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गतांक से आगे ………….“..सही हो भाई ……सब संस्कार भूले का नतीजा है !…”……….आसरे काका ने लकडियों को ठीक करते हुए फूंका तो रहमान भाई आगे बढे .
“…संस्कार कहाँ से मिलेंगे भैय्या !………. लाचार महतारी बाप रोटी के वजन से दबे हैं ,…जिनको खाने का ठिकाना है ऊ कुछ जानते नहीं ,..बाकी नशेबाजी में मस्त हैं ,..इंडिया वालों को कमाई से फुर्सत कहाँ ,…बच्चे को कुछ मिले न मिले ,..देकर सबकुछ जायेंगे ….भले ऊ पिछवाड़े लात जमाये !……………..अरे भैय्या भूखे नंगे मुल्क में बच्चों को ढंग से रोटी कपड़ा नहीं मिलता ,…बाकी प्यार से खाली हैं ,..संस्कार कौन सिखायेगा !………..घर खाली गया तो स्कूल से कौन आशा ,…हिन्दुस्तान के दुश्मनों को संस्कृत भाषा से परहेज है ,….हमारी महान भाषा को नेहरू खानदान अंग्रेजी चटनी से चाट गया ,…देश लूटने वाले गद्दार काहे हमारे संस्कार संस्कृति बढ़ाएंगे ,….बच्चो को घर में चार बात सिखा दिया तो बाहर जाकर धुंवा हो जाएगा ,….चारों तरफ भयंकर परदूशन है ,….बात बात में बलात्कार की आदत है ,…..गन्दगी से दिमाग भरे हैं ,…लुटेरों की साजिशों ने हमें कहीं का नहीं छोड़ा है !..”……….रहमान भाई की पीड़ा पर गोविन्द बोला .
“…सदियों से दबाये संस्कार एक दिन में नहीं आयेंगे ,….. फिरौ उजाला तो है ,….उकी तरफ तेजी से बढ़ना होगा !….बड़े अच्छा करेंगे तो बच्चालोग जरूर समझेंगे …. अंग्रेजीराज का जहर बहुत भयानक है ,…. इंडिया को भारत में मिलना होगा ,… सब एकै बीज है !…अपराधियों के राज में सब शिकार हैं …गिनती के गद्दारों ने लोकतंत्र खंड खंड करा है ,..यही लूटतंत्र चलाते हैं ,…बलात्कार व्यभिचार लूट अत्याचार अन्याय के गुनहगार यही गद्दार हैं ,……… गुनाहों से देश दुखी है ,……गली सड़क बाजार दूकान मकान थाना दफ्तर कुछ सुरक्षित नही बचा ,..इंसान बच गया तो जहर खा पीकर बीमारियाँ खा लेंगी !…..बचना है तो सबको बदलना होगा !..”………….गोविन्द रुका तो आसरे काका ने फिर कमान संभाली
“….जथा राजा तथा परजा !…… अंधेरनगरी चौपटराजा में सच दबाया छुपाया गया है ,..सफ़ेद झूठ बढ़ाया दिखाया गया है ,..हमको खंडित करने की साजिशें हुई हैं ,….देश अपराधियों के हाथ है ,….हमारे खंडितपन से अपराधी बुलंद हैं ,…….वेदना धीरे धीरे संवेदना खतम करती है ,…आम आदमी खुदै अपने जाल में उलझा है ,…रोज का दर्द आदत बन जाता है ,…..सदियों से हम लूटे कुचले गए हैं ,…….खुले अत्याचार व्यभिचार से बेशर्मी फैलती है !…….. चोर थाने से पहले छूट जाएगा ,.नेहरू से सोनिया वाड्रा गांधी तक यही होता है ,…हमारी सम्पन्नता सुख धर्म संस्कारों के लुटेरे फिर बेशर्मी से लूटते हैं ,.. कौनो का बाल नहीं बांका होता ,.जांच अदालत संविधान अचार मुरब्बा बन जाते हैं ,….. सत्ताधारी लुटेरे भारत को प्राण देने वाले स्वामीजी को मिटाने फंसाने गिराने की साजिशें रचते हैं ,….चोर दामाद रोज लाखों की सुरक्षा फूंकता है ,…..बिना जांच पड़ताल देशभर में गांधियों के दलाली ढोता है ,…….गद्दार सत्ता सच्चे पूर्व सेनापति को सुरक्षाहीन करती हैं ,… चाटुकार दलाल होता तो राजभवन भेज देते ,…देशभक्त को मिटाने का पिलान बनायेंगे !…..
भारतद्रोही कुकर्मी करता धर्ता इतना गिरे है ,… गाँव गिरांव शहर मोहल्ला टोला कौन देखे ,….चोर सिपाही एकै पाले में हैं !…अमरीका छाप गांधी सत्ता शरीफ बनकर जनता चूसती है ,…..कामाचार का परचार है ,तो व्यभिचार ही होगा ,..नशा सिर चढ़कर बेचते हैं तो दरिंदगी होगी !……काली कमाई वाले नेता पुलिसिये अधिकारी कर्मचारी व्यापारी खुल्ला व्यभिचारी हैं ,…बाकी लाचार गुलाम हैं !………अंग्रेजी व्यवस्था गांधी नाम दाम की गुलाम है,…..लुटेरी व्यवस्था में आम आदमी का करेगा ,….”………….आसरे के रुकते ही नन्हे तड़पा
“…देश के राजा हम हैं काका …महापुरुषों ने अब जगाया है ,..हम सबकुछ करेंगे !…….हजारों जख्मों के बादौ भारत का स्वाभिमान कमजोर नहीं है ,…..अत्याचारों के घाव और ताकत देंगे ,………………देशभक्ति की आग हर हिन्दुस्तानी के सीने में है ,……ई आग जंगल की तरह फैलेगी ,……राक्षसी जाल एकदिन जड़मूल से भसम होगा !…..हमको गरीब बनाकर लूटने वाले गद्दार खानदान कहीं के नहीं रहेंगे ….अंग्रेजों की साजिश देशतोडू कांग्रेस और रंग बदलकर उनका झंडा उठाये गद्दार नेता पार्टी मिट्टी में मिलेगी ! ”………..नन्हे की गर्जना के बाद कोई नहीं बोला ..सब भीखू की तरफ देखने लगे ,..वो धीरे से बोले
“…..सीधी बात हैं भैय्या ,…..बिना राक्षसी व्यवस्था बदले कुछ नहीं बदलेगा ,..ई लुटेरे घोर पाप करते करवाते रहेंगे ,…हमारी इज्ज़त आबरू कुचलेंगे ,…हमारा धन इनकी तिजोरियों की शोभा बढ़ाएगा ,अंग्रेजी व्यवस्था में विदेशी ऐश करते हैं !…………………..बिना राजतंत्र दफनाए व्यवस्था नहीं बदलेगी !…….. एकजुट समाज ही गद्दार राजतंत्र बदलेगा ,…….. हमको सुख चैन सुरक्षा न्याय चाहिए तो एकसाथ नेकी की राह पर चलना होगा ,…ई हमारा सुभाग है कि इंसान बने ….बड़े सुभाग से भारतीय बने ,…बहुत बड़े सुभाग से साक्षात भगवान … तपस्वी ऋषियों महापुरुषों ज्ञानियों से प्रकाश मिला !…..हम मूरख औकातहीन प्राणी है ,…..हम शून्य हैं फिरौ बोलना करम धरम है तो हम बोलेंगे .. और पूरा बोलेंगे !…” ……..
“…..चाचा तुम हमेशा ई बात कहते हो और ठीके कहते हो ……चलो अब एक एक कदम आगे बढ़ाओ …पहले अँधेरे में डूबे विश्व के ज्ञानसूर्य भारत को अपनी दियासलाई दिखाओ !…..”………………….चन्द्रिका ने व्यंग्यित तीर मारा तो भीखू चाचा ने जेब से कागज निकालकर राजू को पढ़ने का आदेश दिया ….क्रमशः
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