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मूरख पंचायत ,……गाँधी के बन्दर !

हमार देश
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आदरणीय मित्रों ,.बहनों एवं गुरुजनों ,..सादर प्रणाम …….आपके मूरखों की पंचायत फिर लग गयी ,…..आँखों देखे हाल में आपका हार्दिक स्वागत है ..

………………..

पहले की तरह का जमावड़ा है ,……पंचायती खुसरपुसर के बीच सूत्रधार कुछ बोलने ही वाले थे कि व्यग्र युवा ने पुरानी आवाज उठायी ……. “… राम जोहार लल्लो पप्पो बाद में करियो भैय्या !..….पहिले बताओ धरम का चीज है !….”

युवा आवेश से सूत्रधार खिसिया गए तो एक महिला ने युवा को डपटा ……….. “…अरे बोले दो !….… एक टांग पर खड़ा रहत है बेचारा !…….राम राम भैय्या !….तुम अपने हिसाब से बताओ !…..”

पंचायत में राम राम जय राम होने लगा ,….सूत्रधार जबान गीली करके रामराम ही बोले कि युवा फिर मचला .

“.. काकी !……. धरम का मामला ठंडा बस्ता में गुम है !..अधर्म बढ़तै जाता है !.”

इसबार एक अधेड़ युवा पर बरसे …………….“…भागो … ननकुट हलवाई की दुकान से उठा लाओ ,…जलेबी जैसा होता है ,..बर्फी का स्वाद है !…समोसे वाला मसाला पड़ता है !……….अरे धीरज रखो भलेमानुष !….ऊ गाँधी का बन्दर नहीं ….वकील है !….. रोज चौबीस को चौरासी पढाता है ,…..तहसील थाना सिपाही सब थामता है !….अच्छा बुरा देखसुन कर बोलेगा !…..”…….अनपेक्षित वाद से सूत्रधार की खिसियाहट और बढ़ी ,….इतने में दूसरे युवा का सवाल आ गया

“…अच्छा गंधिया गूंगे बहरे अंधे खाऊ बन्दर लाया कहाँ से !……”

सूत्रधार सिर पकड़कर बैठ गए ….सभा में हास्य फ़ैल गया ….बुद्धिजीवी टाइप वाले ने उत्तर दिया ……………..“..अफरीका से लाया होगा !…वहीँ बैरिस्टरी करता था !..”

“..अब समझे एड्स हिन्दुस्तान कैसे आया !……. रिसर्च में निकला है …अफरीकी बंदरों से फैला है !..”………………….युवा सिर खुजाकर बोला तो पीछे से आवाज उठी

“…गांधियों ने कौन कौन बीमारी फैलाया भाई !!…”

“..कौनो बची नहीं !…… हर तरह का बीमारी दिये हैं ,…..गांधीवादी अंग्रेज भक्तों ने हमको जमकर लूटा ,..भरसक बीमार किया ,…..भरपूर बर्बाद किया ,….अब पूरा हड़पने की फिराक में हैं !…..तभी गद्दार लोग प्रेम से वफादारी का नाटक खेलते हैं !….हमको गरीब बनाने वाले लुटेरे गरीबमारी के साथ लालच हमदर्दी का जाल फेंकते हैं !..”………………..आगे बैठे अधेड़ का गुस्सा फूटा तो एक और युवा बोला .

“…..काका ईसाई परचारक लोग गाँधी नेहरू के गुण रोकर गाते हैं ,…ऊ पाल डाक्टर टीवी पर बाइबिल सुनाते ईसामसीह को भूल जाता है !……असली प्रेम पुजारी केवल नेहरू गाँधी !!..”

“..काहे न होंगे बच्चा !…..शातिर प्रेम से उनको बहुत माल मिला !……. हमारी सोने की चिड़िया लुटाने वाले अय्याश दलाल लोग उनके पूजनी होंगे !…….. इस्लामी लुटेरे भी इनके गुण गायेंगे !… बाबर गजनी औरंगजेब का अधूरा काम गाँधीतंत्र करता है !… सोनिया मंडली का चाटू मुलायम गिरोह दंगा अपराधियों से शान्ति सूत्र पूछता है !……..पाकिस्तानी कायदे आजम पालतू गुल्लू को देहाती औरत बोलता है ,…..रामपुरी आजम भारत को इस्लामिस्तान बनाना चाहता है ,…सब गांधियों की काली माया है …..हिन्दुस्तान के साथ इंसानियत हजम होने पर राक्षसों की मौज होगी !.”………….एक वृद्ध ने पीड़ा भरे स्वर में युवा को समझाया तो एक युवती बोली

“…..हिन्दुस्तान मिटाने का ख़्वाब देखने वाले ख़्वाब की तरह उडेंगे बाबा !.…मुलायम गाँधी के अत्याचार के खिलाफ औरत जाति ने हथियार थामा हैं !…….सत्ता धरमनिरपेक्षी साजिश में देश बर्बाद करती है ,….नारीशक्ति बचाने उतरेगी !..”

“...ईसाइत इस्लामियत का लुटेरापन दुनिया देखती है ,……मोटे झूठ में दबा परकाश कब का खत्म हो गया !…. केवल काली मक्कारी बची है !…….लेकिन सोंटी लंगोटी वाले गाँधी तो राम राम जपते थे ……रामराज का सपना दिखाते थे ……फिर !….”…………….एक मासूम सवाल से वृद्ध की पीड़ा फिर बही

“..रहने दो बिटिया !….मुंह में राम बगल में छूरी लिए था !……चरखा कातने वाला पाखंडी कभी स्वदेशी आचार विचार नहीं अपनाया ,…..सिरफ दिखाया ,…और फंसाया !!…..दलाल कुनबे ने देश का सत्यानाश कर दिया !..”

एक युवा को जोश आया ……………“…भारत का सत्यानाश करने की औकात हजार गाँधी में नहीं है बाबा !………भारत का सोया स्वाभिमान जोर से जाग रहा है ,…शैतानी रात का अंत तुरंत होगा !.”………..

“..लेकिन होगा धरम से !…”………….व्यग्र युवा ने व्यंग्य किया तो सूत्रधार खड़े होकर बोले .

“…आदेश हो तो कहें कुछ !…..”

“..बोलो बोलो ,..जल्दी बोलो ,….. रोका किसने !….”…………..एक मूरख उतावली से बोला तो सभा में मामूली हास्य फिर बिखर गया ….

आखिरकार सूत्रधार बोले …………..“..शातिर बच्चा गाँधी ने गुलाम मोहन पर जबानी जूता चलाया है ,……हम ज्यादा सोच विचार किये बिना चिट्ठी छपवा दिये हैं ,…वैसे उनकी कुकुरबजारी सब जानते हैं ,…..हमको कौनो फरक नहीं पड़ता !……..लेकिन शराफत ओढ़े देशद्रोहियों को असल औकात बताना भी धरम है !..”

बीच से एक बुजुर्ग खड़े होकर…………..“…छपवा दिए तो ठीक किये !……विदेशी दलाल राजतंत्र साबित लुटेरा है ,….. चौतरफा गाँधी संस के गुलाम हैं !…..तू तू मैं मैं वाह वाह हाय हाय की नौटंकी में हमको फंसाए हैं !…..प्रधानमंत्री अमेरीकी डालर लेने गया है !….. एक के बदले सत्तर गुना देगा !….. सतत्तर विदेशी शर्तों में अलग से बांधेगा…….भारत गाँधी गुलामों का जागीर बना है !…जागीरदार विदेशी सल्तनत के गुलाम हैं ……ईको कहते हैं ,…ठोस हरामखोरी !..”

“…हमसे नमकहरामी !…..उनसे नमकहलाली ! …. अमरीकी पालतू सब काम उनकी खातिर करते हैं !….. लुटेरा गिरोह दस साल में चालीस फीसदी अर्थव्यवस्था खाय गया !……….. नेहरू से अब तक का हिसाब लगाओ ! ..”……………बुद्धिजीवी टाइप मूरख अपने अंदाज में बोला तो साथी भी बोला .

“..सैकड़ों नहीं हजारों लाख करोड़ खाया पचाया भैय्या !…… मामूली बात नही है ,..पूरी अमरीकी औकात से ज्यादा हमसे लूट गया है ,..सोने की चिड़िया एंवे न कंगाल हुआ !……..अब निवेश के बहाने लूटे डालर भी लायेंगे ,… गिरा रुपैय्या चुनाव में उडायेंगे !…..मीडिया बुद्धिजीवी नेता अधिकारी .. चोर डाकू गुंडे बदमाश .. चम्मच थाली बैंगन सब ऊंचे दाम पर बिकेंगे !…..गांधियों से दबी जनता देसी विदेशी दारू पीकर वोट बेचेगी !..”

एक और आवाज आई …………“….शैतान के हजार औजार !…….लुटेरे गाँधी बड़े शौक से फिर बड़के गाँधी का हैप्पी बर्थडे करेंगे !……अधर्मी लोग सर्वधर्मी भजन सुनकर शांति का मजा उठाएंगे !… चुपके से दारू उड़ेगी …..लाखों शहीदों के हुजूम में भारत की आत्मा जार जार रोएगी !.”

एक पंच आवेशित हुए …………………“…भारत की आत्मा इतनी कमजोर नहीं है ,….भारत माता को अपनी योग्य औलादों पर भरोसा है !……शैतानों को हर आंसू का हिसाब देना होगा !.”

एक बुजुर्ग बोले …………..“….शैतानी आत्मा कभी शान्त न होगी !……..अहंकारी इंसान महानता के चक्कर में गिरता है ,…उसमें भी कुछ अच्छाई रही होगी लेकिन … सब पापी कालिख में डूब गयी !……गाँधी ने मस्त चापलूसी में अपने साथ देश गिराया !…”

दूसरे बुजुर्ग मस्ती भरे अंदाज में बोले ……..“…सब नियति का मस्त खेला है ,……..सबको लूटने वाले अमरीका यूरोप की औकात कितनी है ,…..ऊपर से महाशक्ति ..अंदर खोखला है !…उनकी जनता चोरी लूट अपराध नशाखोरी व्यभिचार बीमारी बेकारी गरीबी से हलकान हैं ,….पूंजीखोर मस्त हैं बस !……दूसरों का माल उड़ाने वाला अनजानी आत्महत्या करता है !…….”

पीछे से एक मूरख खड़ा हुआ ……………..“…फिरौ सफेदपोशी से इंसानियत खाने से बाज नहीं आते !…..हिन्दुस्तान में उनकी दलाल मंडली जमी है !……… इस्लाम ईसाइयत का झूठ लूटमार से बेपर्दा हुआ ,…….बाकी विज्ञान ने नंगा कर दिया !…फिरौ सनातन सच्चाई मिटाने पर आमादा हैं !…”

वहीँ से एक और आवाज आई …………..“……रहमदिल दिव्यता लालची राक्षसों के कब्जे में गयी तो यही होता है !……….धर्मान्तरण खातिर बौराये ईसाई ठेकेदार अब ईसामसीह को योगी की तरह दिखाने लगे हैं ,….चर्चों का नाम मंदिर जैसा रखते हैं ,…. चालू फादर लोग स्वामी बनने लगे हैं !…..”

आगे से एक युवा तमका …………..“..अरे ऊ लूटतंत्री साम्राज्य खातिर कुछौ करेंगे ……ऊ हमारी रसोई की आदिरानी पेटेंट करवाते हैं !……योग अपने नाम से रीमिक्स करते हैं ….धरती बर्बाद करे वाला मानवता खाऊ भोगवाद उनकी देन है … फिरौ मानवता के ठेकेदार बनते हैं !…”

…….“ … लेकिन सच मिटाना किसी के बूते में नहीं है !…….भारत पर गाँधी जैसे गद्दारों के चलते उनका पिलान कामयाब हुआ ,… ई कामयाबी ही उनकी भयानक बर्बादी करेगा !…..”

एक बुजुर्ग ने युवा को सहलाया तो पंच साहब कुछ उकताए ………“..भैय्या !…….सब अच्छाई समेटकर खाऊ गद्दारों को लात मारना है ,….अपने दिमाग में घुसी दोगली सोच को लात मारना है ,……लुटेरों की फैलाई बीमारियों को लात मारना है !..”

दूसरे पंच भी कूदे…………“…हाँ !……अब मजबूरी गाँधी को छोडो ,…..पुराना भूलो !……जो कल न हुआ …. ऊ अब होगा !……भोर किरण के उगते ही अँधेरा गायब होगा !.”

एक महिला को जोश आया …………“..अरे होकर ही रहेगा भैय्या !….शैतान के लाख औजार सुदर्शन चक्कर के एक दांत बराबर नहीं है ,…शैतानी हरामखोरी आदमखोरी बेकाबू है तो पवित्र चक्कर भी चलेगा !….”

एक मरियल बुजुर्ग खड़े होकर बोले ……………..“…मक्कारी हरामखोरी की हद तोड़ना शैतानी मजबूरी है ,…तबहीं जड़ से मिटेंगे !……………परमसत्ता का साफ़ चाहत है ,……..हमको उनके दिए धरम पथ पर बढ़ना चाहिए ,….. अंधेरगर्दी में फंसी मानवता के उत्थान खातिर मजबूत रास्ता है !………. छोरे का पकपकाना ठीक है ,….पूरी पीढ़ी धरम नहीं जानती !…….अधर्मी लूटराज में मानवता का नाश होता है ,…मानवता का तेल सम्प्रदायी टुकड़ों में निकलता है ,…सबका अपना गुरु अपना भगवान है ,..लेकिन …..धरम जानने मानने वाले बहुत कम हैं !………..तबहीं शैतानी ताकतें शराफत से इंसानियत लड़ाती हैं ,…………फैलाए ताव में इंसान इंसान का खून पीता है !……शैतान सबका खून पीकर तंदुरुस्त हैं !……….”

व्यग्र युवा बुजुर्ग द्वारा अपना सन्दर्भ पाकर फिर तन गया …….बोला ….. “……तो अब बताओ धरम का चीज है …फालतू उठापटक में समय गंवाते हैं ,……पूरी दुनिया भगवान की है ,..सब भगवान की औलाद हैं !……धरम उनका दिया रास्ता है………बताओ … हम उजाले की तरफ मिल्खा सिंह की तरह दौडेंगे ! ..”

युवा हुंकार पर दूसरे ने कंधा मिलाया ………..“..हम सबके जीवन में सुख शान्ति खातिर सच्चा धर्मपथ चाहते हैं !….हम भगवान से मिलना चाहते हैं ,…..हमारी खातिर कुछौ कठिन नहीं है !…….”

बुजुर्ग की आँखें भर आई …..गर्व से बोले ……….. “….वाह सपूतों !…….जवान खातिर कुछौ कठिन नही होता !…..हमको गर्व है ,…हिन्दुस्तान तुम जवानों का देश है !…..गाँधी के जहरीले बंदरों को मार भगाओ !…….. स्वामीजी धन्य हैं !….धर्मयोद्धा ने मरता स्वाभिमान फिर जगाय दिया !…..अब हम पूरे चैन से मरेंगे !!…. भगवान फिर हमको रास्ता दिखाएँगे !..” ……………………….पंचायत इस भावुक मोड़ पर शांत हो गयी ….. मूरख चेहरों से टपकता सुकून आगामी उफान का आभास देने लगा ………….क्रमशः !

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