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मूरख पंचायत …….आखिरी निंदा !

हमार देश
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गतांक से आगे ……….

“..भैय्या……पहले कुछ सवाल उठने बाकी है !….. कांग्रेस ने तमाम काम किया है ,….पहले आदमी के पास जूता कपड़ा तक नहीं था ,…अब संगीतदार मोबाइल लटकाए घूमते हैं ,.कबूतर जा जा वाले गाने बेकार हो गए !…सब कम्पूटर करता है ,…….पहले सब भूखे नंगे थे अब दिहाड़ीवाला भी समोसा खाता है ,…..पहले सड़क गाड़ी साइकिल तक नहीं था ,…अब सड़क के आगे खेत कम .. और गाड़ी के आगे सड़क कम हैं ,…..विकास तो भिखारी का भी हुआ है !…….”…………………..नवमूरख बने लघुनेता का कांग्रेसी मन फिर भटका तो सूत्रधार ने हाथ सिर पर रख लिया …….पास बैठा युवा गरजा

“… महाभारत गुजर गयी तुम अभी तक बच्चा गाँधी के ख़्वाब में सोये हो !! ……ऊ भी कहता है….सबकुछ हमारे बाप दादा ने किया ,… देश हमारी जागीर हुई !………भागो यहाँ से कुर्सी पर जमो .. तब बताएँगे !…”…………नेताजी खड़े हो गए ..युवा आगे बोला ………

“…कांग्रेस अंग्रेजों की नाजायज औलाद है ,….ई केवल भारतद्रोह करते हैं !…….हमको मूरख बनाने खातिर गुलाटी नौटंकी करना मजबूरी है ,…..इनका शैतानी हाथ अनेकों भारत पुत्रों के खून से सना है ,…भगत सुभाष से लेकर शास्त्रीजी तक को इन्होने अपने रास्ते से हटाया ,.ये विदेशियों के दलाल चाटुकार भारतद्रोही हैं !…नेहरूवंशी आदि से आजतक मौकापरस्त विदेशी टट्टू हैं !……पहले अमेरिका रूस के इशारे चलते थे ,..अब साथ में वेटिकनी दलाली होती है ! ..हम अपने खून पसीने से खाते पहनते हैं ,.. गद्दारों को भी हम खिलते पिलाते हैं ..ऊ तो हमको नोचते हैं !….”…………. लघुनेता असमंजस में फंस गया ……

एक पंच ने पेंच सुलझाया ….. “…जहाँ मर्जी बैठने दो भाई !………बहुतों के खून में कांग्रेसी जयगान घुसा है !…. चाहो तो उत्तर दो !..”

एक प्रौढ़ मूरख बोला ………..“…… पचौरिया की भी नहीं समझी !….हम आजौ अंग्रेजों के गुलाम हैं ,….. नशा अत्याचार दुःख तकलीफ बढ़ा है ,…आतंक नक्सलवाद बना है ,…देश भयानक खतरे में है ..सबकुछ होते हुए हम भुखमरी गरीबी बेकारी बीमारी अपराध आतंक के लुटेरे जाल में हैं !… जापान जैसे देश कहाँ पहुँच गए ,…उनके पास कौनो खास कुदरती संपदा नहीं है ,..फिरौ देशभक्तों ने का नहीं कर लिया ,….कुदरत के कहर से लड़ते हुए दुनिया पर छाए हैं ,…सबने अपनी भाषा में उन्नति किया हैं ,… अंग्रेजीलाल लुटेरे हिन्दुस्तान का विकास सौ जनम में नहीं कर सकते हैं ,……..गद्दार लोग गाँव गरीब किसान खेती कुदरत उद्योग सब तबाह करके नयी दिल्ली से भारत सेल करते हैं !………..”……….

अन्य पंच महोदय ताव में आये ……….“…पांच दस पैसा विकास हुआ ….बाकी डाकुओं के खजाने में गया !…… विकास से दस गुना वसूला हैं ,….कलियुगी रावणों ने हमारी अथाह संपदा बीसों हाथों से लूटी है ,….महान देश साजिशी अत्याचारी और अनैतिक लुटेरों का गुलाम है ,….केवल नौ साल में सौ पचास लाख करोड़ लूट चुके हैं ,… हर हिन्दुस्तानी का पचास हजार से लाख रुपया लूटा है …..कालिख में डूबा बेशर्म गाँधी कुनबा चिट्टा नकाब पहने घूमता मुस्काता हैं ,..गांधीजी की लंगोटी बहुतै मंहगी निकली ,…..अब हमारा धन्यवाद लादकर सजा भुगतनी होगी !…….”……………..

“. ठीक है !..लेकिन भैय्याजी का शंका समाधान जरूरी है !…..कुछ लोग इंदिरा राजीव की मौत को भारत खातिर बलिदान भी बताते हैं …”……….पहले पंच ने समझाते हुए नया दांव चला तो दूसरा युवा बोला .

“..लुटेरों को भ्रष्ट इंदिरा राजीव के आगे लाखों करोड़ों हिंदुस्तानियों की मौत कीड़ामृत्यु लगती है … काहे से उसीमें मुनाफा मिलता है !……मालामाल देश के तीन चौथाई नागरिक कांग्रेसी लूटतंत्र के कारण रोज नरक भोगते हैं !….मासूम नागरिक कफ़न को तरसते हैं ,……कांग्रेस ने हमेशा राजनीतिक रोटी सेंके खातिर आतंकवाद पाला बनाया !……”

एक आक्रोशित वृद्ध आगे बोला ………………“… इंदिरा ने ही शास्त्रीजी को मरवाया था ,….. पंजाब में मौत की फसल बोयी  …. शरीफ गाँधी की सरपरस्ती में निर्दोषों का कत्लेआम कौन नहीं जानता !…सैकड़ों दंगे इन्होने करवाए ,..हजारों लाखों हिन्दुस्तानी जानें गयी …..  इंटरनेशनल नेताई के शौक में हमारे जवानों को आग में डाला !……..आतंक की सब किस्में आतंक फैलाती हैं ,……निजी लाभ खातिर बबूल नागफनी कैक्टस बोया तो काटने कौन साईं बाबा आते ! …….देश खातिर गांधियों ने कुछ नहीं किया …मरे भी नहीं !… लालची लुटेरों ने सत्ता खातिर महापाप किये हैं ,…  गौहत्या खातिर करपात्री महराज पर गोलियाँ चलाई ,..उनके ही आशीर्वाद से इंदिरा चुनाव जीती थी ….. इनके टुकड़े कीड़े खाते फिरौ पाप नहीं मिटता !………..अंग्रेज नेहरू ने अनेकों भारतपुत्रों को मरवाया…इनके महापापों का घड़ा लबालब है !..”

क्रोध से भरी एक महिला लघुनेता से मुखातिब हुई …………“..नेताजी ,…भरम फैलाकर कांग्रेस देश को खाती है !…..हमको छल कपट अत्याचार से लूटकर मूरख बनाया गया !…..हर बार नकली भावनाजाल में फंसाया है ,…….जबसे सोनिया मैडम भारत आई तबसे कितने मरे !… प्रियंका के घरवाले गुप्त गुप्त ही निपट गए !…..काहे मरे !…इनकी साजिश बहुत गहरी लंबी हैं !…”………..

सिटपिटाए नेताजी बोले ……………“..खैर अंदरखाते हम भी जानते हैं … मैडम साजिशों की पुतली है ,….. पायलट सिंधिया प्रसाद जैसे धीरे में निपट गए ,…संजय इंदिरा राजीव की मौत का शक भी गहरा है ,….. ऊ लोग वेटिकन के गुलाम नहीं लगते थे ,…. मकसद खातिर शैतान लोग बलि चढ़ाते हैं ,…..लेकिन गरीब खातिर कुछ योजनायें हैं ,…इंदिरा आवास ,..नकद सब्सिडी ,…नरेगा …अन्तोदय …अब …खाद्य सुरक्षा  !..”

इसबार एक युवा फिर तमका …………..“..हम पहले सबकी हकीकत बता चुके हैं भैय्या !…..हमको गरीब भिखारी किसने बनाया ,…इन अंग्रेजी लुटेरों ने ,….अब नकदी आधार की साजिश से हमको निराधार गुलाम बनाने की योजना है ,…..हमारा सैकड़ों लाख करोड़ का काला धन इनके कब्जे में है ,…हर हिन्दुस्तानी के हिस्से में दसियों लाख आते हैं ,..लूटा धन बचाने और लूटने के पक्के अधिकार खातिर सब चौगडी लगाते हैं ,….कौनो योजना भारत खातिर नहीं है ,….  मैय्या जी केवल अपने बच्चा बच्ची की गद्दी जमाना चाहती है !…”

आगे बैठा अधेड मूरख आगे बोला ………..“… थोड़ा पीछे से समझाते हैं !……..भारत दुनिया का सबसे सुखी संपन्न देश था ,…हम विश्वगुरु थे … हम धन धर्म शिक्षा संस्कृति नैतिकता कला उद्योग तकनीक से भरे पूरे थे ,…..दूर देशों के लोग यहाँ पढ़ने सीखने आते थे ,…..दुनिया के हर धर्म हर सभ्यता ने हमसे कुछ सीखा है …सतयुग त्रेता द्वापर की बात छोडो ,….कलियुग में व्हेनसांग जैसे विदेशी यात्रियों की किताबें भारतीय गौरव का साक्षात् परमान हैं !……लोकतंत्र की शुरुआत भी हिन्दुस्तान से हुई ,…. जनमत से राजा तय होता था ,…. जनभावना ठुकराने का पाप कौनो राजा नहीं करता था ,……हमारे राजा धर्मपूर्वक प्रजाहित में राज करते थे ,…. कोई भूखा नहीं सोता था ,…पुराना समय स्वर्णयुग था ,.तभी सोने की चिड़िया कहते थे ,..और ..हमपर लुटेरे गिद्धों ने हमला किया !….हम वसुधैव कुटुम्बकम .. सर्वे भवन्तु सुखिनः .. जैसे महासूत्रों में दुश्मनों का नापाक जाल नहीं समझ पाये ,…राजाओं में तालमेल की कमी और रंजिशी भाव से हम गुलाम बने !….”…………

“.. इतना पीछे न जाओ भाई …..नेताजी की औकात समझो ! ..”…………..एक युवा ने अधिकारपूर्वक टोका तो सभा में मुस्कान दौड़ गयी ,…एक पंच गहरी सांस लेकर बोले

“…..प्रभुजी !…. डेढ़ सौ साल पहले तक हम महाशक्ति थे ,…मैकाले जैसे अंग्रेजों ने साफ़ साफ़ लिखा है !……भारत में कौनो गरीब भूखा चोर अनपढ़ शराबी जुआरी अधर्मी भिखारी नहीं था !…..सब पढेलिखे नैतिक जिम्मेदार हुनरमंद अकलमंद और साहसी थे ,……हम दुनिया का एक तिहाई निर्यात करते थे ,…विश्व की चौथाई अर्थव्यवस्था हमारी थी ,…हमारी तकनीक सबसे उन्नत थी ,…जहाज ,रथ, कपड़ा, रेशम,आभूषण, लोहा, दवा, औजार, बर्तन .. सबकुछ बनाने में कोई सानी न था !……गऊ कृपा से खेती इतनी उन्नत थी कि बिना जुताई गुड़ाई किये भी फसल लेते थे ,……हमारे मसालों जड़ीबूटी की दुनिया में धूम थी …पूरी दुनिया भारतीय माल का लोहा मानती थी ,…..हर इंसान संपन्न खुश था ,..हमने मानवता में हर तरह से उन्नति की थी ,.देश मालामाल था ,…तबहीं उसने बर्बादी का पिलान लगाया !”………………..पंच महोदय रुकते ही एक युवा बोला

“…लेकिन समय के हिसाब से हथियार नहीं बनाए ,…. ब्रम्हास्त्र वाला राष्ट्र यहाँ चूक गया !…….सुरक्षा खातिर ताकत होना जरूरी है ,……..आजौ बन्दूक गोली पुर्जे से जहाज हेलीकाप्टर तक खातिर विदेश पर निर्भर हैं ,…सत्ताधीश उसमें आधी दलाली खाते हैं ,….सत्ता चाहती तो हमारे विज्ञानिक का नहीं बना सकते हैं ,…..परमाणु ऊर्जा बम से मिसाइल सेटेलाईट तक हमने बनाए हैं ,…सबसे सस्ता सुपर कम्पूटर हमारे विज्ञानियों ने बनाया ,..हमारे ऋषि महर्षि इंसान वायुयान अंतरिक्ष तक माहिर थे ,.आज का विज्ञान बच्चा है !…….तब हमारे पास का नहीं था ,..सब खोज हमारे ऋषि मुनियों की हैं !…….अब विदेशी पेटेंट छपाते हैं …”………………युवा भटकते हुए रुका तो एक वृद्ध बोले

“.अरे जब गद्दी पर गद्दार हो तो कौन हथियार काम आएगा ,…….सीमा पर हमारे जवान मरते हैं ,…..इधर दावत उड़ाते हैं ,………………………और ….पहले धरम का राज था ……सबकुछ होते हुए भोग में नहीं फंसे ,..न पराये धन पर नजर डाली !…भगवान राम ने लंका जीतकर विभीषण को राजा बनाया ,…………………भैय्या पेटेंट पर न जाओ  ,…विदेशी लोग हमारा योग आयुर्वेद पेटेंट कराते हैं ,…… सोते रहे तो कल वेदज्ञान भी अमरीकी छाप होगा ………गद्दार फिरौ सबकुछ विदेशी टाप बताते हैं ,….रामसेतु इनकी खातिर विकास में रुकावट है ,… पच्छिमी भोगवादी ताकतें त्यागी हिंदू धर्म संस्कृति का नामोनिशान मिटाना चाहती हैं ,….तभी मालामाल हिन्दुस्तान पर हमेशा खातिर कब्ज़ा होगा ,…..बच्चा गाँधी औरतों को अंग्रेजी सीखने की शिक्षा देता है ,…उधर नासा संस्कृत पर शोध करता है !……अंग्रेजी आंटी माने चाची मामी दादी भाभी न जाने का का है ,….दुनिया को शून्य अंक से ग्रह नक्षत्र अंतरिक्ष का बेमिशाल ज्ञान भारत से मिला ,…आज !!….”

“..चाचा,.. ज्यादा दूर न जाओ !….फिर कांग्रेस पर लौटो ..”…………एक युवा ने पुनः टोका तो पंच महोदय शुरू हुए .

“..अंग्रेजों ने हमको बर्बाद करते हुए लूटा ,..ऊ सब समझते हैं ,.. ई गाँधी लोग और कांग्रेसी राजतंत्र उनका दलाल है !….  भारतीयता का नाश करके अंग्रेजियत का पक्का गुलाम बनाना मकसद है ,…ई लिए दस नब्बे का खेल चलाया ,….अंग्रेज लोग लूटी धन संपत्ति का नब्बे पैसा जहाजों में भरकर ले जाते थे ,..बचे दस में नौ से सरकारी मशीनरी खाकर ताकतवर होती रही ,.एक पैसा से विकास दिखाते रहे ,..सत्ताई सहूलियत खातिर रेल सड़क शहर डाक तार जैसे काम करवाए !…..ई विकास जरूरी था तो काहे मंगलपांडे लक्ष्मीबाई से लेकर भगत आजाद सुभाष तक लाखों मर मिटे ,..काहे गाँधी नेहरू ने टोपी लंगोटी का खेल खेला !……..लुटेरे जरूरत के हिसाब से नीति चलाते हैं ,..उन्होंने एक साथ कई मोर्चों पर हमको कमजोर किया ,……धन नाश के साथ धर्म भी कमजोर किया !…अधर्मी गांधियों ने धर्म नाश का ठेका लिया है …..सच्चे धर्मपुरुषों पर अत्याचार करते हैं ,… अपमान करते हैं ,…..और पाखंडियों को पालते हैं !…..” ……………..पंच महोदय के फिर दूसरी तरफ जाते ही दूसरे पंच ने काटा

“…सैंतालीस में आम जनता के पास कुछ नहीं था ,….अंग्रेजों के गुलाम रजवाड़े सामंत जागीरदार व्यापारी और हाकिम मुंसिफ ही मालामाल थे ,……अंग्रेजों ने नेहरू जिन्ना से मिलकर देश बंटवाया ,..धर्म के नाम पर देश के साथ लाखों इंसान कटे ,……खून की नदियों में शाहीस्नान करे वाले देशद्रोही गिद्ध बगुला भगत बन गए !…….फिर जानबूझकर कश्मीरी जख्म दिया ,….अमेरिकी विश्वचोर बैंक में फंसाकर फिर लूटना शुरू किया  !……तब भी हमारा निर्यात तीन फीसदी था ,…आज आधा पैसा नहीं है ,…तब डालर पौंड रुपया करीब बराबरी पर था ,..आज कितना गिरे है …..इन्होने हमको पचासों गुना गिराया है ,…..भारत की अकूत संपदा हथियाने खातिर हमको मूरख बनाना जरूरी था …हमारा अकूत खनिज मुफत में जाता है ,..तैयार माल का मोल अनमोल है !……….लुटेरे नब्बे निन्यानबे का पुराना खेल चलाते है !…..देश की अकूत संपदा का नब्बे पैसा लुटेरों के हवाले है ,….नौ से सरकारी इंजन चलता है ,..एक से विकास दिखाकर खाते हैं ,…..”

अक युवा बोला ………..“… तकनीकी विकास किसी की कमाई नहीं है  ,….हर खोज मानवता खातिर है ,…पूरी दुनिया लाभ लेती है ,.खोजकर्ता खास लाभ लेता है ,…. भ्रष्ट व्यवस्था से हमारे काबिल लोग विदेशी चाकरी करते हैं ,…….विश्वविद्यालयों में खोज अनुसंधान ठप हैं ,….जहाँ स्वदेशी विज्ञानियों को जिम्मेदारी मिली वहां उन्होंने झंडे गाड़े हैं !…..लाखों खर्च कर इंजिनीयरी पढ़े जवानों को आज सिमकार्ड बेचे की नौकरी नही मिलती !……….”……………पंच का आक्रोश रुका तो एक महिला बोली .

“..सही कहते हो भैय्या !…..विकास का दिखावा है,…चोरों का छलावा है ,..मकसद देश लुटावा है !….पढ़े लिखे लोग बेकारी में अपराध की राह पकड़ते हैं ,…पूंजीवादी गिरोह चांदी काटता है ,…जनता सूखी रोटी पर चलती है ,…निरंकुश लूट से कुदरती विनाश होता है ,……एक डाकू चार गाड़ियां खरीदकर विकासदर बढाता है ,..दारू शराब दवाई जहर से बढाते हैं ,…….भैय्या लोग पूरा देश बेच मिटाकर और विकास दर बढ़ाना चाहते हैं !…”…..

एक नवयुवक बोला ……. “…अब भैय्या मैय्या लोग अपनी फिकिर करें !….. विदेशी पैर पकड़े बिना इनकी पूँछ भी नहीं हिलती ,…..सड़क पुल सब बिके हैं ,..हर जगह भयानक वसूली जारी है ,…….अकूत संपदा से भरी हमारी धरती कौड़ी के भाव नीलाम है ,….नदी समुद्र पहाड़ जंगल खेत सब गुलाम हैं !…….हमारा दिमाग तक अंग्रेजी बाजार का गुलाम है ,……….कहते हैं कमाई बढ़ी है !..कहाँ से बढ़ी है ,.गरीब और गरीब होता है ,..अमीर और अमीर होता है ,..हमपर अनगिनत टैक्स लगाकर लुटेरे उड़ते हैं ,..जनता कुपोषण के साथ जहरीले पोषण में मरती है !…मंहगाई गांधियों की दौलत के हिसाब से बढ़ती है ..”

इसबार दाढ़ी वाला मूरख बोला ………..“…..नेताओं चमचों रिश्वतखोरों मिलावटखोरों तस्करों अपराधियों के विकास से भारत का विकास नहीं होता है !…..नब्बे फीसदी हिन्दुस्तानी कुपोषण बीमारी के शिकंजे में हैं ,…….आम आदमी ने पीढियों की अथाह मेहनत त्याग और बचत के बूते कुछ हासिल किया है ,. शहर में आम आदमी दो गज जमीन नहीं ले सकता !……हमने पेट काटकर कुछ बचाया तो ऊ भी दलाल लोग नशा बीमारी फैलाकर हजम करते हैं !.. बीमारी में सब बिक जाता है ,…….विदेशी पूंजीवादी बापों खातिर ई सत्ताधीश नयी नयी बीमारी फैलाने का इंतजाम करते हैं ,……. दवाई से फिर बेहिसाब लूटते हैं ,…लूटखोरी से मंहगाई बेलगाम है ,…तरह तरह के टैक्स से हमको नोचते हैं ,………….शुद्ध खेती की बर्बादी खातिर बेहिसाब गऊ कटवाते हैं ,..कातिल व्यापारियों को निर्यात में छूट देते हैं ,..इनके मंत्री तक कत्लखानों के खानदानी मालिक हैं ,……अंग्रेजी खाद दवाई वाले अरबपतियों को सब्सिडी देते हैं !…. अधर्मी लुटेरे हमारे धन देश और धर्ममूल के दुश्मन हैं… थू है नमकहरामों पर !!…”

इसबार एक युवक ने नेता जी को हिलाया ……..“..नेताजी ,…. इनका फार्मूला समझो !….लुटेरे हमको नोचकर निजी खजाना भरते हैं ,.. चौतरफा विदेशी गुलाम बनाते हैं ,…..गद्दार हमारे सामान विचार तकनीक भाषा शिक्षा ज्ञान धर्म सभ्यता संस्कार को दोयम बताते बनाते हैं ,….इनके रहते भारत गहरे खतरे में है ….हमको इतना दर्द दिया कि जखम सुन्न हो गए ,…फिर फर्जी मलहम लगाकर पुण्य में सत्ता कमाते हैं !……पैसठ साल सत्ता पर ईमानदार देशभक्त बंदर भी बैठता तो !!..”

“…तो भारत दुनिया में एक नंबर होता !…. इन साजिशदानों की लूट अनंत है ,..अब वसूली सहित अंत की बारी है !!………हम अपने भारत को फिर से सर्वसम्पन्न और विश्वगुरु बनायेंगे !……पूरे राजतंत्र का कांग्रेसी करण हो चुका है ,….अब सबका जेलीकरण जरूरी है !…”……………दूसरे युवक ने बात पूरी की ….आगे सूत्रधार जी बोले .

“.. गुलाम राक्षसों की सर्वव्यापी लूट से महान भारत मुसीबत के महाजाल में है ,……अब जाल टूटने की बारी है ,….ई सच झूठ के बीच कलियुग का महायुद्ध है ,…हर हिन्दुस्तानी में सच्चाई की तड़प है ,..ई तड़प को साकार होना है ,……भोगी सुख के मायाजाल में पाप के भागीदार बनकर हम दुखों को बुलाते हैं !…..”……

……….एक युवा जोश में बोला ……………“…हम अपनी समस्या खुदै सुलझाएंगे ,.हमारे पास सबकुछ है ,…..हम मिलकर पूरी दुनिया को इंसानी विकास दिखाएँगे !……..हमारे युगपुरुष ने हमको बिसरी रोशनी दिखाई है ,.. अपने देश धर्म और खुद अपने खातिर साथ दौड़ना सबका पहले से पहला कर्तव्य है !…..सच्चा कर्तव्य करना पहला धर्म है ,…यही पहली पूजा है ,..यही प्रथम प्रार्थना है ,……गुरु गोविन्द सिंह ने कहा है ….सूरा सो पहिचानिये जो लड़े दीन के हेत !……..हम शूरवीर हैं ….हम ही दीन बने है !……अब अपनी लड़ाई जीतने खातिर देश एक है ,…..हर भारतवासी अपना हिसाब लेगा  ,….हमारे अवतारी युगपुरुषों संतो महात्माओं क्रांतिकारियों महापुरुषों ने यही सिखाया है !….हम अपराधी गुंडों देशद्रोहियों को मिटाकर मानेंगे !..”…….

“…कुछ समझे कि नाही भैय्या !…..”……………………एक युवती ने नेताजी से पूछा तो वो सकपका गए .

“…जी बहन सब समझ गए ,..फिर माफ़ करो ! … गद्दारों के फर्जी नारे लगाते लगाते दिमाग पर निशान पड़ गए  ,…..ऐसे देशद्रोहियों को फांसी पर बिना सुनवाई लटकाना चाहिए !…..”…………..लघुनेताजी ने शर्माकर मजबूरी बतायी तो पंचायत संतुष्ट दिखी ……………………पंचों से संक्षिप्त वार्तालाप के बाद पंचाधीश लघुनेता से बोली

“…भैय्याजी ,…ई पंचायत फिर काली चर्चा कराने खातिर तुम्हारी आभारी हैं ,. अब तुम अपना धंधा पानी निपटाओ ,…. दिमाग से गुलामी के निशान तबहीं मिटेंगे जब तुम्हारे आका मिट्टी में मिलेंगे !……………..डाकुवों को कोसते कोसते हमारे पेट फूल गए ,……..हमारा दोटूक फैसला है …. कांग्रेस पूरा पूरा भारतद्रोही और विदेशियों की दलाल है !…..ई कालाधन धारी डाकू भारत के हर अंग .. हर इंसान के दुश्मन हैं ,….. भारत की पूरी राजनीति कांग्रेस की कार्बन कापी बनी है ,..भले तमाम छोटे बड़े दल कांग्रेसी विरोध से पैदा हुए ..लेकिन अब आगे पीछे से सब उनके दलाल हैं ,…सब जहरीले ददल के मगरमच्छ हैं ,…..फिरसे यूपीए एनडीए तीसरे चौथे मोर्चे का ड्रामा शुरू है ,….पूरा राजतंत्र विदेशी दलाल ,.भ्रष्ट ..अपराधी और कालाधन धारी है ,…सबने आतंकियों के हवाले से देश की दलाली खाई थी ,….लेकिन सीबीआई कठपुतली ने सबको बचा लिया ,… अदालत भी भ्रष्ट और सत्ता की गुलाम है ,…ई लूटतंत्र ने भारत भारतीयता को बर्बाद करने का ठेका लिया है ,….टूजी कोयला कामनवेल्थ जैसे अनेकों महाघोटालों में सीधा सीधा गांधियों का हाथ है ,…चौतरफा अन्याय अत्याचार अंधेरगर्दी है ,……गद्दारों को गद्दारी की सजा भुगतनी होगी !…देश अपना हक लेकर रुकेगा !. संपन्न भारत में कोई गरीब लाचार नहीं होगा…. “…..लघुनेता खड़े हो गए ,..पंचाधीश आगे बोली .

“…भाइयों बहिनों ,…..देशद्रोही लुटेरे महापापी हैं ,..लेकिन अपराधी हम भी है ,………हम अपने उदासीन अपराध का प्रायश्चित कर्तव्य परायनता से करेंगे !…..हम चाहते हैं … ई आखिरी निंदा चर्चा बने !….शैतानों को याद करने से वही याद आते हैं ,..जिनकी आत्मा मरी हो उनको जपने से पापै लगेगा ,……आज पंचायत की कार्यवाही खत्म होती है !..,,….होली बाद नए साल में हम फिर बैठेंगे  !…….. सब लोग सबकी तरफ से होली की शुभकामना स्वीकार करो !…..”……………….. मूरखों की तालियाँ गूँज उठी ……..उत्साहित युवाओं ने भारत माता की जय !…वन्देमातरम !!……इन्कलाब जिंदाबाद के गगन भेदी नारे लगाये ,…… सबने पुरजोर ताकत से साथ दिया …..जोश आक्रोश और उत्साह से भरे मूरख आपस में चर्चा करते हुए धीरे धीरे घर की तरफ बढ़ने लगे !……वन्देमातरम !

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