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मूरखमंच…..भारत सुराज !

हमार देश
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भीखू चाचा देर तक मौन बैठे रहे ,.. निगाहें उनपर टिकी रही ,…. वो गहरी सांस लेकर बोले ..

“..भारत सुराज चाहिए तो सबको बदलना होगा !…”

“..सबको ,..मतलब !..”………….चन्द्रिका ने छूटते ही पूछा

“..हमको तुमको इसको उसको माने सबको !………देश में चार तरह के लोग हैं ,…एक बिलकुल राक्षस हैं ,..उनको हमसे एक पैसा मोहब्बत नहीं है ,….उनको हिन्दुस्तानी कहना गुनाह है !…उनका माँ बाप भगवान सब पैसा है ,..उनकी खातिर इंसान मुर्गी का अंडा है ,..वो विदेशिओं की साजिश में भागीदार हैं !…साजिश के तहत ऊ लोग हिन्दुस्तानी लिबास पहनते हैं ,.हिन्दुस्तानी भाषा बोलते हैं ,..हाथ जोड़ते हैं फिर हिलाते हैं ,.. नाटक नौटंकी करके हमको लूटते हैं ,…”……….

“..हम समझ गए….गांधी नेहरू एंड संस की बात करते हो न !…”……………पुल्लू ने मासूमियत से टोका तो भीखू मुस्कराकर फिर शुरू हुए .

“..ऊ डाकुओं का सरगना हैं ,..गिरोह बहुत बड़ा है ,…उनके तमाम दल हैं ,.सबमें खाऊ सिपहसालार जमे हैं !….ज्यादा नेता हैं ,….बाकी उद्योगपति और नौकरशाह हैं ,…कुछ एनजीओ मार्का समाजसेवक भी हैं ,..पूरे देश में एक लाख से कम होंगे !….लेकिन नब्बे पैसा धनदौलत पर इनका कब्ज़ा है !…..ई लुटेरे नहीं बदल सकते हैं ,…..हमारा सब माल इनके कब्जे में है ,..इनको उल्टा लटकाना होगा तभी उगलेंगे !….गुलाम पगड़ी ने यही कहा कि आपसी लेनदेन का खुलासा नहीं हो सकता है ,.. आपसी लेनदेन में देशबेचकर हमको बर्बाद करते हैं ,……………दूसरे नंबर पर इनके पालतू चोर हैं ,………… गले में मालिक का फंदा कसा है ,….मजबूरी में सही उनकी खातिर हमारा शिकार करते हैं ,…कुत्ते के मुह खून लग जाय तो ऊ शिकारी बन जाता है ,…राक्षसी लुटेरों ने इनके मुह में खून लगा दिया है ,.मालिक के तलवे चाटकर हमारा शिकार करना इनकी आदत है ,…ई ज्यादा सरकारी बाबू ,.पुलिस ,.. ठेकेदार ,..मिलावटखोरी और बेईमानी से धंधा चमकाने वाले व्यापारी हैं ,……पूरे देश में ई एक करोड़ से ज्यादा नहीं होंगे !…………..इनके बदलने की कुछ संभावना है ,……खोपड़ी पर डंडा देखकर का पता जमीर जाग जाय !…..वैसे इनकी हालत कुत्तों से बुरी है ,….इनको घर बाहर कहीं चैन नहीं है ,..भगवान को पूंजकर उनको धोखा देते हैं ,..भगवान मौके पर बदला लेते हैं ,.हो सकता है पश्चाताप में सुधर जांय !…”……

“..सही कहते हो भीखू ,…..चौला के तहसीलदार ने बहुत माल बनाया था ,..बुढापे में लौंडो ने पीटना शुरू किया तो सब मंदिर को दान कर दिया था !..”…….. आसरे काका की बात पर रहमान भाई बोले

“..उसका का फायदा !….समय रहते अक्ल आती तो भगवान कुछ सुनते ,…हराम कमाई पर पली औलादें लात जरूर मारती हैं !..”…. भीखू फिर शुरू हुए .

“..तीसरे नंबर पर करीब एक चौथाई जनता है ,….ई मेहनत की कमाते खाते हैं ….पेट भरता है ,..शरीर पर कपडा है ,..रहने को मकान है ,…मजे से जिन्दा जरूर हैं लेकिन कौनो सुख शान्ति नहीं है ,….जिंदगी भागादौड़ी में पार होती है ,….एक चिंता मिटने से पहले चार घेर लेती हैं ,…..कभी बच्चों की पढ़ाई ,.कभी मकान ,कभी शादी कभी बीमारी इनको चैन से नहीं बैठने देती है ,…लुटेरों की मंहगाई इनका भी कचूमर निकाल रही है ,…बचा खुचा काम नशापत्ती में निपट जाता है ,.. फैशनी सामान इनकी कमजोरी है ,…..ई लोग अपनी खातिर अच्छा सोचते हैं ,..भगवान के भक्त हैं ,..लेकिन तमन्ना अधूरी रहती है ,….काहे से कि ऊपरी दर्जे की नक़ल में चादर से बाहर पाँव फैला लेते हैं ,..ऊपर वाले इनकी चादर काटकर छोटी कर दिए हैं !….सबकुछ होते हुए ई लाचार हैं,… देश की बर्बादी पर आंसू बहाने और नेताओं को गरियाने के अलावा कुछ खास नही करते !……”

“..ई शुतुरमुर्ग जैसा मध्यम वर्ग है ,……कल का ठिकाना नहीं और बीमा लेंगे विदेशी कंपनी का !….बच्चों को कर्जा लेकर अंग्रेजी पढायेंगे चाहे ऊ बेरोजगारी में नशेड़ी बने ,…..काट-कपट के सोना जरूर खरीदेंगे लेकिन पहनने की हिम्मत नहीं होती ,..का पता कब कौनो छीन ले जाय ,…ई क्रिकेट का भी मरीज है ,..धोनी के छक्के पर खुद छक्का बन जाते हैं ,.पकिस्तान से मैच में इनकी देशभक्ति उबलती है ,…खुद भिखारी की तरह लुटेरों के रहमकरम जिन्दा हैं लेकिन भगवान खातिर भीख देते हैं ,..पक्के भक्त हैं ,..लेकिन पूजा सामग्री चीन वाली खरीदेंगे ,… कोई अन्ना केजरीवाल टीवी पर छा जाय तो भेंड़ की तरह चलेंगे ,.लेकिन बस चार दिन ,…बाबा रामदेव को दिलो जान से चाहते हैं लेकिन घर में बैठकर !..” …..इस बार चन्द्रिका ने तडका लगाया तो रहमान भाई ने टोका .

“..ऐसा नहीं है चन्द्रिका ,..बहुत लोग बदलाव खातिर लड़ने को तैयार हैं ,…इनकी जिंदगी दांव पर है ,..बाजार के दाब में कमजोर हैं जिस दिन खड़े हो गए ,..चोर लुटेरों की पैंट गीली हो जायेगी !….अपनी खातिर ही सही एकदिन जरूर एकजुट होंगे !.”……रहमान भाई के ढांढस बंधाने पर सब फिर भीखू को देखने लगे .

“..हम जैसे बाकी मूरख चौथे नंबर पर हैं ,….हमारे हाथ कुछ नहीं है ,…न मरे न जिन्दा हैं ,बस चल रहे हैं ,..मकान है तो कपड़ा नहीं ,..कपड़ा है तो रोटी नहीं ,…रोटी है तो दाल नहीं ,..खटिया है तो चादर नहीं !..परिवार है तो खेत नहीं ,….खेत है तो पानी नहीं ,..पानी है तो खाद नहीं ,..बीमार हुए तो डाक्टर नहीं ,..डाक्टर मिला तो इलाज नहीं ,..इलाजौ मिला तो फायदा नहीं ,…..बच्चों के स्कूल हैं तो मास्टर नहीं ,..मास्टर हैं तो पढ़ाते नहीं ,..पढ़े नहीं तो तरक्की की बातै बेकार है ,….डाकुओं ने सबसे ज्यादा हमको सताया है ,…हमारा खून मांस नोचकर लुटेरों ने अपनी तिजोरियां भरी हैं,… फिर हमारा ही एक रुपया खैरात में देकर गद्दार लोग ताली बजवाते हैं,..हम बेहोशी के आलम में जिए जा रहे हैं !!..”………कहते कहते भीखू चाचा का गला भर आया ,…सबकी भावुकता छलकने लगी …

………….”…अब बर्दाश्त नहीं होता चाचा !…..आगे बताओ सुराज कैसे आएगा ,..कब हमारी जिंदगी में सुख शान्ति आएगी !“………….मिलन ने बेसब्री से भीखू चाचा का झकझोर तो वो उबल पड़े .

“..सुराज खातिर आँख खोलो ,बगल बैठे खुद को देखो !….सबका हाथ पकड़कर पूरा देश खड़ा कर दो !….कभी एक आदमी को सुख शान्ति नहीं मिलती है ,..पूरा समाज सुखी होगा तभी सब सुखी होंगे !……जिनकी आत्माएं सोयी हैं उनको जगाओ !…भगवान को मानने वाली सवा अरब आबादी पर एक डाकू सरगना और उसके चाटुकार लुटेरे राज करते हैं ,…भगवान को भी हम पर शर्म आती होगी !.”…………….

“..इंसानियत शर्मशार है तो भगवान काहे नहीं शर्मायेंगे हम पर ,….जिधर देखो उधर अनाचार अत्याचार है ,..कहीं मासूमों का बलात्कार होता है तो कहीं अपनों का ही क़त्ल होता है ,…अवैध सम्बन्ध जैसे गाजर मूली की खेती है ,….विदेशी पढ़े गंवार शादी व्याह बेकार मानते हैं ,… बिनब्याहे जोड़े मस्ती से साथ रहते हैं ,. जीवन साथी को स्टेपनी बनाकर खुश हैं,….जब चाहा टायर बदल लिया !……अपनी मस्ती में इंसान खो गया है ,… दूसरे की परवाह का टाइम नहीं है !..”……………मौका पाकर आसरे काका ने अपनी बात रखी तो चन्द्रिका घूरकर बोला

“..काका सब बात सही है ,..चारों तरफ मुसीबत है लेकिन ई बात कल कर लेंगे !…” ,…..आसरे काका चुपचाप भीखू की तरफ देखने लगे .

…………भीखू चाचा आहिस्ता से शुरू हुए ..

”…सब मुसीबत आपस में जुडी हैं चंदिरका !………अंग्रेजी बीमारी हमारे दिमाग में पहुँच गयी है ,…मैकाले यही चाहता था कि हम दिमागी गुलाम बनें ,… समाज को नैतिक बनाने खातिर शिक्षा और संस्कार जरूरी हैं ,…शिक्षा बर्बाद है ,..संस्कार से दूर भागते हैं ,..दिखावे खातिर ढोल तमाशा करते हैं बाकी फालतू हैं ,..नशे में आनंद ढूंढते हैं फिर पाप करते हैं ,..एक भगवान को मानकर जातियों के चौधरियो की गुलामी करते हैं ,……

..सुराज खातिर हमको अपने सद्गुण बढाने होंगे ,…सब मतभेद छोड़कर पक्का राष्ट्रवादी नेतृत्व बनाना होगा ,..एक सरकार नहीं पूरा राज तंत्र  बदलना होगा ,…देश उसके हाथ हो ,.जो हमारा प्रकृति का करीबी विकास करे ,..देश विदेश में उसका सम्मान हो ,.. ऊ विदेशी गुलाम नहीं देश का सेवादार हो !…दुश्मनों से देश की रक्षा करे ,….भ्रष्टाचार मिटाए ,…हमारा लूटा धन वापस लाये ,.ठोस स्वदेशी विकास करे ,…सबके लिए बराबर स्वदेशी शिक्षा लागू हो ,.विज्ञान के साथ वेदों शास्त्रों का ज्ञान मिले …सबको बराबर इलाज मिले ,..हमारे संस्कार और परम्परा ज्ञान को बचाए बढाए ,..स्वदेशी दवाई और कानून लाये ,…नशे और अश्लीलता को रोककर जवानी को सही रास्ता दिखाए ,… खेती किसानी में अच्छे रोजगार पैदा करे ,..करों के जाल से देश को बचाए ,..मंहगाई खुदै तल्ली में आ जायेगी ,…बोझ सरकारी मशीन को काम पर लगाये !….”..

“..ऊ कैसे !..”…….मिलन के टोकने पर भीखू तिरछी नजर से देखकर फिर शुरू हुए

“..  सरकारी नौकर दफ्तरों में बैठकर मस्ती से लूटते हैं ,..हमको ऐसा इंतजाम चाहिए कि दो चार सरकारी नौकर गाँव में रहे ,…दस तहसील में ,..सौ पचास जिला में और हजार दो हजार राजधानी में ,..बाकी काम जनता के हवाले ,..अपना काम ऊ खुद करेगी ,.. नयी तकनीक से व्यवस्था बनायें ,….सीधे सरल कानून बने जिनको समझे खातिर पीएचडी की जरूरत न हो !..अदालत का बोझ कम हो ,…न्याय पंचायत लगे ,.छोटे मोटे मामलों की खुली सुनवाई हो और सच्चा न्याय मिले !……पचास विभागों की लूटखोरी रोककर थोड़े विभाग बनें ,…. गांव की उपज पहले शहर जाती है फिर राशन की दूकान पर वापस आती है ,..चार आदमी बीच में खाते हैं ,..आधा सड़ा गलाकर शराबी कंपनियों को बेचते हैं ,….माल भाड़ा अलग ,… जरूरतमंदों को उपज सीधा गाँव से मिले बाकी शहर जाय ,…किसान की आमदनी पक्की हो ,..स्कूली मास्टरों को प्रशिक्षण देकर उनकी योग्यता और कर्मठता बढाई जाय ,.. नशेड़ियो को घर बैठाया जाय !..स्कूलों में अच्छी पढ़ाई के साथ योग और खेल सिखाये जांय ,…सबके घर में इतना अन्न और धन दौलत हो कि स्कूल में खाने की जरूरत न पड़े !…जिनके पास जमीन नहीं है उनको जमीन मिले ,…जंगल पर जनता सरकार की साझेदारी हो ,..मिलकर सँवारे और लाभ ले ,… बरसाती पानी बचाकर सिंचाई करें और धरती को भरें !…..हर गाँव में प्राकृतिक खाद और ऊर्जा का इंतजाम हो !……ताकत मिलने पर आदमी कूदता है ईलिए सरकारी नौकरों की लगाम जनता के हाथ हो ,…उनकी तरक्की का रजिस्टर खुला होना चाहिए ,…जनता चाहे तो लाल कलम चलाये चाहे तो हरा !….. पढ़ाई लिखाई ,दवा मुफत हो ,… नशों पर पाबंदी लगे ,……एक नशेड़ी दस जिन्दगिओं की खुशी लीलता है ,….हर गाँव में एक सेंटर बने जहाँ सब सुविधा एक साथ मिले ,…भजन सत्संग का इंतजाम हो ,..जब अच्छी शिक्षा के साथ योग खेल भजन सत्संग का आनंद मिलेगा तो अनैतिक बातें दिमाग में नहीं घुसेगी !..शहरों का बोझ कम हो ,.उनको चमकती विदेशी दूकान और माल की नहीं ताज़ी हवा और शुद्ध खानपान की जरूरत है ,…लाखों करोड़ों की गाडिओं में ऊ खुशी नही मिलती है ,जो सरलता और शुद्धता में मिलती है ,…शहर और गाँव की आमदनी एक जैसी हो !..”…………चन्द्रिका ने कुढ़कर फिर टोका ..

“ यार चाचा तुम फिर सपने देखने लगे ..”…………………. भीखू चाचा उंगली उठाकर बोले .

“..ई सपना नहीं विश्वास है चंदिरका ,..जिसदिन टूटा उसदिन जिंदगी टूट जायेगी !…….पूरा करने की जिम्मेदारी तुम जैसे नौजवानों की है ,…कृष्ण के साथ से पांच पांडव सौ कौरवो को हरा सकते हैं ,….राम कृपा से बन्दर भालू मायावी राक्षसों का नाश् कर सकते हैं,.. हमतो हर दिल में राम बैठाए घूम रहे हैं ,…उनकी कृपा में कमी नहीं हैं ,.हम लायक तो बनें !….हमको तीर तलवार चलाने की जरूरत नहीं है ,…हमारा हथियार बैलेट पेपर पर मुहर है ,… पंचानबे परेशान लोग विरोध करें तो लुटेरे भाग जायेंगे ,..हम अपना ईमानदार नेतृत्व खडाकर अपने सपनों को पूरा करेंगे !…लूटा धन वापस मिलेगा ,.. पांच चोर अपना कान पकड़कर सब वापस देंगे !….विदेशी जाल की धज्जियाँ उड़ जायेंगी ,..हमारा गौरव और तरक्की स्वदेशी में है ,..खेती ,.ग्रामीण उद्योग ,.शिल्प-कला में अथाह रोजगार होंगे ,…अच्छाई सबको अच्छी लगती है ,..लेकिन बुराई जल्दी जकड़ती है ,..जरूरत पूरी ईमानदारी से एकजुट होकर आगे बढ़ने की है ,.हम निरीह लाचार नहीं हैं ,..सो-हम मानकर सब बराबर होंगे ,..जो तुम हो वही हम हैं ,..अच्छा करेंगे तो अच्छा ही मिलेगा ,.. …कौन नहीं चाहता कि उसके बच्चों के भविष्य में उजाला भरे ,…जाने अनजाने दूसरों के चिराग बुझाने वाले अँधेरे में रहेंगे ,…….कौन चाहता है कि उसका साथी दूसरे के बिस्तर में जाए ,.. खुद गए हो तो दूसरा भी जाएगा !…जहरीला अधर्मी खानपान होगा तो बीमारी जरूर घेरेगी ,……सुख शान्ति सुराज से ही आएगा ,..सुराज अपनी मानसिकता बदलने से मिलेगा ,..हमको धरम अपनाना होगा ,..अपने कार्य कलाप सुधारने होंगे ,…दिमाग में जमा काला धुंवा निकालना होगा ,…………हम ताकतवर और समर्थ हैं ,…हमारे बीच कोई मनमुटाव नहीं है ,..हम एक हैं ,..हमारे राम एक हैं !…. भगवान अल्ला गाड़ एक हैं ,…सब अच्छाई सिखाते हैं ,….हमारी आत्माएं जाग रही हैं ,…….सच्ची नजर से देखो तो हर जगह अच्छाई हैं ,.. सबको सच्चा और एक होना है ,.. हम अपनी ताकत भूलकर दूसरों की गुलामी करते हैं ,….झूठे मक्कारों का मायाजाल सत्य के बाण से टूटेगा ,..रामनाम ही सत्य है ,…हमको भक्ति भाव से सेवा और साहस से लड़ाई करनी है ,….हम लालच में मरी आत्माओं वाले राक्षसों को मार भगाएंगे ,..लुटेरों से अपना हक लेकर रहेंगे ,….देश का स्वाभिमान जागा है ,.हम ही जीतेंगे !…भारत विश्वगुरु जरूर बनेगा …” ……भीखू ने चरम दृढ़ता से बात पूरी की तो भीगी आँखों का उत्साह चरम पर पहुंचा ,…सब एक साथ तनकर खड़े हो गए ,….भारत माता की जय !…..सियावर रामचंद्र की जय !……इन्कलाब जिंदाबाद !…..वन्देमातरम !!… के नारे लगातार गूंजने लगे ……वन्देमातरम !

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