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गतांक से आगे …..
… मूरख सभा ने शेष गवाहों पर नजरें टिका दी …….एक पंच ने खड़े होकर सवाल किया ……..”.पहले ई बताइए .. स्वामी रामदेव जी से तुम्हारी का दुश्मनी है !…”
…दुबे जी की मुस्कान लंबी हो गयी …….. “….देखिये आपको गलतफहमी है !…..हम मिलबांटकर खाने वाले लोग किसी से दुश्मनी नहीं करते ,…….हो जाय तो छोड़ना लूट नियम के खिलाफ है ,…हम योगगुरु का बहुत सम्मान करते थे ,..सोनियाजी राहुलजी भी उनके बड़े फैन थे ,…..आपने देखा होगा ,…मैडम ने उनके सम्मान में चार मंत्री भेजे थे ,……हमने ओबामा की इतनी इज्ज़त नहीं की ,……आज भी हम कामना करते है वो और योग करें कराएँ ,…..नए नए आसनों का आविष्कार और विकास करें ,…हम भरपूर साथ देंगे ,…….. उनको महर्षि पतंजली से भी ऊपर भेज सकते हैं ,….हम सब दुश्मनी भुलाकर उनको हर सुविधा सम्मान देंगे ..धन दौलत सम्मान से मालामाल कर देंगे !…..बस हमारे रास्ते में न अड़े !…हमारे धंधे की रुकावट न बनें !…”
“..अच्छा बच्चू !….तबहीं बिलकुले ऊपर भेजने का इंतजाम किया था !……..का है तुम्हारा धंधा !…और कहाँ अड़े हैं स्वामीजी !…” ……………….एक युवक ने कटाक्ष से पूछा तो दनादन जी की भंगिमा जरा कठोर हो गयी …
“….आप संक्षेप में समझ लीजिए …. हम भारत हडपने वाले थे … ये देशभक्त सन्यासी गले में अड् गया !…….. इसको पहले निगलना जरूरी था ,….लेकिन ,..जस जस सुरसा बदन बढ़ावा – तासु दून कपि रूप दिखावा … वही हालत है भाई !!…….अब निकलता भी नही है …..हमें इतना कष्ट किसी देशभक्त से नही मिला !….हमारी जान जा सकती है तो आत्मरक्षार्थ जान लेने का प्रयास कदापि अनुचित नहीं है ,…अब भी हमारी बात मान लेते हैं तो उनके क़दमों में दुनिया डाल देंगे ,….नहीं तो गिराने मिटाने बदनाम करने की कोशिशें जारी रहेंगी !……बस इससे ज्यादा कुछ नही बताएँगे !……आप समझ भी नहीं सकते .. ये बुद्धिमानों का गंभीर विषय है !….आप मूरखों का नहीं !.”………………………एक मूरख भड़क गया .
“…अरे लल्लू लाल !…..पिछले जन्मों में हम भी बुद्धिमान थे ,…..धीरे धीरे तुमने मूरख बनाया है ,….जरा डिटेल में समझाओ !…..” ………………………..लल्लू जी अपना नाम सुनकर चौकस हो गए .
“…हाँ हाँ दुबे भाई … ठीक से समझाय दो !……… सिखरन जोरदार था ,…बचपन में ऐसा पिए थे ,….एक गिलास और मिलेगा ??…”…………….लल्लू जी की चटोरेपन पर पंचायत में आक्रोशित ठहाके गूँज उठे ,….एक बुजुर्ग तडपकर बोला .
“……अंग्रेजी सल्तनत में दूध घी से नहाने वाले देश के दुधमुंहे सूखी रोटी पाते हैं ,..भूखी माँओं के बच्चे कुपोषित है ,…..फिरौ …..हम तुमको दो लोटा सिखरन देंगे ,..पीना चाहे बाँध लेना ! .. आज हमको सच्ची सच्चाई सुननी है !………..तुम डरना भी नही … हम तुम्हारी तरह कायर मक्कार नहीं हैं ,….दुश्मन दूत की इज्ज़त से भरसक आवभगत करना जानते हैं !…”
इस बार कलेश कचौरी जी मुस्कराकर प्रस्तोता के अंदाज में बोले ………. “..मित्रों ,…हमें आपकी सच्चाई पता है ,….इतने भोले मूरख और नहीं मिल सकते ,…आप कुछ भी पूछ सकते हैं …बेख़ौफ़ उत्तर देना हमारा अधिकार है ,….. सरकार सेवा का अधिकार कानून भी लाएगी !..”………………..निकट खड़े एक युवा ने पचौरी की हवा उडाई .
“…अब मित्र मत कहना चाचा !…..वर्ना कंट्रोल कठिन होगा ,…..नयका अधिकार भी सूचना जैसा होगा ,….ऊपर खाकर नीचे फुलझड़ी दिखाते रहो ,……… कितनी सूचना कैसे मिलती है सबको पता है ,………भारत लूटो अभियान की मुखिया गाँधी का इनकम टैक्स तक नहीं बताया !……..लुटेरों की रानी बेख़ौफ़ देवी बनी है ….विदेशी पतिरका दुनिया की सबसे अमीर नेताओं में बताती है ,…तुम लोग त्याग की मूरत बताकर गद्दारों को पूजते हो !……….. बिना माल के कागजात दुरुस्त कैसे होंगे ,….दलालतंत्र में बिना दलाली के कोई चलता है का !….. ऊपर लुटेरा राक्षसराज है ,.. चौतरफा बर्बाद करके जल्दी पासपोर्ट लाइसेंस परमानपत्र से रिझाते हो …सब फालतू दिखावा है …असली बात का है ?…”
“…असली बात तुम्हारी गुलामी का अधिकार है !….”………………..इस बार अहमक पटेल साहब ने मुह पर हाथ ही रख लिया ……….एक पंच जी बोले ..
“..ऊ हम जानते हैं ,…. विस्तार से समझना बाकी है !……अच्छा राहुल बाबा ने काहे दोगला सरेंडर किया ,….हमको कुछ और बताकर धमकाते हैं ,..अखबार वालों के सामने अपने खानदान के साथ खुद को भी गरियाते हैं ,…कहते हैं परधानी नहीं करेंगे चाहे कोई चाय के साथ दे !…”……………राहुल बाबा का नाम आते ही नकविजय जी चौकन्ने हो गए ….
“..अभी आपको दुबे जी ने बताया न ,….यह बुद्धिमानों का गंभीर विषय है ,…….तुमको मूरख बनाने के बहुत रास्ते हैं ,…..मेरा होनहार शिष्य बहुत काबिल है ,….एक तीर से दस शिकार करता है ,….लिवइन रिलेशन का ज़माना है ,…बच्चे विदेश में पैदा होकर पढ़ेंगे ,…प्रधानमंत्री बनने के लिए आयेंगे तब तुमको पता चलेगा !…….तबतक नयी पीढ़ी के दिमाग से भारत का नामोनिशान मिटा देंगे ,…आप क्या बिगाड़ लोगे !……….राहुलजी ने आज तक कुछ सही नहीं बोला तो मजबूरी में दोगली ट्राई मारी है ,………कहीं तो देश फंसेगा ….और …….चौतरफा मोदी महिमा से परेशान बच्चे की जान निकल सकती है भाई !…..पहले सरेंडर करना भी ठीक है ,….. खुद को गरियाने से मूरखों की सहानुभूति मिल सकती है ……. तैनात गुलाम फ़ौज बाद में आरती उतार लेगी ,…..राजीव जी ने यही तो किया था !………”…………….गुरु ने सांस ली तो घंटाल ने मौका लपक लिया .
“..फिर प्रधानमंत्री न बनकर और ज्यादा लाभ है ,…… त्याग की कहानी से सुपर प्रधानमंत्री बन जायेंगे …हींग लगे न फिटकरी रंग निकले चोखा !…पूरी हनक !….दमदार धमक के साथ लूट सकते हैं ,…..देश विदेश में बेपरवाह होकर माल ठिकाने लगाएंगे !…..सब माल अपना .. सवाल उठने का मतलब नही !…………..जमा काला धन बचेगा ही नहीं दस गुना बढ़ेगा ,……फिर जब आदेश होगा तब नया पैजामा पहनकर टोपी पहना देंगे ,….. हम कोई कसर नही छोडेंगे !….चाहे जितना गिरना पड़े हम अपना धन बचाकर रहेंगे ,….धन रहा तो सत्ता मिल ही जायेगी !….” ………. अनिष्ट भाई ने अपनी काली पीड़ा जरा दिखा ही दी तो एक युवक गरजा .
“…वो धन तुम्हारे बाप का नहीं हमारा है !…. चाहे जितनी नौटंकी कर लो ,.. देश का हक देना पड़ेगा !!..”…………नकविजय ने फिर मोर्चा संभाला …..
“..अरे भाई शांत हो जाइये !…शांत हो जाइए !…….अभी आपको हमारे कमीनेपन का सही अंदाजा नहीं है ,…इसलिए उछलते हो !……”……..युवा ने पलटवार किया
“..तुम भी हमारी ताकत नहीं जानते हो !……..तुम जैसे आत्माहीन गद्दारों को हिन्दुस्तान फूंक मारकर उडा देगा !…”…………………
“..अभी तो बैठो भाई !..हम आपको फंसा लेंगे ,……फिर जब उड़ाना तो बताना ,….हम राहुलजी के साथ उनके मालिकों के पास चले जायेंगे !..” ……………..नकविजय ने युवा का मजाक उडाया तो एक माता ने बीच बचाव किया
“…देखेंगे भैय्या,…विदेशी तेल की धार कहाँ तक गिरती है ,…वैसे ..वो किसका गुलाम है …..और तुम का हो !..”………………… नकविजय जी पूरी गंभीरता से बोले .
“…..उनके भी तमाम मालिक हैं ,….. पूरा तो हम भी नहीं जानते ,….लेकिन जहाँ माल छुपाया है ..जिनके हाथों देश बिकवाते है ,….वो मालिक ही हुए ,….दलाली भी मालिक के लिए होती है ,…..अमेरिका ब्रिटेन पहला दूसरा .. रूस इटली स्विट्ज़रलैंड यूरोप भी है ,……..मारीशस चीन जैसे पांच सात दस देश और हो सकते हैं ,..वैसे पूंजीवादी सामंतशाही के लिए देश का बंधन नहीं है ,….वो पूरी दुनिया पर राज चाहते हैं ,….. सब देशों में उनके गुलाम मोहरे हैं ,..सोनियाजी राहुलजी को भी कठपुतली की तरह नाचना पड़ता है ,….. हम कठपुतलियों के गुलाम पक्के सिपाही हैं ,..मालिक की मलाई होगी तो हम भी चाटेंगे ,….फिर चाहे देश के गले में पट्टा और तुम्हारी पीठ पर विलायती हंटर हो !..”………………नकविजय ने गर्वीले अंदाज में सत्यवादी कथन पूरा किया तो पंचायत में नफरत हिकारत की लहर फ़ैल गयी ………..कलेश पचौरी ने दाढ़ी पर हाथ फेरा
“..मित्रों ,.हमारे मालिक भी वही हैं ,….मलाई खाने में हम भी कम नहीं हैं !..”
“..कहाँ है मलाई ……कौन अकेला खा रहा है …हम भी तो हैं !..”……………….घुरपाल जी जीभ लपलपाते हुए पंचायत में पुनः पधारे तो माहौल आक्रोशित हास्य में डूब गया ………………क्रमशः
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