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मूरख पंचायत ,………काली आजादी !

हमार देश
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आदरणीय मित्रों बहनों एवं गुरुजनों ,..सादर प्रणाम …. उथल पुथल भरे विश्वास के साथ मूरख पंचायत पहुंचा तो पता चला बरखा से पंचायत फिर फिस्स हो गयी ,….लेकिन हूबहू छापने की हिदायत के साथ मूरखों की एक चिट्ठी मिली ,…..पढकर देखा तो असमंजस में पड़ गया ,…असम्बोधित खत किसके लिए है ?……..शायद सबके लिए होगा ,..उनके लिए भी जिन्होंने इसको लिखा होगा !………आपके समक्ष इसे प्रकाशित करना मेरा काम है ..

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“..भारतीय लूटतंत्र को एक और गौरव का अवसर मिला है ,…..पाकिस्तान जिंदाबाद के समर्थक सूबाई गृह मंत्री के उकसावे पर जम्मू कश्मीर में दंगे हो गए ,…… उन्मादियों ने बाजार के बाजार फूंक दिए दिए …….सिरफ दो मरे !…..मियां अब्दुल्ला वैसे भी सेना हटाने के पक्षधर हैं ,..नेहरू शेख की तीसरी चौथी पीढ़ी में अद्भुत सामंजस्य है ,…..मिलबांटकर खाने में सहायक गुर्गों की कलगी कुर्बान होती हैं ,…देशद्रोहियों का काम बनता है ,….कश्मीर घाटी को हिन्दूविहीन करने के बाद जन्नती ख़्वाब में डूबी जाहिलों की जमात आगे बढ़ना चाहती है ,..दलाल सत्ता कट्टरपंथियों के क़दमों में देश काटकर खाने में व्यस्त है ,…इंसानियत का रोना गैरजरूरी है ,… दंगे जरूरी हैं ,…विदेशी अंग्रेजों से लेकर देशी अंग्रेजों तक हजारों हो गए ,..कोई नुक्सान तो नहीं हुआ ,..देश तरक्की की सीढ़ी राकेट की रफ़्तार से चढ़ता है ,.. अम्बानी जैसों के महल देख लो ,…पूजनीय नेताओं के परमशाही खर्चे देख लो ,…पांच रूपये में पेट भरने वाले लुटेरों का पैंतीस लाखा पखाना देखो ,….बच्चा गाँधी का गर्मी सर्दी रहित स्वीमिंग पूल देखो ,…..कौन कहता है रोटी कपड़ा मकान की किल्लत है ,…सत्ता की मुहर राष्ट्रपति साढे तीन सौ एकड़ में ऐश करता है ,…….मजबूरी में अनाज सड़ाकर दारू बनाना पड़ता है ,…कम्बल साडी मुफ्त बांटनी पड़ती हैं ,.अब तो गुलामों में टीवी गहने लैपटाप भी बंटते हैं,…..बिना कुर्सी वाला नेता भी पांच सात हवेली बनाता है ,..खैर…दंगों से आबादी नियंत्रण भी हो सकता है !……अखिलेश राज में दो दर्जन हुए क्या बिगड़ा ,…..बाप बेटे मस्त सेकुलर माल खाते है ,.. सांसद बेगम थोक भाव में हीरे जवाहरात खरीदती है ,….लेकिन सोनिया की तरह राष्ट्रीय संपत्ति विदेश में नीलाम करने की हैसियत नहीं हुई !…. ससुरा पी एम बने तो मौका मिल सकता है ,……..समाजवादी कुनबा ठीक सोचता है ,…..आईऐएस आईपीएस न हों तो अच्छा है ,….बहू बेटा पोता भाई भतीजा चाचा मामा साला सलहज दीदी बहनोई फूफा फूफी सबके हिस्से में पूरी तहसील नहीं आएगी !…. अधिकारी बेमतलब में उनके हक का खाते हैं ,….पुलिस की औकात चुंगी कर्मचारी से ज्यादा कहाँ …खासों को लैपटाप के बाद अगली बार जनरेटर बाँट देंगे …!

एक बाबूजी कहने लगे ,..विकास और भ्रष्टाचार पति पत्नी हैं ,…दोनों साथ ही चलेंगे ,..सवाल आया हमारे पूर्वज उच्चतम विकास के साथ आदर्श समाज कैसे चलाते थे ,..उत्तर मिला .. ‘तब ब्रम्हचर्य वाला ज़माना रहा होगा !.’ … विकसित देशों में निम्नतम भ्रष्टाचार पर उत्तर मिला ‘वहां शादी से तलाक का फैशन ज्यादा है !….उससे ज्यादा लिव इन चलता है !!..’ ….. हमारी बेशर्मी बहुत उच्चकोटि की है ….. लेकिन ये कब तक खैर मनाएगी !…. संसार में हमारे अलावा ईश्वर नाम की एक सर्वव्यापी शक्ति भी है ,…….उनके जागरण में देर हो सकती है अंधेर कदापि नहीं होगी ….

..देश काटकर गोरों को गए छांछठ साल होने को हैं ,….तब नेहरू ने आजादी का एलान किया था ,…..सवाल यह नहीं है कि खून में सराबोर टुकड़ों का दर्द सत्ताई नशे में कैसे जश्न बना !….शैतान दलालों को क्यों दर्द होगा !…… लाखों इंसान हिन्दू मुसलमान के टंटे में कट गए ,.. बचे लोग फंसे रहे ,….सवाल यह है कि टंटे का फायदा किसे मिला ?……कौन मालदार भारत भूमि लूटकर निजी और विदेशी खजाना भरता है ?…..जबाब सरल से ज्यादा सरल है ,…..सैंतालीस के महाझूठ के बाद हर साल यही तारीख पर लालकिले से झंडे के नीचे झूठ दर झूठ बोलने की परम्परा बन गयी ,….. पगड़ीधारी गुलाम तिरंगे के नीचे फिर नए जुमलों में लिपटे कोरे सपनों की बरसात करेगा ,………झूठ गद्दारी की मात्रा गिनती करना बुद्धिजीवियों का काम है ,…हम इतना जानते हैं कि देश को छल के सिवा कुछ न मिला ,…लाखों शहीदों की चिताओं का सौदा गद्दार नेहरू ने गाँधी के बलपर किया !….लालाजी गोखले भगत सुभाष आजाद के सपने अधूरे नहीं कोरे ही रह गए !…….हमारी आजादी खूनी टुकड़ों पर कतई न आती !…इंसानी खून पानी से सस्ता न होता ,….. आजाद भारत में कैलाश मानसरोवर विदेशी कब्जे में न होता !……….आजाद भारत के किसान आत्महत्या न करते ,..हमारे बच्चे भूखे बीमार न मरते !…हम गरीब न होते !……हम मंहगाई की चक्की में न पिसते !.हमारी प्रकृति नोची न जाती !…हमारा अथाह धन कोई गाँधी काला न बनाता ,….हमारा रुपया डालर से साठ गुना न गिरता !…. देश आजाद होता तो हम सर्वसम्पन महाशक्ति होते……..क्वात्रोच्ची हसनअली जैसी अनगिनत पालतू मालवाहक सुरंगे न होती ,..आजाद भारत की राष्ट्रीय संपत्ति कोई सोनिया नीलाम न कर पाती ,…आजाद भारत में कोई इंदिरा संजय तानाशाही न कर पाते ,.राडिया जैसे पूंजी दलाल मंत्री सरकार न बनाते ,… देश कांग्रेसी दामाद की रखैल न बनता !….महालुटेरे सास साले के आगे बिटिया दामाद का फ्राडियापन फीका न लगता ,……..आजाद भारत में राबर्ट प्रियंका वाड्रा की औकात सर्वोच्च संसद से ऊंची न होती ,……आजाद भारत का शासन जनचूसक यंत्र न होता ,…पुलिस चोर अपराधियों की सुरक्षा दलाली न करती ,…आजाद भारत का न्यायतंत्र कछुवागति से बन्दरन्याय न करता ,..संविधान की पाई मात्रा में विद्वान वकील सालों न उलझते !……..देश में हर मिनट भूख से मौत न होती ,….हर घड़ी मातशक्ति बेआबरू न होती ,..भेदभाव जहर भरा नशेड़ी समाज न होता ,…..ऊंचनीच अमीर गरीब की भयानक खाई न होती …..वोटबैंक खातिर तुष्टीकरण न होता ,..अपराधी आतंकी संसद विधानसभा में न होते ,….आजाद भारत नक्सली आतंकी दर्द से न तड़पता ,…आजाद भारत की सीमा में बिन इजाजत घुसने का साहस कोई न करता ,….हमारे जवान सपूत निर्दयता से मारे न जाते !…….आजाद भारत को खाद्य सुरक्षा कानून की जरूरत न होती !…. विदेशी मुद्रा से पेट भरने के लिए गौकशी न होती ,……… भारत सेना को हथियार औजार खातिर विदेशी दया पर न रहना होता ,….घातक विदेशी पडोसी साजिश न करते ,…सड़कें बनने से पहले न टूटती ,…कदम कदम पर वसूली न होती ,….आजाद भारत में विकास का मतलब खाईंनुमा विनाश न होता !….आजाद भारत में ‘किसी की थाली में नौ नौ बरा किसी के पत्तल में बज्जर परा’ वाली कहावत न साबित होती ! ….आजाद भारत में नेताओं के कुत्ते एसी में न रहते !…….हमारे पहाड़ नदी जल जंगल जमीन दहेज में न जाते ……नेहरू एडविना सोनिया क्वात्रोची राजीव माइनो विन्ची प्रियंका वाड्रा का गुप्त निरंकुश धंधा न चलता ,..आजाद भारत में मैकाले के सपने पूरे न होते ,…आजाद भारत में खेल खिलाड़ी कवि विद्वान लेखक कलाकार काली कमाई पर न जीते ,….आजाद भारत में भूख गरीबी बीमारी बेकारी नशे अपराध का दंश न होता ,..हम बीमारी से बर्बाद न होते ,…आजाद भारत में विदेशी निवेश की भयानक साजिश न होती …आजाद भारत में राष्ट्रभक्त मिटाए गिराए मारे न जाते !… हम आजाद होते तो कीड़े मकोड़े की तरह न मरते !….हमारा सम्मान पूंजी के पैरों तले न कुचला जाता …आजाद भारत में सर्वत्र दलाल तंत्र न चलता !……

हम केवल कहने को आजाद हैं ,..खून से सनी ये काली मिठाई स्वीकार नहीं हो सकती …अबकी गुलामी तब से ज्यादा खतरनाक है ,….इन सालों में हमने बहुत कुछ खोया ,….हमें गोरी चमड़ी के भीषण अत्याचार से नफरत थी ,… वो मौका भांपकर चले गए, लेकिन अपने राज्य विस्तार के लिए देसी औलादों को खूनी सत्ता सौंप गए ,… हम अशिक्षा अज्ञान के अन्धकार में विदेशी टट्टूओं को अपना कर्णधार समझ बैठे ,…लुटेरे साजिशदानों ने हमारे बीच फूट और कुशिक्षा फैलाई ,..जो काम गोरे ढाई सौ सालों में बन्दूक के बल पर न कर सके ,वो काम उनके दल्लों ने छाछठ सालों में सफेदपोशी के काले नकाब में कर दिया ,….. हम पूरा गुलाम होने के करीब हैं ,…..हमारी मानसिकता भी गुलाम हो गयी है ,…हम गन्दगी को पवित्र अमृत समझने लगे हैं ,….हम लुटेरों की भीख को उदार उपहार समझने लगे हैं ,….हम अपना गौरव अपनी सच्ची सम्पन्नता भूल गए हैं ,..हम सुख का अर्थ भूल गए हैं ……काली आजादी वाला पन्द्रह अगस्त जश्न का मौका बिलकुल नहीं है ….. लेकिन नवप्रभात के दृढ संकल्प का अवसर जरूर है ,………बेबस राष्ट्र अपने लाखों करोड़ों बलिदानी सपूतों को श्रद्धा से प्रणाम करता है ,…उनके ही कारण हमने लोकतंत्र पाया है ,……उनके सपनों को साकार करना उनका ही काम है ,…वो नवशरीर लेकर हमारे बीच हैं ,…..भारत के हर गली कूचे में हैं !….हम सबमें हैं …हमें चहुंओर फैली अंधेरगर्दी से अपने आपको अपने वतन को आजाद करना है !……भारत आजाद होकर रहेगा !…..राम के राष्ट्र में रामराज्य आकर रहेगा …”

वन्देमातरम !

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