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आम आत्मा ..

हमार देश
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रात की डयूटी खत्म करने के बाद मैं जल्दी जल्दी पैडल मारते हुए घर की तरफ चला जा रहा था ,..अचानक फुटपाथ पर बैठे एक साये को देख उँगलियाँ ब्रेक पर कस गयी ,..वैसे शहर में फुटपाथ पर किसी का होना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन इस साये की मुद्रा ने मुझे आश्चर्य में डाल दिया ,…घुटनों पर कोहनी और हाथों पर सर टिकाये उकडूं बैठा व्यक्ति ,.. घोर ग़मगीन मुद्रा !!….मैं करीब पहुंचा तो आहट से वह हरकत में आया ,..हाथ नीचे और सर ऊपर करते हुए मुझे देखा ,..मैंने भी उसे देखा ,…कमजोर काया ,.पीला चेहरा ..उदासी जैसे सबकुछ नष्ट हो चुका हो !….मेरे मुह से बेसाख्ता निकला ..

“..कुछ चाहिए बाबा !!”

“क्या दे सकते हो ..”…उसके स्वर में झल्लाहट थी …मैं कुछ सहमा फिर पूछा .

“आप कौन हैं ?..”

“..आत्मा !……….आम आत्मा !!..”…गहरी सांस भरते हुए उसने जबाब दिया तो मेरे चेहरे पर मुस्कान दौड गयी ,…मेरे व्यवहार पर उसके चेहरे पर गुस्सा छा गया तो मैंने अपनी हंसी रोकते हुए कहा ..

“आपको नहीं हंस रहा हूँ ,..कुछ दिन पहले मनमोहन की काली आत्मा से भी मुलाकात हुई थी ,.उसकी याद आ गयी ,..वो भी बहुत परेशान था और आप भी !..क्यों इतना परेशान हैं ?..”

“..मंगल ग्रह से आ रहे हो क्या ?..”..उसका क्रोध और बढ़ गया ,..

“.नहीं ,..कारखाने से !..”… मेरे मुह से यंत्रचलित जैसी आवाज निकली  .

“..तो तुमको इतना पता होगा कि देश बर्बाद हो चुका है !!….”……..उसने लगभग चीखते हुए कहा तो मेरी बोलती बंद हो गयी …….वो खड़ा होकर मुझे घूरने लगा ,..कुछ पल के बाद उसने फिर बोलना शुरू किया …

”सब लुट चुका है ,.खाली और खोखला कर दिया हरामखोरों ने .,..लुटेरे बिलकुल बेख़ौफ़ हैं ,… आदिकाल से जिनके खाते विदेशी बैंको में चल रहे हैं,.वो शराफत ओढ़े घूम रहे हैं ,.. नंगे होकर ऊपर से नीचे तक कालिख पोते और सरकारी सफ़ेद चड्ढी पहन मुस्कराते हुए देश को चिढा रहे हैं ,…और तुम  केवल कारखाने और घर के बीच चक्कर लगा रहे हो ..”…..उसने फटकारते हुए कहा तो मुझे भी कुछ गुस्सा आया .

“..तो क्या करूं !!…कारखाने नहीं जाऊँगा तो रोटी कैसे चलेगी !…दवाई का खर्चा कौन पूरा करेगा !…बच्चों की फीस कहाँ से आएगी !…एक मुसीबत है हमारी ! ..चारों तरफ से घिसे जा रहे हैं !.”…………मैंने झुंझलाहट से कहा तो उसने जबड़े भींचते हुए कहा  ,………..

.”.और अगर नहीं लड़े तो तुम्हारी औलादें हमेशा के लिए गुलाम हो जाएँगी,… करते रहना जिंदगी भर डबल डयूटी ,…फिर भी पेट नहीं भरेगा ,..यही औकात है तुम्हारी ,.गुलामों जितनी !!..”……..उत्तर में उसके तीखे वाण से मै सन्न राह गया …सकपकाते हुए बोला .

“अन्नाजी जैसे बड़े बड़े लोग स्वामी जी के साथ लगे हैं !..एक दिन तो देश बदलकर रहेगा !.”

“..हां,..उन्होंने कर्जा खाया है हमारा इसलिए लड़ रहे हैं ,.”…उसने फिर थप्पड़ जैसा मारा तो मैं खुद बखुद घुटनों के बल गिर गया !!……उसने मुझे संभाला उठाया ,फिर हम एक कोने जाकर पत्थर पर बैठ गए !!..एक मौन व्याप्त हो गया ,..मुझे लगा जैसे अपने ही उन्नत प्रतिरूप से मिला हूँ ………

“..आपका नाम क्या है ?..”…मैंने आहिस्ता से मौन तोडा ..

“..कुछ भी कह लो ,..राम रहीम गोपाल,.. क्या फर्क पड़ता है ..सब एक ही हैं !!..”

“आप कब से हैं ?..मतलब .!!..”……मैं अचकचाया तो वो भांपते हुए शुरू हुआ .

“..पता नहीं !!…हमेशा से हैं !,..कभी नहीं इतना परेशान हुए जितना अब हैं ,,”

“..क्यों ?..पहले भी तो बड़ी बड़ी परेशानियां आई हैं !!..”…..मेरे प्रश्न पर उसने फिर गहरी सांस भरी ……”..हां !.. तब राजा रजवाड़े थे ,..हम प्रजा थे और वो हमारी रक्षा और देखभाल धरम से करते थे … हम भी धरम से रहते थे ..संकट आये तो भी हमारी जिम्मेदारी नहीं थी ..मुसीबत और खुशी सब मिलकर झेलते थे ,…लेकिन अब कहने को हम राजा हैं !!…फिर गुलामों से गिरे क्यों हैं ? ..अपनी आँखों से खुद को लुटता हुआ देख रहे हैं !!..”…..धीरे शुरुआत करने के बाद उसकी झल्लाहट तेज आवाज में निकली .

“हम बताएं भैय्या ?…”……मैंने डरते हुए पूछा तो उसने सर उचकाकर हामी भरी .

“जो गलती तब के राजाओं ने की थी वही गलती हम कर रहे हैं !!..”…..मेरी बात से वो गदगद हो गया ……मेरे कंधे पर ऐसे धौल जमाई जैसे मैंने कोई किला फ़तेह कर लिया हो …..फिर वो बोला …

”..बिलकुल ठीक कहते हो !….तब के राजाओं ने आपसी फूट, ईर्ष्या और लालच में अपने हाथ-पैर काटे थे ,.अब हम भी यही कर रहे हैं ,….कहने को राजा हैं लेकिन हजार टुकड़ों में बंटे हैं ,..अज्ञानी लालच में भाई भाई का गला काट रहा है ,..उसका  फायदा ये चोर लुटेरे और देशद्रोही उठाते हैं ,…सोच से भिखारी बन गए हैं हम !..”..उसकी झल्लाहट बात खतम होते होते निकल ही जाती थी ………….फिर एक मौन व्याप्त हो गया …वो सोच में डूब गया और मैं उसे देखने लगा ,..कुछ देर बाद मैंने फिर हिम्मत की ,…..”.भैय्या !..हमारी समझ में एक बात नहीं आती कि कहते हैं कि पहले हम सोने की चिड़िया और विश्वगुरु थे ,..फिर इतना बर्बादी कैसे हुई ,..और अब कैसे सुधरे !.”

वो कुछ देर सोच में डूबा रहा फिर लंबी सांस लेकर मध्यम आवाज में शुरू हुआ …”..सोने की चिड़िया हम आज भी हैं !!…..वो चिड़िया अब चोर लुटेरे नेताओं ,व्यापारिओं और सरकारी अधिकारी की तिजोरियों और विदेशी बैंकों में फंसी है !!!!…..उसको छुडा लिया तो देश आज भी सोने की चिड़िया है और आम आदमी मालामाल है ,…लड़ाई चालू है ,.एकदिन हम अपना हक लेकर रहेंगे !!..”….पहली बार उसके चेहरे पर जोश देख मैं उत्साह से भर गया और चहककर बोला …

”.हाँ ,.आप नाहक चिंता न करो,.. स्वामी जी हमारे लिए डटे हैं !..एकदिन हमारा हक हमको जरूर मिलेगा !!..”…..”..वो आतुरता से मेरे दोनों हाथ अपने हाथों में लेकर बोला ….हां सबको उसदिन का इन्तजार है जब देश जीतेगा ,…हम सब लड़ेंगे ,..आम आत्मा भी जागी है तो इन गद्दार लुटेरे हुकुमरानो को आम जनता की ताकत दिखा देंगे ,…जिन्होंने पूरे देश को अपने खानदानों का गुलाम समझा है ,.उन जयचंदों को भी हम जानते हैं जिन्होंने विदेशिओं के दलाल गांधिओं के साथ मिलकर देश को लूटा है !!..”…मेरा उत्साह और बढ़ा ,..मैंने कहा ,..”..भैय्या ,.और तो छोडो तमाम विपक्षी भी लूट में शामिल हैं ..”……उसने जबड़ा भींचते हुए जबाब दिया …”.पूरा राजनीति तंत्र भ्रष्टाचार में डूबा है ,…..सब चोर हैं ,.अरे जो विदेशिओं के लिए काम करते हैं उनकी छोडो ,.जाने अनजाने सब देशद्रोह कर रहे हैं ,..”…………………..मैंने सहमति में सिर भर हिलाया ….एक मौन के बाद मैंने फिर चुप्पी तोड़ी …..

“..इनको तो हम औकात दिखा देंगे और जीतेंगे ,….भैय्या एक बात बताओ ,..हमारा समाज इतना क्यों बंट गया और हम इतना कैसे गिर गए ,….हमारे इतिहास में इतने बड़े बड़े महापुरुष हुए और पूरी दुनिया में ज्ञान फैला है ,….तो फिर…”..

मेरी मनोदशा समझकर उसके चेहरे पर गंभीरता आ गयी …………ये सब अंग्रेजों का कुचक्र है जो आज तक चल रहा है !!,..”  कुछ पल रुककर वो फिर शुरू हुआ …

“…पहले राजा रजवाड़े थे ,…सब बहुत अच्छा था ,..हमारा देश दुनिया का सबसे अच्छा देश था ,.सबलोग संपन्न और चरित्रवान ,.. हमारी शिक्षा व्यवस्था दुनिया की सबसे अच्छी थी ,..हर बस्ती में गुरुकुल और तमाम विश्वविद्यालय थे ,हम विश्वगुरु थे ,..बचपन से ही चरित्र निर्माण के साथ बहुमुखी शिक्षा मिलती थी ,तो सब चरित्रवान और हुनरमंद होते थे ,…फिर कई लुटेरे आये ,.तमाम कत्लो-गारद हुआ ,…हम उनके कब्जे में चले गए ,… तमाम भाई बहनों को मजहब बदलना पड़ा,…लेकिन सब एक ही रहे ,.. रामराम सलाम सब एक था .फिर अंग्रेजों ने राज कायम कर लिया ,. हम तब भी सुखी ,संपन्न और ईमानदार थे !!….पूछो क्यों ?..”……..अचानक उसके प्रश्न से मैं अचकचा गया .,..उसने आगे बोलना शुरू किया ..

“..क्योंकि हमारे गुरुकुल तब भी थे !…और हमको अपनी शिक्षा मिलती थी ,…कई अंग्रेजों ने लिखा और कहा है कि अठाहरवी शताब्दी में हिन्दुस्तान के सब नागरिक शिक्षित, संपन्न ,नैतिक और स्वाभिमानी है ,..यहाँ भिखारी नहीं हैं ,..अनपढ़ नहीं हैं ,.फिर !!.”..कहते कहते वो रुक गया …सांस लेकर फिर शुरू हुआ .

“फिर पक्का गुलाम बनाने के लिए उन्होंने हमारे साथ सबसे बड़ा धोखा किया ,…हमारे गुरुकुलों को बंद कर दिया और अपनी शिक्षा लाद दी !…..कि अगली पीढ़ी मजबूत न हो सके ,.जिस महान शिक्षा के कारण हम दुनिया के सिरमौर थे उसे तहस नहस कर दिया ,.. गांवों में फैले उद्योग धंधों को तबाह कर दिया ,..जिस समाज में सब एक दुसरे के सहारे आनंद से रहते थे ,.उनके तिकड़मों से हम एक दूसरे से दूर होते गए ,.जगह जगह उन्होंने लालच देकर और सता डरा कर समाज में फूट डलवाई ,…..अर्थतंत्र पर कब्ज़ा करने के साथ उन्होंने हमारे भविष्य को भी बर्बाद कर दिया ,..ढाई सौ साल बांटकर लूटने के बाद ससुरे मजबूरी में चले तो गए लेकिन लाखों महान क्रान्तिकारिओं के बलिदानों को मिटटी में मिलाते हुए देश का राज लोकतंत्र का नाम देकर अपने पिट्ठुओं को सौंप गए ,.कहने को आजादी लेकिन हैं पूरा गुलाम ,.सारे कानून अंग्रेजों के हैं ,..पूरी व्यवस्था विदेशी है ..गुलामी को मजबूत करती बाबूगिरी की पढ़ाई है जो हमारी नैतिकता चाटती जा रही है ,…आँख पर पट्टी बांधे न्याय की देवी ,जिसका कोई दीन ईमान नहीं ,..आम आदमी के लिए न्याय का मतलब है जिंदगी भर की घिसाई और ताकतवर के लिए अपनी जेब का कलम ,..कानून की देवी माल और ताकत देखकर फैसले सुनाती है ,…दोगलापन देखो ,.काम न्याय का और कपड़े काले ,..आम आदमी को आज तक इन्साफ नहीं मिला और ताकतवर के सौ खून माफ हैं !! ,….तुम जानते हो कि अंग्रेज इसदेश को बांटकर क्यों गए ?…”……कहते कहते उसने मुझसे प्रश्न किया तो मैंने सर हिलाकर नहीं में उत्तर दिया ,..वो फिर बोला .

.वो जानते थे कि अगर उनकी व्यवस्था बनी रही तो इतनी फूट डाल चुके है कि एक न एक दिन फिर से पूरा कब्ज़ा मिल जायेगा ,…और अपने दलालों के सहारे आज फिरसे वो अपना सपना कामयाब करने वाले हैं !!…एक कंपनी ने ये हाल किया था अब तो सब विदेशी हो गया ..सब विदेशिओं के हवाले हो जायेगा !!..”……उसके आखिरी शब्दों से पीड़ा निकली तो मैं और गंभीर होकर बोला .

उनकी एक साजिश अब नहीं कामयाब होगी !…यह लड़ाई हम सब की है ,..स्वामी जी किसके लिए सालों से दिन रात एक किये हैं ?..आम आदमी के लिए ,..किसान और मजदूर को उसका हक मिलेगा !!,.सबको फायदा होगा और फटेहाल आम जनता को सम्मान से जीने का मौका मिलेगा ,.. कौन परेशान नहीं है ,.मंहगाई ,बेरोजगारी और बीमारी जाति धरम देखकर नहीं आती ,.तबाह हम सब हैं और बर्बादी सबकी होगी …लेकिन अब बर्बादी नहीं होगी ,..हम फूटे हैं तो जुड़े भी हैं ,..कौन सी ऐसी जगह है जहाँ हम जुड़े नहीं हैं ,…अच्छे और सच्चे काम के लिए हम हमेशा एक हैं ,.खुद के लिए भी एक नहीं हुए तो जिंदगी बेकार है ,…वोट देने के अलावा अब कहाँ जाति बची है ,….जो बची है वो या तो विवाह शादी में या फिर आरक्षण के खेल में बची है ,…उसका फायदा चौधरी बने गिनती के लोग उठाते हैं ,…इसीलिए खानदानी चोर राजा बन गए हैं ,. अब नयी पीढ़ी सब बंधन तोडना चाहती है ,..तो उसमें हर्जा क्या है ,..संपन्न लोग मानते भी नहीं हैं ,..लोकतंत्र में जाति होना व्यवस्था के लिए खतरा है ,..”…जैसे ही मैं रुका उसने बात आगे बढ़ाई

“..जाति तो कर्म से होती है ,..पहले भी यही था ,..जन्म लेने से कोई ऊपर नीचे नहीं होता ,.जब सबके लिए एक बराबर शिक्षा होगी तो ये व्यवस्था अपने आप टूट जायेगी ,..जिसदिन काला धन देश को मिल गया उसदिन समाज की तमाम कमियां अपने आप दूर हो जाएँगी ,.सबका विकास होगा ,.सबकी खुशहाली आएगी.. सबको रोजगार मिलेगा तो आरक्षण की जरूरत नहीं पड़ेगी ,..सबको मुफ्त और जरूरी अच्छी शिक्षा मिलेगी तो भेदभाव की कोई गुंजाईश नहीं ,.सब मिलजुल कर सच्चा और आदर्श समाज बनायेंगे !..सब बिना मतलब परेशान हैं, हमारी सब मुसीबत की जड़ गिनती के चोर हैं ,..इनको निपटाकर सब मसले हल हो जायेंगे ,.पूरा देश एकजुट होकर लड़ेगा तो चोरों को भागना ही पड़ेगा .”…अब इसके लिए हमसब को स्वामी जी के साथ जुडना होगा ,…देश भर में फैले भारत स्वाभिमान से सबका जुड़ना बहुत जरूरी है ,..आखिरी आम आदमी तक इसका सदस्य बने और तन मन धन से अपने और देश के उत्थान का साझीदार बने ,..”………………….हम दोनों खुशी से दमक रहे थे …

…कुछ देर मौन खुशी मनाने के बाद वो फिर बोला ..

”.सदिओं से हमको न्याय नहीं मिला है ,.हमेशा हम ही लुटे हैं,….पहले की व्यवस्था गाँवों से चलती थी और शहरों तक पहुँचती थी ,.अब शहर लदे जा रहे हैं और गाँव उजाड़ हो गए हैं ,..एक तरफ लुटे  हिन्दुस्तान की जनता चक्की में गेंहू की तरह पिस रही है तो  दूसरी तरफ इंडिया की चकाचौंध है  ,.जिसके पास है वो पाकर पागल है जिनके  पास नहीं है वो गरीबी में फटेहाल ,..पूरा समाज नशेड़ी और अपराधी बना जा रहा है ,..हम अपनी जड़ों से जुड़कर इसको ठीक करेंगे !……अब हमारी तरह के तमाम भटकते पंछी फिर से गाँव जायेंगे और अपनी मिटटी से जुड़कर नए नए रोजगार पैदा करेंगे ,…स्वदेशी को मजबूत कर भारत के गाँव संपन्न होंगे और देश पूरी तरक्की करेगा…”……उसके शब्दों में बहुत उत्साह था ….मुझे भी अपने गाँव की याद आ गयी जिसे सालों पहले रोटी के लिए छोड़ दिया था ……मैं खड़ा हो गया ,..वो भी खड़ा हुआ ,..फिर मैंने हाथ जोड़ते हुए कहा ….

”.भैय्या आप आम आत्मा हो !..सबके अंदर रहते हो ,.अब किसी को सोने मत देना सबको जगाकर देश की लड़ाई में स्वामी जी के साथ खड़ा कर देना ,..मैं भी आज ही भारत स्वाभिमान से जुड़ जाऊँगा ..और सबको जोड़ता रहूँगा …अब देश से लूटतंत्र का खात्मा होकर रहेगा !!….हम अपने गौरव को पाकर रहेंगे !!..”…हम दोनों गदगद थे ,..चारों तरफ उजाला फ़ैल चुका था ,.. हमने फिर मिलने के वादे के साथ गले मिलकर विदा ली ,…….वन्दे मातरम !

संतोष कुमार

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