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गतांक से आगे ………
“..लाओ देखें ….का लिखा है !..”………………….सूत्रधार ने परचा अपने हाथ में लिया ……
“…पढ़ो हमभी तो जानें !…”…..एक युवा आवाज आई
“…हमारी खातिर चिट्ठी है भाई !….पढते हैं …..”……….. सूत्रधार ने शरीर समाचार वाचक के अंदाज में व्यवस्थित किया ……….लिखा है …….
“….हिन्दुस्तानी मूरखों को कलेश पचौरी का नमस्कार ..
“..आपने हमें सत्यवादी दवाई पिलाई ,… पता नहीं दिल्ली में क्या मिलेगा !….. आपके सवालों को पढ़ ही रहा था ,..तभी सिंह साहब और चिदंबरम जी का फोन आ गया ,…….दोनों ने मेरी खाट खड़ी कर दी है ,…..मुझसे कहा गया ….. ‘ हो सके तो दुनिया छोड़ दो !….. फिलहाल मूरखों का गाँव तुरंत से पहले छोड़ दो !……वर्ना हम तुम्हे कहीं का नहीं छोडेंगे !..’ …अब आधी रात को अनजान गाँव में कहाँ जांए ,.. हम तो दिल्ली में डरते हैं !………… सेवक पर मालिक के कुत्तों ने बेपनाह जुल्म ढाया है ,…इसके कारण आप लोग हो !…… लेकिन गालियाँ खाकर मेरा जमीर कुछ तो जागा है ,…….उनकी कांपती आवाज बता रही थी कि उनके दिन पूरे हो चुके हैं !…..इसलिए आपका उत्तर देना ही पड़ेगा ………..आपके सवाल बड़े ही ऊटपटांग हैं ,…मेरा मन तो करता है कि वो भी बताऊँ जो आपने नहीं पूंछा है ….लेकिन सुबह से पहले भागना मेरी जरूरी मजबूरी है ,….इसलिए शार्टकट में निपटाना चाहूंगा ,…..इसी में आप लोग अपने उत्तर ढूढ़ लीजियेगा !…..हिन्दुस्तानी बाल की खाल के पोस्टमार्टम में उस्ताद होते हैं ,……..एक विशेष विनती है !…..इनका भरोसा नहीं कल रहें या न रहें ……रहें भी तो किस जेल में !….आप लोग मुझपर रहम की अपील जरूर कीजियेगा !….मैं भारतीय लूट का नहीं बल्कि लूट लीपने में गोबर जुटाने का अदना सा अपराधी हूँ !…”……………..प्रारम्भ पढकर सूत्रधार जी जरा मुस्कराए ..
“……इसने तो पैजामा गीला कर लिया …..गांधियों का का हाल होगा !….”……एक वृद्ध ने चुटकी ली तो युवा मूरख बोला ..
“..बाबा ई पैंट वाला था !…..गांधी लोग कब से गीला सुखाने में बिजी है ,..उनके हर धागे पर हमारे खून के निशान हैं !…”
“..उनके ऊपर अमिट निशान हैं भाई ,….उनको टांगकर भी हिन्दुस्तानी खून का बदला नहीं मिलेगा !………सुने हैं कि करुणा मुलायम बेनी के घनचक्कर में सरकार को खतरा है !…”…………..एक अन्य युवा बोला तो एक पंच महोदय बोले
“…राजनीतिक उठापटक दिखावा है …लुटेरा गिरोह का कुछ नहीं होगा !….गिरने में मोटा फायदा दिखेगा तो सरकार गिरायेंगे ,…वैसे भी गांधियों को चौतरफा लात पड़ने वाली है !…… खा पीकर सरकारी खजाना कंगाल कर चुके हैं !…….दो चार टाफियां बांटे खातिर कुछ बचाया होगा ,…..हमारी बाकी कमाई खानदानी तिजोरियों में चली गयी …… कौनो गुलाम को साल छह महीना खातिर गद्दी सौंपने में फायदा दिखा तो वही करेंगे !……बाद में नए रंगरोगन से गाँधी लोग फिर ठुमकेंगे !……तब तक सीबीआई के हंटर पर नाचने वाले भ्रष्ट लट्टू नाचते रहेंगे !….ऊ नितिशवा भी इनसे मिल चुका लगता है !..”……..पंच के बाद हरी बनियान वाला मूरख बोला .
“…..भैय्या हमको चूसने के बहुत रास्ते हैं ,….कदम कदम पर टैक्स हैं ,….केवल डीजल पेट्रोल दारू की कमाई से सरकार मालामाल है ,…सेवाकर आयकर उत्पादकर आयातकर निर्यातकर जैसे दसियों करकरों से हमारा ककहरा बिगाड़ा है ,……देश बेचने वालों के पास धन की कमी नहीं है !……और…अंदर बाहरखाते पूरा नेतातंत्र एक है ,… नितीश शरद करुणा ललिता बादल माया मुलायम अब्दुल्ला भाजपाई बामपंथी हिंदूवादी मुस्लिमवादी उदारवादी लट्ठवादी सब जहरीले दलदल के मगरमच्छ हैं !……उत्तर से दक्खिन और पूरब से पच्छिम तक सब लालची नेता लुटेरे आतंकी एक हैं ,…….मोदी जैसे स्वाभिमानी भारतपुत्रों के अलावा कौनो की आस्था भारत में नहीं लगती …अमेरिका खातिर हमारा खून पीकर सब अपनी सेहत बनाते हैं !……भाषाई जाती क्षेत्री नौटंकी केवल जागीर खातिर है ,….हम मूरखता में उनके गुलाम बने हैं !…”…..
“..अरे भैया गम करो……हमारी मूरखता छुड़ाने खातिर स्वामीजी बीस साल से दिन रात एक किये हैं …अब देश जाग चुका है …..हमारी मूरखता छूटेगी और इनका छलकता घड़ा भी फूटेगा …….बाबू तुम चिट्ठी आगे पढ़ो !..” …………..पंचाधीश ने चर्चा में विराम लगाया तो सूत्रधार जी शुरू हुए ,….
“……आगे आदि से कथा लिखी है …………………..अंग्रेज लुटेरे व्यापारी के वेश में कैसे आये और कैसे देश को जकड़ा !…यह सभी जानते हैं ,…….लुटेरी नींव पर काबिज मुगलिया सल्तनत के नीचे सभी राजे रजवाड़े ऐशोआराम अय्याशी में डूबे थे ,……….शातिर अंग्रेजों ने सबको मस्ती छकाते हुए अपना काम किया ,…..साम दाम दंड भेड़ के साथ शातिरों ने चापलूसी को औजार बनाया ,…..फूट डालकर लूटना उनका मुख्य हथियार था ……पहले स्वतंत्रता संग्राम को उन्होंने बेदर्दी से कुचला !……लाखों देशभक्तों को चुन चुनकर उडाया गया ,….देशभक्तों से सहानुभूति रखने वाली निरीह जनता को मासूम औलादें के साथ मारा गया ,……..अकूत धन के प्यासे लुटेरों ने भारतीय खून की नदियाँ पार की …
फिर विधिवत अंग्रेजीराज की शुरुआत हुई !…… भारत लूटने के लिए इंडिया रूलिंग एक्ट बनाया !……समतावादी नागरिक प्रशासन और समान भारतीय सर्वशिक्षा को तहस नहस किया ,…..अंग्रेजी कलेक्टर और अंग्रेजी स्कूलों को स्थापित किया ,.स्वदेशी उद्योग मिटाकर विदेशी सामान की श्रेष्ठता स्थापित की ,….विदेशी चमड़ी और शराब कबाब के गुलाम अधिकाँश राजे रजवाड़े उनके साथ खड़े हुए …बहाना विकास बना ,…..उन्होंने ऐसी व्यवस्था बनायी कि लहूलुहान भारत सदा के लिए अंग्रेजी का गुलाम बन जाय !………इसके लिए भारतीय धर्म का मिटना बहुत जरूरी था !……जिसका मूल आधार गाय समाप्त करने की शुरुआत उन्होंने की !…..इसी बहाने हिन्दू मुसलमान में कौमी नफरत का सूत्रपात भी हुआ !…..
राष्ट्रप्रेमियों ने आजादी का शंखनाद फिर किया तो देशभक्त जनता खड़ी होने लगी !…तब उन्होंने मानवतावादी कांग्रेस बनाने की महासाजिश रची !……जिसकी साजिशों में आज भी आपका सोने की चिड़िया भारत तड़पता है ,….आजादी के दीवानों को मौत देकर गाँधीजी नेहरूजी की अंग्रेजी कांग्रेस ने सत्ता का हस्तांतरण किया ,..ऐसा करना अंग्रेजों के लिए जरूरी था ,…फ़ौज में आजाद हिंद फ़ौज की आग फ़ैल गयी थी ,…. विश्वयुद्ध में अमेरिका सहित मित्र राष्ट्र जीते थे ,….हथियारों के बल पर अमेरिका का उदय हो चुका था ,…बदले माहौल में सीधी लूट का ज़माना लद चुका था ,… खंडित भारतीय समाज को बहुरूपिये अंग्रेज के हवाले करना ही पड़ा ,…नेहरू जी भी अंग्रेजों की तरह बहुत चालू थे ,….सफेदपोशी से भारत को कमजोर और अंग्रेजी मजबूत करने लगे ,…… पटेल जी के कारण भारत के सिर्फ दो टुकड़े हुए थे ,..अन्यथा ये लोग आठ दस खंड भी कर सकते थे ….
यह आदि कथा थी … मौजूदा राजतंत्र को अंग्रेजीराज का छलावाराज कहना उचित है !……सबकुछ उनका ही मान्य है ,….ज्यादातर उनके बनाए कानून हैं !…जो बदलते हैं उनसे भी उनका ही काम होता है ,….न्यायतंत्र की सच्चाई कौन नहीं जानता ,..जिसकी लाठी उसकी भैंस है ,..फिरभी न्यायाधीश भारतीय हैं तो गलती से कुछ सही हो ही जाता है !..इसी बहाने न्याय व्यवस्था की दुहाई देने वाले लोग मिल जाते हैं ,..बेकसूरों को लटकाने का बहाना भी होगा ,…. देशद्रोही सत्ताशीर्ष पर ऊँगली उठाकर साबित करना लोहे की टेढ़ी खीर पचाने जैसा है ,….पुलिस प्रशासन की संवेदनशीलता की बात करना मूर्खता होगी ,…….आज एक की जगह हजारों विदेशी कम्पनियाँ भारत लूटने में लगी हैं !….आदिभाषा संस्कृत को छोटे गांधीजी ने पाठ्यक्रम से भी उड़ा दिया ,…..सब भारतीय भाषाएँ अंग्रेजी की गुलामी करने को मजबूर हैं !….विदेशी इलाज ,.विदेशी वाइन ,.विदेशी शिक्षा ..विदेशी गाड़ी ..विदेशी कपडे साबुन इत्र पेय खाद्य चमकते हैं ,….सब जगह विदेशी का ही क्रेज है !…इन्होने मनोरंजन खेल तक में अंग्रेजी श्रेष्ठता आपके दिमाग में भर दी है ,..आपके लिए हर तरफ वासना नशे अपराध का मोहक जाल है ,…..आप लोग मानसिक भौतिक बौद्धिक सभी रूपों में पूर्ण गुलामी के करीब हो !
हमारे मालिकों ने आपका अकूत धन लूटा और लुटवाया है ,….भ्रष्टाचार को इन्होने शिष्टाचार बनाया ,……बाकी भारत की स्वाभाविक भोली मानसिकता का लाभ उठाया ,……इन्होने प्रेम से काटा बांटा और लूटा है ,…..यहाँ लोकतंत्र नाम का है ,….भूखे भारत की योजनाएं आलिशान महलों में बनती हैं फिर उनका अनुमोदन दूर देश से होता है ,….विश्वबैंक ,.संयुक्त राष्ट्र ,..अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष जैसे संस्थान पूरी दुनिया को छलते हैं ,…एकाध अपवाद को छोड़कर भारतीय सत्ता सदा उनकी गुलाम ही रही ,..अपवादों को अवसर ही नहीं मिला ,….सात अरब की दुनिया पर आज ज्यादा से ज्यादा सात सौ लोगों की हुकूमत चलती है ,…..ज्यादातर सत्ताएं उनकी गुलाम हैं ,…एक के नीचे दस बीस खानदान और सौ दो सौ लोग ही भारत में सबकुछ करवाते हैं ,..बाकी सब उनके प्यादे हैं ,…बिना रीढ़ का प्यादा आपके देश में मंत्री प्रधानमंत्री बनता है ,….. महालूट को विकास बताकर अपनी नमकहलाली साबित करते है !….ऊपर से नीचे तक कठपुतलियाँ नाचती हैं !…आपलोग मनोरंजन में मस्त, वो देश खाने में व्यस्त हैं !……लगता है कुछ ज्यादा लिख दिया ,…चलो देखा जाएगा !…
तो मित्रों आखिर में इतना ही समझो कि आप लोग भोले मूरख और हमारे मालिक शैतान उस्ताद हैं !…सोनियाजी के क्या कहने !….अमेरिका और वेटिकन चर्च का काम करते हुए भारत लूटना ही मात्र उद्देश्य है ,…लक्ष्य प्राप्ति के लिए त्याग भी दिखाती हैं !……हम जातीय क्षेत्रीय भाषाई झगडे सोच समझकर बढाते हैं ,..मंहगाई बेकारी बीमारी भुखमरी अपराध आतंकवाद नक्सलवाद सब कांग्रेसी साजिशों से पैदा हैं ,…हमारे महाभ्रष्ट मालिक बीमारी बढ़ाकर इलाज के नाम पर लूटते हैं ,….इन्होने आपका शरीर दिमाग सोच सब बीमार करने में कसर नहीं छोड़ी है ,….ये भारत को लाइलाज बीमार करके हमेशा लूटना चाहते हैं !……..आपके हित का दिखावा कर प्रत्येक योजना कानून ये निजहित में बनाते हैं !………….भयानक राक्षसराज है ,…मालिकों ने अपने महलों को आपके खून और पसीने से मजबूत किया है ,.. आपको छलने के लिए काले महलों पर सफेदी पोतते है ,…चारों तरफ जयचंदों की टोलियाँ हैं ,….कांग्रेस के अलावा भी अन्य सभी स्थापित दल कांग्रेसमय हैं !….यह सबकी आवश्यक मजबूरी है ,..व्यवस्था ही ऐसी बनायी है !…जल में रहकर मगर से समझौता करना पड़ता है ……किसी को भी लाओगे तो हमारी लुटेरी सल्तनत मजबूत होगी ,…अधिकतर समाजसेवक भी इनके इशारों पर नाचते हैं ,..पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन के बिना सबकुछ ऐसा ही रहेगा !….
आपकी तरह मैं भी मानता हूँ कि बाबा रामदेव हमारे मालिकों के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं ,…….वही भारत उत्थान का रास्ता बनाने में सक्षम हैं !……बताना चाहूँगा कि मैं बुद्धिमान कम जानकार ज्यादा हूँ !……आपलोग मूरख जरूर हैं लेकिन पक्के और सच्चे लगते हैं ,…….मैं कालेराज का बहुत छोटा जयचंद हूँ !…..इसलिए समझाना पड़ेगा …. राजतंत्र अर्थतंत्र और समाजतंत्र से देश चलता है ,….भारत पर पूर्णाधिकार के लिए समाज को विखंडित किया है ,.और करते जाते हैं ,….इनका चले तो आज ही देश के दो हिस्से कर दिए जांय ,..एक पर राहुलजी दूसरे पर प्रियंकाजी का राज हो !….सामाजिक समस्याओं को बढाने में ये उत्प्रेरक है ,….अधूरी कच्ची शिक्षा …अधकचरा मनोरंजन ….नशे अपराध का महिमामंडन इनकी विशेष साजिशें हैं ,……प्रत्यक्ष रूप से ये सुधारक बनते हैं ,…हीरो लोगों के मार्फ़त समाजसुधार में बहुत माल खपाते हैं ,..खाते भी हैं !…… प्रचार देखकर शराफत नाम की चिड़िया शर्म से डूब मरती होगी ……मालिक लोग देश को गरीब बनाकर गरीबों के उद्धारक बनते हैं ,…बेरोजगारी लाकर रोजीरोटी के दाता बनते हैं ,…सबकुछ लूटकर खैरात बांटते हैं ,….विदेशी दलाली करके देशभक्ति दिखाते हैं ,…ये धर्म के ठेकेदारों को भी पालते हैं ,…. दोगलापन इनकी मजबूरी है …क्योंकि , समाज की शक्ति अपार होती है ,..आखिरकार वही जीतेगा !……इसीलिए हमारे मालिकों में बदहवासी फैली है , हिन्दुस्तानी एक हो गए तो कहाँ जायेंगे !…..बदहवासी कभी दिखती हैं तो कभी छुपा लेते हैं ,…हमारे मालिक निःसंदेह भारत भारतीयता और मानवता के दुश्मन हैं ,…ये आपके दिमाग में भारतीय भाषा शिक्षा संस्कार सभ्यता इतिहास के खिलाफ हर तरह से जहर भरते हैं ,…लेकिन अब मुझे यकीन होने लगा है कि मुझे नौकरी बदलनी पड़ेगी !….हमारे भारतद्रोही मालिक हार जायेंगे !……आपका भारतीय समाज जितना एकजुट होकर बाबाजी के साथ होगा भारत का सर्वांगीण उत्थान उतना ही शीघ्र और प्रभावी होगा ,….
….आपको संतों ने समझाया,.. महापुरुषों ने समझाया ,..भगवान तक ने समझाया !….अब मुझ छोटे जयचंद की बारी भी लग गयी ,…कहा सुना माफ करियेगा और आज्ञा दीजिए ,…जल्दी से निकलना है ,…मजेदार सिखरन और मसालेदार कचौरी का स्वाद इस जन्म में नहीं भूलूँगा ,…कभी समय मिला तो फिर जरूर आऊँगा !…….लिखा कम है बहुत ज्यादा समझियेगा ….. अंत में कहूँगा कि भारत की अन्धकारमय धरती ईश्वरीय उजालों से भी भरीपूरी है !………नमस्कार !..
आपका .. कलेश पचौरी .”
सूत्रधार रूककर लंबी साँसे भरने लगे ,.उन्होंने इशारे से पानी माँगा !…पंचायत कुछ पल मौन रही फिर एक मूरख बोला ..
“..इसने वही बताया जो हम बार बार बोलते हैं ,….कौनो नयी बात नहीं सिवाय चोर भैय्या दीदी में गुप्त कम्पटीशन के !…”……………
“….भाड़ में जांयेंगे मैय्या भैय्या दीदी !……सच्चाई चाहे जितनी बार जितने मुंह से सुनो ऊ एकै होगी भैय्या जी !…. इस छोटे जयचंद को भी हमारा परनाम है !..”…………… एक पंच सरल आवेश में बोले तो सूत्रधार पानी गटककर फिर शुरू हुए
……“…इन बातों को पूरा देश जानता है भाई लोग !…..सबको लोहालाट यकीन है कि कांग्रेसी सरपरस्ती में राजतंत्र भारत द्रोही है ,..हम अंग्रेजीराज में बार बार लगातार लुटते हैं ,……..हमारे विचार से अब सब प्रश्न को एक प्रश्न में घुस जाना चाहिए !….”
“..ऊ प्रश्न कौन सा है !..”……………..एक महिला की व्यग्र आवाज आई तो सूत्रधार ने फट जबाब दिया
“…हमारे भारत के उत्थान का रास्ता का है !…”…………….
“..लुटेरों ने सब तरफ से गिराया है ..उठाव भी चौतरफा होना चाहिए ….स्वामीजी यही कहते आये हैं !….”…………सबसे ज्यादा वृद्ध मूरख का मत आया तो पंचायत पीड़ा में भी गदगद हो गयी …………………………………………क्रमशः
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