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आदरणीय शुभजनों ,..सादर प्रणाम …….मूरखों की पंचायत में पुनः आपका हार्दिक स्वागत है ,…कटाई मड़ाई की व्यस्तता के बीच मूरख लोगों की गर्मजोश पीड़ा दिखती हैं ,…सूत्रधार महोदय बोलने की तैयारी में हैं ,.. सीधे प्रसारण में आप सादर आमंत्रित हैं ….
………….
सूत्रधार महोदय सभा व्यस्थित कर कोने से बोले ……….. “…प्यारे भाइयों बहनों ,….. सबको सबकी तरफ से राम राम परनाम !……” …..मूरखों की मासूमियत चहक उठी .
“…राम राम भैय्या ,…..परनाम …. नमस्ते !…..” ……दुवासलाम के बीच ही सूत्रधार ने हाथ ऊपर किया….खामोशी छाते ही बोले………………. “….अबकी बंगलूर में आतंकी धमाके हुए है ,….नेता बिरादरी की गद्दार बेशर्मी से इंसानियत के रोंये फूले हैं ,…..मानो हम इंसान नही पालतू कीड़ा मकोड़ा हैं ! ..”…
“…मानो का !…नेता लोग खुद बताए हैं ,….उनकी खातिर हम कीड़े मकोड़ा हैं ….” …..एक महिला ने सूत्रधार को डपटा तो मंच पर लाचार पीड़ा की लहर दौड़ गयी ………एक प्रौढ़ मूरख बोला .
“…उनके दिन भी पूरे हैं बहिन !…….शैतानी लूटराज को इंसानियत की कीमत चुकानी पड़ेगी …… इनके हाथों मानवता रोज मरती है ,….भगवान सब देखते हैं ,… इनको भी तो दिखाएँगे !..”…………..महिला के साथ सभा भी कुछ शांत दिखी तो एक पंच महोदय शुरू हुए ….
“….. लुटेरे नेता बेशर्मी से बार बार जखम देकर नमक मिर्च लगाते हैं ,…देशखाऊ गिरोह से आतंकियों का गहरा भाईचारा है ,…दोनों एकदूसरे के काम आते हैं ,…दोनों भारतद्रोही हैं ,…..नेताओं ने हवाला कांड का पैसा जहाँ से लिया था वही से आतंकी खाते थे ,…..गांधियों की सरपरस्ती में आडवाणी तक चोर लुटेरों की भरी पूरी फ़ौज है ,….एक दस्ते से हिन्दुस्तान नही कब्जा सकते हैं ,…ई खातिर रंग बिरंगे झंडे टोपी वाले अनेक लुटेरे दल तैनात है ..”
“..मुलायमा को का हो गया !….आडवाणी की तारीफ़ में अपने लाडले को कोसता है …दूसरे दिन अखिलेशी मार्का गुंडाराज को आदर्श राज बताता है !….”…………….एक मूरख ने असमंजस भरी चुटकी ली तो दूसरा बोला
“..भैय्या चुल्ल बहुतै खतरनाक चीज है !…….मुलायमा कांग्रेसी चाटुकारी की कीमत चाहता है ,……लोहियाजी कब से समाजवादी दीवार में गड़े हैं ……. लालच में दूसरी दीवार पर माथा टेकना गुनाह नहीं है ,…ई गिरगिटी मगरमच्छ सबकुछ कर सकते हैं ,……हजारों रामभक्तों को बेदर्दी से मारने वाले को अब आडवाणी और श्यामाप्रसाद जी अच्छे लगते हैं !………आडवाणी ने भी बहुत गुलाटी मारी ,…अपने राज में कालेधन पर मौन रहकर बाद में नकद करना चाहते थे !…….अब मुलायमा दांवपेंच में जुटा है !………….महाभ्रष्ट गांधी कुनबा भ्रष्टाचार मिटाते मिटाते हमेशा खातिर देश चाटना चाहता है ….ई सब एक हैं !….”……………..एक युवा मूरख आगे बढ़ा
“…अरे उसको सोनिया माई ने कहा होगा ,…….. हजार हाथ के साथ रहो !…. गुलाटी दिखाते रहो !……मौके पर कांग्रेसी धुन में भूंकना होगा ,….सम्प्रदायी ताकत वाला राक्षसी मन्त्र है न !……… सीबीआई से बचना है तो हमको भी गरियाओ !………मूरख जनता न समझे कौन इधर कौन उधर !……राजीव इंदिरा को गरियाने वाले आज मंत्री बनकर देश खाते हैं !…….लुटेरों के वफादार महामहिम तक बनते हैं !…..फिर गाहे बगाहे भ्रष्टाचार मिटाने का प्रवचन देते हैं !…”……………
अक महिला फिर जरा ताव में आई …………….“..सबकुछ साफ़ है फिर उनकी बात काहे करनी भैय्या !……..पूरा राजतंत्र मलाईखोर डाकू है !…………रेलमंत्री रहते गोधराकांड करवाने वाले नितीश को मोदी विरोध में मलाई दिखती है ,…….कांग्रेसी महलूट पर चश्मा लगाकर मौन है ,….का पता मोदी की खिलाफत करके बड़ी गद्दी चाटने को मिले ,….सुशासन बताकर बिहार की बंदरबांट सबको पता है ,…ज्ञानभूमि को कांग्रेस और चाटुकारों ने अपराधभूमि बना दिया ,……सबका मकसद हमको मूरख बनाकर अपना लूटराज कायम रखना है ….”…………….बहन की बात पर सबसे पीछे बैठे चचा ने सिर उचकाया
“……नितीश की बीमारी खास लागे बिटिया !……ऊका कांग्रेस प्रेम सब बताता है ,..ई सब मिले हैं !….काला अंग्रेजी तंतर एक देशभक्त को आगे नहीं बढ़ने देता !…. अपने पाले में नहीं आया तो निपटाते हैं ,…शेरदिल मोदी अपनी काबिलियत से आगे बढ़ा ,…तबहीं गांधी मंडली के साथ किराए भाड़े के कुत्ते तक भूंकते हैं ,….राजतंत्र कांग्रेसी गुलाम है ,……लालची भाजपाई मोदी की ज्यादा काटने में जुटे हैं ,…….ऊ भी तो भगवा कांग्रेस है !….मूरख जनता मनोरंजन में तकलीफ भूल जाती है !…”…………………..चचा की बात पर खड़ा नवयुवक बोला .
“..मूरख जनता सब जानती है !….. सब एकै अमरीका के पालतू डाकू हैं !….देशभक्तों से फटती है तो साधु संत जैसा भाषणी रट्टा मारते हैं !……….सोनिया राहुल मनमोहन की जहरीली खिचड़ी से भारत खोखला बेदम बीमार है !……..डाकू रानी के पालतू सरदार ने मालिक खातिर बेशर्मी से देश लुटवाया ,….लुटेरों का सरदार नौ साल राज के बाद केवल मुसीबत गिनाता है ,…जीभरकर भारत लूटने वाले गद्दार मंत्री प्रधानमंत्री सुपर डिप्टी प्रधानमंत्री हैं ,……….जनता की आमदनी चवन्नी खर्चा रुपैय्या है !…..हम मुसीबतों के पहाड़ से दबे हैं ,…सरकारी गिरोह सावन का अंधा है !..चौतरफा हरी हरियाली है …”
एक और मूरख उबला ………..“..सरेआम सत्ताई लूट में जनतै पिसी भैय्या !…..नौ साल में दिल्ली दरबार ने अथाह देश लूटा ,….पैंसठ साला हिसाब से बचे खातिर बच्चा गाँधी उद्दमियों को गरीबी वाला पुराना प्रवचन देते हैं !……..मंहगाई भ्रष्टाचार अत्याचार अपराध से चीखते देश को कालाधन दिलाने की कौन कहे ….पट्ठा एक अच्छर नहीं बोला ,….उल्टा मधुमक्खी के छाते का पिलान बताया !….”…………….एक वृद्ध व्यग्रता से बोले
…….“..बाबा आदम के जमाने से सफेदपोश गद्दारी जिनकी परम्परा है …….ऊ देश खातिर एक अच्छर सोचते नहीं तो का बोलेंगे … भ से भारत !……आधा कालाधन नेहरूवंशी गांधियों के कब्जे में है … बोलकर अपने गले में फंदा काहे पहनेंगे !…..मधुमक्खी वाला पिलान सोचा समझा लगता है ,……मूरख भारतपुत्र दिनरात मेहनत करें ,….. चालाक विदेशी टट्टू भालू की तरह मजे से हमारा मधु उडाते रहेंगे !..विदेशी दलालों के सत्ता पर रहते हमको इन्साफ नहीं मिल सकता है ….”
“..लुटेरी व्यवस्था में वही होता हैं !…..देश से सौ रुपया नोचकर नब्बे पचाते हैं ,….दस का बजट बनाकर नौ अपने ऊपर खर्चते हैं ,…नकारा सरकारी लाम के शाही खर्चे हमारे खून पसीने से होते हैं ,…….नेताओं अधिकारियों की डाकू फ़ौज दिनरात हमको लूटती है ,…….दलाल दामाद से चोर औलाद तक सरकारी जहाज में बेधड़क घूमते हैं ,…………..बचे एक रूपये में बत्तीस विभाग से सत्तर योजना चलाते हैं !……उसमें नब्बे पैंसा फिर खाते हैं ,…..अपने सौ रुपया में हमारे हाथ दस पैसा आता है ,…ऊकी खातिर हमको लड़ाते भिड़ाते हैं ,..गाँधी लोग मुस्काते हैं !..”……………एक हिसाबी मूरख ने लेखाजोखा रखा तो एक युवा जोश से खड़ा हुआ
“..ई हिसाब किताब बहुत दिन से देखते हैं ,..स्वामीजी कबसे घूमघूमकर बताते हैं ,…सैकड़ों हजारों लाख करोड़ की लूट हुई है ,……..महालूट बहुतै छोटा शब्द लागत है ,…इनके घोटाले महाघोटाले गिनते गिनते कापी भर जाय ,…आंकडेबाज कम्पूटर भी लुटी दौलत के अंदाजे में फेल है ,……जांच कानून संविधान न्यायतंत्र सब लुटेरों की जेब में है ,……फिर सफेदपोश मगरमच्छ बेहयाई से हमारे कर्णधार बनते हैं ,……हमारी सोने की चिड़िया को गद्दारों ने नोचनोचकर बेदम कर दिया है …..ई लोग हर कुर्सी पर पालतू भ्रष्टाचारी बैठाना चाहते हैं ,…..अब आरपार की जंग है …..जंग आगे बढ़ना चाहिए ..”………….युवा जोश पर एक बुजुर्ग बोले
“…लुटेरी व्यवस्था की आखिरी साँसे लगती हैं भैय्या !……. देश जाग चुका है ,.हमारा स्वाभिमान एकजुट है ,…..देश का बच्चा बच्चा स्वामीजी के भारतप्रेम से निहाल है …..अब गद्दारों को भारत में पनाह नहीं मिलेगी ,….हम सुने थे कि तुमलोग पहले भी चिट्ठी पत्री लिखते थे ,….. स्वामीजी को फिर लिखो ऊ जल्दी भारत स्वाभिमान के राजनीतिक दल का एलान करें !……..बिना सीधी राजनीति करे हमारे सपने नहीं पूरे हो सकते ,….मौजूद गद्दार मंडली केवल देश खायेगी !……देश को केवल स्वामीजी पर विश्वास है …..”………कहते हुए बुजुर्ग की भावना छलकी तो सब निगाहें पंच समिति पर टिक गयी …..सूत्रधार ने पंचों से कुछ सलाह मशविरा किया फिर बोले ….
“…..पंच समिति स्वामीजी को चिट्ठी लिखाने खातिर तैयार है …”
…………तुरंत एक युवा कागज कलम लेकर तैयार हुए ….पंच बोले
“…लिखो …..परम पूजनीय स्वामीजी को हम मूरखन का दंडवत परनाम ….” …….अधिकाँश मूरखों ने बैठे बैठे ही दंडवत मुद्रा का भाव दिखाया ….पंच आगे बोले
“…लिखो ,…स्वामीजी हम का कहें ,…आप सबको बताते है ,….देश चौतरफा बेहाल है ,…..हमारा कालाधन कब्जाए लुटेरे भारत की बर्बादी के पक्के पिलान में ,..भ्रष्टाचार माने सुविधाचार है ,….अमीर गरीब की खाई में गरीब बेहाल और अमीर बीमार है ………भारत अनेकों बीमारियों से लाचार है ,….कांग्रेसी राजतंत्र सब बीमारी की जड़ है !…..हमारी चौतरफा बर्बादी आप जानते है ,….लुटेरी व्यवस्था ने हमारा धन धर्म शिक्षा संस्कार चरित्र सब पर भयानक डाका डाला है ,…. इसके रहते हमारा उत्थान नहीं हो सकता ,…हमको सब ठीक करना होगा ,….मुसीबत अनेक हैं ,…..हल एक लगता है …. हमको करना है ,..हमको करना ही है !……. ई व्यस्था हर हालत में बदलनी है !……. आप हमारी खातिर ही बेचैन हैं ,…आप हमारे भगवान हो …आप महान भारत के उत्थान खातिर ही आये हो ,…आपके सब कर्म देश मानव सेवा खातिर हैं ,….हम समझते हैं कि आपको हमारे ऊपर यकीन कम है …काहे से कि सदियों से मूरख बनता देश अपने महापुरुष को पहचाने में बहुत देर लगाता है !…..लेकिन आपका पवित्रनाम हर भारतवासी के जबान पर है ,…अब आगे बढ़ने का समय लगता है ,…..हमारी विनती है …आप बिना देर किये नए दल का सूत्रपात करो ,…….हमको विश्वास है कि हर भारतवासी आपके साथ चलकर अपनी जिम्मेदारी ईमान से लेगा !…”……..
“..लेना पड़ेगा ,..नहीं तो इतिहास हमको आत्महंता कहेगा ,…हम अपने बाल बच्चों के गुनहगार होंगे ,….सच्चाई की राह पर बेधड़क न चले तो हमारा भविष्य काला होगा !…..दुःख के कारण न मिटाए तो सुख की इच्छा करना मिर्चे में रसगुल्ले का स्वाद मांगने जैसा होगा !…….”…………….एक उत्साही प्रौढ़ ने बीच में अपना मत दिया तो सभा सहमत दिखी …….पंचाधीश बोली ….
“..आगे लिखो ……स्वामीजी ,… आप राष्ट्रनीति का सूत्रपात करो !… आपका सब काम सब फैसला राष्ट्रहित में है ..हमेशा होगा ,…और किसी से देश को कौनो आशा नहीं है ,… देश आपके इन्तजार में है ,……हमलोग आपकी चरणधूलि के काबिल नहीं हैं …..फिरौ चाहते हैं कि अच्छे लोग आगे बढ़कर देश की सेवा करें,…सच्चाई की राजनीति करें …कालाधन लाकर समतावादी विकास की गंगा बहे ,…सोने की चिड़िया फिर विश्वगुरु बने ,…हर आँगन में खुशियाँ और हर चेहरे पर मुस्कान हो !….हमको धर्मनिरपेक्षी ढकोसले वाली लुटेरी व्यवस्था नहीं … धर्मसम्मत न्यायी व्यवस्था चाहिए ,…..आपके साथ सच्चे अच्छे और समर्पित भारतपुत्रों की पूरी सेना है ,….आपसे विनती है लुटेरे कांग्रेसी तंत्र को मिटाने खातिर सेना को सीधा मैदान में उतारिये ,…….हर हिन्दुस्तानी आपका सेनानी बनकर स्वाभिमान से फूल जाएगा ,….आपका आभामंडल जाति धर्म क्षेत्र के बंधनों से बहुत ऊपर है ,……ई साजिशी बंधनों को खोलने का काम करना है ,…..भारत बचाने खातिर राष्ट्रव्यापी राष्ट्रवादी दल पहली जरूरत है !……ई काम आपका है ,…….हम मूरख लोग जन्मों से भटकते आये हैं ,……आपके आने से सब भटकन खत्म होगी ,…..अपनी कमजोरियों को मिटाना पहला काम होना चाहिए ….फिरौ दस जरूरी कामों में पहला दूसरे का कौनो खास मतलब नहीं लगता ,…….सब काम एक साथ करना होगा ….परमेश्वर देश के साथ हैं ,…परमपिता के पावनपुत्र के रहते हमारी सब कमी मिटेंगी ,……..आज हम अपनी चर्चा करके उठेंगे ,….सबसे पहले आपको हमारी विनती स्वीकार करनी होगी !…..व्यवस्था बदले खातिर मुख्य औजार राजनीति है …..उस औजार को धारण करो ,…युगों से हमारे पराक्रमी ऋषि महर्षि राजनीति को सही रास्ता दिखाते आये हैं ,..आप भी वही करते हैं ,…..चोटी तक कालिख में डूबी मौजूदा राजनीति कुछौ देखने की क्षमता खो चुकी है ,…देश साजिशी आग में जलता है ,..जालिम गांधियों के राज में अमृतपुत्र भारतवासी टुकड़ों के मोहताज हैं ,……..हे राष्ट्रऋषि,….. अब राष्ट्रनीति की अमृतवर्षा करने की कृपा करो ,……भारत का हर शहर गाँव गली मोहल्ला घर आँगन खेत खलिहान राष्ट्रचेतना से सराबोर होगा ,……हम तो चिरमूरख हैं ,…आपसे कुछ कहना हमारे दुस्साहस के अलावा कुछ नहीं है ,….हम विनती के अलावा कुछ नहीं कर सकते हैं ,….आप हमारी विनती स्वीकार करो !….”……. पंचाधीश रुकी तो सूत्रधार बोले
“…आगे लिखो ……… स्वामीजी हमको अपना काम याद है .. फिरौ घनचक्करी मूरखता में मशगूल हैं ,……प्रभु को ऊ भी प्यारी है ,…….प्रभु फिर जब चाहेंगे दर्शन देंगे ,……जब तक चाहेंगे हमारी दीनता का मजा लेंगे,…….आप कृपा करो …….सच्ची राजनीति भारत उत्थान का महान औजार होगा ,….आपने महान शहीदों के सपनों को अपनाया है ,……आपके सपनों का भारतवर्ष जरूर बनेगा ,…आपका ,हमारे महान पूर्वजों ऋषि मुनियों और भगवान का सपना एक है ,…वही पूरे देश का सपना है !…जो अब पूरा होकर रहेगा ,…….हम मूरख आपके आशीर्वाद के सदा चाहवान हैं !….आपके चरणों में फिर से बार बार प्रणाम !…..”…………..सूत्रधार के रुकते ही पंचायत एक युवा के साथ गरजी …
स्वामी रामदेव की जय !…स्वामी रामदेव की जय !!…….भारत माता की जय !……भारत माता की जय !!…..वन्देमातरम ……….
जोशीले नारे रुके तो पंचायत में खुसपुसाहट का दौर चला ,…………….सूत्रधार सबको शांत करते हुए बोले ….
“..स्वामीजी को चिट्ठी पूरी हो गयी है ,..हम उनके जबाब का इन्तजार करेंगे ,….अब हमारे साथ बहुत दिन से जुटे मानव भाई अपने विचार रखेंगे ……गर्मी बहुत है …..कुछ पानीपत्ता पीकर फिर शुरू करेंगे ……..”…………..मूरख लोग तुरंत पानी पर टूट पड़े ,…. मानव बेसब्री से टहलने लगा ….क्रमशः
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