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मूरख पंचायत ,..दुःख दरिया से !

हमार देश
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………….गतांक से आगे ..

“….सीता राम का देश बहुत दिन से सोया है ,….सैलाबी दुःख दरिया जगाने खातिर है !…….वही खोदने से लाभ नहीं !….फिरौ एक डुबकी मार लो भाई !….”……एक बुजुर्ग उबासी भरे अंदाज में बोले तो पीछे बैठा युवा बोला .

“… हम सुन्न हैं !…….राक्षस डूब मरने का एहसास नही होने देते ,..ई लिए फिर फिर डुबाना जरूरी है !…तबहीं सुख जानेंगे !.”……

एक महिला का गुस्सा बहा ………….“……हमार सुख माने हाथी का सींग ,…….दिल्ली से लेकर कुत्ते बिल्ली तक गरीबमार में जुटे हैं ,…बाबा से बच्चा गाँधी तक हमदर्दी का पिटारा खोले ,.सब जादुई नोट की तरह उड़ गया ,……सफ़ेद मगरमच्छ चौबीस घंटा सातों दिन नोचते हैं ,….वही गद्दार गरीब के माई बाप बनते है !…”

माता रुकी तो पिता का मत आया …………“..आदमखोर लूट मंहगाई में गरीब का करे ,……बच्चे स्कूली दिहाड़ी में पचास ग्राम अन्न पाते है ,…वहौ मेंढक छिपकली जहर मिला होता हैं ,..हम कीड़े मकोड़ों जैसे हैं ,…..हमारी जिंदगी में सूरज रोशनी नहीं चिंता लाता है !.. !…….हम लूटे जाते हैं !….हमही दारू पर बिकते है ,…..दुःख दरिया में कौनो भविष्य नहीं बचा है !…”

“…. बचत बीड़ी तमाकू में उड़ता है ,…ज्यादा बचा तो ठर्रे की ठसक चढती है !…. भरी जवानी में कंकाल दिखता है !….”……. महिला ने तंज कसा तो बनियान वाला खिसियाकर भर्राया .

“…. दारू न सूंघे वाले भी कंकाले हैं ,…..पानीदाल और हैब्रिड गेंहू चावल से खून मांस कहाँ बनेगा !…कौनो तरह आधा पेट भरता है ,…. सत्यानाश सवासत्यानाश में का फरक है !……..हम का करें भौजी !……जिंदगी दुःख का पहाड़ है … चढ़ाकर दो घंटे खातिर शेरशाह बन जाते हैं ,………..और हमको ई लाइन पर कौन डाला है ,…..भ्रष्ट नेता दलाल ठेकेदार चस्का लगाये हैं ,…फिर वही से चिपकने में आनंद मिलता है !…..”

“..फिर यहै लड़कों पर चढती है !….खुद सलमान हाशमी बनते हैं ,….सबकी बहिन बिटिया फ़िल्मी हीरोइन लगती हैं !…”……………….भौजी के तीर पर सब मौन हो गये …………..फिर एक बुजुर्ग मानव को देख बोले

“…अरे भाई ,.. बोले का मौका तो दो ,..बेचारा ऊँट की तरह मुंह उठाये खड़ा है ,…”……….पीड़ा में हास्य बिखरा … मानव फिर शुरू हुआ .

“..भारत का गरीब मजाक है ,..वैसे गरीबी भी राक्षसी मजाक है ,..जिस देश का डेढ़ हजार लाख करोड़ काला धन नेता गिरोह के पास हो वह देश कैसे गरीब हो सकता है !!.”……….फिर एक मूरख ने मानव को काटा .

“………..अरे टरकों में गुमनाम हजारी नोट मिलते हैं !…….अंधेर नगरी के चौपट राजा मालामाल हैं !…”

दूसरा भी टपका …………“.. काला धन हवाई महल नहीं हमारा असली धन है ,……….सरकारी दस्तावेज के आधार पर बड़े बड़े देसी विदेसी अर्थशास्त्री का गणित डेढ़ हजार लाख करोड़ कहता है ,……सब दामादों बहू बेगमों ,वाड्राओं, हसनअलियों ,चड्ढाओं की असलियत खुले तो दुगुना चौगुना ठहरेगा !…..यही काले धन से नशा ड्रग का काला कारोबार हमको खाता है ,…काले धन से राजनीति कालिख में डूबती है ,….वोट से लेकर कुर्सी तक बिकती है ,..यही काला धन अपराध आतंक चलाता है ,….काले चक्रव्यूह में हमारे खून मांस का लालच देकर हमारा ही शिकार होता है ,…..जमीन पर भूमाफिया काबिज है ,… गरीब को दो गज जमीन नहीं नसीब है ,…… लुटेरे गरीब से अठन्नी चवन्नी छाप मजाक करते हैं !..”

अगला भाई भी शुरू हुआ ………“..भैया जमीन माफिया ,..नशा माफिया ,..ठेका माफिया ,…..चोर डाकू गुंडे तस्कर सबकी बाप ई कांग्रेसी राजनीति है !….वही सब माल हडपे हैं ,…..हम न्याय खातिर बेचैन हैं !..”…..

“…न्याय अपने दम पर मिलेगा !……लूटतंत्र में न्याय खरीदा बेचा दबाया पलटा जाता है !..संविधान माने गाँधी का फालतू बाल है !!…..सुप्रीम कोर्ट ,.. सूचना विभाग ,…जांच कंपनी ,…कैग ,चुनाव आयोग ….सबको गांधियों के चाबुक से बाँधा जाता है ,……अंग्रेजी पिल्ले विकास का रोना रोते हैं !..”…………………एक युवा का गुस्सा निकला तो दूसरा बोला

“…हमारा काला धन बाहर निकले तो दो चार अमेरिका लाइन से पीछे खड़े होंगे !….”

पहला फिर तमका …………..“…अमरीका यूरोप की कितनी औकात है ,……बाकी दुनिया लूटकर चढ़े हैं ,…..आजौ दुनियावी सत्ता उनकी तिकड़मी मुट्ठी में हैं ,……शान्तिपाठी यूएन नाटो जहाँ मर्जी बलबा करवाके चढाई करते है ,……सबकी कुदरती सम्पदा बाजार उनके निशाने पर हैं ,…लड़ाई आतंक से हथियार व्यापार चमकता है !………”

अगला मत भी पेश हुआ ………………“…… दोस्त बनाकर हमको कितना लूटे हैं !…कंपनीराज ने हमारी धरती के गर्भ से अथाह खजाना लूटा है ,………दुनिया का कारोबार डालर में होता है ,…..पैंसठ साल में पैंसठ गुना चूस गए !…..दलालतंत्र में उद्योग बाजार पर उनका राज है ,…उदारभाव में जल जंगल जमीन उनके हवाले है ,….खेती हडपने को मुंह बाए हैं !…”

अगली बारी एक बुजुर्ग की आई ………………“…अरे भैय्या दिल्ली वाले दल्ले काहे एफडीआई की धूम मचाये हैं ,…….हमसे लूटा धन ….विदेशी हाथो से लाकर फिर हमारा गला दबाते हैं !……..ई सब देश खाय लेंगे ,….लूटतंत्र को दफनाये बिना कल्याण न होगा !…”

युवा जोश फिर बोला …………..“..इनको दफ़न होने से कौन रोकेगा बाबा ! ….ससुरे हमसे पचास तरह से टैक्स लेते हैं ,……असली पिट्रोल चालीस का भाव है ,…डालर रुपया बराबर आये तो डीजल एक रुपया लीटर मिलेगा ,……. दवा दारू सिगरेट बीड़ी से कम लूटते हैं का !….हम शौक में लुट्वाते हैं ,..!..”…..

एक माई उकताकर बोली ………….“…अरे भैय्या!!…. लूट कथा से ऊब गये ,……ऊ दुःख वाली बात पूरी करो ….”

मानव उन्ही के रंग में शुरू हुआ ,…. “…दुःख देना शैतानों का काम है ,…शैतानों के रूप अनेक !.. सबका मकसद एक !…..लूटो लूटो और लूटो ,…धन भी लूटो धर्म भी लूटो ,….लूटो पूरी दुनिया को !..भारत पर लूटतंत्र काबिज है … सुख किसको होगा !………हम दो रोटी के गुलाम हैं ,….लूटतंत्र में मजदूर का बेटा क्या बैरिस्टरी करेगा !…”

फिर एक मूरख ने मानव को टोका ………..“..काहे न करेगा !….हमारे बच्चों में इन्जिनेयर डाक्टर बैरिस्टर बने की ताकत है ,….लेकिन गरीबी बेबस करती है ,….पैसे वालों खातिर लंगूरी पढ़ाई है ,…वही पैसा देकर नौकरी पाते हैं ,..हम न घर के हैं न घाट के !.. कांग्रेसी पैंसठ साल से गरीबी मिटाते हुए देश खा गए !….अब खुदै मिटेंगे तब हमारी गरीबी जायेगी !…हमारे बच्चे भी अफसर बनेंगे ,..स्वामीजी सामान शिक्षा लायेंगे !.”

“..जरूर लायेंगे भैय्या !……काला धन मिलने पर गरीबी भी जड़ से मिटेगी !……”……….साथी ने बल दिया तो सबका समर्थन मिला ……..

“..भैय्या किसान को बिलकुले बेहाल किया हैं ,…..अंग्रेजी जाल में फंसाकर मारते हैं ,….पूंजीलाल हमारी मेहनत खाते हैं ,…किसानी के साथ खेत भी खाते हैं ,……मानो देश वाड्राओं की जागीर है ,….. किसान का सम्मान माने नेता का कंडोम है ,……………. हमारे बच्चे शहर में मेहनत मजदूरी करके पेट भरते हैं ,……शहरी परदूशन से बीमारी पालते हैं ,.उसमें बिकते हैं ,….शादी ब्याह बीमारी अजारी में खेत बेचे के अलावा कौनो रास्ता नहीं है ,……अब विदेशी पूरी खेती हड्पेंगे !.”………….एक किसान का दर्द छलका तो दूसरा बोला

“….चिंता न करो दादा ,..हमें हडपने की दम कौनो ताकत में नहीं है ,…दल्लों के साथ विदेशी कंपनियों को भी सबक सिखाएंगे !,,…..स्वामीजी ने कृषि क्रान्ति का सूत्रपात किया है ,…. हमारे दिन लौटेंगे !…”…………..सब फिर मानव को देखने लगे ,..वो फिर शुरू हुआ

“… पूरी इंसानियत दुखी है ,…किसान मजदूर कामगार व्यापारी कर्मचारी अधिकारी उद्दमी सब दुखी हैं ,……दुखी तो नेता गिरोह भी है लेकिन अहंकार में टुन्न है ,….. हमारा सबकुछ खाने वाले दलाल खोखले हैं ,..आम इंसान भूख गरीबी मंहगाई बीमारी बेकारी अपराध नशा से दुखी है ,….मेहनतकश को भरपेट रोटी नहीं ,….हरामखोर का हाजमा नहीं दुरुस्त !….मालदार और ज्यादा कंगाल है ,….व्यवस्था में नैतिकता रेगिस्तान में हंस जैसी है ,……हमारी बहन बेटियां नरपिशाचों के निशाने पर हैं ,…………..सब जानबूझकर मक्खी खाने को मजबूर हैं ,…..लुटेरों ने हमें अपनी जड़ों से दूर किया है ,..सब उसीका फल भोगते हैं !. वर्तमान भविष्य अन्धकार मय है !…”

“..अरे भैय्या ,..भविष्य अंधा न होगा ,…..सुबह का भूला लौटे तो खुशी मनाना चाही ,…..हम फिर अपनी जड़ों को महकाएँगे ,…”………एक युवा ने मानव का उत्साह बढ़ाया तो रुकावट में खेद की तरह दूसरा टपका

“….सबसे बड़ी बीमारी लालच नशा वासना है ,…..गिरे रुपैय्ये खातिर बेटा बाप को मारता है ,…बिटिया बाप माँ बेटा उमर में काले सम्बन्ध बनते हैं !…….बाप बेटा एकै महफ़िल लूटते हैं !….भारत भूमि कलंकित है !…”

पडोसी ने बात आगे बढ़ाई ……………“..भाई ,……..ऐसे किस्से पच्छिमी प्रभाव की पैदावार हैं ,… पवित्र धरती काली न होगी ,….ऊ सबकी कालिख मिटाएगी ,……….काली व्यवस्था हर कदम काली करतूत बढ़ाती है ,…..इनको मिटाकर उजाला आएगा !…”

एक महिला बोली …… “..इतिहास के डाकू जंगल में लूटते थे ,….हम घर में लुटते हैं ,…”

पीछे से एक और आवाज आई ……………..“…घर में का चाची !…..हम सोते जागते लड़ते भिड़ते रोते हँसते हमेशा लुटते हैं ,…..सत्तायें सरेआम हजारों लाख करोड़ खा गयी ,……..शैतान राज के हर काम ..हर योजना .बिक्री खरीद पट्टा ……व्यवस्था के पत्ते पत्ते पर घोटाला .. केवल घोटाला होता है ,……..केवल राजधानियों और जिला का हिसाब लगाया जाय तो जोड़ लो !…….सनातन सोने की चिड़िया भारत का अंदाजा लग जाएगा !……भ्रष्टतंत्र का कौनो हिसाब नहीं है ,…..चोरी छुपाने खातिर दफ्तर मंत्रालय में आग लगाईं जाती है ,…कागज गायब होते हैं !.. ”

एक और भाई बोला …………“…..डाकुओं की सत्ता में यही होगा ,….लुटेरों का साजिश देखो ,..खुद खाते हैं वर्ग व्यवस्था से ,….लड़ाने खातिर जातीय नफरत फैलाते हैं ,…. पापाचार में चोटी तक कौन डूबा है !…हाई किलास ,….हमारी मलाई मस्ती से कौन खाता है !!..”

“…भैय्या पापाचार सब जगह फैलाए हैं ,……सबकी मलाई गाँधी संस् एंड चमचा पार्टी लीलती है ,….चमचों की भरमार है ,..कहाँ नहीं व्यापित हैं बेचारे !..”……..एक युवती ने लंबी सांस खीची तो बगल खड़ा भाई बोला

“…बेचारे नहीं हरामी कहो दीदी !….जयचंद,… मीर जाफर कहो….भारतद्रोही कहो !!…… ई चाहते हैं कि हम एक एक दाना पाई खातिर आपस में लडें मरें ,….और ई हमको काट खाकर समेट लें !..

बुद्धिजीवी जैसा भाई बोला …………….“… मानवता मिटाने का पिलान है ,…….राक्षसों ने मिटने से पहले हमेशा यही किया है ,…..पहिले ई गद्दार अमरीकी बर्बादी से मंहगाई का रोना रोते हैं ,…अब विदेशी चढ़त की बयार में और बर्बाद हैं ….सब इनकी साजिश है ,….चढत गिरत के खेल में देश मिटावै का भयानक खेल है ,….गाँधी गुलाम मोहन बिकाऊ मीडिया को नसीहत देता है …….चोर डाकू अपराधी बेख़ौफ़ मस्त हैं …..चौतरफा बंधी जनता अत्याचार से त्रस्त है !.” .

“…भाड़ में गया गुलाम मोहन और गाँधी ,..विदेशी दलालों का नाम न लो …..ये लदने वाले हैं !.”……………एक ने बुद्धिजीवी को डपटा तो दूसरा गायकी अंदाज में बोला

“…विदेशी इज्ज़त से बुलाये जाते हैं ,…..हम अपनी जमीनों से भगाए जाते है ,…फिरौ सरकार गाती है .. हम तुम्हारे हैं सनम !…हम रो पीटकर मानते है ,.. गिरेपन का बोलबाला है !…”

पीछे की लाइन में बैठे अधेड़ ने सिर झुमाया …………..“. साजिश देखो !…….रुपया एक तरफ सिर पर चढाया …बाप बड़ा न भैय्या सबसे बड़ा रुपैय्या !!…….फिर विदेशी के आगे गिराया ..माने धन के साथ नैतिकता भी चाट गयो !….”

बगलगीर भी लपका …………“..अरे ई गिरी चीज ही सिर चढाते हैं ,…नशा को देखो …पूरा का पूरा इंसान गिर जाता है ,…लेकिन ऐसा सिर चढाया है जैसे ,….दारू से ज्यादा दमदार जायकेदार मजेदार दुनिया में दूसरी चीज नही बनी …..सिगरेट ठंडा पीकर हीरो गुंडन को हवा में पीटता है ….पान मसाला खाकर ईस्ट इण्डिया कंपनी खरीद लेते हैं ,…..अरे हमारा पक्का दिमाग में ई बात घुस जाती हैं तो बच्चन का दिमाग में कितनी जल्दी घुसता होगा !…तबहीं नशापत्ती का जोर है !….पढेलिखे जवान नशा खातिर लूटपाट करते हैं !……”

डंडे के सहारे खड़ा मूरख बोला ………..“.. सब गचडम पचडम दिखाते हैं ,..खोपड़ी में पाप घुसाकर हमको गिराया है ,….पिच्चर नाटक में सब का दिखाते हैं ,….हम मौज से देखकर गलत चीज अपनाते हैं ,….”

बुद्धिजीवी फिर बोला ……………“..ऐसा है भैय्या …गलत चीज जल्दी घुसती हैं ,… सुख की आस में हम नशा वासना अपनाते हैं ,….बुराई ढूंढें का जरूरत नहीं ,……. सब जगह हाजिर हैं ,…….. जागने वाला बचता है ………ऊकी परवरिश कामयाब है !…वही वीर है !…”

“…. महावीर कौन है …”……………….कहीं से सवाल उठा तो उत्तर भी गूंजा  

“..जो बुराई को अच्छाई में बदल सके !….”

“…महावीरता ईश्वर कृपा से मिलती है ..”………………..तीसरा मत आया

“…स्वामीजी सब बुराइयों को मिटायेंगे !…हम उनके फौजी हैं !..”…………………एक युवा जोर से बोला तो सबके मुंह पर उल्लास आ गया ……..

बुजुर्ग माता फिर उकताई ………………….“ …कुटिल व्यवस्था में सबको दुःखे दुःख मिला !….सनातन शेर गदहा लदान में फंसा है ,……अब ई दुःख दरिया से निकलो और सुख सागर ढूंढो !…”

मानव ने मौका भांपा ……………“…दुःख दरिया बाकी है माता !……….पूरा भारत विदेशी साजिशों से दुखी है ,…बाहरी भीतरी जख्मों का हिसाब नहीं है ,……जनता लूट भूख भ्रष्टाचार गरीबी मंहगाई बीमारी बेकारी नशा अपराध अन्याय अत्याचार से दुखी है ,..ईमानदारी का दुःख कोई बोल लिख नहीं सकता है ,….दुःख की उपकिस्में भी हैं ,…..भाई भाई से दुखी है ..माँ बाप बच्चों से बच्चे माँ बाप से ,.आदमी औरत से औरत आदमी से दुखी है !….सासें बहू से बहूयें सासों से ,….. कर्मचारी अधिकारी से ,. ड्राइवर कंडक्टर से दुखी है…….भ्रष्टाचारी माई बाप से ,..माईबाप चमचों से ,….रिश्ते रिश्तों से ,..पडोसी पडोसी से ,.जाति जाति से ………धर्म धर्म से ,…..देश देश से ,…..इंसान इंसान और भगवान से ,..और ………. भगवान इंसान से दुखी हैं !!….. साधु संत लोग इंसानियत खातिर दुखी हैं………नानक दुखिया सब संसार !….

“…इतने सुन्दर संसार काहे दुख दरिया में डूबा है !……”……………….एक किशोरी के मासूम प्रश्न पर पंच महोदय बोले …………….

“….बिटिया,… दुनिया में मूरखों का बहुमत है,….. काटजुआ गलती से सही ठीकै बोला था …..हम मूरख बनते हैं !!……सबको मूरख बनाने वाले रावण महामूरख हैं !………भगवान से दूरी सब दुखों का कारण है !……..शैतानियत दुःख .. और भगवत्ता सुख देती है !…………भगवत्ता की स्थापना ही ईश्वरी विधान है !….एक दिन ऊ होकर रहेगा !..”…………….क्रमशः

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