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मूरख पंचायत ……….आसाराम गाँधी !

हमार देश
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आदरणीय मित्रों ,बहनों एवं गुरुजनों ,…सादर प्रणाम ……………मूरखों की पंचायत में पुनः आपका हार्दिक स्वागत है !……..

………………………………………..

पंचायत पूर्ववत जम चुकी है ,… सूत्रधार ने सबका अभिवादन स्वागत किया …उनके आगे कुछ बोलने से पहले एक मूरख बोला ………. “….भैय्या आसाराम बापू का मिट्टी बहुतै पलीद है !…..कुकर्मी बाप बेटा से पाखंडो शर्मशार होगा !…..”

एक महिला बोली ……….“….कुकर्मी का मिट्टी पलीदै होता है ,…ऊ बापू बने चाहे चाचा मैय्या !……आसाराम हो चाहे गाँधी !…बाबा हो या फादर मुल्ला !….साधू महात्मा के चोले में शैतानियत हमेशा नहीं टिकती !…चोर के चार दिन !.”

………….“….काहे नहीं टिकती चाची !…फादरों के काले कारनामे गलती से उजागर होते हैं ,….मौलवियों खातिर कानूने जुदा है !……गाँधी लोग आजौ गाँधी की मौज उड़ाते हैं ,…भारत खाऊ गिरोह के मेम मेमना मेमनी लोग मस्ती से देश खाते बहकाते हैं !….आदमखोर सियार भेड़िये शेर जैसी आवाज भी निकालते हैं !..…...मगरमच्छ लोग बगुला भगत का भौकाल भरते हैं !…..”…………….एक युवा तमका तो एक पंच से रहा न गया ………………

बोले …….“….उनका भौकाल तमाशा नजरबंदी खातिर है भाई !…….गाँधी लोग अपनी खाट उडी बिस्तरा गोल जानते हैं !……तभी गुलामों से नूराकुश्ती का मजमा लगाते हैं ,…..खासमखास माया मुलायम का भ्रष्टाचार बचाओ बादाम देकर तालठुकैय्या राग सुनाते हैं !……..”

एक युवा गरजा …………..“…..देश के गुनाहगारों शैतानों बलात्कारियों की जगह फांसी का तख्ता है !…पाखण्ड फैलाकर इंसानियत लूटने वालों की बर्बादी पर एक आंसू न गिरेगा !…”

“..हजार पांचसौ सगे बाप चम्मच जरूर रोयेगे कल्लू !…. इतना बनाया है !…”……………युवा जोश पर बुजुर्गी मत आया तो दूसरे बुजुर्ग बोले

“…लुटेरों का कोई सगा न होता कालिका !…….आसाराम के पुराने सगे मैय्यत का साजोसामान जुटाने में जुटे हैं ,……यही हाल गांधियों का होगा ,………बहुत गहरे सगे लोग अंदरे अंदर रोयेंगे !… बाहर बूँद गिरी तो ज़माना का कहेगा !……कुकर्मी का अर्थी गोबडोरा की बरात !.”

पहला मूरख फिर बोला …………“.. फ़िल्मी मंजनू लोग बात कहाँ खींच जाते हैं !…..बात आसाराम का हुई थी !..”

………“…पाखण्ड फैलाकर धन धरम खाने वालों का जगह समाज में नहीं होना चाहिए !…..मूरख समाज काहे उनको उठाता है !……..आरोप लगावे वाले पीड़ित गवाह काहे मौन रहे !…. का ऊ लोग भी गुनहगार हैं !…”………..एक युवती का गुस्सा निकला तो बुजुर्गवार बोले

“…चुपचाप अपराध सहे देखे वाला अपराधी तो है बिटिया !……लेकिन ताकतवर अपराधी को बिकाऊ लुटेरी व्यवस्था से पूरा संरक्षण मिलता है ! ….ई लिए मौन साधकर हम भलाई समझते हैं !..”

दूसरे बुजुर्ग ने साथी का साथ दिया ………….“..सही कहते हो बदलू !.…...अधर्म पर मौन साधना भलाई नहीं है !.. लेकिन लुटेरों का व्यवस्था इंसानियत खाती है ,….इंसान को भ्रष्ट बनाती है ,…….चोर डाकू बनाती है ,…नशेड़ी बलात्कारी अपराधी बनाती है ,….आतंकी नक्सली बनाती है ,……इंसान को मुर्गा बकरा कीड़ा बनाती है ,….फिर अपने लाभ खातिर मौके पर चुनकर इंसानी बलि चढाती है ,…..हम अज्ञानी मूरख यही जाल में फंसे रहते हैं !…….आसाराम गाँधी संस काहे बनते हैं !….”

……………जोशीले युवा ने भी बुजुर्गों का साथ दिया ………..“…..सही कहते हो बाबा !…….लुटेरा राज बड़े हिसाब से सब बीमारी फैलाता है !…..लेकिन आज आसाराम रोता होगा …. कल गाँधी और उनके विदेशी बाप रोयेंगे ! …….लुटेरा गिरोह खून के आंसू रोयेगा !..”

………दूसरा युवा भी बोला ………“.. पाखंडी सफेदी में कालिख भरा शैतानियत बहुत मंहगा पड़ने वाला है !……..झूठे देश सेवकों को जनता ईनाम में जोरदार लात देगी ….भारी कुकर्मों की भयानक सजा बोनस में मिलेगी ! …”

पीले सूट वाली युवती भी युवाजोश में शामिल हुई ……….“…जरूर मिलनी चाहिए भैय्या !……हम तो कहते हैं इनको संसद के खम्भों पर उल्टा लटकाओ !……पांच सात घंटे में मरेंगे तो भारत माता को सुकून मिलेगा !…….लालच में देश इंसानियत खाने वाले राक्षस दुबारा पैदा होने से इंकार करेंगे !…..”

……“….लेकिन ई बताओ आसाराम को साधू बनते शरम न आई !……भक्ति ज्ञान का बड़ी बड़ी कहानी फेंकता था !.”………..एक महिला ने बासी सवाल किया तो बुद्धिजीवी टाइप महाशय बोले

“..रावण को कब आई थी भोलू की अम्मा !……..शैतान गांधी नेहरू को बाप चाचा बनते कब आई थी !…….महात्मा गाँधी को देखो … किताब प्रवचन पढ़ो तो लगेगा आय हाय !………..कित्ता महान इंसान था !….. पूरा नहीं तो अधिया भगवान था ,……… कुकर्म देखो तो पता चलता है …. अव्वल दर्जे का शैतान था !……..सत्य के परयोग बताकर भारत को झूठ के भयानक जाल में फंसा गया !….”

साथी मूरख भी उछला ……………“…काहे के सत्य प्रयोग यार !…..ऊ ब्रम्हचारी नहीं दुराचारी था !…..बुढौती तक बाहरी औरतों मासूम बच्चियों के साथ नंगा सोता था ,…..महानता के बोझ तले मासूमियत घोंटी गयी !…..देश अलग से घुटा ! …लंगोटी वाला बापू लंगोट से निरा कंगाल था !…….महानता का ड्रम भरे खातिर त्यागी जीवन केवल दिखावा था !…………शातिर नेहरू ने अहंकारी पाखंडी गधे को अंग्रेजी सत्ता का सीढ़ी बनाया !……तब से चला झूठा लूटतंत्र आज तक हमको खाता है !….शातिर अंग्रेजी व्यवस्था से भारत का दम घुटता जाता है !……बाहरी दुश्मन भीतर तक घुसकर घायल करते हैं !……..”

…………एक और शुरू हुआ ………….“.झूठ टिकाने खातिर बहुत काम हुए भैय्या !……..झूठी सल्तनत की नींव में भगत आजाद जैसे भारत के लाखों सपूत दफनाए गए !………महान देश के महानतम योद्धा सुभाष चन्द्र बोस को गद्दार गाँधी ने ठेंगा दिखाया !….नेताजी ने रंगून से रोकर गाँधी को राष्ट्रपिता कहा था ……..बिछड़ी औलाद की तरह भारत माता के समर्थन की भीख मांगी !…….लेकिन अंग्रेजी दलालों ने एक न सुनी !…. कटे देश पर टोपीबदल अंग्रेजराज पक्का कराकर दम लिया !…..आज बिके कांग्रेसी अलगाववादी राष्ट्रभक्त जनरल को तलब करते हैं !..”

पीछे से एक और मूरख खड़ा हुआ ………….“…एक चीज सुनी थी भाई !…….अंग्रेज चचा का पालतू बापू राष्ट्रपिता बन गया !…..फिर राष्ट्र नेहरू की रंगीन सेज पर टुकड़े टुकड़े हो गया !….राष्ट्रपिता बोलने वाला इण्डिया का अपराधी बन गया !…….अंग्रेजी साजिश कांग्रेस के अय्याश मुखौटे सोने की चिड़िया के मालिक बन बैठे !…..आज बेहिसाब लूट का हिसाब नहीं मिल सकता ,…सफेदपोशी में भयानक साजिशों का अम्बार लगा है !……लूट से उपजी मंहगाई भूख गरीबी बीमारी बेकारी बेकाबू है ,…अपराध अत्याचार अन्याय का बोलबाला है !…… भारत चौतरफा खतरे में फंसा है ,….लुटेरे शहजादे लोग शान से चौदह का लक्ष्य प्लान बनाते हैं !….बच्चा गांधी परधान लुटेरे को गुरु बताता है ! ”

एक पंच फिर बोले …………“… झूठी मक्कार सत्ता लुटेरी व्यवस्था का अंत दुनिया देखेगी !…..आजादी इनका सबसे बड़ा झूठ है ,…..साजिशी सत्ता हस्तांतरण से और ज्यादा फंसाया है ,……कांग्रेसी गुलामों की सरकार अंग्रेजों के जमाने में भी थी !….आज सब काम उनका करते हैं ,.. भारत अंग्रेजी रानी के नाम है !…… कानून शासन पढ़ाई दवाई पूरी व्यवस्था लुटेरों की है !……. गुणगान लुटेरों के सुनो !….विदेशी निवेश के बहाने पूंजीखोर आदमखोर राक्षसराज लादा जाता है !…..राजधानियों में उनके गुलाम लुटेरे सामंत कब्जेदार हैं !….कांग्रेस तंत्र का एक काम ….भारत लूटो बढ़ाओ नाम !..”

“…… भारत खाऊ गिरोह का नामउखाडू संस्कारौ होगा काका !……दुनिया देखेगी !!…”……….एक युवा बोला तो पंच फिर बोले

“…केवल देखेंगे नहीं मोहन .. शामिल होंगे !……. मक्कारी के अंत पर दुनिया दीवाली मनाई !…”

पीछे से एक मूरख बोला ……….“.. लेकिन शैतानों का चमड़ी बहुत मोटी है !………अरबों खरबों लूट चुके डाकू कांग्रेस को देश की आवाज कहते हैं !……बर्बादी लाने वाले राक्षस विकास निर्माण का भौकाल गांठते हैं !..”

बुजुर्ग फिर टपके…………… “… भौकाल से कालिख छुपाते है ,…….तबहीं आसाराम गाँधी जैसे पाखंडी शैतान बापू बनते हैं !….कांग्रेस मोहक नारे देकर ठोकर मारती है !….बहुत पुराना खेल है ,….हमेशा खेलते है ,….”

दूसरे भी शुरू हुए ……….“..ई नाटक का पर्दा बनाते हैं !….जनता के सामने अव्वल शरीफ बनते हैं !……पीछे भयानक लूट चलती है !…एकतरफा सफ़ेद पर्दा बहुतै मोटा बनाए हैं ….फिरौ पिछवाड़े वाली भयानक कालिख दिख जाती है !..तो एकाधे निकम्मे फालतू गुर्गों मुर्गों की बलि चढाते हैं !…”

“..कहाँ बलि चढाते हैं ,……लालू ने सैकड़ों करोड़ खाया ,… लाखों में जुर्माना हुआ !…..फिर जेल कितने दिन रहेगा !..”…………एक युवा मत आया तो दूसरा बोला

“…वहां ज्यादा पूरी ऐश करेगा !…..जेल में माल लुटाओ तो अप्सराओं का परेड होता है !…पैसा वाले का जेल माने हिफाजत में ग्रैंड मस्ती !…”

पीछे से बुजुर्गवार बोले ……………“…ई गिरे इंसान की निरी मूरखता है !….वाजिब सजा से कोई नहीं बच सकता !…..वहां बिकाऊ न्याय नहीं होता !..दलाली नहीं चलती !……आसाराम गाँधी जैसे पाखंडी शैतान अगर बच गए तो बहुत बुरे फंसेंगे !……हजारों साल सूद ब्याज का अदायगी होगी ,…..फिर मूलधन और जुर्माना !…”

युवा ने बुजुर्ग को काटा ………..“…. मम्मी पल पल चीखेगी !……..ओ गाड ,..माफ कर डो ,..डुबारा सोनिया न बनूंगी !….साजिश न करूंगी !.. इंछानियत की डलाल न बनूंगी !…इंछान भी न बनूंगी !…मिसेज डंकी एंड संस बना देना !……लाख जनम ईंटा उठाऊँगी ,…..डौगी बना देना !….न घर की रहूंगी न घाट की !….माफ करदो !.”………..युवा के अंदाज पर पंचायत में ठहाके गूंजने लगे !

बुजुर्ग फिर बोले ………….“…..मानव द्रोहियों को कतई माफ़ी न मिलेगी !…..आत्मा पर लपेटी मोटी कालिख घिसने में यमदूतों के चाबुक घिस जायेंगे !….बेचारे रोज बाल्टी भर पसीना बहायेंगे !…”

“.. यमदूतों को इतना तकलीफ देना ठीक नहीं !……सबपर रहम करना चाहिए ,…. खुलेआम फांसी ठीक रहेगा !….सूद ब्याज जुर्माना से बचेंगे बेचारे !…”………..एक युवती ने व्यंग्य किया तो बुजुर्ग का गुस्सा और बढ़ा

“…खबरदार अगर बेचारी बेचारा कहा तो !…….हमारी बात के बीच में यमदूत का तरह कूद पड़ते हैं !…”…………बाबा के गुस्से पर पंचायत चुप हो गयी …बाबा फिर बोले

“…काले खेल भयानक हैं ,……ई लिए शातिर नाटक के मोटे परदे पर काली छाया उभर आती है ,….तब गद्दार नया दांव खेलते हैं !…….चिल्लाना शुरू करते हैं ….. राजनीतिक साजिश है ,…विपक्षी साजिश है ,…विदेशी साजिश है ,….. जेपी लोहिया की मक्कारी है !……कैग का झूठ है ,…..पीऐसी झूठी है ,…..मोदी बाबा का साजिश है !…… जनरल का फरेब है !……अन्ना का भूत है !……देशभक्ति का नाटक है !…..सबपर गाँधी के बन्दर भारी हो जाते हैं !..और ..गांधियों की तरह भ्रष्टाचार से लड़ने वाले भी हैं !… .”

“..बिकाऊ बंदरों खातिर नयी पारदर्शी जेल बनेगी बाबा ,…अजायबघर जैसे रखेंगे !….चिंता न करो !.”………..एक युवा ने बाबा को राहत पहुंचाई तो बीच से एक मूरख उठा .

“….अब राईट टू रिजेक्ट का फालतू बकवास आया हैं !…..गुलाम दिहाड़ीदार मालिक न चुने खातिर लाइन में लगेंगे …….काहे भाई !…….गाँधी गुलाम भारत में हजार कानून बना लो !….एक पैसा न्याय न मिलेगा !….लुटेरों के साथ उनकी फैलाई बीमारी मिटाए बिना भारत गिरता जाएगा !…..उलटे मेंढकी दांवपेंच और बीमारी फैलायेंगे !..”

एक पंच फिर बोले ………….“……भगवान दुनिया पालते हैं !…..बीमारी विषाणु सब मिटायेंगे !……सच गिराकर झूठ चढाने का खेल बहुत पुराना हो गया !…….. झूठ पर खड़े शैतान महलों का गिरना जोरदार होगा ! ……..भारत के साथ मानवता पचाने वाला हाजमा नहीं बना !…….लेकिन अब हमको किसी लुटेरे दलाल की साजिश नहीं देखनी चाहिए !…..काले लुटेरों का काम हर तरह से साजिश करना है !…… हमको अपनी बात करनी चाहिए !…स्वामीजी आत्मोत्थान को पहली सीढ़ी कहते हैं !….”

एक मूरख खड़ा हो गया …………..“..सही कहते हो चाचा !……महान देश को बापू आसाराम गाँधी जैसे पाखंडी कैसे मूरख बनाते है !…….चोटी से चप्पल तक कालिख में डूबे झूठे मक्कार अय्याश लुटेरों का राज कैसे कायम हो गया !….लोकतंत्र काहे खानदानी लौंडी बन गया !………देश लूटकर विदेशी खजाना भरने वाले दलाल गाँधी कैसे हुक्मरान बन गए !….. हम कतरन संविधान से काहे बंधे बंटे हैं !…….वही संविधान काहे लुटेरों के जूते में रहता है !….धुर अन्यायी तंत्र को हम काहे लादे घूमते हैं !….काहे बेशरम राजतंत्र तानाशाह की तरह काबिज है ,…सत्यधर्म को पालने वाले देश में बेईमानी काहे सिर चढ़ी है ,…विश्व को सुख शांति से भरने वाला देश काहे दुःख अशांति से भरा ! ….. इंसान काहे शैतान बनता हैं !….”

एक युवा फिर तमका …………….“…काहे से कि हम नौटंकी के शौक़ीन हैं !………आदमखोर राजतंत्र धर्म जाति क्षेत्र का बंटवारा हमारे खून से करता हैं ,..लालच का जाल फैलाकर हमारा शिकार करते हैं !…….नशा वासना फैलाकर हमको कायर नपुंसक बिकाऊ बनाते हैं !……ऊ गाते बजाते हैं .. हम नाचते हैं !…..”

“…अन्याय के जामेदारों से हम काहे मूरख बनते हैं !……”……………एक मूरख ने जबरन उपस्थिति दर्ज कराई तो उत्तर मिला

“…. काहे से कि हमारी चेतना सोयी है !…… साजिशन सुन्न किया है ,…… स्वामीजी के अखंड पराक्रम से भारत का चेतना जागी है ,…स्वाभिमान जागा है !……लाखों करोड़ों भारतवासी स्वामीजी के चेतना जागृति में जुटे हैं !……. नौटंकीबाज शैतानों का बेमिशाल जनाजा निकलेगा !…”

“…ई चेतना का चीज है !…..” ………………..एक हैरान सवाल आया तो उत्तर मिला

“…चेतना माने याद की गहराई !………..”

…उत्तर मूरखों के पल्ले नहीं पड़ा !……. असमंजस देखकर मैंने सूत्रधार के मार्फ़त एक सवाल बढ़ाकर पंचायत का रुख बदला ! ….

सूत्रधार ने बुलंद आवाज में पूंछा ……..“..अच्छा बताओ मूरख कौन है !….”…………………क्रमशः

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