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गतांक से आगे …..
पंच मंच से घोषणा हुई …………. “….ई सरकार के गवाहन से कोई कुछौ पूँछ सकता है ,……..सब सवाल नयके प्रवक्ता को दिया जाएगा ,…ऊ बहुतै बुद्धिमान प्राणी है !…..तबहीं मनमोहन की सलाहकारी मिली है ,..डाकुओं से बहुत माल मिला होगा ,….इतना मंहगा दिमागदार हमको मुफत मिला है ,………हमारे फुटकर सवालों को जोड़-गांठकर धाँसू एकजुट जबाब देगा ! …तब पंचायत कुछ कहेगी !………”…………………….सुनते ही सब मूरख टूट पड़े ,…….. पहले लिखवाने की आपाधापी में मूरख लोग सवाल ही भूलने लगे !…….मानव मजे से देखने लगा !……..युवाओं ने तुरंत स्थिति संभालते हुए दो लाइनें लगवा दी ,..इसमें भी एक मुसीबत !….एक बंदे बंदी के बीस से कम सवाल नहीं !.. मना किया नहीं जा सकता !….एक जैसे सवालों की भी बौछार हो गयी………..मानव से बात कर चन्द्रिका ने एलान किया !……
“….एक बार में एकै सवाल लिखा जायेगा ,..दूसरा लिखाने खातिर फिर लाइन में लगना होगा ,……एक जैसी बात अपनी है ,…हम …..हमारी तकलीफ …हमारा दुःख सुख सब एकै तो है !….हमारे भगवान एक हैं !…..दिल आत्मा से खोदकर सवाल पूछो ,….हमारे मूरख सवाल उनके जबाब से ज्यादा कीमती हैं !….चाहे जितना देर लगे ,…हम जांच परखकर उनके हवाले करेंगे !………” ………….
“…जांच परखकर सवाल दोगे भैय्या तो जबाब कब नरसों मिलेगा ……हम घर जाते हैं !……”
..एक गृहणी की मजबूरी छलकी तो युवती ने चिढ़ाकर रोका !………..“भाभी ,…भैय्या यहीं है !…..फिर काहे की जल्दी है ,…..”
“..तुम्हारे भैय्या ठीकसे जानते हैं !………………..घर में बहुत काम है यार !….रोज थोड़ा थोड़ा हो तब कौनो समस्या नहीं है !….चलो इतने प्यार से कहती हो तो ,…थोड़ा रुकती हूँ जी !….”……..भाभी ने ननद पर मीठा पलटवार किया तो प्यारे आत्मीय रिश्ते ने खानदानी सरहद तोड़ दी ………
“..बात तो आपकी ठीक है ,…देखो का करते हैं ई लोग !………”…………युवती ने भाभी का हाथ पकड़ समर्थन किया लेकिन भाभी ने विरोध जताया !
“…ई लोग नहीं पगली !…हम लोग ……हमको मिलकर अपनी तकदीर लिखनी है !…..औरत की ताकत अथाह है ,…..माँ की ताकत माँ का समर्पण और माँ जैसी पगलेटी हमारे बाल बच्चन का भविष्य बचा सकती है !….. हम कंधे से कंधा मिलाकर लड़ेंगे !……”
“…और जीतेंगे !!!……चर्चा में ताज़ी शामिल दो अन्य युवतियों ने भी दमदार समर्थन किया !….परमशक्ति जगदम्बा की साक्षात ऊर्जा को प्रणाम करता हुआ आगे टहलने लगा !….”
आगे तीन युवा मित्र सवाल की सुलह बनाते मिले ,….. ….
“..अबे हम का पूंछें !..पहले पूंछे थे अच्छा काम कब मिलेगा !…..अब पूंछते हैं कि कैसे सुख सम्मान का जिंदगी मिलेगा !…”………. एक ने बात बढ़ाई तो दूसरे ने विद्वता झलकाई ..
“.ऊ तो हमारे कर्म हैं ,.” …..
“.जो करेंगे वही तो करम है !…”….पहला मित्र अड़ा…..
“तो हम अंग्रेजी में कहे थे का !!..”……..दूसरे ने फिर लंगड़ी फंसाई
“…सही में मजाक का टाइम नहीं है ,…दुनिया हमेशा जवानों ने बदली है ,.भगवान जवानों को इतनी ताकत देते हैं कि ऊ अपनी किस्मत खुद लिख सकता है !…….हमको लफंडी नहीं करनी है ,….हमारी शुख शान्ति खातिर तपस्या करने वालों का साथ पूरे दम से देना हमारा करम धरम सबकुछ है ,………..तीसरे ने दोनों को चित्त किया तो तीनों गले मिले ,…जैसे कभी के बिछुडे क्रांतिकारी फिर मिल रहे हों …..भारत की हर गली में भगत आजाद सुभाष बिस्मिल जैसे क्रांतिकारी होने का विश्वास रखते हुए मैंने सम्मानीय पंचों से आशीर्वाद लिया ,….वो भी खोदबीन में व्यस्त थे ..
“..एक मित्र ने धीरे से आखिरी जिस्म की इन्क्वारी भी लगाई !….”
मंच पर अब लूट मंहगाई से इतर कुछ नए असली सवाल भी पहुँचने लगे ……..
कौन से कानूनी धारा गौकशी को धर्मनिरपेक्ष बताती है ,…….विदेशी पूंजी किसकी कितनी आती है ,…..विदेशी कंपनी किसकी कितनी सेवा करती हैं !…… घोटालन का माल किसके हाथ कितना है ,…..हमको और मूरख बनाने के का इंतजाम हैं ,…..पान मसाला काहे ज्यादा मंहगा हो गया !……असली गुटखा मिलता ही नहीं !……बीड़ी खैनी सिकरेट पर इतनी भयानक फोटो छापते हो ,.. बंद काहे नहीं कर देते !….लूटतंत्र का आदि अंत कहाँ है !……..भैय्या जी ने शाम की दवाई सस्ती करने का वादा किया था ,…कब पूरा करेंगे !…..बीमारी काहे बढी है ,…..लुटेरों की कितनी गहरी साजिश है !…अबकी बाबाजी ने आन्दोलन किया तो का करेंगे !…भागेंगे कि भगाने की जुर्रत फिर करेंगे !….भारत गांधिओं की गुलाम काहे है !…..महान महापुरुष गद्दारों के नीचे काहे दबे हैं !…..भारतीय भाषा सरकारी तंतर से कब तक डिलीट करने का पिलान है …..दारू इतना फायदेमंद है तो कमपलसरी काहे नहीं करते !…….लड़की वाले दहेज काहे देते हैं !………अंग्रेजी से किसका फायदा है ,…ग्लोबलाजेशन से का मिला कितना गंवाया !…स्वदेशी काहे बीमार है ….. औरत होना अपराध है का !……विदेश पढ़े लोग देश का राज काहे चलाते हैं ,….गरीबी का मतलब नेता खातिर का होता है !…..सच्चाई को ठौर काहे नहीं मिलती !….नेता लोग काला धन बांधकर ऊपर ले जायेंगे का !…लैपटाप में कितना फिलिम लोड होगा !….राहुल अंग्रेजन गर्लफ्रेंड से शादी काहे नहीं करता !……….ब्रम्हचारी बनना था तो स्वामी जी के पैर काहे नहीं पकड़ता !……..प्रियंका मैडम का का पिलान है !… गाँधी लोग कितना मक्कारी किए हैं…….गरीबी बेकारी कब मिटेगी !….आतंकवाद कब खत्म होगा !…..हमारी शादी काहे नहीं होती !……अदालत कब तक बिकेंगी !…… नक़ल का अधिकार कब मिलेगा !…….गिद्ध कहाँ गए ….खुलेआम धर्मपरिवर्तन किसकी साजिश है !…..भूखी मौतें कब तक होंगी ,… गद्दारों को शर्म काहे नहीं आती !…भ्रष्ट राजतंत्र का मतलब का है !……अलगाववाद कब मिटेगा …..पुलिस प्रशासन कब तक डाकू नेताओं की गुलामी करेगा .. चुभते सवालों के बाद भी दिल नहीं भरा तो ….भगवान वाले सवाल भी आने शुरू हो गए ,….हमारी तकलीफ का दोखी तंतर है कि भगवान !….भगवान हैं तो राक्षस राज काहे हैं !………..भावनाओं को रोका नहीं गया ,….हर किसी की पीड़ा और तमाम शिकायत थी !……..मानव सहसा बोला ……
“…हम कितने शिकायती हो गए हैं !!…”
तब तक नेताजी लोग सिखरन पान ,सैर, विश्राम कर पुनः पधार गए ,….सूत्रधार ने ताजे हालात समझाए तो चिंता की लकीरें साफ दिखी !..दनादन जी बोले …..
“..अरे भैय्या जी लोग !…हम सत्य कहते हैं ,…सत्यवादी दवाई खाने के इल्जाम में हमें पीसा जा सकता है ,……. जल्दी निपटाकर जाने ही दो !..”
एक पंच साहब ने समझाया ….
“…अब कल जाना साहब लोग !…… ई दवाई का असर डेढ़ से दो दिन तक रहता है ,..यहाँ बचा लिया ,…. दरबार में पिट पिटा जाओगे !….सवालों का लिस्ट सूची आपको मिलेगा !…एकमुश्त जबाब दे दो !…..जहाँ चाहो आराम करो … सबेरे घंटे आध घंटे में निपटाकर चले जाना ,….”…..
…दवाई से खौफ खाए नेतागण सलाह मशविरा करने लगे ,…..घुरपाल जी बोले ….. “.हम तो ब्लाक प्रमुख की कोठी पर टिक जायेंगे !…मनोरंजन के साथ हिसाब किताब भी हो जाएगा !….चलो सब लोगन का व्यवस्था वहीँ करवाते हैं कौनो कमी नहीं होगी !!…..उसके फ़ार्म हाउस पर सब कुछ मिलता है !..”
“…हम आपकी क्षमता व्यवस्था जानते है ,…….हमने ही तो सिखाया है !….लेकिन सेपरेट सेपरेट इंज्वाय करेंगे ,…हम भी अपना हिसाब देख लेंगे !!………”……….अहमक भाई ने घुरपाल जी को किनारे लगाया ,…वो फुर्ती से गाड़ी मंगवाने लगे ,…….बाकी लोग रात गुजारने के अपने चाटुकार बांटने लगे ,…………कलेश पचौरी भाई सवाली माहौल से चकराने लगे ,..उनको गाँव की मेहमानवाजी भुगतनी पड़ेगी !….मच्छर युद्ध के बुरे ख़याल से पसीना आने लगा !………पंचों ने सुबह तक सवालों की इंट्री खुली रखने का एलान हुआ ,….अब पचौरी जी को भगवान याद आ गए !……..बेमतलब विराट प्रश्नों का संक्षिप्त दांवपेंची उत्तर देने के लिए दोपहर तक का समय मांगा ,……प्राथमिक प्रश्न सूची उनको सौंप दी गयी ……अंतिम सूची सुबह दी जायेगी …. कल शाम को फिर जुटने के एलान के साथ पंचायत का औपचारिक विसर्जन हुआ ….
मानव टहलने लगा ,…….. शायद वो समझता था ,…ज्यादा सवालों के उत्तर हमें ही ढूँढने होंगे !…….फिरभी एक मस्त निश्चिन्तता में मग्न दिखा ,… पंच सयाने भी गंभीरता से सोचमग्न दिखे …नेताओं ने अपने अड्डों के लिए प्रस्थान किया ,….धीरे धीरे पंचायत भी खाली होने लगी .
अपनी मूरख खोपड़ी भी घूमने लगी ,…. सवाल अंतहीन प्रक्रिया लगती है ,.. उत्तर का अनंत अंत बिंदुमय हो सकता है !….. ईश्वरीय सत्य भी ऐसा ही लगता है ,…अंतहीन साकार सर्वव्यापी निराकार !…..जिधर देखो सत्य ही सत्य !…..सर्वत्र सिर्फ ईश्वर हैं ..हमारी निगाह ही सिकुड़ जाती है ,……………कड़वे जहर के बाद मीठे सत्य की तलाश स्वाभाविक होनी चाहिए ,….फिलहाल अभी तक यही उपलब्ध है ……..अगले दिन की कार्यवाही शीघ्र उपलब्ध कराने की कामना के साथ !………वन्देमातरम !
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