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धन्यवाद जागरण मंच !

हमार देश
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आदरणीय मित्रों ,.बहनों एवं गुरुजनों ,….सादर प्रणाम …..सर्वप्रथम मातभाषा प्रेमियों को कोटिशः प्रणाम !….. ब्लॉग शिरोमणि प्रतियोगिता आयोजन के लिए जागरण जंक्शन मंच का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ ,……हिंदी उत्थान के लिए जागरण का अथक प्रयास वन्दनीय है !….प्रत्येक शाब्दिक सराहना छोटी ही होगी ……. आदरणीय प्रतिभागी लेखकों को हार्दिक शुभकामनाएं !…..मन किया कि जागरण को धन्यवाद अवश्य देना चाहिए !…. कुछ लिखने से भी स्वयं को रोक नहीं सका …

हर हिंदी भाषी हिंदी से प्रेम करता है ,..मातभाषा से प्रेम स्वाभाविक है !…अपवाद स्वरुप घोर मानसिक विकृतियाँ भी मिल जाती हैं …मुझ मूरख के लिए चिट्ठाकारी कई जन्मों का बकाया काम करने का सुन्दर माध्यम लगता है !….इस मंच के बिना पता नहीं मूरख जीवन का क्या होता …..यह जीवन इस मंच का कृतज्ञ है ,……..आज हिंदी चिट्ठाकारी यौवनावस्था की तरफ बढती लगती है ,…तमाम स्थापित और उदीयमान लेखक इस माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति करते हैं ,….निःसंदेह चिट्ठाकारी नव परिवर्तन का बड़ा औजार बन सकती है !

अक्सर कहा जाता है कि हिंदी बाजार की भाषा है !……यह अर्धसत्य है ,…हिंदी बाजार के साथ हमारे दिलों की भाषा भी है ,…अंग्रेजी के बढते या बढाए जाते प्रभाव से हिंदी पीछे जरूर है ,…लेकिन किसी भाषा से नहीं !!…….हमारी मानसिकता में हिंदी पीछे जा रही है ,…..अंग्रजी बोलने वाले को सम्मान से देखना कुछ पुरानी बात लगती है ,…शुद्ध दृष्टि से अंग्रेजीवाचक बेचारा गुलाम से ज्यादा नहीं लगता !….यद्यपि यह भी सत्य है कि वो गुलाम बेचारा हम भी बनते हैं ,…कारण वही है …अंग्रेजी का प्रभाव रासायनिक कास्मेटिक की तरह बढ़ाया गया है ,…इसे साजिश कहें या उनकी मजबूरी !….रोजगार शिक्षा सब जगह अंग्रेजी बढाई गयी है ,..अंग्रजी लिखने बोलने वाला विशेष प्रबुद्ध बताया जाता है ,..अंग्रेजी तंत्र अंग्रेजी को ही बढ़ाता है ,……यह बढोत्तरी हमारे दिमाग पर भी अंकित होती है !……हिंदी जैसे प्रभावशाली गरिमापूर्ण शब्द और भाव अन्य भाषा में मिलना कठिन है ,..अंग्रेजी में तो बिलकुल नहीं ,… हमें हिंदी पर गर्व होना चाहिए ….वास्तव में हम गर्वित ही होते हैं !!

यद्यपि हिन्दुस्तान में हिंदी दिवस पखवाड़ा आदि आयोजन का अर्थ नहीं लगता ,..लेकिन बढते अंग्रेजी प्रभाव के बीच हिंदी का सम्मान अच्छा ही लगता है ,…..बारह महीने में अट्ठारह दिन नवरात्रि .. दो दिन कन्यापूजन के …शेष दिनों के लिए शक्तिदायक ही होते हैं ,..हमें सभी दिन जगतजननी की आराधना और नारीशक्ति का सम्मान करना चाहिए ,….यही बात हिंदी के लिए मानना उचित लगता है !

हिंदी सम्मानजनक भाषा ही है ,…मुख्यधारा में मजबूती के लिए इसे रोजगार से जोड़ना होगा ,…तकनीकी शब्दावली का तालमेल अंग्रेजी से बिठाया जा सकता है ……वैसे भी दुनिया की सभी भाषाएं संस्कृत की सगी चचेरी बेटियां हैं ,….हिंदी संस्कृत की योग्यतम ज्येष्ठ पुत्री है ,….तमाम अंग्रेजी शब्द संस्कृत हिंदी से निकले हैं !….आज नासा संस्कृत अपनाने के लिए प्रयासरत है ,क्योंकि उन्होंने अनुसंधानिक दृष्टि से संस्कृत को श्रेष्ठतम भाषा माना है ,…हमें अपने मानस में अपनी भाषा के प्रति प्रेम और दृढ करने की आवश्यकता है ,…. यह कहना फिर जरूरी है कि अंग्रेजी के पिछलग्गू राजतंत्र ने हमारी भाषा को अपार छति पहुंचाई है !…..तथाकथित नेता आज भी हिंदीभाषी ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नति के लिए अंग्रेजी सीखने का पाठ पढ़ाते हैं ,..अब उनको पाठ पढाने की जरूरत है ,..हिंदपरस्त नेतृत्व के बिना मातभाषा मातभूमि खतरे में ही रहेंगे ….निज भाषा उन्नति के बिना राष्ट्रीय उन्नति छलावा ही होगी !

चिट्ठाकारी के सन्दर्भ में हिंगलिश प्रयोग हिंदी को नहीं बिगाड़ सकता है ,…सामान्य बोलचाल में अंग्रेजी की भारी घुसपैठ है ,…सिनेमा और मिलीजुली संस्कृति इसका बड़ा कारक है !……फिलहाल इसे सहजता से ही लेना होगा ,…सामान्य बोलचाल में उर्दू शब्द भी हैं ,…वो जीवन में रच बस गए हैं ,…जब हिंदी का उत्थान होगा तो अवांछित तत्व स्वयं निकल जायेंगे ,……हिंदी का रंग ढंग निराला है निराला ही रहेगा ,….हिंदी को व्यापक स्वीकार्यता के लिए किसी भी भाषा या लिपि का साथ लेना गलत नहीं होगा !…..भाषाओं में रिश्तेदारी तो होनी ही चाहिए !…….सूरीनाम जैसे देशों में बसे हिंदीभाषी रोमन लिपि में हिंदी को जिन्दा रखे हैं ,…हिंदी के लिए उनका हमारा सबका प्रेम वन्दनीय है !

हिंदी चिट्ठाकारी हिंदी को मान दिलाने के लिए सार्थक माध्यम है ,…बाजार जीवन का अभिन्न हिस्सा है ,…उसका हिस्सा बनना गलत नही है ,…उसके हाथों खुद को गिरवी रखना गलत होगा !…… यदि बाजार हमारे अनुसार चलता है तो यह सम्मान और संतोष की बात है ..

अंततः भारत तमाम समृद्ध भाषाओं का देश है ,…हिंदी अभिभावक की तरह सबकी देखभाल करने में सक्षम है ,..हिंदी के आगे अंग्रेजी शब्दहीन भावशून्य भाषा है ,….अंग्रेजी का प्रभाव मानसिकता में परिवर्तन से कम होगा ,….. स्वाभिमानी मानसिकता से हम हिंदी को मान दे पाएंगे और राष्ट्रीय स्वाभिमान को भी बढ़ाएंगे !……आवश्यकता गुलाम मानसिकता तोड़ने की है !

अति सुन्दर प्रयास के लिए जागरण जंक्शन परिवार का पुनः हार्दिक अभिनन्दन ,…आदरणीय प्रतिभागियों को पुनः हार्दिक शुभकामनाएं ,… विजेता श्रेष्ठजनों को अग्रिम बधाई !….साथी लेखकों गुरुजनों को हार्दिक प्रणाम सहित विश्वास व्यक्त करता हूँ …

छायेगी हिंदी दुनिया में सिरमौर बनेगा हिन्दुस्तान !

बच्चा बूढ़ा गर्वित होगा जय हिंदी जय हिन्दुस्तान !!

वन्देमातरम !

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