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यह है भारत……….भविष्य कथा !!!

हमार देश
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राम चन्द्रिका का बेटा  है ,.वो अपने मित्र दीपक के साथ गांव आया है ,.महाविद्यालय में छुट्टियाँ हैं ,..दीपक की गांव देखने की पुरानी चाहत उसे साथ ले आयी है ,.दीपक महानगर का रहने वाला है , ,…घर पहुँचने पर माँ और बहनों ने उनका पारंपरिक तरीके से तिलक आरती करके स्नेह से स्वागत किया और आशीषों की बौछार से सराबोर किया ,..राम ने पिताजी के बारे में माँ से पूछा तो पता चला कि वो खेतों में हैं ,. स्वादिष्ट जलपान  करके दोनों खेतों की तरफ निकल पड़े ,.… …दीपक बड़ी उत्सुकता से गाँव की एक एक चीज को देखता है ,..सुन्दर छोटे छोटे घर ,.जिनको कलात्मक तरीके से सजाया संवारा हुआ है ,.हर घर के बाहर दीवारों पर बढ़िया चित्रकारी उसे मुग्ध कर रही हैं  ,.गलिओं के किनारे बनी क्यारिओं में फूल मोहित करने लगे ..प्रत्येक घर के बाहर ह्रष्ट-पुष्ट गाय भैंसे बंधी थी ,.कुछ चारा खा रही थी तो उनके सुन्दर बछड़े गले में घंटी बंधे अठखेलियाँ कर रहे थे ,. घंटियो की आवाजें कानों में अद्भुत संगीत बनकर घुल रही हैं ,...थोडा आगे जाने पर मालती चाची और महिलाओं के साथ चबूतरे बैठी स्वेटर बुन रही थी ,..दोनों ने उनके करीब जाकर नमस्ते किया तो सबने बड़ी प्रसन्नता से आशीर्वाद दिया और कुशलमंगल पूछा ,..दीपक देख कर कुछ चकित था क्योंकि उसने गाँव की गरीबी की कहानिया कहीं पढ़ी थी ,..यहाँ  हँसते खिलखिलाते चेहरे और चारों तरफ बिखरी शालीन चमक उसके शहर को भी मात दे रही थी ,..वो देख ही रहा था कि तब तक मालती चाची की बिटिया रेनू दो गिलासों में दूध  लेकर आ गयी और पकडते हुए कहा ,..”दूध पियो भैय्या !.सफर में थक गए होगे !”..पेट में जगह ना होते हुए भी दोनों अपनत्व के आगे हार मानते  हुए मना नहीं कर सके,….फिर उनसे आज्ञा लेकर आगे बढ़ चले ,..

दोनों गाँव के किनारे बने पंचायत घर की तरफ चले गए ,..राम ने दीपक को बताया  कि यहाँ पर गाँव की समस्याओं और विकास पर प्रधान जी पंचों के साथ चर्चा करके योजनाये बनाते हैं ,…. पुल्लू चाचा प्रधान हैं ,.वो और लोगों के साथ बैठे कुछ बातचीत कर रहे थे ,..दोनों उनके पास जाकर उनके पैर छुए तो उन्होंने गले से लगाते हुए स्नेह दिया ,..राम के पूछने पर उन्होंने बताया कि बरसात में कुछ जगह पानी जमा हो जाता है इसलिए इस समस्या को अभी से खत्म करने पर विचार कर रहे हैं ,….बरसात अभी छह महीने दूर है ,उसपर अभी से काम करना !!..दीपक इनकी सजगता और कर्मठता से हैरान रह गया ,..फिर दोनों आज्ञा लेकर खेतों की तरफ बढ़ चले ,..

लहलहाती फसलों के बीच बनी पगडंडियो से होकर जाना दीपक के लिए रोमांचक अनुभव है ,..मंद मंद चलती हवा में अद्भुत महक है ,.हर खेत की अलग खुशबू !..किसान अपने खेतों में काम कर रहे हैं ,.कहीं जानवरों के लिए चारा काट रहे हैं ,..अनाज ,गन्ने  और सब्जिओं के खेतों के बीच कहीं कहीं तुलसी और तमाम जड़ी-बूटिओं की खेती देखते हुए दोनों बढते जा रहे थे कि तब तक एक आवाज आयी ……”अरे ओ रामदेव !..कब आये तुम ?..”….राम ने पलटकर देखा !……आसरे बाबा खड़े पुकार रहे थे !..”आज ही आया बाबा “.कहकर दोनों हँसते हुए उनकी तरफ लपके ,..और जाकर पैर छूकर आशीर्वाद लिया !…..
“बाबा आप तो बुढ़ापे में भी तगड़े होते जा रहे हैं !.”………राम ने चुहल की .
“होंगे काहे नहीं !….शुद्ध खानपान है ,..सुबह मक्खन वाली लस्सी पीता हूँ ,…रात में दूध खींचता हूँ !..दिनभर खेतों में काम करता हूँ ,.जिंदगी का मजा बुढ़ापे में ही मिला है !……तुम सुनाओ !..पढ़ाई बढ़िया चल रही है ?..”………आसरे बाबा ने मस्ती भरे अंदाज में कहा .
“जी बाबा बहुत बढ़िया चल रही है,.”………उत्तर देकर राम ने दीपक का परिचय दिया ,.फिर तीनो चल पड़े राम के खेतों की तरफ ...

रास्ते में आसरे बाबा ने  पेड़ से अमरुद तोड़कर दिए ,..तीनो खाने लगे दीपक चहक कर बोला  ,..”इतना स्वादिष्ट अमरुद मैंने पहले कभी नहीं खाया .”….सब हँसने लगे .

आगे सड़क किनारे उपज केन्द्र पर मिलन भैय्या सब्जिओं को सहेजकर शहर भेजने का इंतजाम करवा रहे थे ,.तीनो उधर चले गए ,..वहां का काम देखकर दोनों बहुत खुश हुए ,.मिलन ने आसरे बाबा को बताया कि जितनी जरूरत आयी है उतनी सब्जी शहर के बाजार को भेज दी है ,..बाकी पैदावार प्रसंस्करण के लिए जायेगी ,….दीपक यहाँ की कार्यकुशलता देखकर खुश और चकित भी हुआ ..

फिर तीनो आगे बढ़ गए ,..आगे राम के पिता खेत की निराई गुडाई में लगे थे ,..राम उनको देखते ही उनकी तरफ खुशी से लपका ,..दोनों ने पैर छूने की कोशिश की लेकिन उन्होंने सीने से लगा लिया …कुछ क्षण मुस्कराते हुए मौन भाषा में बात करके सब मेड की तरफ चले ,. ..आसरे बाबा बगल की क्यारी से गाजरें उखाडकर धोने लगे ,…जब तक सब बैठते बाबा ने सबको गाजरे पकडाई ,.दीपक गाजर की सुगंध से ही अभिभूत था ,..खाते हुए मुह से निकला ,..”गाँव को मैंने किताबों में पढ़ा था ,लेकिन यह तो स्वर्ग जैसा है !..सुना था कि बहुत तरक्की हुई है लेकिन इतना अच्छा होगा मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था !..”…

तीनो हँसने लगे !…फिर दीपक ने पूछा कि क्या यह गाँव हमेशा ऐसे ही था ?….

“..अरे नहीं बेटा !…पहले देश की तरह यह गाँव भी बहुत गरीब था ,.सब किसानी से परेशान थे ,..तमाम खाद दवाई डालकर जो पैदा करते थे वो इतने भर को ही होता था कि किसी तरह से जिन्दा रह सकें ,..और कोई काम धंधा था नहीं ,…नौजवान मेहनत मजदूरी करने शहर भाग रहे थे ,…बाकी निठल्लों की तरह घूमते थे ,..जवानी नशे में बरबाद हो रही थी ,..बच्चों की पढ़ाई का कोई ठिकाना नहीं था ,.बीमारीओं से सब तबाह थे ,..बस इतना समझ लो कि ना ज़िंदा थे और ना मरे थे  ,…बर्बादी के अलावा कुछ नहीं नजर आता था ,…बस अंधेर नगरी का अँधेरा ही दिखता था ,”…….कहते कहते चन्द्रिका रुक गया .

“फिर कैसे बदला सब ?..”….दीपक का अगला प्रश्न हाजिर हुआ .

“अरे तुमको नहीं पता !…स्वामी रामदेव जी ने देश को जगाया और सबने मिलकर बदल दिया देश को !..”……..आसरे बाबा ने थोडा गुस्से में कहा .

“.सब पढ़ा है बाबाजी ,. .पहले किस तरह से देश में लुटेरों का राज था ,.एक लुटेरे खानदान ने गिरोह बनाया हुआ था ,…उन्होंने  देश का बहुत धन लूटकर विदेशों में छुपा दिया था  ,.. थोड़े से लोंगों ने अपने फायदे के लिए पूरे देश को अँधे कुँए में डाला था ,…चारों तरफ विदेशी कम्पनिओं का बोलबाला था ,..और पूरा देश उनके हवाले करने की तैयारी थी ,..एक देश में दो देश बन गए थे ,इंडिया और भारत !..इंडिया वाले मौज कर रहे थे ,..भारत को  टैक्सों और मंहगाई के बोझ से बरबाद दिया था ,.रिश्वतखोरों और मिलावटखोरों की चांदी थी ,.नशाखोरी और अपराध बेकाबू थे ,,.देश के लोग अपने हक के लिए हथियार उठा रहे थे .. ,…सरकार खुले आम देश को लूटने में लगी थी ,सब निराशा में जी रहे थे,…हम अपना स्वाभिमान भूल गये थे,..…फिर स्वामी जी ने देश को बचाने का प्रण किया और पूरे देश को घूम घूमकर जगाया और आंदोलन किये ,…उनके ऊपर तमाम अत्याचार किये राक्षसों ने ,.लेकिन स्वामी जी साहस के साथ सत्य पर अडिग रहे ,..राक्षसों ने पूरा जोर लगा लिया लेकिन देश का राष्ट्रप्रेम और स्वाभिमान जागने से नहीं रोक पाए ,… स्वामी जी के पीछे देश के सब बच्चे ,बूढ़े ,नौजवान ,बहने, माताएं डटकर खड़ी हो गयी थी , और लुटेरों से कालेधन के साथ अपना हक छीन लिया था ,…तभी हमारे देश का गौरव वापस आया और हम फिरसे महाशक्ति बने थे !..”………दीपक ने गर्वीले अंदाज में अपनी बात पूरी की तो आसरे काका उसकी पीठ ठोंकते हुए ….”.तुमको तो सब पता है ..”..

“ तभी आपने मेरा नाम रामदेव रखा था !…लेकिन पिताजी अपना गाँव कैसे जागा था ?..”……इस बार राम ने खुशी से चहकते हुए उत्सुकता से पूछा .

बगल गाँव के रतन भैय्या शहर में रहते थे ,….गद्दारों को भगाने के बाद वो गाँव आये और हमको सब बातें बताई  ,.हमको भी समझाया कि ज्यादा लालच में मत पडो संतोष में ही सुख मिलता है !…….उन्होंने प्राकृतिक खेती शुरू की और सबको शुरू करवाया ,.हमने स्वदेशी अपनाने और नशों से दूर रहने का प्रण लिया ,. …गाँव के सभी नौजवानों को साथ लेकर उन्होंने देश के साथ पूरे इलाके में  बदलाव की लहर पैदा कर दी ,.. देश जीत गया और विदेशों में पड़ा काला धन हमको वापस मिला ,.सबकी गरीबी दूर हुई ,.और शुरू हुआ गाँव का घनघोर विकास ,..नदी पर छोटा बाँध बनाकर सिचाई का पक्का साधन बना ,..सड़कें ,अस्पताल, स्कूल, कालेज बनी ,..वही सरकारी नौकर जो हमको दुत्कारते थे , सेवक की तरह हमारा काम बिना पैसे और सिफारिश के करने लगे  ,…हम अपनी पैदावार सीधे ग्राहकों तक पहुंचाने लगे ,.और हमारे प्राकृतिक पैदावार से देश में बीमारिया खत्म होने लगी,.. जल्दी प्रगति का सूरज यहाँ भी चमकने लगा !. .”.…. …….चन्द्रिका ने संक्षेप में बताया ,…… “पीछे से आवाज आयी चाचा इसबार आपको कितनी केंचुआ खाद चाहिए ..”…सबने मुड़कर देखा तो वाहिद भाई आ रहे थे ,..

राम खुश होता हुआ वाहिद भाई के गले मिला ,….और कहा ..”..कैसे हो वाहिद भाई ?..आपका केंचुआ खाद का कारोबार कैसा चल रहा है ?..और रहमान चाचा कैसे हैं ?….”.

“अरे आराम से भाई !…सबकुछ  बढ़िया है ! ….अब्बू खाद बनाने में लगे हैं ,..तुम मिलकर आओ उनसे !.. ..”…..वाहिद ने दीपक की तरफ देखते हुए कहा .

“ये मेरा मित्र दीपक है !…अपना गाँव देखने आया है ,.आज शाम हो गयी है ,.कल इसके साथ सब जगह जाऊँगा ..”…..राम ने दीपक के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा तो सबने हँसते हुए उत्साह बढ़ाया ,..शाम हो चली थी ,.पक्षी अपने घोंसलो की तरफ जाने लगे ,…..ये पांचो भी गाँव की तरफ चल पड़े ,……चन्द्रिका ने वाहिद भाई को दो बोरी केंचुआ खाद देने को कहा ,…वाहिद भाई ने बताया  कि विधायक नन्हे भैय्या का फोन आया था ,.सबका हालचाल पूछ रहे थे ,..तीन चार दिन में गाँव आयेंगे !…सभी बहुत खुश हुए !…इन पाँचों के गर्व से तने सीने और चेहरे पर दमकता स्वाभिमान मानो चीख चीखकर कह रहा है ....यह है भारत !.…वंदे मातरम !

संतोष कुमार

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