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………पंचाधीश आगे बोली…………..“……और ..देशभेद है !……विभीषण दंडकवन अयोध्या मिथिला का राजा नहीं बना !….विदेशी साजिशों से भारत का खंडन गलत है !…….चीन का भारत तिब्बत कब्ज़ाना गलत है !…….गुप्त रूप से अमरीका का दुनिया कब्जाना खतरनाक अधर्म है !…सबको अपने राष्ट्र का उत्थान करना चाहिए !….. सबके साथ सहयोग करना चाहिए !….सद्कर्मों का आदान प्रदान होना चाहिए !……….धर्मपूर्वक व्यापार करना चाहिए !….मिलकर दुनिया का उत्थान करना चाहिए !.”………………….पंचाधीश के रुकते ही एक महिला बोली
“..औरो भेद है !……दूसरों का हक खाने वाले भ्रष्ट बेईमान दलाल रिश्वतखोर !……बेईमानी की फिक्स मुस्कान से शराब जहर रसायन बेचने वाले खिलाड़ी अभिनेता !…….मानवता को जहर देने वाले मिलावटखोर !….मांस खाने वाले .. नशा करने वाले .. व्यभिचार करने वाले चंडाल हैं !…”
“…बहू .. ई कटेगरी ज्यादा लगती है !….”……………एक दादी बोली तो कोने वाला मूरख बोला
“…ज्यादा तो नहीं है चाची !…..लेकिन काले कारनामे सबको तंग करते हैं ,….ई खातिर दिखते ज्यादा हैं.!…फिर लुटेरी व्यवस्था सबको चंडाल बनाने पर आमादा है !….गंगोत्री से विदेशी टट्टू जहर मिलाते हैं ,..तो गंगासागर तक जहरे फैलेगा !…..दिल्ली दरबार महालुटेरों का अड्डा है तो सब दरबार चोरी लूट दलाली ठगी मिलावट करके इंसानियत मिटाते हैं !…….. पहले लोग छुपकर दारू पीते थे !……कोई देख ले तो चार दिन शकल नहीं दिखाते थे !….अब नयकी पार्टी रात में टुन्न सुबह सुन्न होती हैं !..”
एक और भाई बोला ……………“…सब लोग सुन्न नहीं होते लेकिन खतरनाक बढोत्तरी है ……….कटेगरी बदलने में बहुत अच्छाई है !….. अधर्मी चंडाल को मानवता अपनाने से सब सुख मिलेंगे !…..सबको भगवान ने सच्चा सुख भोगने खातिर इंसान बनाया है ,..नहीं तो कूकुर सियार बनाते !…..धर्म से हटने वाले को दुःख मिलेगा !…..सब कुकर्म औरों को दुखी करते हैं !……फिर ईश्वरी न्यायतंत्र से भयानक सजा मिलती है !..पतन की खाई और चौड़ी होती है !.”
………..“…मानवता से साजिश रचने वाले आदमखोर कौन कटेगरी में हैं !….देशद्रोही महालुटेरों खातिर नयी कटेगरी रचो भाई !…”…………..बुद्धिजीवी टाइप वाले ने सवाल उठाया तो एक पंच साहब बोले
“..ऊ लालची लोग शैतान हैं !…इंसानी काया में राक्षस हैं !…..हमको मिलकर गिनती के शैतानों का नाश करना चाहिए ,…ई मानवता का महान धर्म है !…”
……………“.काहे फिर चील चंडाल शैतान में फंसते हो !….जो जैसा करेगा वैसा भरेगा ….. इंसान का धरम बताने दो भाई !…….”…………….आगे वाली महिला व्यंग्यित क्रोध से बोली तो पंच फिर बोले
“..मानव का धरम अपने माँ बाप गुरु परिवार समाज देश की भरसक सेवा करना है !…सबको सुख बांटने में परमपिता की खुशी है !…..”
“..यहाँ तो बंटाधार है !…”……………..अबकी युवा ने व्यंग्य किया तो पंचाधीश ने समझाया
“..बंटाधार ठीक करना होगा !……परमपिता का न्यायतंत्र सुख के बदले सुख….दुःख के बदले सूद ब्याज समेत दुःख देता है ,…दिया है तो मिलकर रहेगा !…..लिया है तो देना पड़ेगा !……..धरम कहता है !..सबकी सेवा करो !… स्नेह लुटाओ …सबसे प्रेम करो !.. दया करो !….. सद्कर्म करो !……उद्योग करो !….सहकारी बनो ,…आपसी प्रेम गहरा हो तो ऊपर से प्रेमवर्षा होगी !……किसी को चोट न मारो !…..किसी को दुःख मत दो !……किसी का धन न खाओ !….नैतिक बनो !…तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ेगा !…………सबकी उन्नति चाहो तुम्हारी उन्नति होगी !…”
“… धर्म और का कहता है !…”…………….फिर आवाज आई तो वो आगे बोली
“…धर्म कहता है ,…अन्याय बिलकुल न सहो !…..संगठित होकर अन्याय मिटाओ !….राष्ट्र धर्म की रक्षा करो !…..झूठ न बोलो न सुनो !….धन सम्पति का लालच न करो !….भ्रष्ट लुटेरों को दंड दो ! …अहंकारहीन पुरुषार्थ से सुखशांति का साम्राज्य स्थापित करो !… जैसे भगवान राम ने किया था !……..जीवनदायी प्रकृति का सम्मान करो !…रक्षा करो !..पूजा करो !…..मानवता हित में प्रकृति सहायक आविष्कार अनुसंधान करो !….सब जीव वनस्पति की सेवा करो !……असंख्य जीव वनस्पति हमारी सेवा करते हैं !……सबका उपकार करो !….मात पिता देश समाज प्रकृति भगवान का कर्जा उतारो !.”
“..माता आज धन संपति के लालच में सब झूठ के सिपाही हैं !….”………………एक और महिला आक्रोश में बोली
………“..झूठ के नौकरों को त्याग करना होगा !…. हकमारी का धन संपति नाश का कारण बनता है !…..झूठ से कमाया धन देश समाज के हवाले करना होगा !……कान पकड़के प्रायश्चित करना होगा !……..अंदर से बुराई मिटाना होगा !….फैलाने वाले झूठे हुक्मरानों के नाश में भागीदार बनना होगा !……. प्रायश्चित का मौका गंवाकर घोरतम अपराध के मुलजिम बनेंगे !….”……..पंचाधीश ने सहजता से उत्तर दिया
“..और !..”………फिर एक आवाज उठी …पंचाधीश फिर बोली
“….हम परिश्रम से धन कमाएँ !….घर परिवार समाज देश को सुखी बनायें !…..जरूरतमंद को दान करें !…..सबका उत्थान करें !… अहंकार नशा वासना मांसाहार त्यागकर संयमित समजीवन का आनंद लें !…..तन मन सेहतमंद बनायें !….. सबविधि आत्मउत्थान करें !….कसरत करें !…भक्ति आनंद में डूबकर योग प्राणायाम करें !…….ध्यान साधना करें ……..सतनाम जपें राम जपें ओम् जपें !……..सदग्रंथ पढ़ें !….भागवत लीला देखें सुने समझें !……. प्रार्थना भजन कीर्तन करें ..सब दुःख कलेश मिटायें !…….तन मन बुद्धि सब निर्मल करें !……सद्ज्ञान भरें ! ….आत्मज्ञानी बनें …..दिव्यता का वरण करें !….. ईश्वर बनकर परमेश्वर में मिल जाएं !………..”
“..माता सबसे जरूरतमंद हमारा देश है !…..का दान करें !..”…………….एक युवा बोला तो माता मुस्काकर बोली
“.. औकात के हिसाब से दान करना चाहिए !…..आत्मदान महादान है !….भारत माता के हजारों सपूत स्वामीजी के आत्मदानी सेनानी हैं !…..उनको मूरखों का हर परनाम छोटा है !…उनको नाम परनाम ख्याति की शून्य चाहत है !….तमाम लोग और संगठन मानवता की रक्षा उत्थान खातिर प्रण प्राण से जुटे हैं !…..भारत का जीवन पावन गंगधार बचाने खातिर महात्मा लोग महान बलिदान किये हैं ,…. सब सच्चे लोग कुछ अच्छा ही करते हैं !….अच्छाई सच्चाई खातिर हम अपना समय धन दौलत सबकुछ दान कर सकते हैं !..”
‘..हम तो फ़ोकट का समय दान करेंगे !…निठल्ला और का देगा !….”……युवा जरा निरुत्साह से बोला तो एक पंच बोले ……………….“…जो आत्मा कहे हम वही करें !…….राष्ट्र खातिर समयदान सबसे जरूरी है ..!.”
“..अब लो !…… चेतना का चक्कर निपटा नहीं आत्मा आ गयी !….उसकी कैसे सुनें !…”…………..एक मूरख बोला
“..चेतना आत्मा की ज्योति है !….. ईश्वर का प्रकाश है !……लिपटी कालिख मिटाओ ….सत्यानंद मिलेगा !..”……….पंचाधीश ने समझाया तो मौन बैठे ग्राम मामा ने पूछा
“..ई …..कालिखिया कैसन मिटे !….”……………
. “..ज्ञान कर्म भक्ति भरी योगसाधना से !……….. सबका खुराक लो !….”…………….एक युवा ने मामा को निपटाया तो एक महिला बोली
“.. कृष्ण भगवान कहे हैं ….ज्ञान से सब पवित्र होता है !…”……
एक पंच बोले ………….“….. देना उनकी आदत है !……… इंसान की पूर्ण ज्ञान लेने की औकाते नही होती !…..वो जितना चाहें खुद देते हैं !…..योग के सब साधन ज्ञान चेतना बढाते हैं !……सबको अपनाना चाहिए ….जाने अनजाने सब साधना ही करते हैं !….. अनजाने में नौ जनम में अढ़ाई कोस चले ….चार कदम आगे पांच पीछे !….जान समझकर करने वाले सीधा चलते हैं !…..प्रभु कृपा किसी को पल में पार लगाती हैं !…..”
“.. कृष्ण भगवान कहे थे ,..मरते समय इंसान जिसका ध्यान करेगा वही बनेगा !…….हम तो उनके खड़ाऊ का ध्यान करके मरेंगे !..”………….मरियल से बाबा विश्वास से बोले तो हंसी बिखर गयी ……फिर एक मूरख बोला
“…काका … मायापति ने एक बात घुमाकर कही !….इंसान को वही ध्यान होगा जैसा ऊ चाहेंगे !….ऊ वैसा ही चाहेंगे जैसा उसने कर्म किया है !…कर्म खातिर ऊ प्रेरणा भी देते हैं !….करना हमारा धर्म है !….पार लगाना उनका है !.…...जीना मरना खेल उत्सव है !…तुम आज मरो तो उत्सव ..कल फिर पैदा हो तो उत्सव होगा !….फिर हमारा वतन तुम्हारे हवाले !…….”………….बाबा पोला मुंह खोलकर हँसने लगे
“..ई उत्सव बाद में मनाओ भाई ….पहिले राष्ट्र का उत्सव सोचो !..…..इसपर धरम का कहता है !….”……………व्यग्र युवा तीखी आवाज में फिर पंचों से मुखातिब हुआ तो पंचों ने सूत्रधार को बुलाया ,……..शांत वार्ता के बीच पंचायत में अघोषित विराम हो गया ,….उत्सुकता भरी अंगडाई उबासी का दौर चला !……फिर सूत्रधार शायराना अंदाज में बोले …
“….मोटा मोटी मानव धर्म हम समझ गए होंगे !… महीन आगे देख समझ लेंगे !…….मानुष की सब जात सबै एकै पहिचानबो ……….उठ रे मानुष उठता जा .. उठना तेरा काम है ..मानव तेरा नाम है !……मिटा दे धरती से दुःख दरिया .. चलना तेरा काम है … मानव तेरा नाम है !…..घोर दंड दे शैतानों को .. मिटा दे झूठे हैवानों को …..लड़ना तेरा काम है !….मानव तेरा नाम है !…………………………बहिन भाई लोग !…धर्म के तमाम अंग हैं …. कर्म ही धर्म है …..हर कर्म खातिर धर्म है …..हर स्थिति परिस्थिति खातिर धर्म है …हर जरूरत खातिर धर्म है !……साजिशी अंधेरराज में कुछ जागृत आत्माओं के सिवा कम ज्यादा सब अधर्मी हैं !………अधर्म पाप का नाश यज्ञ ज्ञान तप साधना पुरुषार्थ से होता है ,…ई दैवी महाक्रान्ति शुरू है …… महानक्रान्ति जागृत आत्माओं से होगा !……स्वामीजी सबको जगाने में जुटे हैं !….उनके हजारों लाखों शिष्य राम लखन से कम नहीं हैं !…..सबको उनके पीछे जुटना होगा …. जागना होगा !……. पहले हमको राष्ट्रधर्म समझना होगा !….राष्ट्रचेतना जगाना होगा !…..राष्ट्रचेतना से राक्षसी साजिशी व्यवस्था मिटेगी !……….राष्ट्रोत्थान के महायज्ञ में पुरजोर आहुति से हमारे सब पाप कटेंगे !…. मूरखता के साथ दुःख मिटेंगे !….सर्वोत्थान होगा !…आत्मचेतना बढ़ेगी !…..हम भगवान से मिलेंगे !…. पुण्य भरा अथाह सुखसागर मिलेगा ….साजिशन गिरे लुटे राष्ट्र के उत्थान से हर भारतवासी का उत्थान होगा !……हमारी हर आहुति अँधेरे में डूबी दुनिया को प्रकाश देगी !….बदले में उम्मीद से बहुत ज्यादा मिलेगा !…….भागवत सत्ता युक्त लोकतांत्रिक रामराज्य आएगा !….. सबके दैहिक दैविक भौतिक संताप मिटेंगे !………..
पंचायत में आशा विश्वास उत्साह की लहरें उठी !….अनायास ही लोग खड़े हो गये !…युवामंडली के नेतृत्व में नारे उठने लगे !…….भारत माता की जय !..भारत माता की जय !….स्वामीजी की जय !..वन्देमातरम !….वन्देमातरम !.. से गाँव फिर गूंजने लगा !………..जयघोषों के बाद सूत्रधार ने एक घंटे का विराम घोषित किया !…..काफी लोग जठराग्नि बुझाने घर की तरफ दौड़ पड़े लेकिन तमाम बैठे रहे !………………….क्रमशः
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