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आदरणीय शुभजनों ,..सादर प्रणाम ……. मूरख पंचायत में गवाहों की झोलझाल से कुछ देरी थी ,… माघी पूर्णिमा पर मूरख फिर तीर्थराज प्रयाग चला गया ,……..माता-पिता दो चाचियाँ एक चाचा एक चचेरा भाई और गाँव के राधेश्याम और पियारे के साथ निकल पड़ा ,…..सबकी श्रद्धा भरी खुशियों में शरीक होता हुआ मन गाड़ी से बहुत तेज दौड़ता रहा …महाकुम्भ का विसर्जन निकट आ रहा था ,… व्याकुलता बढ़ती जा रही थी ,…..फिर विचार आया …दुनिया उनका खेल है.. हम बेमतलब ही !!……..बुलाया है तो खुद देखेंगे !…….चार घंटे की यात्रा कर आधी रात के बाद तीर्थराज पहुंच गया !…… ब्रम्हमुहूर्त में भरपूर पवित्र स्नान लेकर माँ गंगा के तट पर बैठ गया ,…रोम रोम दिव्य ऊर्जा से पुलकित हो उठा ….दूसरी तरफ से यमुना मैय्या का पावन प्रवाह हलचल करने लगा ,….आँख बंद करते ही व्याकुलता फटने लगी ,….चंद पलों में ही उत्तर मिला ,………. “..मूरखराज तुम्हे फिर आना होगा !……आज मुक्त होकर तो नहीं आये हो ,…फिरभी तुम्हारा आना अच्छा लगा !….” …..अद्भुत शान्ति सागर का क्षणिक आनंद मिला ही था कि आँख खुल गयी ……..सामने तीर्थराज में श्रद्धा का सागर मिला ,… डूबने उतराने के आनंद में वापसी का सफर शुरू हुआ ….. जहाँ से जाने में डेढ़ घंटे लगे थे वहां तक आने में तीन घंटे लग गए ,…..एक फर्लांग में हांफने वाली माताजी ने आनंद से दस बारह किलोमीटर पद यात्रा की ,…कुछ देर के लिए पिताजी गुम भी हो गए ,..अंततः हम वापसी के लिए तैयार हो गए .
वापसी में चालक महोदय ने अमेठी होकर जाने वाला रास्ता पकड़ा ,…..रास्ते में आंवले के बागों और चौतरफा फैली गेंहू सरसों की ईश्वरीय तूलिका से मन फिर नाचने लगा ,….फिर प्रश्न निकला …प्रभु कैसा खेल है !……इतना सुन्दर बनाकर मिटाते हो … सबकुछ देकर हीन भी करते हो !…..सदा औकात से बढ़कर देने वाले दयानिधान बेमौसम बरखा ओले का प्रकोप क्यों करते हो !……..क्या गरीबों किसानों भूखों पर दया नहीं आती !……..अक्सर की तरह कोई उत्तर नहीं मिला ….उल्टा हंसी फूटी …….बेचारे क्या क्या झेलते हैं ,……करें तो मरें ….न करें तो नीरव अन्धकार !….
हँसते हंसाते अमेठी कस्बे में प्रवेश किया ,…. भक्त लोग खम्भों पर लाइन लगाए मिले ,……राहुल गाँधी सोनिया गाँधी के साथ प्रियंका गाँधी के पुजारियों में होड मची थी ,…..बधाई में कौन ज्यादा लटकेगा !….किस्म किस्म के चाटुकारों ने तीर्थराज की मिठाई पर नमक छिडकना चाहा ,.लेकिन हम तो अमृत गटक चुके थे ……… मूरख लोग मजबूरी का दूसरा नाम महात्मा गाँधी भी बताते हैं ,……जहाँ चढाओ वहीँ मजबूरी खल्लास !…..अन्य पर्यायवाची भी हो सकते हैं ,……….सबका धंधा पानी है ,…आगे बढ़ने की परवाह होगी ,…बिना पुजापा दिए आजकल एक नंबरी धंधा नहीं होता ,..डेढ़ दो वालों का दस नंबरियों की बंदगी बजाना कोई गुनाह तो नहीं !…….मन ही मन सबके लिए प्रार्थना की ,…हे भगवन मेरे पुण्य से कुछ अंश इन भिखमंगों को भी दे देना ,…कम से कम इतनी अक्ल आ जाय कि राष्ट्र से सब हैं !….गांधियों से बड़ा राष्ट्रद्रोही कोई नहीं ,…राक्षसों की बंदगी से बड़ा अपराध कोई नहीं !…इनके अपराध क्षमा करना प्रभु !…
पता नहीं प्रभु तक मेरी अनमनी पुकार पहुंची या नहीं ,….लेकिन मेरी नजर एक बैनर तक पहुँच गयी ,.. मोहक मुस्कान धारी राहुल गाँधी बड़े कद में ,..उनके ऊपर डाक टिकट की तरह प्रियंका सोनिया राजीव भी मौजूद थे ,……उनसे बड़े कुछ चाटुकार लोग ………बीच में लिखा था ……..
हम वो पत्ते नहीं जो हवा से गिर जांए
आँधियों से कह दो कि औकात में रहें !………
मूरख ठीक से समझा नहीं ,..चाटुकार भाई पर कम्पटीशन का असर था या लुटेरों की भक्ति में अंधा हो गया ,…या कोई गहरी पीड़ा नहीं रुकी !………….मूरख तत्वज्ञान का अर्थ भी नहीं जानता तो तात्विक बात कैसे करता ! …. लेकिन तुक्के कहाँ रुकते !….हंसी के बीच फिर पीड़ा उभरी .
हम वास्तव में मूर्ख भिखारी बना दिए गए !…….गंदगी समेटे मक्खी पर एक चम्मच मलाई रख दो तो मलाईखोरी आँख बंद कर देती है ,…निन्यानबे फीसदी सच्चे आम लोगों पर सवा सौ लालची आदमखोरों का कब्ज़ा है ,…हमारे भूत वर्तमान भविष्य से खेलने वाले गद्दार गाँधी इन भटके चापलूसों के कारण ताकतवर हैं ,.तेरह साल की सांसदी में जो गधा तीन बार भी न बोला हो ,..उसके लिए भौंकने वाले मानुषों की कमी नहीं ,….. जिसे देश की बाल बराबर परवाह नहीं उसे मसीहा बताया जाता है ,…जिस खानदान ने राष्ट्रपुत्रों को मारने मिटाने का काम ही किया हो उसकी जयजयकार सिर्फ मूरखों के भारत में हो सकती है ,……..पता नहीं वो भाई पत्ता था या कुछ और ,…लेकिन लुटेरे गाँधी और उनकी सल्तनत कांग्रेस राक्षसी विषबेल है ,… अति की अति हो चुकी है ,….भारतवर्ष के दुश्मनों को मिटना ही होगा …इस विषबेल को हिन्दुस्तान से उखड़ना ही है ,…..आत्मरक्षा राष्ट्ररक्षा धर्मरक्षा मानवरक्षा का मात्र यही रास्ता है !……..नियति विषबेल की जड़ें काट चुकी है ,…..साथी विषबेलों को उसके साथ मिटना होगा …हमारा धर्म कर्म ऊँगली से धक्का देना भर है ,…….ब्रम्हांड की कोई ताकत भारत का उत्थान नहीं रोक सकती हैं ,..अलौकिक फल देने वाले पावन महायज्ञ में प्रत्येक आहुति तुच्छ ही होगी ,….परमपिता अपने पुत्रों की भावना ही स्वीकार करेंगे !
फिर प्रार्थना निकली ………हे देवसेवी तीर्थराज !…हे पावन शिवधारिणी !….मेरा संदेशा उन तक जल्दी पहुंचाना जो जल लहरियों में आपके सुपुर्द किये थे ,….जल्दी फिर आऊँगा ……निमंत्रण भूलना उठाईगीरों के वश में नहीं होता !….. विश्वनियंता का साक्षात निमंत्रण पाकर भी खुशी से दूर रहना अज्ञान है ,… ज्ञान भी अज्ञान का जिम्मेदार हो सकता है ,…सब तुमसे ही तो है ,…..सबको क्षमा करना प्रभु ,….नहीं नहीं ……..राक्षसों पर कदापि रहम मत करना !……वर्ना तुमसे भी लडूंगा !……..अभी तुमने मेरा मैं खत्म तो नहीं किया है …….दीनता दासता प्रेम के साथ प्रतिशोध अहंकार का मिश्रण फिर हास्य लाने लगा ….. आँख के साथ दिमागी खिडकी बंद करना ही सबसे सरल लगा !!…..वन्देमातरम !
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