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मूरखमंच……काले कबूतर-मानव यात्रा

हमार देश
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कुछ देर बाद मूरखों की टोली फिर जुट गयी ,……नन्हे ने शुरुआत की …

“… एक बात बताओ ,….फर्जी शान्ति पाठ कब बंद होगा ,….पाकिस्तान में खुल्ला आतंकी ट्रेनिंग चलती है ,.. घुसकर हमको मारते हैं ,.. कुछौ सुरक्षित नहीं है ,…..फिर धौंस भी दिखाता हैं ,…..मानवता के खूनी हमको अमन मोहब्बत पढ़ाते हैं !..हम कहते हैं भाई भाई !…….”………………नन्हे के आक्रोश पर पीड़ित सन्नाटा छा गया ,…फिर रहमान भाई थोड़ा जोर से बोले

“..भाई को और का कहेंगे ,….  शैतानीपन पर पटकना जरूरी धरम है !…लेकिन शैतान गांधी राज में का होगा , … काले सफेद आतंकवादी सब एक हैं ,…नेतृत्व सपूत शेर का होगा तो कुछ होगा !….देश खाने वाले भेडिये गीदड़ का करेंगे !..हुक्का हुन्वा करके फिर हमारा शिकार …… ई कठपुतले कुछौ करेंगे तो केवल साजिश !…”……………..

“..सही कहते हो भाई !….. काले कबूतरों से कुछ न होगा ,………सब साजिशें पूंजीवादी अमरीका की हैं ,..लुटेरे गांधी लोग उनके एजेंट हैं ,….लौटकर वही शांतिदूत बनेगा !….आतंकवाद उनका दुश्मन नहीं ..सगा है !…अपने नुक्सान फायदे के हिसाब से मिटाते बनाते है ,…इंसानियत के हत्यारे भारत की गद्दी कब्जाए हैं !  ,…..”……मिलन ने और फूंक मारी तो आसरे काका शुरू हुए .

“..चौधराहट सबकी निकलती है ,..अमरीका भी फटेगा ………भारतद्रोहियों के फैलाए नाजायज खौफ तुष्टीकरण जाल से लाखों आतंकी दिमाग देश में है ,…….करोड़ों जाहिल उनकी खिदमत में हैं ,..मानो पांचवी दुनिया में रहेंगे …पाकिस्तान भक्त करोड़ों घुसपैठिये जहाँ तहां कब्जेदार हैं ,…..आतंक के हिमायतदार लुटेरों ने अंदर बाहर खतरे ही बनाया है ,…ऊपर गांधीसंस और बंटवारे की मचाये है ,..बाबा अन्ना के खिलाफ जहर उगलने वाले मंत्री गुलाम दरबारी हैं ,..लुटेरे आतंकी हमारी काहे सोचेंगे ….लुटेरे दामाद के बचाव में अंग्रेजभक्त कांग्रेसी एक के ऊपर एक थे ,… भयानक अंधेरगर्दी पर कपडे झाड़ते हैं ,. हिंदी हिंदू हिन्दुस्तान के सब दुश्मन एक हैं !……..”

“ दुश्मन एक हैं तो हमको कौन रोकेगा !……इन गद्दारों ने हमें अनेकों घाव दिए हैं…और दिए जा रहे हैं ….. …अब इनका अंत करीब है …………….तुम मानवयात्रा वाला फंडा बताओ चाचा ….. मानवता कैसे उठ सकती है !.” …………………सूत्रधार की तरह चन्द्रिका ने मंच का रुख मोड़ा

“… फंडा सीधा है ,..आना जाना फिर जाने खातिर आते रहना …”……………… भीखू चाचा की दो टूक पर सब देखने लगे ,..वो आगे बोले ..

“.. परमेश्वर ने दुनिया बनायी ,..ई उनका लंबा खेल है ,…कुछ लोग सपना मान सकते हैं ,….जगत के कण कण में खुदौ रच बस गए ,…सब ज्ञान पदार्थ दुनिया को दिया ,…कलप की शुरुआत से हम हैं ,..वैदिक काल के शुरू में ब्रम्हअंश ब्रम्हपुत्र मानव कम और जीव जंतु पेड़ पौधे ज्यादा थे ,….लाखों योनियों में भटककर आत्मा मानव का रूप पाती है ,…आत्मा को फिर परमात्मा से मिलाने का व्यवस्था केवल मानव शरीर से है ,..नीचे गिरने के मौके भी तमाम हैं ,..सब सिस्टम भगवान का अनंत ताकतवर कम्पूटर चलाता है ,…..ऊका साफ्टवेयर अचूक है ,….लाखों करोड़ों में से कोई सदात्मा भगवतधाम का परम सुख पाती है ,…..घोर पापी नरक भोगकर नीचे गिरते हैं ,..बाकी अपनी करमगति भोगने फिर यहीं पैदा होते हैं !..”

“..बात तो दमदार है लेकिन ई पतन काहे !..”……….आसरे काका ने जरा टांग अडाई….भीखू चाचा फिर शुरू हुए .

“..पतन के कारण हम हैं भैय्या !..हम भगवान से दूर भागते हैं ,…तभी दुःख घेरते हैं ,….बुराई बिन पानी बिन सहारे बढ़ती है ,…सतयुग में परमेश्वर देवियों देवताओं यक्ष गन्धर्व किन्नरों के साथ मानवता की पूजा होती थी ,…..ऊपर नीचे खेल का हिस्सा हैं ,..देवता भी मूरखता कर राक्षसी ताकतों को मौका देते थे ,…जब तमोगुणी राक्षसी ताकत बढ़ती हैं तब ईश्वर कौनो रूप में मानव को बचाते हैं ,….तभी ऊ दयानिधान दयालु हैं !…भगवान राम कृष्ण की रूप में साक्षात जीवन ज्ञान दिया ,….उनका पक्का भरोसा है ..सतपथ न छोडो ,..मैं तेरे साथ हूँ !.”

“..भगवान जी को अभी बख्शो ..आज की मानव यात्रा बताओ !..”

“..मानव यात्रा अद्भुत सरल है ,..हर जनम में अपने करम भोगो ,….बकाया लेन देन के हिसाब से अगला जनम ,…फिर करके भोगो और जमा खर्च बनाओ !..”………………….भीखू चाचा रुककर फिर शुरू हुए .

“..भाई देखो ,.हम हर परदूशन के जिम्मेदार हैं ,…ठीक करे के जिम्मेदारी भी है ,….हम अपने दोस्त दुश्मन घटाते बढ़ाते धरती पर पाप बढाते हैं ,…लौटकर हमही भोगेंगे ,….ज्यादा नछतर हुए तो अगली काया तक खींच लेंगे ,.तो काहे नहीं अगला रास्ता साफ़ करते चलते हैं ,….भगवान का कम्पूटर गलती नहीं करता है ,..मानव यात्रा में जाति सम्प्रदाय का रोड़ा नहीं है ,..पिछले जनम का दुशमन अबकी बेटा बन सकता है ,..भगवान खातिर धरती पर बस मानव जाति है ,…ऊ ज्ञानी हो तो ब्राम्हण ,..तेजवान शक्तिवान हो तो क्षत्रिय ,..व्यापर कुशल हो तो वैश्य…कर्म कुशल हो तो शूद्र !…सब पंचानबे शूद्र हैं ,..फिरौ साजिशों में भिड़ते हैं !..”

“..अच्छा अब दानव काहे बढते जाते हैं !…”………….रहमान भाई ने सवाल किया तो चन्द्रिका बोला

“..नरक में ज्यादा जरूरत होगी !….”…………………….इसबार आसरे काका आगे आये  .

“..अरे भाई ,..हमको ज्ञान धर्म भी दिया ,..जो न समझें ऊ मूरख ! …शिक्षा संस्कार योग ध्यान से विकार काबू कर सब सुख भोग सकते हैं ,…लालच वासना जैसे विकार के गुलामी से दुखे मिलेगा ,…..पाप दस ग्राम भी है हजारों टन का भी है,…सूक्षम पाप दयानिधान वैसे क्षमा करते हैं ,…….छोटे मध्यम भुगतने पड़ते हैं …सच्चे प्रायश्चित से माफ़ी मिल सकती है ,..घोर पापों की घोर सजा मिलनी है ,..अहंकार में उनके प्रायश्चित का मौका निकल जाता है ,….कुकर्मी की अकाल मौत से प्रेत बनते है ,..पीपल के नाखून से सैकड़ों साल उल्टा लटके रहते होंगे ..!”…………

“.भूत प्रेत दफ़न करो ….अच्छा हम कैसे कहाँ पैदा होते हैं ,.. अगले जनम का बीजा इंतजाम भी होना चाहिए ..” ….चन्द्रिका ने अगला तीर मारा

“..अक्सर हम वही देश स्थान में फिर जनमते हैं ,..बदलाव के मौके भी होंगे ,…..भगवान हमारी इच्छा जानते होंगे ,…जनम भूमि से आत्मा का लगाव होता है ,.ज्यादा लेन देन वहीं होता है ,..हम जहाँ का अन्नजल खाएं पियें ऊ धरती का कर्जा होता है !…नहीं चुकाया तो सूद समेत बकाया !…मानव खातिर बराबर लेन देन का नियम है ,..लिया देना होगा और दिया मिलकर रहेगा !..एक एक पाई का हिसाब है ,.. भूलने वालों को जोरदार देना पड़ता होगा …!.”

“..ठीक है मान लिया ,..आज बदलाव कैसे होगा …”…………….चन्द्रिका व्यग्र हुआ तो सब मुस्काये

“.. का बताएं !..सब भगवान का अंश लिए खेलते हैं ,….उनके खेल में जाति धर्म संप्रदाय क्षेत्र भाषा कौनो भेद नही है ,…सनातन मानवधर्म एक है ,.ऊका लक्ष्य मानवता उठाना है ….वही रामधर्म है ,…….भगवान केवल करम भेद करते हैं ,..गलत किया तो गलत ही मिलेगा ,..किसी का दिल शरीर आत्मा दुखाना पाप है ,..हमको आपसी रगड मनमुटाव छोडकर मानवता हित में देश खातिर लगना चाहिए ,…..परमेश्वर आखिर में हमें अपने पास लाना चाहते हैं ,..हम उनके खेल को सुंदर बनाकर उनसे मिल सकते हैं ,…मानवता उनका दिया वरदान है ,…लालच स्वार्थ में देश समाज इंसानियत घायल करने वाले घोर सजा वहीँ से पायेंगे ,..दुष्टों को ताकतविहीन कर अपना अधिकार लेना हमारा धर्म है !…अपने सच्चे पुत्रों का अपनी खातिर समर्पण देख भगवन आनंदित होंगे !…”

“..आनंदमयी भगवान की दुनिया में झूठे राक्षस काहे अत्याचार करते हैं ..”…..इस बार पुल्लू ने पूछा

“..ई लिए कि फिर सबका भरम टूटे ,….हर राक्षस लुटेरे अपराधी अत्याचारी का महानाश हुआ है …अहंकारी मानव जब मर्यादा तोडेगा तो खुद टूटेगा ,..फिरौ हम नही सीखते हैं ,….आदि शंकराचार्य जी कहे थे ,.ब्रम्ह सत्यम जगत मिथ्या !…..उनकी बात पक्की है ,…परमब्रम्ह परमसत्य है ,…उसका मिथ्या जगत भी सत्य ही है ,…झूठ की गठरी लादे हम मानव भी ब्रम्ह्सत्य हैं ,…सबकुछ सत्य है ,..परमेश्वर ब्रम्हा विष्णु शक्ति राम कृष्ण गाड़ अल्लाह प्रकृति सूरज चाँद तारे सब तो सच है !…झूठ हमारी रचना है ,…एक दूसरे को कमतर दिखाने खातिर दीवार खड़ीकर सेंधमारी करते हैं ,…सच्चे बनकर हम अपने अंदर से लेकर नारायणलोक तक उनको ही पाएंगे !.. देखने मिलने लायक कर्म करें ……. ईश्वर यत्र तत्र सर्वत्र हैं ……ऊ हमेशा मानव के सहयोगी हैं ,..किरपा सहयोग लेने न लेने खातिर हम स्वतंत्र हैं ,..

मानव यात्रा में जितना अच्छा करेंगे तो यात्रा सफल सुखी होगी ,..अपने स्वरूपों से मिलना जुड़ना बहुत शक्ति देगा ,…भगवान हर इंसान में बैठे हैं ,…कोई देखे चाहे नहीं ,….हम किसी से प्रेम करते हैं तो ऊ भी प्रेम करेगा ,..टेढ़ा देखकर गाली मार देंगे तो वही मिलेगा ,…चाहे अभी या आगे कभी ,……मानव यात्रा का महान खेल हमेशा चलेगा ,.लालची साजिशी अधर्मी राक्षसी ताकतें हमेशा गलत काम करेंगी ,…मानवयात्रा को भटकाना उनका सत्य है !…वो भी ब्रम्ह्सत्य का अंश हैं ,……हम सब यात्री हैं ,…अपनी यात्रा सुखद बनाने का जिम्मा हमारा ही है ,..अपने कर्म पुरुषार्थ से झूठा जाल तोडना ईश्वर की अखंड आज्ञा है ,..तब राक्षसी काले कबूतर फुर्र हो जायेंगे ,….हमारी सुख शान्ति हमारे सुकर्मों से आएगी  ,….सुकर्म धर्म से पनपते है ….मानव सेवा हमारा और मानवता की रक्षा ईश्वर धर्म है !…..सब अपने धर्मों का पालन करेंगे !…”………..सभी मूरख लगभग सहमत दिखे ,……. शाम गहराने लगी थी ,….मूरखों ने फिर जुटने के वचन से आज विदा ली ….मंच आज विसर्जित हो गया ,..लेकिन समापन थोड़ा दूर है …….वन्देमातरम !

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