Menu
blogid : 4243 postid : 1200

मूरख पंचायत ….लघुनेता !

हमार देश
हमार देश
  • 238 Posts
  • 4240 Comments

आदरणीय शुभजनों ,…सादर प्रणाम ….पंचायत फिर लगी है लेकिन माहौल अफरातफरी वाला है ,…..सम्मानीय गवाहगण गायब हो गए  ,…..पचौरी भाई को प्रेम से कचौरी खिलाया गया था ,.. निकालने के बहाने पैदल ही भाग निकले ,…सवालों के लिए लाइन लगाने वाले मूरख मायूस हैं ,….सूत्रधार महोदय ने किसी तरह से मूरखों को शांत किया …फिर बोले

“…..भाइयों बहनों ,….दुखभरी खबर है ,.. हमारे गवाह नहीं रहे !……लगता है उनके माई बापों ने वापस बुला लिया है ,….बुद्धिमान प्राणी भी हमारे शिकंजे से निकल भागा ! …….. भरपाई करे खातिर लोकल नेताओं को बुला भेजा है ,……दिल्ली वाले बिना लोकल दलालों के देश नहीं बेच सकते ,..ई लोग भी काम के मुजरिम हो सकते हैं ,…आप लोग धीरज बनाये रखिये !..”

“…का खाक धीरज बनायें बाबू !…….हमारी वीर औलादें जाहिल कायरों के हाथ शहीद होती हैं ,…..लुटेरी नेता बिरादरी की एक सच्ची आह तक नहीं निकलती !….आतंकी मरता तो गुलदस्ता लेकर मातमपुर्सी करते हैं !…”………………एक बुजुर्ग की पीड़ा बही तो युवा खड़ा हो गया

“..जिनका दिल विदेश खातिर धडकता है उनसे का आशा करोगे चाचा !…..संसद में पक्ष विपक्ष मजे लेकर गुल्ली डंडा खेलता है ,..,…..गुलाम हरामखोरों की सरकारी जमात पाकिस्तानी परधान की निजी मेहमानवाजी करते हैं ,…ऊ तीन दर्जन राजनायिक लेकर परिवारी इबादत करने आता है !…..फिर हमारे जवानों को मरवाता है !.”

“..सब अमरीकी खेल लगे भैय्या  ,..वही पाकिस्तानी आतंक की फंडिंग करता है ,…फिर इस्तेमाल करेगा …ऊकी खूनी नजर दोनों मुल्कों पर है ,…..देसी गुलाम जबानी जमाखर्च से हिंद पाक को मूरख बनाते है !….”………एक बुजुर्ग ने टूटा चश्मा ठीक करते हुए कहा तो सूत्रधार बोले

“..हम अपने जवानों को ह्रदय से श्रद्धंजलि देते हैं !…..देश के रक्षक सपूतों को लाखों बार परनाम है !….सब दो मिनट खातिर मौन रहकर उनके और दुखसागर में डूबे परिवारों खातिर प्रार्थना करेंगे !..”………. ग़मगीन पंचायत मौन श्रद्धा से खड़ी हो गयी ……श्रद्धांजलि के बाद एक युवा गरजा

नहीं मौन होगी कुर्बानी भारत माँ के लालों की

तप्त लहू का बदला होगी “किरिया” राष्ट्र दलालों की

…………..पंचायत वीरभाव से भर गयी  ……भारत माता की जय !…..भारत माता की जय !…..अमर शहीदों की जय !………..नारों के जोश के बीच चार फुटकर नेता पधारे .

“… यहाँ तो मुशायरा प्रोग्राम लगता है …कोई पंचायत कहता था !…”…………. एक नेता बोला तो पंचायत की क्रोधाग्नि और धधकी …..

“..आओ महराज ,.. तुम्हारा फातिया भी पढेंगे !….”……… युवा आक्रोश पर नेता मंडली सकपकाई ..

“.. हम मजाक करते हैं भाई ,..का माजरा है  ….जल्दी बताओ हमको थाने जाना है !..एसओ राह देखता होगा !.”…………एक ने हडबड़ाहट दिखाई तो सूत्रधार महोदय बोले ..

“..अरे चौधरी भाई .. काहे जल्दबाजी में हो !…यहाँ बहुतै अच्छा कार्यक्रम है ,……हिट हुए तो सांसदी मिली समझो ,…..विधायकी तो पक्की है !…”

दूसरा नेता लार टपकाते बोला ………“……सो तो लगता है ,.. बड़े नेता भी आये हैं !…”

“..ऊ सब निकल गए ,..हाईकमान ने तलब कर लिया !…..अब आपको उनकी कुर्सी पर सम्मान मिलेगा !…जाओ पहले परमोशन वाला इलाज लो …फिर शुरू करते हैं !..”………सूत्रधार जी ने इशारा किया तो दो युवाओं ने मेहमानों की अगवानी की …

“…अरे ऊ पचौरिया कहाँ रुका था ,… कौनो सुराग वुराग है कि नहीं ,… मोबाइल बहुतै गडबड चीज है ,..दो घंटा सोचकर तीन सवाल लिखाए थे ,..एक घंटी पर सब ले गया होगा !..”…………….एक पीड़ित मूरख का मत आया

“…हाँ हम भी अपराध कथा में पढ़े थे ,…कातिल अपना सुराग जरूर छोड़ता है !… जामातलाशी करना चाहिए !…”…………….एक युवा ने समर्थन किया तो सूत्रधार जी बोले .

“..ऊ हमारी चौपाल में रुका था ,…….सबेरे जंगल पानी होते हुए निकल गया !…तलाशी लेना ठीक रहेगा ,….दो आदमी जाकर देखो तो !…”………….पंचायत से दो मूरख चले गए ,……तब तक नन्हे जोर शोर से साइकिल घुमाते पहुंचा ,…..पंचायत उत्सुकता से देखने लगी ……..रुकते ही बोला ,…

“….घुरपलवा राते में निकल गया !……फारम हाउस खाली है ,..चौकीदार ने बताया कि रंगारंग महफ़िल जमी ही थी कि सब गुड़ गोबर हो गया ,…..ऊपर से सालाना जशन का फोन आया ,..फ्यूज चेहरा बताता था कि बीस तीस गालियाँ जरूर मिली होंगी !….नेता जी तुरंतै रवाना हो गए !……”

“…चलो जाने दो ,उसको कौन सा बुलाया था !… दनादन लल्लू एंड कंपनी का कुछ पता चला !…”………………… नन्हे के अटकते ही सूत्रधार ने पूछा

“..न भैय्या उनका ठिकाना नहीं मिला !…..लगता है मैय्या भैय्या जी ने उड़ा दिया !…सुने हैं कि भैय्या जी खा पीकर अमेठी सैर पर निकले हैं !…”……नन्हे ने जबाब के साथ तंज कसा तो एक पंच बोले ..

“..उनका काम सैर करके देश पचाना ही है !….काले लुटेरे देश बदलेंगे … अंग्रेजीराज लायेंगे !….पगड़ीमोहन विकास कथा सुनाता हैं !…मैय्या जी भी देश का माल खा पचाकर नारियों की परवाह करने लगी है !……लुटेरों की दकादक शाइनगुड़ है ! … कालाधन लूट मंहगाई बेकारी बीमारी पर सब लाइन मौन हैं !…..”

“…मनमोहना रोम का नीरो और भारत के जयचंद का मिलाजुला नमकहराम है !……मैय्या भैय्या और अमरीका के अलावा कुछ न सुनता है ,..न देखता है ,..न बोलता है !..उनकी खातिर सफ़ेद झूठ ही तपस्या है !..” …………एक मूरख का गुस्सा निकला तो दूसरे ने रोकने का प्रयास किया

“.. उसकी बात करना बेकार है भाई ,..मानव भैय्या तुम कुछ बोलो न !..”

“..जी !….याद करने के लिए धन्यवाद आपका …मैं भी बोलूँगा !……..आप लोग समस्या ठीक से खोल दो फिर मिलकर समाधान खोजेंगे !……”……….मानव जरा व्यंग्य से बोला तो एक मूरख उचका

“..समाधान लूटतंत्र को फूंकने से मिलेगा !….”………. मानव शान्ति से पलटा

“..लूटराज जरूर मिटेगा मित्र !…….नवप्रभात लाने वाली व्यवस्था की सामग्री भी जोड़नी है !……स्वामीजी के साथ पूरे देश को अपना काम करना होगा !..”……………..एक साथ कई आवाजें आई  ….

“..हम सब जुटेंगे !….हम स्वामीजी के साथ हैं ,….हम राक्षसराज के खात्मे तक लड़ेंगे !…”

एक पंच महोदय बोले …….. “..राक्षसराज के खात्मे और नव निर्माण के बादौ हमारा काम नहीं रुकेगा !…..लगातार जागरूक रहकर अच्छाई खातिर काम करना इंसानी धर्म है !..”…………पास खड़े युवक ने पंच का साथ निभाया .

“..सही कहा काका .. हमारे महान पूर्वजों का यही सिद्धांत था !.तबहीं हमारी सभ्यता इतनी उन्नत हुई !..”….

एक अधेड मूरख आवेश में बोला ……..“..लुटेरे हमारी सभ्यता मटियामेट करते हैं ,…भारत का गौरव सम्मान बिरटेन इटली अमरीका के हवाले है !…..पाकिस्तानी घुसकर मार जाते हैं ,..इटली के हत्यारों को भारत का मजाक बनाने की खुली छूट है !….लुटेरों का सरदार मिमियाता है !…”………………..

“..इटली की बात न करो भैय्या !…..भारत सबका गुलाम लगता है ,… गाँधी मैय्या के पालतू क्वात्रोची को बचाने खातिर यही परधानमंत्री जुटा था !…मालिकों की फंसी गर्दन पर बन्दर की उछलकूद दिखावा है !..”…………एक महिला ने बात आगे बढ़ाई .

“….चाची जरा ठहरो !…..सब पिंजरे में उछलकूद करेंगे !…तब सबका भला होगा !…”……………….एक किशोर ताव से बोला तो पंचायत खुश हो गयी ………तब तक नए गवाह आ चुके थे …..सूत्रधार ने उनको ससम्मान बिठाया और परिचय कराया ……….. “..ई साहब लोग राजनीतिक दलन के कार्यकर्ता हैं !…………..ई लोग झंडा पोस्टर .. जिंदाबाद मुर्दाबाद .. चाटुकारी दलाली ..दबंगई मक्खनपालिश .. परचार दुष्परचार ..तोड़फोड़ मारपीट के लोकल ट्रेनी हैं !…..लूटतंत्र में इनका भविष्य बहुत उज्जल है !..”………………..लघुनेताओं ने मुस्कराकर प्रेम से हाथ जोड़े ….मूरख जनता ने मुस्कराकर अभिवादन स्वीकार किया .

सूत्रधार ने सवाल किया …………“..हाँ तो साहब लोग ,…आपके नेता लोग बहुत खाते हैं ,..आपका हाजमा कितना है !….”

“..हाजमा की बात न करो भैय्या !…..पहिले एक मुर्गे में कुत्ते को हड्डी नहीं देते थे ,….अब कुछ दिन खातिर शाकाहार धारण किये हैं ,…”………..पहला चौधरी गर्व से बोला तो सूत्रधार की हंसी निकली .

“..हम ऊ वाले खाने की बात नहीं किये ,..फिरौ शाकाहार काहे धारण किया भाई !..”

“..क्या जिंदगी भर थाने तक दलाली करते रहेंगे भैय्या जी !…. जिला तो मिलना ही चाहिए ….  बड़े ज्योतिषी के कहने पर तीन महीना छोड़ा है !.”

“..बहुत अच्छा काम किये भैय्या !…… आप लोगन का धंधा पानी कैसे चलता है !.. तनिक विस्तार से बताओ..” …….एक युवा ने शाबाशी देकर सवाल पूछा तो दूसरा नेता बोला ..

“..भैय्या धंधे की न पूछो ! आदमी के ऊपर है ……शासन जेब में फिर कौन चिंता !…..सरकारी बजट अपना है ,.. जितना खा सकते हो खाओ !….कौन रोकेगा …”

“…अरे कैसे खा सकते हो ,.दूसरे टांग भी खींचते है !..”………..तीसरा कुढ़कर बोला तो पहला शुरू हुआ

“..अरे यार समझबूझकर नहीं खाओगे तो गडबड होगी !……हमसे ऊपर वाले देखसुनकर खाते हैं ,…औकात के हिसाब से करो !…..चादर से बाहर टांग फैलाओगे तो ठंड लगेगी न !..”

दूसरा जरा गंभीर मुद्रा में आ गया ,……. “..देखिये हम साफ़ साफ़ बताते हैं ,….सिस्टम है सबकुछ खाने का ,…जिसका जितना बड़ा मुंह उतना खाता है !….हम पंचायत ब्लाक विधायकी सांसदी सबके विकास में खाते हैं !….पूरी ठेकेदारी हमारी है ,……थाना पुलिस में टांग फंसाकर खाते है ,… तस्करी में हमारा कोई सानी नहीं !…सिफारिश में भी कमाते है ….हम बिना नम्बर फर्जी गाड़ियां चलवाकर कमाते हैं ……सांसद विधायक की सूरजा लाईट और नलके में भी मिलता है !……..दो का माल दस में लेते हैं तीन हमारा पांच नेता जी का !….चुनाव में पी पिलाकर खाते हैं !…………भैय्या हिंदुस्तान में माल कम नहीं है !…बस जुगाड़ फिट होना चाहिए !….”…………………..नेता के अति आनंद पर सूत्रधार ने अगला सवाल किया .

“..हम आपका जुगाड़ समझ सकते हैं !….अच्छा आपके नेता लोग मिलकर खाते हैं ,..आपका आपसी सम्बन्ध कैसा है !..कैसे इतने काम कर लेते हैं ..”

“…हमारा आपसी सम्बन्ध लाभ पर निर्भर है !…माल मिले तो गधा बाप है ,..न मिले तो बाप को गधा बनते देर नहीं !….सब काम सेटिंग से होता है …हमारा मेन काम नेताजी के साथ अपना फोकस जमाना है !…बाकी सब खुदै हो जाता है …जनता में लड़ाई टंटा हो तो पक्की दुश्मनी करवानी होती है !……हर इलाके में एक दो दलाल चेला पालते हैं ,… मर मुकदमा विकास अनुदान सब में हमारा हिस्सा है …….लेकिन ,खर्चा भी होता है ,…  अफसर सेट न लगे तो हटवाने की उठक बैठकी होती है !..चेला लोगों की चाय मसाला दारू बोटी में कुछ लगता है ,..ऊ हमारी इन्वेस्टमेंट है ,..जितनी चेला मंडली ..उतना रुतबा .. उतना ही काम !….हिन्दुस्तान में बेरोजगारों की फ़ौज खड़ी है !….बस फंसाना आना चाहिए !.”

“..अच्छा भैय्या !…औरत के बारे में आपके का विचार हैं !..”…………एक महिला ने प्रश्न किया तो नेता जी प्रवचन की मुद्रा में आ गए .

“..औरत औरत होती है !……महिला सीट पर हम सरपंची प्रमुखी अपनी लुगाई को देते हैं ,..धंधा अपने हाथ रहता है ,..”..

“..अपने अलावा बाकी औरतन को का समझते हो !..”

“…सेट हो तो जुगाड़ .. नहीं तो जिसमें फायदा हो !…”…………नेता ने महिला को बेशर्मी से जबाब दिया तो पंचायत तिलमिलाई ,….चौथा नेता जरा शराफत से बोला

“..सब ऐसे नहीं हैं माता !…..हमारे भी बहिन बिटिया हैं ,…..आजकल मक्कारी का ज़माना है ,..ई लिए मक्कार ज्यादा हैं ,….राजनीति में इंसान देखादेखी मक्कार बन जाता है !..”

“..और जनता खातिर भी कुछ करते हो भाई !…उनकी दुःख तकलीफ से कुछ लेना देना है कि नहीं !…”………..एक वृद्ध के सवाल पर दूसरे नेता जी चहके

“…हम जनता की दुःख तकलीफ चुनाव में देखते हैं ,..बाकी राम भरोसे !…..वैसे सबकुछ जनता खातिर ही करते हैं !….. नीचे जनता रिझाकर ऊपर खाते रहो !…तभी तो सोने की चिड़िया देश में भत्ते के लिए लोग लाठियां खाते हैं ,……जनता फंसी भिड़ी रहे ,… हमलोग मस्त रहते हैं ,…….हम चौगुने दाम में खडंजा नाली सड़क बनाकर उनके मसीहा बनते हैं ,…. अधिकारी पक्के साथी है ,….थाने की दलाली से नोट के साथ वोट पक्का होता है ,.एक लड़े तो पांच को भिड़ाते हैं ……..हमारे नेताजी बहुत काम करते हैं ,…कर्जा माफ़ी से हमारे चालू भाई बंधु का लाभ हुआ ,..सोसाईटी से आम आदमी को कर्जा कैसे मिलेगा !..वहां हमारा राज है !……रोजगार की जगह भीख भत्ता दिया है !…..और तमाम योजना हैं …गाँव परधान मुट्ठी में रहता हैं ,.हमारी भी गर्म उनकी भी !….अब लैपटाप बांटने का परोग्राम शुरू है ,…..पन्द्रह हजार वाला बीस में खरीदा होगा …पांच सीधा नेताजी के विदेशी खजाने में !..सोचो कितना कमाया होगा ..फिरौ स्क्रीन से अखबार तक नेता जी की वाह वाह !…साथे साथ हमारी भी !..”

“..अच्छा भैय्या ,…ई बताओ तुम्हारी इंसानियत है कि मर गयी !….भगवान को मानते हो कि नहीं ..”……इसबार एक युवती ने पूछा तो पहला बोला

“..अपना काम बने तो ठीक हैं ,…न बने तो भगवान किस काम के !…और बहिन इंसानियत का रोना मत रोओ ,…ऊ सबकी मरी है ,…चार दिन पहले पैदा हुआ हमारा चेला हमपर गुर्राता है ..कहता है .. हिस्सा दो ..अगले दामाद हम ही होंगे !..”

“.. अपने दर्द होता है तो जागती होगी भैय्या !..”………..युवती ने फिर तंज कसा .

“…हाँ बहिन तब तो जागती है … फिर पी पिलाकर सुला देते हैं !…क्या करें .. सब गन्दा है पर धंधा है ….”………..नेताजी ने बेशर्म मजबूरी गिनाई !

“…अच्छा आप लोग राजनीति में कैसे आये थे !….”………..एक बुजुर्ग ने सवाल किया तो पहला नेता बोला

“..कालेज लाइफ में एक को धुन दिया ,….ऊ अस्पताल पहुंचा और हम थाने !…फिर घरवालों ने नेता जी का पौव्वा लगाया !……पाकसाफ छूटे तो उनका ही पौव्वा बन गए !…आज हम अपने थाने के सेर हैं ..”

दूसरा बोला !……. “.हमारा खानदानी बिजनेस था ,..टेंट घंट धनिया मिर्चा से लेकर दारू गांजा स्मैक तक बेचते थे ,…..चार दिन में पुलिस .. चालीस दिन में नेता को चढावा जाता था ,….परिवार में हम सबसे हरामी प्रकृति के थे ,..हमको नेता बनाना घरवालों को रास आया !…थोड़ा जुगाड़ थोड़ा फाइनेंस बाकी अपनी हरामखोरी से निकल गए ,…दस साल में निजी तीन गाड़ियां दो कोठी बनायी ,…बैंक खातों की गिनती नहीं है ,…अब आधा खानदान बाकी धंधा छोड़कर नेतागिरी में है !…..कोई पार्टी नहीं जहाँ हमारा नाम न हो …अबकी कौनो पार्टी से टिकट जरूर लेंगे चाहे जितना माल लगे ! ….”

तीसरा भी शुरू हुआ ……..“..हमारे पिताजी नेता थे ,..गांधीजी की भक्ति में कुछ खास नहीं बनाया ,..ऊपर वाले गाँधी बनते रहे ,…फिर भैय्या ठेकेदारी करने लगे ,…हमको दुकान खुलवाई ,..न उनकी ठेकेदारी चली न हमारी दूकान !… सेटिंग करके फिर नेतागीरी चमकाना पड़ा ,..अब भैय्या भतीजे को सांस लेने का फुरसत नहीं हैं ,…हम डबल मालामाल हैं !…गांधीजी के त्याग से हमारे सौ खून माफ हैं !….”

चौथा जरा शरीफ लगा ………..“..हम समाजसेवा करने राजनीति में आये थे ,…. देशभक्त नेताओं को पढकर कीड़ा लगा ,…. चार साल तक पोस्टर चिपकाए ,….किसी तरह थोड़ा ऊपर चढ़े तो पता चला !….. यहाँ शराफत के खादी कुर्ते में परमखाऊ शैतान बैठे हैं ,…फिर हम भी उनके नक्शेकदम पर चल पड़े ,..लेकिन हम सच कहते हैं ,..बहुत तकलीफ होती है ,…क्या करें !…धंधा है तो गन्दा ही सही !…

“..भाई आप जानते हो कि आपलोग केवल देशद्रोहियों के मोहरे हैं !…और ई न कहो कि मक्कारी का ज़माना है ,..बड़े बड़े मक्कार खुद को सच्चा साबित करने में बेचैन हैं !….”………….एक पंच ने सवाल दागकर सच्चाई बतायी तो पहला बोला .

“..काहे नहीं जानते हैं !…यहाँ सब मोहरे हैं ,….गाँधी लोग विदेशी मोहरे हैं ,…..सरकार उनकी मोहरा है ,….हमारे नीले पीले हरे लाल नेता उनके मोहरे हैं ,…आगे हम उनके मोहरे हैं ,….हम जनता को मोहरा बनाते हैं ,… गुलाटी मारना हमारी फितरत है … ऊपर से नीचे तक खाऊ मोहरा तंतर है !..”

“..चलो अबकी जनता की गुलाटी देखना !…….लुटेरों का काम लूटना है भैय्या जी !….तुम लोग काहे जयचंद बनकर देश से गद्दारी करते हो !…”………एक वृद्ध ने सबक के साथ प्रश्न किया .

“.. बाप बड़ा न भैय्या – सबसे बड़ा रुपैय्या ……अपना काम बनता – भाड़ में जाए जनता ……घर में आये माल – देश बने कंगाल ..”……………यही हमारे मन्त्र हैं !….हम अपनी औलादों को बहुत ऊपर पहुंचाएंगे ,…लेकिन अब भारत स्वाभिमान से डर लगता है ,..  मिट्टी पलीद करेंगे !…..जिसको देखो वही बाबा रामदेव के गुण गाता है ,….लेकिन हम कम शैतान नहीं हैं ,..हमारे नेता तो पक्के शैतान हैं ,…तुमको आपस में भिडाकर कौनो रास्ता निकाल लेंगे !..”………………..पहले चौधरी के बेशर्म जबाब से एक पंच का गुस्सा बढा .

“..तुम लोग देश धर्म के साथ अपनी औलादों के गद्दार हो !…..अगर हमारे पूर्वज तुम जैसे होते तो हिन्दुस्तान मिट गया होता ,…तुम कौनो झुग्गी में पैदा होते ,…..भारत का अकूत धन तुम्हारे मालिकों ने दबाया है ,..पूरा देश विदेशियों के हाथों गिरवी है ,….हमारी जमीन पानी जल जंगल सब उनके हवाले है ,.. तुम्हारे कारण हमारी औलादें गुलामी करेंगी !…..अंग्रेजी लूटतंत्र किसी को नहीं छोड़ेगा !…तुम भी मिटोगे ,……अंग्रेजी पढ़ाई .. अंग्रेजी दवाई .. अंग्रेजी कानून .. अंग्रेजी बाजार .. अंग्रेजी खाना .. अंग्रेजी सभ्यता संस्कार किसी को नहीं छोडेंगी !…..हमारी समृद्ध सभ्यता संस्कार धर्म परम्परा के दुश्मन लुटेरों के गुलामों पर हिन्दुस्तान थूकेगा ,…अब भी संभल जाओ !….गुलामी की बोटी से आजादी की रोटी ज्यादा स्वाद देती है !…..”

“..बात कुछ कुछ सही कहते हो भाई !….एक दिन हम बहुत डरावना सपना देखे थे ,… नेताओं ने हमारी बिटिया को विदेश में बेंच दिया !….सपने में बस चलता तो वहीँ उनका खून पी जाता !..” …………..तीसरा नेता की तड़प निकली

“..तुम सपना कम सच्चाई ज्यादा देखे थे ,…गद्दार यही करते हैं ,……हमारा धन सम्मान मान मर्यादा विदेश में बेंचते हैं !…भारत माता के गद्दार महापापी हैं ,..तुम भी उनके भागीदार हो !….तुम इंसानी परजीवी हो !…तुम्हारी औकात जोंक जितनी है !…मगरमच्छों की गुलाम जोंक ! .”…………….पंचाधीश ने लताड़ा तो दूसरा बोला

“.. क्या बताएं माता !….दलाली में आत्मा मारनी पड़ती है ,..  एक दिन पत्नी ने बहुत जलील किया था ,..तब उसको फटकारा था लेकिन सच में हम इंसानियत के गुनहगार पापी हैं !…हम अपने पाप कैसे धोयेंगे !….बाबा रामदेव कुछ सिखा सकते हैं क्या !…”…………तीसरे का घड़ा फूटा तो पंचाधीश फिर बोली .

“..पाप कम करने का एकै तरीका सच्चा प्रायश्चित है !….करोगे तो भगवान जरूर माफ करेंगे !…बहुत दिन बाद भारतवर्ष को पराक्रमी राष्ट्रऋषि मिला है ,…..अपना सबकुछ उन पावन चरणों में डाल दो !…बेस्वार्थ गली गली घूमकर लूटतंत्र की असलियत खोलो !……..अपने भारत के भाग्य विधाता हम हैं ,…स्वामीजी विश्वामित्र की तरह भारत को राक्षसों से आजाद कराने का सपना पाले हैं !…हम जन गण मन अधिनायक बनकर उनका साथ देंगे !.”…………..पंचाधीश की तेज सलाह पर चौथा विह्वल हो गया .

“..हम सबकुछ करेंगे माता ,….अपनी सब काली कमाई दान धर्म में देंगे !…जितना मेहनत नेतागिरी चमकाने में की थी उससे चौगुना मिटाने में करेंगे !…”…………

“..अबे काहे बकवास करते हो !……ई अपने दल से नमकहरामी होगी ! ..हम बिरादरी में क्या जबाब देंगे …”……………पहला अकड़ गया तो सूत्रधार ने लताड़ा

“..शर्म करो चौधरी भाई !….धर्म बिरादरी के नाम पर देश बर्बाद होता है ,….भगवान को का जबाब दोगे !… अपनी मात्रभूमि के साथ औलादों से गद्दारी करके आये हो !!……हम मक्कारी से दूसरों का हक खाते हैं ,…ऊ कहीं तो चुकाना पड़ेगा !….अपनी भारत माता खातिर चुकाओ !….देश का हक भारतद्रोही राजतंत्र ने विदेशियों के हवाले किया है !…..हम तुमसे नहीं कहते कि बाबाजी के साथ आ जाओ !…..न तुम्हारी जरूरत है !……न ऊ तुम जैसों को साथ लेंगे !…….लुटेरी सल्तनत मिटाने खातिर आम जनता काफी हैं …लेकिन अगर एकौ पैसा हिन्दुस्तानी बीज है तो गद्दारों का साथ छोड़कर अपनी भारत माता का नमक अदा करो !…… नहीं तो न घर के बचोगे न घाट के !.” ……

पहले चौधरी ने शर्म से सिर नीचे कर लिया ,..दूसरा तीसरा असमंजस में अपना कर्तव्य याद करने लगे ,….चौथा भाई सिर ऊपर कर बोला …..

. “…मैं गद्दारों की गुलामी नहीं करूंगा !…..मैं अपनी माँ को विदेश में नीलाम नहीं होने दूंगा !…….मैं अपने पापों के लिए भगवान और भारत माता से क्षमाप्रार्थी हूँ !….आपलोग मुझे क्षमा करके अपने साथ जगह दो ! …”………………….लघुनेता की अश्रुमय ग्लानि से मूरख पंचायत का आक्रोश कुछ शांत हुआ ,.. उनका भावभरा मौन स्वागत हुआ …..वो कुर्सी छोड़कर मूरखों के साथ नीचे बैठ गया ……बगल बैठे लोगों ने धीरे से पीठ पर हाथ फेरकर सांत्वना शाबासी दी ,……पहला जड़वत सिर गड़ाए बैठा रहा ,…दूसरा भी रोने को हुआ ,..हमारे पाप क्षमा लायक तो नहीं ,..फिरौ आपसे विनती करते हैं कि अपने बीच जगह दो ,….हम भी प्रायश्चित करेंगे !….तीसरा भी उसके साथ लग गया …….मूरख सभा ने मंद तालियों से उनका स्वागत किया

पहले चौधरी के आंसू जमीन पर गिरने लगे ,….सिर उठाने का साहस नही जुटा पाया ,…एक पंच ने उठकर कंधा थपकाया तो उनके घुटनों से लिपट गया ,……..उसकी मृतप्राय आत्मा जाग उठी ,..मुंह से शब्द नहीं निकले ,..भरे गले से किसी तरह से बोला ,..

“.मैं भी गद्दार हूँ !….मुझे क्षमा मत करना !…” ….पंच ने दिलासा दिया तो वो भी नीचे बैठ गया  ,…..तीसरा भाई खड़ा होकर बोला ………

“…हम आँख वाले अंधे थे !….सबकुछ देखसुनकर भी महापाप के भागीदार हैं ,….हम लोग जहरीले दलदल के परजीवी हैं ,….हम अपने लाभ में अपनी मात्रभूमि ..अपने भगवान ,…..अपने समाज ,……अपने धर्म से गद्दारी करते हैं ,…हम शर्मिंदा हैं !…हम अपने शहीदों के गुनहगार हैं ,….हम धनसुख में सब सुख भूल गए थे ,……अब हम भारतमाता के शरणागत हैं !…हम क्षमा मांगते हैं !..हम कसम खाते हैं .. अब हम हर काम राष्ट्रहित में ही करेंगे !…हम भी राक्षसराज उखाड़ने के लिए पूरी ताकत लगाएंगे !….अब हमको और कुछ नहीं चाहिए ….भारत माता की जय !!..”………….लघुनेता ने भावुकता से नारा लगाया तो उसके साथ मूरख पंचायत जोश में गरजी …….भारत माता की जय !…….वन्देमातरम !!……….भारत माता की जय !………..जोशीले गगन नाद के बाद माहौल कुछ शांत हुआ तो एक बुजुर्ग महिला बोली …….

“…लेकिन हम तुम पर सहज भरोसा नही करेंगे …..सच्ची देशभक्ति साबित करनी होगी !….झूठे आंसू भावना की देश ने बहुतै कीमत चुकाई है !……..”…. चारों लघुनेताओं ने हाथ जोड़े …..

“..हम हर सजा के हकदार हैं माता ..सब गुनाह कबूल हैं ,…जन गण मन का जो आदेश होगा वही करेंगे !..”………..तब तक पचौरी की तलाशी में गए मूरख दौड़ते हुए आए ,……हाँफते हुए एक बोला ……

“.उकी खटिया तले ई पर्चा मिला है !……” ………...क्रमशः !


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh