……………“….फिर परवरिश की बारी आती है !……..अच्छे माहौल में पले बच्चों का चरित्र अच्छा होता है !….बड़े बुजुर्गों के अच्छे संस्कारों से सद्कर्म की प्रेरणा मिलती है !….”
…………..“..ठीक कहा चाचा !……परिवार की अच्छी बुरी रवायत बच्चा बढाता है !……..बीड़ी तमाखू दारू पीने वालों की औलादें वैसी निकलती हैं !…..धर्म पर चलने वालों के बच्चे धार्मिक सुखी होते हैं !…….”……………महिला के विचार फिर बहे तो युवा बोला .
“…अच्छा तबहीं बच्चा गाँधी लोग झूठ मक्कारी चोरी डाका साजिश में माहिर हैं !….पेट से परिवार तक यही तो सीखे हैं !..”
“..फिर घुसे गाँधी लोग !….अबकी नाम लिया तो मुंह में डंडा खोंस देंगे !…”………….बुजुर्ग ने क्रोध से डंडा दिखाया तो युवा दो कदम पीछे हो गया ,….मूरख हँसने लगे ….
……बुजुर्ग उसी लहजे में आगे बोले …….. “….बच्चा घर से शराफत नंगई सीखता है ,….चरित्र पर नशा वासना सद्कर्म अत्याचार सद्भाव न्याय अन्याय सब माहौल की छाप पड़ती है !….. चोरी छिनारा नशा झूठ देखेगा तो वही करेगा ……आगे बताओ …”
बुजुर्ग के आदेश पर पंच फिर बोले ………..“..आगे है विद्यालय !……बच्चा लोग पर शिक्षा के साथ मास्टर और साथियों का बड़ा असर होता है !..”
पीछे बैठे मरियल बुजुर्ग बोले ……………..“…ऊ हाल न कहो भैय्या !…..प्राइमरी मास्टर दिन भर बकरी जैसा पान मसाला चबाता है !….दांत पर जैसे लाल पीला काला पेंट करवाए है !….”
उनके ही बगल बैठा मूरख बोला ………..“..बहुत बुरा हाल है बाबा !…..तमाम लोग स्कूल का मुंह नहीं देख पाते ,…हम जैसे विद्याहीन अंगूठा टेक पशु मानव मानो !……………बीड़ी गुटखा छोडो …. लोग बाग दारू गांजा पीकर भी पढ़ाते हैं !…..सरकारी तनखाह मोटी है ,…. लुगाई लगती खोटी है !….नशा न करें तो ठसक कहाँ निकले !..”
एक और गुस्से में शुरू हुआ ……………“…….सरकारी पढ़ाई के हाल बुरे !….कुछै सही पढ़ाते हैं !…..बाकी सरकारी माल उड़ाते हैं ,………प्राइवेट स्कूल मालिक मालपानी छकने में लगे रहते हैं ,….मास्टर बेचारे बेगार करते हैं !…. हर पन्ने पर शिक्षा नीलाम होती है ,….खरीदार लोग काहे न भटकेंगे !…. आजकल मोबाइल ज़माना है !…गेम फिलिम गपबाजी अय्याशी अवारगी में टाइम पास होता है ,..डिगरी साटीफिटिक तो मिली जाई !…पांच सौ पैंतालीस जुगाड़ हैं !…आजकल जुगाड़ से जिंदगी है ….पढ़ाई गयी भाड़ में !…..और पढ़ाते भी का हैं ,…वही तीन दूना पांच !……राम कृष्ण गीता रामायण वेद सम्प्रदायी है !…राणाप्रताप शिवाजी भगत आजाद सुभाष लुटेरों खातिर आतंकवादी हैं !……भारत का सच्चा इतिहास पढ़ा दिया तो मुर्दा गुलामों में जान आ सकती है ,……मानवता खड़ी हुई तो विदेशी टट्टू कहाँ लुकेंगे !……ई आधुनिकता के नाम पर मानवता मिटाते हैं ,…शिक्षा के नाम पर चरित्रहीनता बेंचते हैं !..”
बीच से एक मूरख खड़ा होकर जोर से बोला …………..“..लेकिन कुछ स्कूल केवल शिक्षा खातिर हैं !……अध्यापक आचार्य लोग भारत के भविष्य खातिर जीवन होम करते हैं ,…..विद्याभारती जैसे विद्या के मंदिर देखो तो चौखट पर माथा टेकने का मन करता है !…”
………….“..माथा टेकना नहीं चढाना चाहिए !……दुनिया में ढेर सच्चे लोग न हों तो दुनिया को गाँधी जैसों के चंद बाप खा जायेंगे !…”………….युवा ने तंज किया तो बाबा का फीका गुस्सा फिर उभरा
“…फिर गाँधी को लादा गदहा !…… तुम आगे बताओ भाई !….”
पंच साहब फिर शुरू हुए ………….“…आगे है समाज और व्यस्वथा !…..बच्चा सबसे बच गया तो समाज की गन्दगी से बचना कठिन कठिनतम है !…… चौतरफा नशा वासना चोरी लूट ठगी बेईमानी देख मानव मन पर कालिख पड़ती है !….कुकर्म की तरफ बढ़ाती है ,….अकर्मी बनाती है !…चरित्रहीन कुचरित्री बनाती है ,…………लुटेरी व्यवस्था में अच्छा भला इंसान देशसेवा की कसम खाकर सरकारी कुत्ता बन जाता है !……हो गया चरित्र का बंटाधार !….बुराई के अँधेरे में अच्छाई बचती नहीं !….बच भी गयी तो कुछ बोलती नहीं !…..बोलने पर स्वामीजी की तरह पिटती है !….इंसानी वेशधारी आदमखोर भेड़ियों की जमात हजार किस्म के आरोप लगाती है ,..मिटाने की साजिशें रचती है !……..वाड्रा को नंगा करने वाले खेमका का हाल देखो !……सच्चे भारत पुत्र जनरल साहब को कैसे कैसे तंग करते हैं !…डकैती महाडकैती बताने वालों को गरियाया सताया जाता है !….राष्ट्रभक्त सताया जाता है ,….लुटेरों का फरेब बेहिसाब है !…”
पंच को भटकता देख एक महिला बोली ……………“..अरे ई शैतान झूठी अकड़ में अपनी मैय्यत का सामान जुटाए हैं !……साजिशन देश को अकर्मी कुकर्मी बनाया लेकिन एक सद्कर्मी उजाले से सच की रौनक छायेगी !…..यहाँ तो करोड़ों सद्कर्मी सीनातानकर खड़े हैं !…..अपने और बाल बच्चों के सुख खातिर सब भारतवासी खड़े होंगे !..”
आगे बैठी दादी को गुस्सा आया ………….“..तुम सब बात का जगरेला बना देते हो !…..न हलुवा लागे न अचार !…..भैय्या तुम कुछ समझे हो तो ठीक से समझाओ !….चरित्र माने का है !..इससे का होता है !……ई कैसे बनता बिगड़ता है !…और बिगड़ा कैसे सुधर सकता है !…”
सूत्रधार ने दादी से मजाक किया ………….“..समझे खातिर भी चेतना चाही माई !…..रोज प्राणायाम किया करो !…..हम साल भर से टूटा फूटा करते हैं ,..यही लिए हमसे पूंछना पड़ा !…”
“…बेकार भौकाल न गांठो बाबू !…… फूटी मटकी में पानी नहीं रुकता .!…”…………दादी ने नहले पर दहला जड़ा …..सूत्रधार खिसियाकर बोले
“…अच्छा बताते हैं !……..चरित्र और कर्म में धर्म और चेतना वाला रिश्ता है !….पति पत्नी जैसा ,…..अच्छे कर्मों से अच्छा चरित्र बनता है !…..अच्छा चरित्र अच्छे कर्म कराता है !….. धर्म चेतना को पेड़ का जड़ तना टहनी पत्ता मानो !…चरित्र को मानो फूल !….कर्म बना फल ….स्वस्थ सुन्दर पेड़ के सुगन्धित फूल से निकला महकदार मीठा फल आनंद सुख है !…..वही सुख का बीज और सुख फैलाता है !……….
..मानव चरित्र बनाने बिगाड़ने का जिम्मेदार खुद इंसान समाज और व्यवस्था है !……इंसानों से समाज बनता है !….समाज व्यवस्था बनाता है ,..लेकिन यहाँ सब उल्टा है ,….अधर्मी लुटेरे हमारे ऊपर व्यवस्था थोपे हैं ,…..काली अन्यायी व्यवस्था समाज इंसान को चलाती नचाती घुमाती लड़ाती गिराती खाती है ,….नशा चरित्र का अव्वल दुश्मन है !…..उसको फैलाने खातिर हर जतन हैं !…….दबा कुचला लुटा पिटा सही गलत परेशान इंसान अपनी मानसिक ताकत नशे में गलाता है ,……दारू दमदार फैशन बनायी गयी !………पीकर मासूम में हीरोइन दिखे !….फिर आज की हीरो हीरोइनें और आगे हैं !….हजार फिलिम में कोई एक ढंग की होती है ,……अब बाहरी नंगई भी छाई हैं ,…….. मनोरंजन के ढेर में बच्चे से दादा दादी को बर्बादी की राह दिखाना ज्यादा हैं ,….भोजन का चरित्र पर असर पड़ता है !….समाज में साजिशन नशा वासना मांसाहार बलात्कार व्यभिचार अपराध बढ़ाया गया ,..जिससे हम दुख से दबे मरते रहे !……और लुटेरों की भयानक लूट न देख पायें !….उनको हमारे देश संस्कृति खाने मिटाने खातिर खुला मैदान मिले !………..”
एक पंच ने सूत्रधार को टोका …….. “………भैय्या तुम सही में फूटी गगरी हो !……..अरे चरित्र निर्माण का बताओ !… चरित्र का अव्वल दुश्मन गरीबी है ,….धन की गरीबी .. सोच की गरीबी …सेहत की गरीबी है !…गरीबी के पीछे शैतानों का लालच है ,……लुटेरी व्यवस्था ने हमारा सबकुछ लूटकर गरीब बनाया ,…..हम चरित्र के भी कंगाल हुए !……….चरित्र निर्माण खातिर सबको धर्म ही सींचना पड़ेगा !………भगवान की महिमा से सब ठीक होगा ,..गिरे को उठाना उनका काम है ,……योग ध्यान प्रार्थना से सोयी चेतनता जागेगी ,……..देश पर काबिज लुटेरी व्यवस्था भागेगी …हम धरमराही होंगे …सब सुखी चरित्रवान होंगे !………..अपनी धरती सोना है सोना !..भारत भूमि की महिमा अपार है ,…..धन धर्म ज्ञान सब संपदा से मालामाल है !…….सब ईश्वर पुत्र उनसे योगित होकर सबको मालामाल करेंगे !..… भारत में रामराज्य आयेगा !..”
दूसरे पंच भी बोले ……….“..सही कहते हो भैय्या !…हम गद्दार राजतंत्र को दफनाएं !…..लुटेरी व्यवस्था बदलें !….सनातन महान भारत चरित्रवान है !…”
“…बाबा लठियाना मत ,..एक बात और कहनी है …. पचती नहीं है !…”………..युवा ने बाबा को फुसलाया तो बाबा के साथ सबने मूक सहमति दी !…..वो बोला
“…विधानसभा चुनाव जोर पकड़े हैं !…….सब पार्टी में भीषण उठापटक लेना देना काट पीट जारी है ,….जनता को फुसलाने खातिर हर हथकंडा चालू है !…”
एक मूरख तैश में बोला ……….“..अरे भाड़ में जांय चुनाव !…ई चुनावों से कुछ नहीं होने वाला है ,.. नीचे से भी सब गिरोह एक जैसे हैं !……दिल्ली की गद्दी पर डाकू अपराधी बेख़ौफ़ जमे हैं ,………गुलाम राजसी गिरोह हमेशा फुसलाता हैं ,…दिल्ली में दल केजरीवाल भी जुटा है !….”
महिला बोली ………..“..भयानक भ्रष्टाचार से सब दुखी हैं !…..केजरीवाल जीते तो अच्छा है !…लोकपाल का असर पता चलेगा !….”
बुद्धिजीवी टाइप वाला अपने अंदाज में बोला …………….“….लेकिन इनसे भारत हित न समझो !…….जैसे आजादी की लड़ाई में अंग्रेजी कांग्रेस जुटी थी … वैसे ई लगते हैं !…..आम आदमी को फुसला भटकाकर देश खाने का पुराना विदेशी चलन है !…झूठी लड़ाई दिखाकर टोपी बदल लेते हैं ,…..अभी नेता अधिकारी दलाल ठेकेदार खाते हैं ,……पुलिस सीवीसी सीबीआई जज सब हिस्सा खाकर निपटाते हैं ,……कुछ दिन बाद लोकपाल भी खायेगा !……बस रेट डबल होगा …ऊपर ऊपर खायेंगे …नीचे ..टोपी लगाकर बोलो इन्कलाब जिंदाबाद !…….कश्मीर पाकिस्तान का …आप हिन्दुस्तान के ! …देश विदेशी बाप का !.”
एक मूरख ने प्रतिवाद किया ……………“…इतना न बोला करो भाई !……विदेशी बापों वाला ज़माना जाएगा,…….उनके दिल में भी देश धड़कता होगा !…..स्वार्थ चालबाजी अहंकार सबका मिटता है !…..भगवान चाहेंगे तो इनका भी समय से मिटेगा !..राष्ट्र उत्थान की सही राह पर चलना सबका धरम है !….सब धरम पर चलेंगे !…..”………………..इतने में बेमौसम वर्षा शुरू हो गयी ,…..मूरखों ने भगवान से परिहासी प्रार्थना की
…… “…वाह प्रभु …. तुम्हारी लीला अपरम्पार है !…कौनो इंसानी नियम कायदा नहीं लगता !…….तुम जो चाहो वही करो …तुम सबकुछ ठीकै करते हो !..सबकुछ ठीक करोगे !……हम हमेशा खुश हैं ,……अपनी मूरख औलादों पर प्यार से दया करो ,….असीम कृपा बरसाओ कृपानिधान …..यही आपका धरम है ….आपसे बड़ा धर्मपालक कौन हो सकता है … जय हो प्रभु ….तुम्हारी जय हो !…”………….. मौसमी कृपा से आज की पंचायत यहीं समाप्त हुई .
वन्देमातरम !

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