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मूरख पंचायत ………विनाशलीला !

हमार देश
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गतांक से आगे …..

आदरणीय मित्रों,बहनों एवं गुरुजनों,…सादर प्रणाम ………लंबे अंतराल के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ,…..विश्वास है कि आप सह्रदयता से मूरख को पुनः क्षमा करेंगे …….पिछले अंक में डटे रहने का वचन प्रकृति ने फ़ौरन नकार दिया ,…. अल्पावकाश के दौरन बरसात होने लगी ,…मूरखों में मौकापरस्त नारा गूंजा ….. छानी छप्पर पहले – देश दुनिया बाद में !…….उजड़ी पंचायत से मानव ,पंच समिति और आयोजकों में मायूसी छा गयी ,….लेकिन हुआ वही जो नियति को मंजूर था ………………..अन्य कई बहाने भी हैं किन्तु लायक बहाना सिर्फ नालायकी है ,…पुनः क्षमाप्रार्थी हूँ !…… बहरहाल पीड़ित मूरखों के बुलावे पर आज फिर उनके बीच पंहुंचा ,…………….आप भी सादर आमंत्रित हैं …

……………………

पंचायत तैयार है ,…..कृषि व्यस्तता के कारण उपस्थिति कम है लेकिन मौजूद चेहरों पर अग्निवेग कम नहीं लगता…..पंच समिति से बातचीत के बाद सूत्रधार महोदय बोले …..

“…भाइयों बहनों ,..सबको राम राम परनाम है ,….देवभूमि में कुदरत ने भीषण कहर ढाया है ,……..वहां के निवासी और श्रद्धालुओं ने रूद्र का तांडव देखा है ,. हजारों बच्चे बूढ़े जवान काल के गाल में समा गये ,…..अभी तमाम लोग बहुत तकलीफ में है ,…………पहले सब खड़े होकर भगवान से प्रार्थना करते हैं !..”………पंचायत हाथ जोड़कर खड़ी हो गयी …..एक युवा ने प्रार्थना गीत शुरू किया तो सबने अपनी आवाज मिलाई ..

बद्रीविशाल, हे महादेव, हे परमपिता अब रहम करो

अपनी अनमोल धरा पर हे प्रकृतिरूप बस तरस करो

हमसे पीड़ित हो तुम प्रभु ,यही बताने क्रुद्ध हुए

दया करो हे दयानिधे , हम रौद्ररूप से डरे हुए

दो श्रीचरणों में जगह उन्हें जो हमसे दूर हुए भगवन

शक्ति प्रचंड उन्हें दे दो जो सेवा राह चले भगवन

जागो हे अंतरमन वासी , प्रभु रक्षा भार तुम्हारा है

ये दंड नहीं सह पायेगा , मानव अज्ञान का मारा है

तुम सबकुछ हो, सब तेरा है, आपद के आंसू साफ़ करो

प्रभु अवसर दो, निर्माण करो, भूल चूक सब माफ करो !

तुम सर्वशक्ति, तुम सर्वमूल, तुम से ही सब रोशन है

मत कर विनाश हे परमपिता, तुमसे ही जग में जीवन है

हर लो सबकी पीड़ा हे हरि, हरियाली से फिर महका दो

यह पावन भूमि करो पावन, स्वर्णिम आभा से दमका दो

…………बद्रीविशाल ,हे महादेव ,..बस रहम करो .. अब रहम करो !

………”………….प्रार्थना के बाद सब अपनी जगह बैठ गए ….कुछ पल की शून्यता के बाद एक प्रौढ़ बोला …….

“…….. ई आपदा काहे आई ……मिरघिसिरा नखत में इतनी बरखा हम तो नहीं देखे !….उतराखंड में अनहोना सैलाबे आ गया ..”………….एक युवा तमका

“…हर दैवी आपदा का कारण होता है चाचा !… कुदरत पर बहुत अत्याचार है ,….. ई आपदा संकेत है …. सुधर जाओ नहीं तो महाविनाश खातिर तैयार रहो !……..विकास के नाम पर पहाड़ बम से उडाये जाते हैं ,……अरबों खरबों जीवों की जीवनरेखा नदी रोकी पलटी जाती है ,…. काली कमाई वाले नेता अभिनेता खिलाड़ी पूंजीखोर कुदरत को बेपर्दा कर महल सैरगाह बनाते हैं ,……प्रकृति का बलात्कार होगा तो सत्यानाश होगा !……. भगवान को चोट पहुंचाते हैं तो भुगतना पड़ेगा !…”…………युवा के क्रोध से पंचायत जरा मौन हुई तो एक महिला का गुस्सा फूटा

“…जो मरे उनकी का गलती थी ,…….भगवान नेतन के ऊपर चार चार ठू परमाणु बम दगाएं ….देश बेचकर सब तिजोरी भरते हैं !…”

महिला के आक्रोश पर युवा फिर पलटा ………….“..बम दगाना इंसानी कुकर्म है !…..भगवान ने हमेशा सही राह दिखाई है ,……उन्होंने कब कहा … लालची मक्कारों को सरताज बनाओ !….आदि से आजतक हम गांधियों की शैतानी नौटंकी पर ताली मारते हैं ,…ऊ हिन्दुस्तान की बर्बादी में प्रण प्राण से जुटे हैं !….”

जवान पीड़ा के बाद एक बुजुर्ग बोले ………..“.. हम सुने है ..पहाड़ रक्षक धारी देवी का मंदिर तोड़ा है ,.. टीवी में ऊ नहीं बताया होगा ,…. पहाड़ नदी जंगल की बर्बादी पर न बोलेंगे ,… नेता लोग एसी में कबड्डी खेलते हैं……युगों से रक्षा करती देवी को जेसीबी से फेंका होगा .. काहे न क्रोध जागे !….”

एक अधेड़ सज्जन आगे बोले …………“…दानी रानी ने चमचों से पगार दान को कहा है ,…..शक्तिमान तानाशाही सात दिन में राहत नहीं दे पायी ,….. पहले काहे केवल बीस हेलीकाप्टर लगे ,…सौ दो सौ काहे नहीं जुटे ,…आज तक राहत व्यस्वथा लचरलोट है ….मुसीबत के मारे लोग दाना पानी बिना मरते हैं …..आपदा राहत का कौनो इंतजाम नहीं है ….पुलिस प्रशासन कहाँ मर गया !…..डाकू रानी बड़ी दयालु है तो काहे नहीं एक लूट का चार आना दे देती है ……सब काम हो जाएगा !……”

“…बड़े आये चार आना लेने वाले …ऊ ऊपर लेकर जायेगी !…”……………..हरी कमीज वाला नौजवान खीजा तो बुजुर्ग फिर शान्ति से बोले

“…ऊपर दलाली न चलेगी लाला !……..इंसानी तकलीफ की खौफनाक सजा मिलेगी !…”

…….“….अरे .. कामनवेल्थ खातिर केवल नेहरू स्टेडियम के रंगरोगन में नौ सौ करोड़ हजम कर गए ,….भयानक विनाश में केवल हजार करोड़ !………गुलाम मोहन हमसे भीख मांगता है !….भारत निर्माण के महाझूठ खातिर सैकड़ों करोड़ टीवी अखबार में उड़ा दिए !…..”………… एकटक चर्चा सुनती चश्मे वाली महिला बोली तो पीछे से आवाज आई

“…हरामखोरी की हद नही है ,…अंदर तक काले गांधियों की चमड़ी पाक दिखाने खातिर सबकुछ न्योछावर है ,…..इंसान खातिर मगरमच्छ भिखमंगे बनते हैं ,…अथाह लूटने वाले गद्दार सफेदपोशी दिखाने में माहिर हैं ,…. घड़ियाली आंसू बहाने वाले भेड़ियों को शरम नहीं आती !…..”

“..भेड़ियों को काहे की शरम बहना !.. बचवा के जन्मदिन पर जश्नेबहार लुटी ,..लागत बा खुशी पचाने कहीं निकल गया !.....”…………….. मामा नाम से मशहूर व्यक्ति बोला तो एक जवान बोला

“…मामा !…..जन्मदिन पर विदेशी मस्ती जरूरी है ,…दो चार जूनियर लुटेरे राऊल विन्ची के साथ हैं …मौके पर विदेश भागना शैतान गधे की जरूरत है ,….अपना काम बनता …भाड़ में जाए जनता !……भरे खजाना गाँधी का भारत उनकी जेब में !!…. कौनो आन्दोलन में किसी ने देखा था !!.. आपदा में का करेगा यहाँ !….दिल्ली बाढ़ में डूबी तो भागना होगा ….बच्चा गाँधी पहले ही निकल लिया !!…”…

दूसरा युवक तत्परता से बोला ………..“.. माल ठिकाने करने में बिजी होगा !……आजकल स्विस बैंक से निकालने पर जोर है ,….कौन मुंह से बताए ,.. हम भारत लूट से चालीस पचास उत्तराखंड बना सकते हैं !……..”

एक बुजुर्ग पीड़ा से अपना चश्मा टिकाते हुए बोले ………“…..देवभूमि बनावे की औकात कौनो राक्षस में नहीं है ,…. जिनको केवल भारत की पाई पाई लूटने की चिंता है …..उनका नाम लेना जबान गंदी करना है ,…..आपदा बहुतै भयानक है ,…….सरकार पांच सौ मौत बताती है ,..लेकिन हजारों मरे हैं ,…मुवावजे का खर्चा भी बचाना होगा ,……आज हर हिन्दुस्तानी घायल है ,…कोई भगवान को कोसता है .. कोई शैतान को !….”

एक पंच बोला ……….“ …….भगवान को काहे दोख देना ..पूंजीखोर सत्ताएं विनाशलीला खेलती हैं ,… खाऊ बिरादरी धर्मनिरपेक्ष गोटीबाजी में मशगूल है ,…….भारत तबाह करने वालों में चमचों को भारत का भविष्य दिखता है ,…….गांधियों की खूनी मलाई मालामाल है …… सरकारी बिरादरी अलग मस्त होगी !…”

पीड़ा बढ़ी तो एक नववधू बुलंद आवाज में बोली ………..“…ऊ काहे नहीं मस्त होगी बाबा !…..हजार उधर से मिला है ,….और मिल जायेंगे ,…..दानी लोग भी देंगे !…..जनता से वसूलने वाले झंडा डंडा निकले होंगे ,….जयचंदों का सरदार अलग अपील मारता है ,……उनका दो चार साल का इंतजाम है ,……….दिल्ली वाला हिस्सा देहरादून होकर विदेशी खाते में जाएगा ,……आधे में डीसी से चपरासी तक रंगरोगन करवाएंगे ,….जमीन बहुत मंहगी है ,..पहाड़ का भरोसा नहीं है …कब नीचे से उड़ जाय !… हरिद्वार दिल्ली में मकान बनेंगे ,……..बचे चिल्लर जनता में फेंक दिया जाएगा !……….जनता कौन दूध से धुली है ,..धुली होती तो गद्दार नेहरूवंशी कैसे राज करते !……..”…..

नववधू के आक्रोश पर पास बैठी अम्मा बोली ………….“….दुलहिन !…. काले राज में चौतरफा कालिख है ,….लेकिन सेवा हिन्दुस्तानी धरम है ,… बहुत कठिनाई झेलकर राहत बचाव देते जवानों को परनाम है ,…संघी भाई हमेशा की तरह खामोश सेवा में लीन हैं ,…..पतंजलि सभा ने अपने गोदाम खोल दिए हैं ,…स्वामीजी हरसंभव राहत भेज रहे हैं ,…चौतरफा सहायता आएगी ,……. सब जो बनता है करते हैं ,……सबको हर परनाम छोटा है ,…….इनके रहते इंसानियत जिन्दा है ,………परधानमंत्री पर एक पैसा भरोसा नहीं है ,….लुटेरा का राहत देगा !…. लाशों पर खड़ा गाँधी गुलाम मुख्यमंत्री का आल बेल है ,…उसको स्विट्जरलैंड जाने की बेकरारी होगी !……”

“..काहे न होगी …. लगता है ,..माल ट्रांसफर करके कौनो नया दांव चलेंगे ,…..दशकों से लूटे खजाने का खाली डिब्बा दिखाने की तैयारी लगती है !…”………… एक युवा ने अंदेशा रखा तो दाढ़ी वाले भाई ने खड़े होकर दाढ़ी सहलाई

“… कौनो दांव न चलेगा ,…….सबसे पहिले बताएं जो विदेशी निवेश लाये हैं ,..ऊ किसके बाप का माल है !…..सबके असली बापों का पता चलेगा ,…….डब्बादिखाई से काम न चलेगा ,…गाँधी कुनबे के जड़मूल नाश से बचने का एकै रास्ता है ,…बाइज्जत हमारा माल सौंपकर सजा भुगतें ,….वर्ना आखिरी बाल तक नोचेंगे !..”…………..अब बगल वाला बोला

“..खाली डिब्बा न मानोगे तो पहले मुंहदिखाई कर दी …. रानी गाँधी उत्तराखंड गयी थी ,…. दो चार हेलीकाप्टर सैर सपाटे में जुटे होंगे ,…नीचे जनता चीखती मरती रहे !….. टीवी वाले चिल्लाये होंगे …….प्रधानमंत्री के साथ सोनिया गाँधी ने हेलीकाप्टर से आंसू पोंछे !…………बर्बाद देवभूमि देखकर दल्ली को बहुत मजा आया होगा !…”

“…..हिन्दुस्तानी लाशों पर मजे से मुंहदिखाई लेना कांग्रेसी तासीर है ,…लेकिन जागा हिन्दुस्तान अब लात घूँसा देगा …….उनको बैठकर पिलान बनाना चाहिए,….कब कैसे भागना है ,…..गांधियों को भारत छोड़ना पड़ेगा ,..यहाँ उनकी खातिर केवल जेल है या फांसी का फंदा ,….. पूरा देश थूकता है !..”…………….एक महिला युवा से मुखातिब हुई तो अन्य युवा बोला …

“…अरे दीदी …..ऊ अभी जुगाड़बाजी में लगी है ,…..हमारी नकदी विदेश में छुपाकर नकद सुरक्षा का चुग्गा फेंकती है ,….और भारत शिकार करेगी !……अंग्रेजों का काम पूरा होने तक चैन से नहीं बैठेगी …….गाँधी नाम की गन्दी आंधी से भारत तबाही का पुराना मंसूबा है !…….”……….

एक पंच कसमसाया …………….“… वही बात पूरी करनी है ,…….. अंग्रेजी विषबेल से भारत विनाशलीला देखे को मजबूर है ,…..विषबेल उजाडकर नवनिर्माण करना है ,…स्वामीजी पूरी ताकत से जुटे हैं ,…हम उनकी वाहवाही जरूर करते हैं ..लेकिन काम में फिसड्डी हैं !….”…………….

“… फिसड्डी सही !…लेकिन उनकी लगाई कतार में हैं ,…. स्वामीजी को कौनो मूरख की जरूरत नहीं ,…..करोड़ों समझदार हाथ पूरी ताकत से उनके साथ हैं ….भारतद्रोहियों की धज्जियां उड़ जायेंगी …. ललुवा अजोध्या गया था ,..स्वामीजी भी आये थे ,…..रामनगरी में चौतरफा स्वामीजी की चर्चा थी ,….हर हिन्दुस्तानी उनको मसीहा मानता है ……लुटेरे कुछौ करें ……भारत उत्थान नहीं रोक सकते हैं !…..”…………………एक युवा जोश में बोला तो मूरख पंच ने भावुकता से हाथ जोड़े

“….स्वामीजी से भारत भूमि धन्यभागी हो गयी ,……….ऊ नही चाहते देश मूरख बनकर विनाश करता रहे,….ऊ पूरे देश को समझदार स्वाभिमानी और सुखी सुरक्षित बनाना चाहते हैं !..ऊ हमको रामराज का सुख देना चाहते हैं ,.पूरा देश उनके साथ है ,..विनाशलीला जरूर खत्म होगी…उनकी जय हो !……भारत की जय हो !!…….”……………………पंचायत एक स्वर में पंच का साथ दिया

“..जय हो !… जय हो !……भारत माता की जय हो !….”

क्रमशः

आवश्यक विनती –सम्मानीय पाठकों से विनती है कि आपदा पीड़ितों तक सहायता पहुंचाना हम सबका परम कर्तव्य है ,…..सत्यनिष्ठा से सेवा करने वाले संगठनों के माध्यम से हमें ऐसा अवश्य करना चाहिए ,…..अपने विवेकानुसार यहाँ दो अति विश्वसनीय लिंक प्रस्तुत करता हूँ ,….कृपया यथासंभव सहायता जरूर भेजें )

१….पतंजलि आपदा राहत कोष

२-उत्तरांचल दैवी आपदा सहायता समिति
…………सादर धन्यवाद !

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