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आदरणीय मित्रों ,..बहनों एवं गुरुजनों ,..सादर प्रणाम ……..मूरखों का मजमा फिर लगा है ,..आइये आपको उनके पास ही ले चलते हैं .
…………………
“..भैय्या ,..पाकिस्तानी अदालत को सलाम है ,…हमारे अन्यायतंत्र को कालिख में डूबे करुणा चिदंबरम प्रणव मनमोहन जैसों पर काला धब्बा नहीं दिखा ,…..बेखौफी से देश लूटने वाला गांधी खानदान हातिमताई बनेगा ..मंहगाई बेकारी गरीबी बीमारी में पिसती जनता को हमारे अठन्नी लुटाकर देकर लुटेरी सल्तनत भारत फतह के ख़याल में डूबी है ,…देश को जखम दर जखम देने वाले नेहरूवंशी हमारी मूरखता पर फ़िदा लगते हैं…”…………………आसरे काका ने शुरुआत की तो रहमान भाई तमके
“…सब ख़याल डूब गए काका !….अन्यायतंत्र के खिलाफ देश जागने से गद्दारों में बहुत चिंता है ,… तबहीं युवराज फिर युवराज बने ,.. चमचों को राक्षसभक्ति का मौका मिला ,………इनका सारा चिंतन भारत लूटकर छुपाने पर है ,.. खुद कहाँ छुपेंगे …,..मायूस बच्चा जी पाजिटिव पालीटिकस चिल्लाते हैं !.”……
“…भाड़ में गया भेड़ियों का चिल्लाना !….ई अंग्रेजी सल्तनत से कुत्ते जैसा जिंदगी मिली है ,…….भारतपुत्रों को सूखी रोटियों पर पालकर दिमागी कमजोर बनाया है ,…. भारतीय शेर दहाड़कर झपटेगे तो विदेशी कठपुतले राक्षसों को रास्ता नहीं मिलेगा ,..अंग्रेजी जाल घासफूस की तरह उड़ेगा !…”…….चन्द्रिका ने रहमान भाई की आग और बढ़ाई तो गोविन्द गरजा .
“..एकदिन स्वामी विवेकानंद के मानवमहान सपने पूरी दुनिया में लहलायेंगे,………पाकिस्तान को सूफी संत का नेतृत्व ईश प्रेरणा लगता है ,….नेकनीयती को हमारा परनाम है ,..आतंकियों के गुण गाने वाले जयचंद सदा शांतिप्रिय हिन्दू को आतंकी साबित करने पर तुले हैं ,.. गद्दारों को देश में जगह नहीं मिलेगी ,…. स्वामीजी साक्षात भगवान राम की देव किरण हैं …ई परकाशपुंज तमस कोठरी से देश को बाहर निकालेगी !….. ”………….सभी मूरख पीड़ा में भी आह्लादित हो गए .. लेकिन मिलन कुछ और सोच रहा था .
“.. चाचा जनम जन्मांतर वाली व्यवस्था कम सूट करती है ,..हमको गरीबी अत्याचार का दंश काहे मिला ,….”…………….भीखू चाचा ने जोरदार जबाब दिया .
“..कौन कहा हमारा गरीबी अत्याचार भोगना पिछला जनम का करतूत है !………”
“..तुम्ही कहते थे ,..पिछले जनम से प्रारब्ध लाते हैं !..”………….मिलन तीखे स्वर में बोला तो भीखू चाचा जरा मुस्कराकर बोले .
“..अरे गदहू ..पुल्लू को बताया था ……हम प्रारब्ध लाते हैं लेकिन ऊ मतलब नहीं है ,….मालामाल पुण्यक्षेत्र में पैदा होने वाली हर आत्मा पुण्यात्मा है ,…..हमारी गरीबी राक्षसी लुटेरों की देन है ,… हमारी नालायकी और उनकी साजिशें पाप बढ़ाती हैं ,…. महापुरुषों के महान पुरुषार्थ में हाथ बटाने से दंश मिटेगा ,………प्रारब्ध से हम शरीर मन बुद्धि लाते हैं ,……. निन्यानबे पैसा एक जैसा है ,…. एक का फेर सब अंतर पैदा करता है ,… आपसी सम्बन्ध का आधार पिछला जनम हो सकता है ….. पिता परमेश्वर हमारे करमभेद से आगे पीछे रखते हैं ,. ….,.. प्रारब्ध कर्म परिस्थिति मिलकर भाग बनाता हैं ,. ताज़ी करम कमाई ज्यादा मिलती है..बकाया खाते में … साजिशदान उल्टी परिस्थिति बनाकर हमको और गन्दा करते हैं ,…. साजिशों की सजा सब भुगतते हैं ,……..दयानिधान तो सबकुछ देते है ,…… तन मन बुद्धि सब ठीक करने का महान ज्ञान दिया है ,……कुदरत के कण कण में समाकर भगवान का नहीं देते हैं !….कौनो बाप अपनी औलाद तकलीफ में काहे डालेगा !…… ऊ तो कहते हैं कि भ्रष्ट लुटेरों को जेल में डालो और सच्चा सुख भोगो !….. राक्षस राज में अत्याचारै मिलेगा ..ज्ञान से ताकतवर बनो और उनको मिटाओ !.”………………….भीखू चाचा के रुकते ही नन्हे उबला
“..लेकिन हम मूरख ऊ ज्ञान अपनाएँ तब न !……..अंग्रेजी सेंट से लबेंडर वाली सरलिन स्वाहा है ,..यज्ञ योग कौन करे ,….धर्म संस्कार संस्कृति से दूर होकर पापै होगा ,……..राक्षसन को घोर सजा मिलती है ,…… फिरौ इंसान को अकल नहीं आती ,..भगवान के अंश होकर पाप बढाते हैं !……..राक्षसों को विनाश से पहले कहाँ अकल आती है …..”………….
“..बुराई का काम मिटना है …ऊ मिटकर रहेगी !….अच्छा जोतिश का मानती है ,…ऊ काहे गरीबी वाला खाना बताते हैं !….”……….पुल्लू ने सवाल दोहराया तो गोविन्द भड़का
“..गरीबी खाना नहीं होता ,..धन कम ज्यादा होता है …सलामत हाथ पैर आँख कान नाक मुह दिमाग के होते अकाल अभाव गलत है ,…….देवभूमि पर भूख नंगई पाप देवविधान नहीं है ,…….भगवान अपनी औलादों को सुख शान्ति से एकसाथ रहना सिखाते है !…अभाव पाने का पहला प्रेरणा है ,…ऊ चाहे रोजी रोटी का हो चाहे भगवान का संग !……”…………
“..सही कहते हो गोविन्द भाई ,……..हम मूरख इंसान अपने चक्कर में दूसरों को गिराते हैं ,..फिर खुदौ गिरते हैं ,.फायदा राक्षसी लोग उठाते हैं !.” ………………..पुल्लू ने गोविन्द का समर्थन किया तो नन्हे तमका .
“..अब राक्षसों को कौनो फायदा न मिलेगा ,..उनको मिट्टी में मिलना है !….हमारे महापुरुषों के सपने पूरे होने में ज्यादा देर नहीं है !..”……………..नन्हे को आसरे काका का समर्थन मिला
“..ठीक कहते हो नन्हे !……अब हमको अपना सोचना होगा ….राक्षसी मकडजाल से रामराज्य लायक बनना है …”………………कुछ देर के लिए एक मौन छा गया .
“..हम का कर सकते हैं !..”…..पुल्लू ने फिर मासूमियत बिखेरी तो भीखू चाचा आगे खिसके .
“..वही निन्यानबे का फेर निकालना है ,.सब अच्छे हैं …..राक्षसी साजिश में एक फीसदी से आँख बंद करने की महान गलती करते हैं ,… चुप्पी पाप का साथी है ,….वही पाप भस्मासुर बनकर हमको फूंकता है ,…हमारी सुख सम्पति लुटती है ,…….. एक फीसदी दानवजाल टूटेगा तो सबकी मानवयात्रा सुखद होगी !…..मानवयात्रा का लक्ष्य भगवत सानिध्य का महानंद है ,….ई तभी मिलेगा जब हम और हमारा देश समाज शांत सुखी होगा ,………महान पुरखों के वंशज मानवी महानता फिर साबित करेंगे … लुटेरे हमको पेट शरीर स्वभाव के जरिये दिमागी गुलाम बनाकर हमपर कब्ज़ा चाहते हैं ,…..युगों से चल रही भगवत सत्ता राक्षसों के ख़्वाब उनके साथ मिटाती है ,..हमें भगवान के दिखाए बताये रास्ते पर चलना है ,..राक्षस खुद मिट जायेंगे …”…..
“..कैसे भाई …खड़े होकर हिलने डुलने से कैसे होगा !…”…………. ..चन्द्रिका ने उकताते हुए पूछा तो सबकी मुस्कान फिसली भीखू चाचा आगे बोले .
“…हिलाना डुलाना उनका काम है ,…नहीं तो इंसान में स्वाभिमान की जगह अहंकार होगा …..सृष्टिकर्ता परमपिता सच्चे न्यायाधीश हैं ,….भगवान तमाम रूप में हमारे साथी हैं ,.वही एक वही अनेक ,..अखंड बहुखंड जड़ चेतन सब वही हैं ,…..साकार रूप में उनके अनेकों रूप हैं ,.राम कृष्ण के पूर्णावतार से लेकर नानक बुद्ध तुलसी मीरा कबीर महावीर जैसे अनेकों महापुरुषों के अंतर्मन में जागे ,.उन्होंने सबको जगाया !… ऋषि मुनियों से महान मानव सेवा करवाई ,.. महान ज्ञानी पुरुषार्थियों ने मानवता खातिर अपना जीवन झोंक दिया ,..देवी ज्ञान बढाते रहे …जहाँ दैवीय ज्ञान मिटा वहां ईसामसीह पैगम्बर साहब जैसे महापुरुषों को अपने दूतों से ज्ञान दिया ,….उन्होंने समय देश परिस्थिति के हिसाब से मानवता बचाने का काम किया ,…..लेकिन इंसानी ज्ञान लालच अहंकार में फंसकर राक्षस रूप बन जाता है ,.धर्म को लूट कब्जे का हथियार बनाते हैं ,…..तब खेल गिरता है ,……….
भगवान तो हर रूप में मानवयात्रा को रास्ता दिखाते हैं ,……उनको मालिक ,माता ,पिता,गुरु,भाई ,मित्र ,प्रेमी कौनो रूप में देख पा सकते हैं ,…हम जैसा चाहेंगे ऊ वैसा ही मिलेंगे ,.शान्ताकार गोविन्द मस्त भोलेबाबा से पत्थर चिड़िया इंसान जानवर सबमें मिल सकते हैं ,…..मिलन की चाहत सच्ची और सच्चाई खातिर होनी चाहिए ,.. फिर ज्ञानी अज्ञानी पापी पुन्नी का फरक मिट जाता है….. भक्तों से खेलने में उनको हमेशा मजा आता है ….
.भगवान निराकार चेतना रुप भी हैं ,…………….धरती पर सबसे चेतनावान इंसान है ,…..भगवान ने हमेशा मानवता की रक्षा कर अपनी ही पूजा की है ,…..हम उनकी पूजा सामग्री हैं ,……..सुन्नचेतना एकजुट होकर ईशमार्ग खोलेगी ,…..सब शरीरधारी में एक आत्मा है ,….कर्मगति के हिसाब से मन बुद्धि शरीर में फरक है लेकिन सब एकै हैं ,…
हम जड़ मूरख इतना समझते हैं … भयानक राक्षसी खाई के दूसरी तरफ मानवता का उत्थान है ,….सच्चे मानव वही राह पकड़ेंगे !……..चौतरफा फैली ईशचेतना से मानवचेतना ,राष्ट्रचेतना ,धर्मचेतना फैलेगी ,..ईश्वर के सब अंश एक होंगे !…..राक्षसी पूंजीवादी सत्ताओं का सर्वनाश और घायल मानवता का उत्थान होगा !..”………………भीखू चाचा ने कई साँसों में बात पूरी की तो चन्द्रिका फिर बोला
“… ठीके है चाचा ,…लेकिन हम कैसे बदलें ,..दिव्य चेतना कहाँ से लाएं !…”………..
“..दिव्य चेतना सबमें है चंदिरका …. माया छुपाती है !……सच जानो तो बदलाव है ,….एक भगवान ही अनेक हैं …. सबमें वही हैं !…”
“… फिर इतना भेद काहे है !…”……सीता दादी ने धीरे से गंभीर मुद्दा उठाया तो मिलन टपका ..
“…..वही निन्यानबे वाला घनचक्कर होगा !…..”………..राजू के साथ राधे और वकील बाबू भी आ गए …………..क्रमशः
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