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मूरखमंच …वन्देमातरम !

हमार देश
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गतांक से आगे ……..नवागंतुकों के लिए जगह बनाते हुए आसरे काका शुरू हुए .

“.थोड़ा फरक सबमें है ,…सब अच्छे होने के बादौ बुराई ही बढ़ती है  ,…. नर नारी में फरक भगवान का बनाया है ,..आपसी सम्मान से पूरनता आती है ,.नहीं तो अधूरे भटकना होता है !..”

“..हमतो दादी का सम्मान करते हैं !…इनकी फटकार पर मजा आता है !..”……….चन्द्रिका ने सीता दादी को बाँहों में भरते हुए छेड़ा तो बदले में प्यार भरा चांटा मिला ,..खिसकढ़ी के बीच नन्हे बोला .

“..भाई !….महतारी बाप की तुलना नहीं होती ,..दोनों महान हैं ,……….माता का कर्जा दस जनम में नहीं उतरेगा ,….बहिन का नटखट साथ कैसे भूलेंगे ,..बिटिया का प्रेम सब थकान पी जाता है !……पत्नी की समुद्र जैसी सहनशीलता ही नैय्या आगे बढ़ाती है !..”

“..लेकिन किश्ती डूबती भी है !…”………….चन्द्रिका के व्यंग्य पर नन्हे तत्परता से बोला .

“..अब सफर में तूफ़ान धारा सबकुछ मिलता है ,…हमारे ज्ञानी ध्यानी ऋषि महापुरुषों ने तबहीं सब व्यवस्था की है ,…हम अनाड़ीपन में डूबते हैं !….सब बंटाधार हमारी शिक्षा की बर्बादी से हुआ है ,……”…………..गोविन्द फिर आगे बढ़ा .

“..बात तुम्हारी ठीक है नन्हे ,…..लुटेरी सभ्यता के जाल में हमने अपनी सुख शान्ति गंवाई है ,…..हमारा बंटाधार अंग्रेजी पिछलग्गू बनने से है ,…पहले समाज में व्यभिचार अनाचार कहीं इक्का दुक्का थे ,..अब राक्षसी बहार है ,….पुराने भारत में अनेकों विद्वान वेदपाठी और महारथी औरतें थी ,….आज घर सड़क कहीं सुरक्षित नहीं हैं ,………हमारे ग्रंथन में लिखा है कि जहाँ औरत की पूजा होती है वहां देवता बसते हैं !…माने औरत का सम्मान करने वाले खुदै देवता जैसे बन जाते हैं !….ई काले तंतर में औरत को हर मर्द राक्षस लगता है !..”…………..

“..ऐसा है भैय्या !…….लुटेरों से मातरक्षा का धर्म निभाते निभाते अनजाने में उनको दोयम दर्जा दे दिया ,…..पीढ़ी दर पीड़ी दिमाग में अबला वाला आत्मघाती जहर भर गया ,..बाकी कबाड़ शिक्षा और नशों ने काम पूरा कर दिया ,….सही में औरत जैसा सहनशील और ताकतवर आदमी नहीं है !…औरत चाहे तो का नहीं कर सकती है..”………………..रहमान भाई ने अपना मत रखा तो राधे बोला

“..ई कहो रहमान भाई कि औरत का नहीं करती है ,………माता अनुसुइया ,..सती सावित्री ..मातासीता .. रानी लक्ष्मीबाई रजिया सुल्ताना से लेकर हमारे आन्दोलन की पहली शहीद बहन राजबाला तक अनगिनत माताओं ने त्याग समर्पण और साहस का आदर्श दिया है !…अनेकों तपी कर्मयोगी आजौ हमको दिशा दिखाती हैं !… ”………….

“..अरे लाखों राजबाला तैयार हैं ,..भारत स्वाभिमान खातिर सुमन बहन के साथ और करोड़ों आगे आएँगी ,…..भगवान और भारत में कौनो लिंग भेद नहीं है ….हमारी मुसीबत अंग्रेजी व्यवस्था है !..ऊको मिटाकर सबका सम्मान बहाल होगा ,…तबहीं राक्षसी सोच खतम होगी !….लुटेरे नेता नारी सम्मान के भी लुटेरे हैं ,…अंग्रेज नेहरू गांधीयों के राक्षस राज में हमने जो गंवाया है ऊ वापस लेना है !..”………..इस बार मिलन तमका .

“..हमारी बात तुमने घुमा दी !…बिटिया काहे बोझ है !..महतारी बाप की जायदाद में ऊको हिस्सा नहीं मिलना चाहिए ….नशेड़ी बलात्कारी राक्षस के साथ दहेजी दानव भी तो है !….”…………सीता दादी ने अपना सवाल मजबूती से दोहराया तो सब भीखू चाचा को देखने लगे .

“..भौजी ,….जायदादी हिस्सेदारी से मोहब्बत मिटेगी ,… दो तरफ़ा हिस्सेदारी से समाज छिन्न भिन्न होगा…ससुराल में बिटिया को सब अधिकार मिलते हैं ,.आजौ बहू को बिटिया जैसा प्यार दुलार मिलता हैं ,.जरूरत ई प्यार बढाने की है ,….हमारी सुंदरी बिटिया से कम है का !…. बिटिया को उपहार की प्रथा प्रेम जिम्मेदारी बढाने खातिर है ,…सुन्दर प्रथा आज हमारे लालच दिखावे की मूरखता से दानव बन गयी है !…दहेज और शादी में फालतू दिखावा खतम होना चाहिए .”………….

“..बात ठीक है चाचा ,….दहेजी दानव भ्रष्टाचारै का हिस्सा है ,…पहले कहाँ लेन देन तय होता था ,..रिश्ते में मोहब्बत के सिवा और कौनो रंग नहीं था ,…अब बिकाऊ गधों की लाइन है ,…सरकारी गुलाम खच्चरों की काठियावाडी भाव में नीलामी होती है ,..लड़का गुलाम जानवर की तरह बिकता है ,…….. पेट्रोल डीजल खरीदने की औकात नहीं होती फिरौ हैसियत की मारामारी में दुपहिया चौपहिया के बिना मुह नहीं खुलता !… मूरखता में दहेज को इज्ज़त से जोड़ने लगे हैं ,…लौंडा बेचकर काहे की इज्ज़त !…”…………….चन्द्रिका की दो टूक से मंच प्रसन्न दिखा

“..चंदिरका तुम कुछौ न लेना !…”……… सीता दादी ने गंभीरता से कहा तो चन्द्रिका ने गुलाटी मारी

“..दादी ई न कहो …समझदार बहुरिया जरूर लेंगे !..”………….  एकसाथ सबका ठहाका निकला …चन्द्रिका की पीठ पर दोनों तरफ से मुक्के पड़े ….पुल्लू ने मौका ताड़ा

“.तुम जैसे गधे को जरूर समझदार मिलेगी !..”…………….हंसीमजाक नजरअंदाज करते हुए गोविन्द आगे बढ़ा

“… दहेज से हम अपनी सुख शान्ति गंवाते ही हैं ,..बिटिया ब्याहे खातिर भ्रष्टाचार बढ़ाते है ,..लोगबाग कन्या की कोख हत्या का महापाप करते हैं ,..नतीजा भयानक पापाचार बढ़ा ,……दहेज देने वाले की कमर टूटती है ,….लेने वाले को भी देना पड़ता हैं ,…..ऊ अपना रामफल का परिवार .. तीन साल मुफत में जेल की रोटी तोड़कर आया है ,..रामफल उमर कैद भुगतेगा ! …..बहू का टांका कौनो रिश्तेदार से फिट था  ,…..पता चला तो जहर पी गयी ,..घरवालों ने दहेज हत्या में ऐसा नाच नचाया कि अब सात पुश्तें दहेज के नाम पर गंगा स्नान मांगेगी !….बगल गाँव के चौधरी ने दिन दहाड़े बहू फूंक दी ,…थाने में एक लाख फेंककर बाल नहीं बांका होने दिया ,…दस लाख लेकर दूसरी ले आया ,…सुना है शहर में बहू बेटा एक साथ चीयर करते हैं ,…फिर दोनों की अपनी अपनी मौज !…एक दक्खिन कोने दूसरा उत्तर खटिया में पार्टनर ढूंढते हैं !……”…….

भीखू चाचा फिर आगे खिसके

“..भाई ,… दहेज पर पूरी रोक बहुतै जरूरी है ,..इंसानी सौदा अमानुषी काम है ,…………दूसरा अंग्रेजी जाल का नशे वासना को घिनौना उकसावा बहुतै भयानक नतीजा देता है ,. हमारी सभ्यता संस्कृति का नाश होता है,….राक्षसी काम करने वाले एकदिन चैन से नहीं रहेंगे ,……नशा उतरने तक सब सुख शान्ति भसम हो जाती है ,..फिर भगवान के भयानक दंड से रूह थर्राती होगी ,… सबको समझना चाहिए कि हमारी ईश्वरीय संस्कृति में काम सम्बन्ध एक नारी से होते हैं ,..भगवान राम और तमाम ऋषि मुनियों ने यही सिखाया है ,…..पति पत्नी मिलकर पूर्ण होते हैं ,…दुनिया की बाकी औरतें हमारी माँ बहन बेटी बराबर हैं ,…वैसे ही औरत को भी समझना चाहिए ,… दोनों बराबर हैं ,…बराबरी से जिम्मेदारी उठाकर हम सबकुछ पा सकते हैं ,..कमाए भले आदमी लेकिन गृहस्थी चलाना उके बस का नहीं है ,..औरत बाहर काम के साथ भी गृहस्थी चलाती है ,……. औरत का पलड़ा हमेशा भारी है ,…. अच्छाई बुराई लिंग भेद नहीं करती ….लेकिन आदमी के छुट्टापन से ऊ बहुत गिरता है ,…तमाम औरत भी गिर जाती है ,…..लेकिन नारी को कलंकित करने का काला दाग मर्द जाति के मत्थे है ,…….असली मर्द वही है जो औरत को अपने जैसा सम्मान दे ,..सब मिलजुल कर सुखी परिवार समाज बनायें ,….अगली पीढ़ी को मिलकर संवारें ,……. बच्चों को कुछ देने से बच्चों में अच्छे संस्कार देना ज्यादा जरूरी है  … हमारा चौतरफा पतन लुटेरे राक्षसी राज के कारण है ,….नाटकी लुटेरे कभी दुर्गा कभी चच्चा कभी शरीफ कभी त्यागमूर्ति कभी युवराज युवरानी बनकर हमारे सभ्यता संस्कार चौपट करते हैं ,….हम गधों की तरह उनके फैशनी बालों और लटके झटके में उलझकर दुलत्ती खाते हैं ,…. अपने आप को बचाना है तो सबको मिलजुलकर एकसाथ खड़े होना है ,… मातशक्ति जागी है ,…ई बेकार नहीं जायेगी ..अंग्रेजी जाल तार तार होगा …भगवान राम माता सीता का खून हमारी नसों में दौड़ता है ,….हम ई लुटेरी अन्यायी राक्षसी व्यवस्था को बदलकर अपना सुख शान्ति सम्मान और नैतिकता वापस लायेंगे ..”….

भीखू चाचा के तैश पर नन्हे की भावभंगिमा क्रूर हो गयी !…..सवाली निगाहें उस पर जमी तो दांत पीसकर बोला …

“..जरूर लाएंगे चाचा ,..पहले लुटेरों का फैलाया जाति धर्म क्षेत्र भाषा का महाजाल तो तोडो ,.लाखों शहीदतों के बदले साजिशी राक्षस राज मिला है ,.पल पल भारत माता जख्मी होती है ,….आज छब्बीस जनवरी है ,…डाकू गिरोह इंडिया गेट पर शान से अंग्रेजी योद्धाओं को श्रद्धांजलि देगा !…………..महान भारतीय शहीद देश की दुर्दशा पर खून के आंसू बहायेंगे !……….भारत द्वार कब खुलेगा चाचा !….हम अपने शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि देने लायक कब होंगे !……….हमारे धन सुख शान्ति पर कुंडली मारे बैठे देशद्रोही गांधियों के भ्रष्टतंत्र तले गणतंत्र कब तक घायल होगा ! …..गिनती की राक्षसी ताकतें कब तक हमें नोचेंगी !…..विदेशी गुलाम हमारे वीर जवानों से कब तक सलामी लेंगे !………….भारत माता कब मुस्कराकर हमारी सलामी लेगी !……….”…………नन्हे के प्रत्येक स्वर से आत्माएं छलनी होती गयी ,…..पीड़ा के उफान में शब्द मौन हो गए ,..मूरख चेहरों पर ग्रन्थ गाथा उभर आई ………………….कुछ देर बाद भीखू चाचा खड़े हो गए ,…

“…भगवान ही जानें नन्हे ,.माता कब मुस्कायेगी !…….हम मूरख इतना जानते हैं कि एकदिन सब मातायें खिलखिलाएगी ,……राक्षसों को खूब बढ़ाकर उनका सर्वनाश करना भगवान का खेल है ,…….. मातवंदना हमारा कर्तव्य है !……”…………………..सब खड़े हो गए …राजू भी शामिल हो गया ……उच्च स्वर में मूरखों का राष्ट्रगान शुरू हुआ .

वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां मलय़जशीतलाम्,
शस्यश्यामलां मातरम् .. वन्दे मातरम्
शुभ्रज्योत्स्ना पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीं सुमधुरभाषिणीम्,
सुखदां वरदां मातरम् .. वन्दे मातरम्

………….वन्दे…मातरम !…वन्दे……मातरम !!…..भारत माता की जय !……..पुरजोर ताकत से दहाडते हुए लाचार शेरों ने अधूरी वंदना समाप्त की ,………धनी रिनी धारा में सब आँखें भीग गयी ,…. यकायक रहमान भाई ने आसरे काका को गले लगा लिया …………………क्रमशः

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