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चोला माटी का…… हे राम !!!

हमार देश
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आज गाँव में मुर्दानी सी छाई है ,.रात में मंगला दादी का स्वर्गवास हो गया,..मंगला दादी का सही नाम तो शायद कोई नहीं जानता ,लेकिन मंगल दादा की पत्नी हैं इसलिए पूरा गाँव उनको मंगला दादी ही कहता था ,…मंगल दादा पुराने जमींदार हैं ,…बड़ा रसूख था उनका ,.तीन बेटे हैं,.एक बड़ा अफसर है ,..दूसरा शहर में ठेकेदारी करता है ,..सबसे छोटा गाँव में खेती-पाती देखता है ,उसके भी दो जवान लड़के हैं ,..एक लड़की है,.पिछले साल बड़ी धूमधाम से उसकी शादी हुई थी,.आस पास के गाँवों में कोई ऐसा घर नहीं होगा जो आया नहीं था ,.एक भगीरथ को छोड़कर ,..भगीरथ और मंगल में कट्टर दुश्मनी जगजाहिर है,…कुछ पुराने लोग बताते थे कि,.कभी ये दोस्त भी थे ,लेकिन मानता कोई नहीं है,..
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,..बड़े बेटे के परिवार से कोई नहीं पहुँचा ,. साहबों के पास इन कामों के लिए कहाँ समय होता है ?…मंझला आया है ,.आने से पहले ही “कल ही जाना है ” बता दिया था ..
अंतिम संस्कार हो चुका है ,.लोग वापस घरों को जा रहे हैं ,..मंगल दादा अपने पोते का सहारा लिए चल रहे हैं ,..उनका चेहरा भावशून्य सा लगता है ,…पता नहीं कितना गम हजम करने की क्षमता है ,..घर से थोडा पहले एक बरगद के पेड़ के पास आकर मंगल दादा रुक गए ,..पोते ने पुछा ,..चलना नहीं है क्या ?..तुम चलो !..कहकर दादा बरगद की जड़ों पर बैठ शमशान की तरफ शून्य में देखने लगे ,..आसपास खेल रहे बच्चे डरकर थोडा दूर खेलने लगे ,…गाँव कि तरफ से भगीरथ डंडे के सहारे चले आ रहे हैं ,..जबसे इनके पैर में चोट लगी है,तबसे डंडा ही इनका सहारा है ,…
……..
….भगीरथ को मंगल के पास जाता देख बच्चे चकित हो उनको देखने लगे ,…….भगीरथ ने मंगल के कंधे पर हाथ रखा ,..और धीरे से कहा ,..आज भौजी भी छोड़ गयी तुम्हे !!! ……
मंगल ने पलट कर देखा ,..भावशून्य चहरे पर अचानक सैकड़ों मौतों का दर्द उमड़ आया ,..मुंह से इतना ही निकला ” कितना भोगती “,..आँखों से अश्रुधार निकलने ही वाली थी कि भगीरथ ने गमछा लगा दिया और बोले ,..अभी तक नहीं रोया तो अब भी नहीं रोना ,..तुम्हारी ठसक कम हो जाएगी…….कहकर बगल ही बैठ गए .…..एक मौन व्याप्त हो गया ,..
मंगलू याद है तुम्हे,.. जब गौना ला रहे थे तो बैलगाड़ी फंस गयी थी ,.. तुमने भौजी को गोद में उठाकर उतारा था ..…..भगीरथ ने मौन तोडा
सब याद है ,..तुम भी तो कीचड में नहा गए थे ,..लगता है जैसे पिछले साल की बात हो …….. मंगल के चेहरे पर एक दर्दभरी मुस्कान उभर आयी
समय बड़ा बलवान होता है , और इंसान मूर्ख ,..तब हम क्या थे ?..अब क्या हो गए.?. …………….भगीरथ ने कुरेदा…………………..
सच कहते हो तुम ,.जब आजादी मिली तो हम कितने खुश थे ,.क्या क्या सोचते थे ,. लालच और अहम् में कर्तव्य भूल गए ,..अब सजा भुगत रहे हैं ,..मंगल अतीत में झांकने लगे..
…..मंगलू भैया मुझे माफ़ कर दो ,.मैंने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया था,..वो नाली का झगडा तो केवल बहाना था ,.मुझे तब विधायक ने लालच देकर भड़का दिया था ,… भगीरथ ने अपराधबोध से हाथ जोड़कर कहा ..…………….

तुम काहे माफ़ी मांगते हो ,.सारे पाप तो मैंने किये हैं ,.दूसरे नेता के कहने पर मैंने ही तुमको डकैती में फंसाकर जेल भिजवाया था,..तुम्हारे सफ़ेद हजारी घोड़े को जहर भी मैंने ही …कहते कहते मंगल का गला भर आया ………….

….पापी तो हम दोनों ही हैं ,..ईर्ष्या और लालच में अपनी जड़े ही काटते रहे ,..अब देखो जिस बेटे के लिए छल,कपट सबकुछ किया,…. उसीने पैर तोड़ दिया ,.कोई पूछता है तो बताता हूँ कि गाय ने मारा,….भगवान हमको ठीक ही सजा दे रहा है,..पूरे गाँव को टुकड़ों में बांटने का घोर पाप किया है हमने ,..अपने फायदे के लिए बदमाशों को बढाया ,..वही अब नेता बन सबका खून चूस रहे हैं ,….भगीरथ की वेदना स्पष्ट दिख गयी………………….

भैया मैं भगवान से यही प्रार्थना करता हूँ कि हमें जो मर्जी सजा दे ,.लेकिन नयी पीढ़ी को सद्बुद्धि दे ,.जो गलतियाँ हमने की वो उनसे ना हो ,आज का पाप ही कल का श्राप बनेगा ,..अगर आज एकजुट नहीं हुए तो हमेशा अलग ही रहेंगे और ये गिद्ध नोच नोचकर अपना पेट भरते रहेंगे ,..वैसे भी अब अपना क्या बचा है ,..खेतों के लिए बीज भी खरीदना पड़ता है ,.बिना दवाई के दाना भी नहीं होता ,..ऊपर से जहाँ चाहते हैं जमीन कब्ज़ा लेते हैं ,..हमारी कहीं सुनवाई नहीं होती तो गरीबों की कौन सुनेगा.!..यही हाल रहा तो जल्दी ही फिर गुलाम हो जायेंगे ,..धिक्कार है हमें !..अकल तब आयी जब किसी लायक नहीं बचे ……….मंगल को अपने ऊपर ही क्रोध आ रहा था ,.
तुम परेशान न हो ,..बच्चे होशियार हैं ,.सब समझते हैं ,..मेरा पोता मुझे सब समाचार बताता रहता है ,.समय बदलने वाला है ….भगीरथ ने सांत्वना दी
हाँ समय तो बदलेगा ही ,..लेकिन हमें भी शुरुआत करनी होगी ,..तुम्हारी खाट के बगल जगह है कि नहीं ?………मंगल ने उत्सुकता से पूछा
क्यों ?…क्या करोगे ?...भगीरथ ने असमंजस दिखाया
..नहीं है तो मेरी खाट के बगल डाल लो,…अब हम इकट्ठे ही सोयेंगे ,.मंगला की याद और तुम्हारा साथ ही बचा है …अब दोनों मिलकर गाँव के बच्चों को अच्छी बातें सिखायेंगे ,..यही प्रायश्चित कर सकते हैं ,…….ये चोला तो माटी का है ,..राम जाने कब ?…..मंगल ने कहते हुए बांहे फैला दी ,..दोनों बच्चों की तरह लिपट , फूट फूटकर रोने लगे,………………………………………..
पास खड़े बच्चे पत्थरों को पिघलता देख हैरान हो गए ,………….सब गाँव की तरफ दौड़ पड़े चिल्लाते हुए ,….” मंगल और भगीरथ दादा ने मिट्ठी कर ली ,………अब ..हमें….. पढ़ाएंगे… “….
पूरा गाँव हतप्रभ हो गया ,..सच्चाई जानने सब इकठ्ठा होने लगे ,….दोनों एक दूसरे के कंधे पर हाथ रख घर की तरफ चल पड़े ,…उनके क़दमों में एक नया उत्साह आ गया ,….. राधा बुआ ने कहा ,...मंगला चाची की आत्मा को अब जरूर शान्ति मिलेगी ……………समाप्त
संतोष कुमार

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