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मूरखमंच…..अपराध भूमि !

हमार देश
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आदरणीय मित्रों ,बहनों एवं गुरुजनों ,..सादर प्रणाम ………..मूरखमंच फिर अलाव के चारों तरफ आ गया !…..विलायती बबूल का जलावन है ,….आइये आपको वहीँ ले चलते हैं ,….

………………………………………………………………………..

“…ई देखो !…संयुक्त राष्ट्र वाले दुष्कर्म को भारत की राष्ट्रीय समस्या बताते हैं !..”…………पुल्लू शर्मीली पीड़ा से बोला .

“..ठीकै बताया  ,…घड़ी घड़ी घिनौने कांड होते हैं ,……..अमेरिका विदेश में बहुतै ज्यादा पाप है ,..उनकी भोगी सभ्यता है ,..खुदै भोग करेंगे ,……… कुकर्मियों के राज में हमारे कुकर्म कैसे रुकेंगे ,……हमारी सबसे गंभीर समस्या ई राक्षसी व्यवस्था है !…”………….आसरे काका ने पुल्लू को सुर दिया तो मिलन बोला .

“..ई बलात्कार दुष्कर्म काहे हैं !….. भारत कैसे अपराध भूमि बन गया !…..”……………मिलन के प्रश्न पर भीखू चाचा की टीस मुखर हुई

“..भारत अपराध नहीं देवभूमि है !…..  भारतीय सभ्यता में अपराधहीन समाज थे ,…साजिशों के चक्रव्यूह में फंसने का खामियाजा हैं !….अपने सभ्यता संस्कारों से जुडकर आगे बढ़ेंगे तो फिर रामराज्य आएगा !..”

“..आएगा रामराज्य !……. कौन जुडेगा …पढ़े लिखे अंग्रेजी हैं ! ….. भूखे नंगों की कौनो सभ्यता नहीं होती !….”

वकील बाबू के तीखे वार पर आसरे काका तिलमिलाकर बोले .

“…सबको सुख शान्ति चाहिए बाबू !…….हम अंग्रेजी जाल में फंसे हैं ,..एकदिन हिन्दुस्तानी खून राक्षसी जाल की धज्जियाँ उड़ाएगा ,……स्वाभिमानी कर्मयोगी दुनिया बदलेंगे !……तब इंसानी सुख-शान्ति सम्मान-सुरक्षा यकीनी होगा !………………..समय चक्र जरूर पलटेगा वकील बाबू !…….भूखे नंगों की फ़ौज गद्दारों से अपना हिसाब लेगी ,…….पूरी दुनिया भारतीयता अपनाएगी ,….भारतीय ज्ञान भक्ति धरम संस्कार चहुंओर फैलेंगे !!…”………………..वकील बाबू खिसियाकर चले गए तो नन्हे बोला

“..सयानी दुनिया भारतीयता अपनाती है ,..भोग के शोक में डूबा पच्छिम योग ध्यान आध्यात्म आयुर्वेद का मुरीद है ,..ज्यादा सयाने अपना लेबिल लगाकर हमारा ज्ञान बेचते हैं ,… भारतीयता फिर जमाने का महानतम काम स्वामी रामदेव जी और आचार्य जी ने किया है ,….ई शिखर ऊंचा और ऊंचा होगा !..”

“………वकील लोग बात अलग खींच जाते है ,…… दुष्कर्म व्यभिचार से इंसानियत शर्मशार है ,….देवभूमि की संस्कारी सभ्यता में ऐसा काहे हुआ …. दरिंदगी का दंश कैसे मिटेगा !…”………………..मिलन और दृढ़ता से अपने सवाल पर लौटा तो सब भीखू चाचा को देखने लगे ,…वो आसरे की तरफ देखकर बोले ,..

“…परमेश्वर ने सबको अधूरा बनाया है ,..बिन शक्ति के शिव भी अधूरे हैं ,..अर्धनारीश्वर पूरन ईश्वर है ,..परमेश्वर की नक़ल प्रकृति है ,.इसमें उनके सब तत्व हैं ,…..हर इंसान जीव जड़ में उनका ही अंश है ,…दुनियावी पंचतत्वों से  भगवान ने इंसान बनाया है ,..जिसके अंदर भी ब्रम्हांड है ,……लेकिन इंसान भी अधूरा है ..पूरा होने खातिर विपरीत लिंगी आकर्षण स्वभाव है !….”……

“..ऊ सब जानते हैं ,…..यहाँ काहे भगवान को फंसाते हो …..मुद्दे पर आओ !..”………………..बेसब्र चन्द्रिका ने भीखू चाचा को टोका तो पुल्लू भड़का

“.. मुहबंदी करके केवल सुनो चंदिरका !………सबकुछ भगवान का है …कुछौ उनसे अलग नहीं है ,…तुम बोलो चाचा !..”………………..भीखू चाचा दार्शनिक अंदाज में आगे बढे

“..सब भगवान से शुरू होकर वहीँ खतम है ,……. जनम जन्मांतर से दुनिया यही गोल घेरा घूमती है ,…हमेशा घूमेगी ,……”……..

“..अच्छा माफ करो ,..आगे बढ़ो !…”…………….चन्द्रिका सभी भावों को छुपाकर बोला तो मूरख चेहरों से फीकी मुस्कान निकल गयी ,…आसरे काका उकडूं हो गए

“..देखो,… जहरीला पानी कब से सिर ऊपर है ,….आज हम पूरी चर्चा करके उठेंगे ,……मुसीबत की जड़,..ऊ कैसे फैली …निपटाने का उपाय और फिर फैलने से रोकने का उपाय सबकुछ खोजना है …..अब शुरू से आखिरी तक बोलो !…”………

“.ठीक कहते हो आसरे !…. हम मूरख जितना जानते समझते हैं सब बोलेंगे  ……….बाकी भगवान जानें ,. रगड़ा कब शांत होगा ! …..”………..भीखू चाचा ने मेरी तरफ नजर का तीर फेंका ,.. सादर स्वागत के अलावा मुझे कुछ नहीं सूझा … तब तक सीता दादी भी आ गयी ,…..मेल मिलापी के बीच पुल्लू चन्द्रिका ने बैठकी का इंतजाम किया ,…घेरा और खुल गया ……भीखू चाचा आगे बढे .

“..सब प्राणी को वंश बढाने खातिर कामशक्ति मिली है ,……कुछ जाति दोलिंगी भी हैं ,…आदि से देव दानव मानव यक्ष गन्धर्व जीव जंतु सब यही करते आये हैं ,..शक्ति बहाव में आनंद काहे नहीं होगा !…… इंसान के अलावा सब मर्यादा में रहते हैं ,….सबका धर्म है ,…भारतीय सनातन धर्म में संयमित सुखकारी भोग के रास्ते हैं ,..सभी धर्म अवतार महापुरुष नैतिकता ही सिखाते हैं ,….अधर्मी नीचे गिरते हैं …आज तभी मानवता नीचे जाती है ! …”….

“.. इधर उधर की आदत है ….सीधा नहीं चलते !..”…………… चन्द्रिका इसबार मिलन के कान में जोर से फुसफुसाया …भीखू चाचा नजरअंदाज कर आगे बढे .

“…मातृ पूजा हमारा सनातन धर्म है ,..नारी सम्मान हमारी परम्परा है … भारत में नारी पुरुष के कंधे आदिकाल से समर्थन में मिले है ,…..ऋषिपत्नियाँ अपने पति की साधना तपस्या आश्रम शिष्य पुत्र पुत्री सबका पालन करती थी ,….राजबहुवें पति पुत्र के साथ युद्धमैदान तक जाती थी ,……योद्धा ,.पंडित..व्यापारी ,.किसान,.कारीगर सेवक सब पत्नी पुत्रियां ज्यादा जिम्मेदार थी ,…. पर्दा प्रथा जैसा कुछ नहीं था …..बिटिया को वर चुनाव का अधिकार था ,.. जीवन भर प्रेम सहयोग से गृहस्थी चलती थी ,…न कोई कुरीति न कौनो संताप पीड़ा पाप !……”……………

“..तो अब काहे पापमय हो गया ,.दुष्कर्म बलात्कार सुन पढकर कान अंधे हो गए …..कलेजा भी नही फटता है !.”………… चन्द्रिका का धैर्य फिर टूटा  ,…..घूरती नजरों के बीच सीता दादी ने फटकारा … “..काहे का एक जबाब नहीं है …..धीरज रक्खो !..”………..आसरे काका भी टपके ……..

“…दुष्कर्म और बलात्कार के अलग मतलब भी हैं ,…दुष्कर्म के पापी दोनों हो सकते हैं ,….बलात्कार राक्षसी कुकर्म है ,…इसकी कठोर सजा जरूरी है ,..बाल और समूह राक्षसपन खौफनाक सजा मांगता है ,……..और ……..हम पुरानी बात याद करते हैं ,.काहे से कि अंग्रेजी गुलाम हमारे दिमाग में कचरा भरते है !……”………. भीखू चाचा फिर शुरू हुए .

“…घोर पाप शुरू हुआ …..इस्लामधारी लुटेरों से ,…. पहले दुश्मन राजा भी औरतों का सम्मान करता था ,…कुछ राक्षसी लोग होते होंगे,………….दरिंदों ने भयानक लूट मारकाट के बीच हमारी अस्मत कुचली ,…अनगिनत पुरुष शहीद हुए … बेदर्दी से मातृशक्ति बेआबरू की गयी ,… धर्म छोड़ने खातिर हम और कुचले गए ,..हमारे संस्कार मिटाए गए ,..ज्ञान और ज्ञानी लोग मिटाए गए !……….राक्षसी निगाहों से बचाने खातिर माताएं बिटिया मारने की मातमी व्यथा झेलती ,….पर्दा प्रथा तभी शुरू हुई ….. बाद में गैरबराबर जनसँख्या और हरमी सत्ताओं सामंतों ने और कुकर्म बढ़ाया…..फिरौ हमारे शिक्षा संस्कार नहीं मिटे ,..राक्षसी अपराधों की बाढ़ में हम नैतिक बने रहे ,….लेकिन अपराधी माहौल में मातृशक्ति लगातार कमजोर हुई ,……

कपटी अंग्रेज लुटेरों के राज में आम नैतिकपतन शुरू हुआ ,..जल्लादों जैसी निर्मम भोगवादी लुटेरी सभ्यता चरित्रवान कैसे होगी ,…….अनैतिकता और अपराध का जाल मजबूत होता गया ,. भारतीय शिक्षा संस्कार मिटाने के अनेकों प्रयासों में लार्ड मैकाले सबसे कामयाब रहा ,…..महानतम सभ्यता के पतन खातिर ऊ चाहता था भारतीय अपना सबकुछ अंग्रेजी से दोयम समझें ,…..चरित्रवान भारतीय शिक्षा की बर्बादी से हम बहुत बर्बाद हुए !…तभी हमारा भयानक नैतिक पतन हुआ !….अब भारत पर शरीफ दिखने वाले भयानक राक्षसों का राज है ,… अंग्रेजीदां देशद्रोही भारत बर्बादी का हर काम करते हैं ,.ई भारतीय धन सभ्यता संस्कार चरित्र के दुश्मन हैं ,……..पीना पिलाना सोना सुलाना फैशन है ,……गन्दगी सजाकर दिखाते हैं ,….नारी सौंदर्य बजारूमाल है ,…नारी कर्मठता की जगह अंग उभार पर जोर है ,….कामाग्नि भडकाकर लोलुप वासना फैलाते है ,…..वासना में दिमाग राक्षसी बनता है ,.नशा पापाग्नी और भडकाता है !…….फिर दरिंदगी का जनम होता है ,…..अधकचरा पुरुष महिला को कामसामग्री समझता है ,…..

नारी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती है ,..वो भी माँ बहन पुत्री का गौरव भूलती है ,….अनैतिक लोलुपता सबमें है ,..सही गलत लिंग भेद नहीं रखते !………समस्या की जड़ माहौल है !…इंसान पर माँ बाप शिक्षा संस्कार परिवार के साथ सामाजिक माहौल का असर होता है  …………. अपराध की शिकार नारी है ,……दुर्भाग से शामिलियत भी बढ़ी है ,…यही नारी हमारी माँ बहन बिटिया है !…

समाज में राक्षसी प्रवित्ति वाले कुछ इंसान होते हैं ,…माहौल पाकर औरों को अपने जैसा बनाते हैं ,..भारत इंडिया के बीच खाई में मानवता फंसी है ,….भारत इंडिया के सौन्दर्यजाल में चकाचौंध है ,.. सौन्दर्यजाल पीड़ित हीनभावना भरता है ,……भोगवादी संस्कृति और खोखली होती कामवर्जना के बीच फंसे मानव को दोनों किनारे पाप खातिर उकसाते हैं ,……….काम वर्जना के साथ वासना आमंत्रण भयानक दिमागी विकृति पैदा करता है ,…..”

“.. उपाय का है !….”…………..नन्हे ने उकताते हुए पूछा .

उपाय चौतरफा करना होगा !….अपराध का कड़ा दंड मिलना चाहिए !….गाली संस्कृति को मिटाकर हमें अपने सभ्यता संस्कार अपनाने होंगे  ,…भोग के साथ संयम धर्म जरूरी है ,..नारी सम्मान किताबों से व्यवहार में लाना होगा ,….नारी को भी आगे बढ़ना होगा ,..राक्षसत्व से युद्ध में जिम्मेदारी लेनी होगी ,. महिला पुरुष भोग के सामान नहीं सुख दुःख के सच्चे साथी है ,….ज्ञान विज्ञान के साथ नैतिक आध्यात्मिक शिक्षा मजबूत समाज की रीढ़ है ,………..पच्छिमी कमाऊ उडाऊ मौज मनाऊ संस्कृति छोड़ना होगा ,.वासनाजाल से दुखै मिलेगा !….पापाचार का अंजाम गलते होगा ,……..आग में पेट्रोल का काम नशों का है ,… रोकना चाहिए ,… कामुक मनोरंजन और अपराधी मानसिकता बढ़ाने वाले धंधे रोकने होंगे !….साबुन इत्र गाड़ी संडासी कोला बेचे खातिर नारी शरीर दिखाना बंद करना होगा !……योग प्राणायाम से तन मन के विकार मिटाकर हमें सच्चा इंसान बनना होगा …. धर्म संयम से सुख भोग हमारी महान विरासत है ,……दहेजप्रथा मिटाकर भेदभाव मिटाना होगा …. चक्के छोटे बड़े होने पर गाड़ी नहीं चलती ,…संयोग के सम्मान से भगवत सुख मिलता है …. समय से विवाह और परिवारी एकता से सद्गुण बढते हैं ,…हमें ज्यादा बदलना नही है ,..सुधरना और जुड़ना होगा …

हमको नशे अपराध अंग्रेजियत बढ़ाकर लूटने वाले राजतंत्र को बदलना होगा ,……अत्याचारी अन्यायी भ्रष्टतंत्र में कौनो आशा निरा मूरखता है  …. आज नारी सम्मान और मानवता गंभीर घायल है…लूटतंत्र में सिपाही से लेकर थानेदार जज सब बिकते हैं ,. …,..डरावनी कानून व्यवस्था में मालदार दरिंदे जेल भी पहुंचे तो भी सेवा मिलती है ,………ताकतवर को कोई सजा नही दिला सकता …अपराधी पुलिस पर खादी जूते की नोक है ,… सफेदपोश नेता सबसे बड़े अपराधी है ,……गद्दार राजतंत्र दरिंदों का साथी है ,.. बार बार मानवता के चीथड़े उड़ते है…… देश के करता धर्ता गांधी चोर लुटेरे देशद्रोही हैं ,……देश की सम्पन्नता चंद गद्दारों की बपौती है ,…हमारी सुरक्षा सुख शान्ति के लुटेरों को सुरक्षित वीआईपी लूट का अधिकार है ,…….गांधी बाबा की मोटी सिफारिश में न्याय कैसे मिलेगा !….आमजन को अनैतिक गिरा बनाने की चौतरफा भयानक साजिश है ,……. मातृशक्ति को अपनी शक्ति पहचाननी होगी ,..ऊ अबला नहीं शक्तिपुंज है !….मातृशक्ति भावना में बहने की जगह भावना से राष्ट्र निर्माण करेगी !……अत्याचार के खिलाफ सदाचार का संयुक्त प्रयास माँ दुर्गा जैसी प्रचंड शक्ति भरेगा ,….. निर्माण नारी स्वभाव है ,…परिवार देश समाज निर्माण में नारी बड़ा योगदान देती है,..फिर देगी !………घायल भारत शक्ति भीषण पलटवार करेगी ,..कुकर्मी भेडिये भागेंगे !….हमारा सम्मान गौरव आएगा,…… हमें एकजुट स्वच्छ भारतीय समाज का हिस्सा बनना होगा ,…अन्यायी व्यवस्था पलटकर खुद को बनाना हमारा पहला धर्म है ,….खुद को बचाने संवारने की जिम्मेदारी सबकी हैं ,…महिला पुरुष मिलकर राक्षसतंत्र उखाड़ देंगे ….. साजिशें तोड़कर हम अपनी संस्कृति भाषा व्यवस्था ज्ञान अपनाएंगे ,…वासना दुःख से भगवतमय सुखी जीवन मिलेगा …मानवता का हित भारतीयता अपनाने में है ,…..भारत का हित मानवता अपनाने से है ,…सच्ची भारतीयता ही मानवता है ,……जब हम समझेंगे तब भारत अपराध मुक्त होगा ,…शिवशक्ति के राष्ट्र में सब सुखी सुरक्षित होंगे ,… हम सदमार्ग पर साथ चलेंगे ,…राम राज फिर आएगा !……….अत्याचार अधर्म कुकर्म से मुक्ति दिलाने ईश्वर हमेशा आते हैं !…….आलसी गैरजिम्मेदार हम मूरख हैं ,….भगवान नहीं !..ऊ हमेशा सच्चा रास्ता दिखाते हैं !.”

“…वाह !… गुनाह की आदत तुम डालो …. निपटायेंगे भगवान !…..”………………जगह बनाकर अलाव में और लकडियाँ डालते वकील बाबू ने फिर तंज कसा …………..क्रमशः

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