मूरखपंचायत ,..धर्मनिरपेक्ष कलाकारी -१
गतांक से आगे …………..
फिर माहौल बनने से पहले लोकगायक मंडली आ पहुंची ,……….आत्मीय आवभगत और गुड़ चने का देसी जलपान हुआ … जमी महफ़िल में कलाकार कैसे रुक सकते थे !…. उनका इरादा जानकार पंचायत हर्षित हो गयी ,……..कुछ ही क्षणों में मंडली तैयार हो गयी ,…….बासंती गंमछा ओढ़े कलाकार ने ढोल को पुचकारा तो दूसरे ने मंजीरा खनकाकर अपनी कला का नमूना प्रस्तुत किया ,……तीसरे सहगायक ने लंबी तान लगाई ……अरे ……………हाँ $$$$$………$$$$$…$$!!!
. ढोल मंजीरे ने भी रंगत बिखेरनी शुरू की ………. पंचायत झूम उठी ….ढोल की दमदार धमक और मंजीरे की तीखी झंकार से मूरखों चेहरों पर रक्तप्रवाह बढ़ने लगा ,….चौकड़ी वाले उकडूं हो गए ,…उकडूं वाले घुटनों के बल उचक गए ………..अब वासंती गमछा शिरोधार्य किये मुख्य गायक हाथ जोड़कर शुरू हुआ ……………
सुमिरि.. गजानन….शारदा !…..कृपा करो सब देव !
माँ दुर्गा रक्षा करो ……………विनती हमरी लेव !!
संकट विकट है हनुमते ……….मोचन तुमरे हाथ
दुनिया की रक्षा करो ……….दो भारत का साथ !!
रामराज्य के देश में ……… रावण का है राज
करो राम स्थापना ………. पूरन करदो काज !!
हम मूरख ठहरे प्रभु ……….नाम तुम्हारा लेत
देखें निशदिन आपको ……….और न कोई चेत !!………………प्रार्थनारत दोहों की लंबी लय के अंत में वाद्ययंत्र का खिलना पूजा में सुगन्धित पुष्पार्पण जैसा लगा ,……. भक्ति में सराबोर मूरख मंत्रमुग्ध होकर जड़वत जम गए ….यकायक गायक ने लय बदली ………
अरे …….
नाही ………..कोई चेत …प्रभु …………..तुम …नाच नचाते भारी
भरो अखंडित चेतना ……………………अब सुनो ये विनय हमारी !!…………………………………… लंबी तान के दौरान गायक समेत कई मूरखों की पोरें गीली लगी ……………वाद्य जैसे करोड़ों भावनाओं को समर्पित करने की होड़ में जुट गए ……….हाथ जोड़े दोनों गायकों की तिरछी काया गोल गोल घूमने लगी ,….जैसे कोई प्रेमी पागल ब्रम्हांड के चक्कर काटते हुए अपने प्रियतम को ढूंढ रहे हों !……. ईशदर्शन को आतुर भक्त की तरह कई चक्करों के बाद वो स्थिर हो गए ,…..उनकी आँखों में उत्साहित वीर भाव जगमगाने लगा …….. अब तक गायक मंडली से एकरस हो चुकी मूरख मंडली भी झूमने लगी ……..मुख्य गायक ने फिर शुरू किया …..सहायक गायक नाचने के साथ कोरस गान करने लगा …..दोनों वादक भी झूमकर साथ देने लगे
हाँ ….$..$…
सुनी राम ने विनय साथियों हो जाओ तैयार ….हो जाओ तैयार
रामराज लाने को मानव साहस भरो अपार …..साहस भरो अपार
बाजेगी कान्हा की मुरली राम करें टंकार ……राम करें टंकार
भारत माँ के पूतों मारो फिर से एक हुंकार …. मारो फिरसे एक हुंकार
महक भरी अपनी माटी है भारत देश हमार …..भारत देश हमार
सोना उगले अपनी धरती मानवता है प्यार …….मानवता है प्यार
विश्वगुरु हम सदा सनातन बने फिसड्डी यार ,..बने फिसड्डी यार
अथक लूटते दुश्मन हमको चोला लिए हजार…..चोला लिए हजार
गद्दी थामे गद्दारों की अब न सुनो कुकार …..अब न सुनो कुकार
उठा के पटको शैतानों को पहनो विजयी हार …पहनो विजयी हार
……………………….गायक के इशारे पर वाद्यों ने लय में खामोश परिवर्तन कर लिया …जरा परिवर्तित लहजे में गायकी फिर शुरू हुई
हाँ $..$..!………….
चौतरफा है लूट भाइयों …..ले लो सब अधिकार !
भारत माँ की इज्ज़त राखो …..धरती करे पुकार !…..
जुल्म देख लो डाकू का सब ..साधू को पिटवाते हैं
सत्यपथी पुरुषार्थी ऋषि को पाखंडी बतलाते हैं
काली नीयत वाले राक्षस देशभक्त कहलाते हैं
बिके निखट्टू नेहरू गाँधी यशोगान सुनवाते हैं
मंहगी बीमारी दे देकर वहां इलाज कराते हैं
झूठी मक्कारी से भैय्या जनता को भरमाते हैं
लूटतंत्र शैतानी कुनबा राजा हमें बताते हैं
भारत माँ की बहुल संपदा फ़ोकट में ले जाते हैं
दे विकास का घना छलावा धरा उजाड़े जाते हैं
पैसों का पागलपन देखो बर्बादी ले आते है
अंग्रेजी का अंध जिंदगी आधी होती जाती है
आधा जीते आधा मरते चौथाई रह जाती है
साजिश शैतानों की भाई अपना दूध बेगाना है
हमको अंधा बना के गांधी बनता राजा काना है
….(……कलाकार ने हाथ स्थिर किया तो वाद्य रुक गए …………मुग्ध सभा में सन्नाटा छाया रहा ,…कुछ साँसों के बाद गायक ने पुनः तान खींची ….सहगायक भी पीछे हो लिया
हाँ $$…$….
राम के पुत्रों सुनो घोषणा रामराज फिर आएगा …… रामराज फिर आएगा
आयेंगे नर में नारायण वो दया अमृत बरसायेगा ………वो दया अमृत बरसायेगा
खुशियाँ हर चेहरे पर होंगी दुःख धरती से भागेगा …..दुःख धरती से भागेगा
होंगे सब मानवता साधक राम ह्रदय में जागेगा …….राम ह्रदय में जागेगा
सत्य प्रेम की शक्ति होगी राष्ट्रधर्म सबका होगा …….राष्ट्रधर्म सबका होगा
न्याय अहिंसा सबल भुजाएं विश्वगुरु भारत होगा ,….विश्वगुरु भारत होगा
…………………… कलाकारों की भंगिमा शब्दानुसार बदलती रही …………एक संकेत पर सब रुक गए ….दो पल के लिए सन्नाटा छा गया ………..फिर गायक महोदय बोले ………. “..फिर सुनो …आज का हाल !….”…
…… गायक ने सहज लय पकड़ी ……. डब्बे की तरह ढोल मंजीरा इंजन के साथ हो लिए ..सहगायक ने फिर गार्ड की तरह झंडी दिखानी शुरू की )
गौ कटवाते गाँधी देखो लूटें देश का माल ………….लूटें देश का माल
सत्ता की शैतानी भैय्या विश्वगुरु बेहाल ………….विश्वगुरु बेहाल
अन्नदाता चूमते फंदा क्रोधित हैं महाकाल …………..शर्माते महाकाल
चोर लुटेरे राजा बनकर खांय मुर्गही दाल …………….खांय मुर्गही दाल
देश पचायें बाहर जाकर बहुत है काला माल ………..बहुत है काला माल
लूटमलूट में सोना चिड़िया हुई आज कंगाल …………हुई आज कंगाल
बिना दूध के भूखे नंगे सोते भारत लाल …………….सोते भारत लाल
कुर्सी पर बैठे हैं भैय्या सब बनवारी लाल ………….सब बनवारी लाल
बेंचे नित अस्मत माता की लालच में बेहाल ……..लालच में बेहाल
लुटें बेटियां दुर्गा माँ की महिषासुर की चाल ………महिषासुर की चाल
नशा वासना के दलदल में हुए जवान हलाल ……….हुए जवान हलाल
जहरीले मौसम में भैय्या चौतरफा है काल ………….चौतरफा है काल
जहर बांटते नेता भाई सत्ता की है चाल …………..सत्ता की है चाल
मरते भारतवासी देखो अधम विदेशी जाल …………अधम विदेशी जाल
राक्षस दल्ले बांटके लूटें रूप धरे विकराल ……………रूप धरे विकराल
एकसूत्र में जुडकर आओ खींचें उनकी खाल ……..खींचें उनकी खाल ………….भैय्या खींचे उनकी खाल ..और हो उन्नत अपना भाल !……..अपना देश हो मालामाल !…….देव बनें भारत के लाल !……….बोलो भारत माता की जय !…….सब संतन की जय !…….बांके बिहारी लाल की जय !!…..जय जय सीता……राम !!………भाव भरे जयकारों में पंचायत हाथ उठाकर शामिल हो गयी ………………………..क्रमशः !
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