Menu
blogid : 4243 postid : 134

मूरख मंच

हमार देश
हमार देश
  • 238 Posts
  • 4240 Comments

आदरणीय भाईओं और बहनों ,सादर अभिवादन ,…आज जिस मंच का किस्सा बताने जा रहा हूँ ,…यह कोई प्रचारित मंच तो नहीं है लेकिन प्रसारित जरूर है ,...इस मंच से देश या समाज की दिशा तो नहीं तय हो सकती ,.लेकिन उसपर निरर्थक चर्चा जरूर हो जाती है,.…वैसे भी ज्यादातर सरकारी / गैर सरकारी चर्चाएँ निरर्थक ही होती है ,..हाँ चर्चा करने वाले जरूर मालामाल होते होंगे,..….चलो हमें क्या,. हम अपने मंच की बात करते हैं ,..यह मंच हर गाँव में लगता है ,..किसी किसी गाँव में चार पांच भी होते हैं ,…अरे भाई जितने टोले उतने मंच ,…सबका अपना अपना निजी ,..कोई बाहरी दखलंदाजी नहीं ………. ….इस मंच का नामकरण के लिए मैंने तीस मार खान नेताओ की सलाह ली ,..उनके हिसाब से जनता मूर्ख है ,..और गाँव की जनता तो निपट मूरख सो बन गया ना ..मूरख मंच ,…
…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………

मरती हुई नदी के किनारे एक गाँव है गरीबन पुरवा ,…..एक तरफ नदी है जो साल भर तो सूखी रहती है ,.लेकिन बरसात में जीना हराम कर देती है ,..
यहाँ कोई १०० परिवार रहते हैं ,..काम धंधा कोई है नहीं ,..” खोदो और खाओ”.. यहाँ के लोगो का मूल मंत्र है ,.एक वकील साहब हैं जो रोज तहसील जाते हैं ,...शाम को आते हुए अखबार जरूर लाते हैं,..निःस्वार्थ भाव से ग्रामीणों की सेवा करना ही उनका मकसद है ,..हालाँकि जिस दिन भूल जाएँ उस दिन गाय को चारा पानी खुद ही करना पड़ता है ,..अतः खुद आना भूल भी जाते हैं तो भी अखबार जरूर पहुचाते है,..अगली सुबह उस अखबार के १६ पन्ने अलग अलग दरवाजो पर घूमते हुए दोपहर तक गाँव के किनारे बरगद के नीचे बने मंच पर इकठ्ठा होते हैं ,.. मंच है तो चर्चा भी जरूर होगी,. ..
.तो आइये देखते हैं ..सबसे तेज खबर …सीधे मूरख मंच से

………………………………………………………………….

चन्द्रिका एक रंगीन पन्ना देखते हुए आ रहे हैं ,..उनको देखते ही भीखू चाचा बोले ,… अब चाट ही डालोगे का ??
अरे नहीं चाचा ,..बस देख रहा था कि ऐश्वर्या कितना मोटा गयी है ....चन्द्रिका ने सफाई दी
धत तेरे की ,….आतंकी बम फोड़ रहे हैं ,.तुमको ऐश्वर्या की पड़ी है !!!…..…………… चाचा का गुस्सा थोडा बाहर निकला
अब हमको कैसे पता चलेगा,.. एक ही पन्ना मिला मुझे ,...अच्छा कितने मरे ??..…. चन्द्रिका ने पूछा
ग्यारह मरे ,..पता नहीं कितने और ….
नहीं चाचा तेरह मरे ,..मैंने अभी रेडिओ पर सुना …..……….. लखन ने बीच में टोकते हुए कहा
सरकार ने मुआवजा भी एलान कर दिया है ,..कितना देंगे ?? .……..पुल्लू ने मासूमियत से पूछा
अब कितना भी दें ,..जान से ज्यादा तो नहीं दे सकते …फिर भी पांच दस लाख तो देंगे ही …चाचा ने पुल्लू को समझाया
चाचा एक बात और बता दो ,..ये बम हमारे यहाँ नहीं फट सकते क्या ???….पुल्लू के मासूम से सवाल पर सभी आस-पास पड़ी घास-फूस की जाँच करने लगे..
अरे डरो मत,..मैं तो इसलिए पूछ रहा था कि मर तो हम रोज ही रहे हैं ,…..इस तरह मरने से शायद बच्चो को ही कुछ मिल जाये ……..पुल्लू की बात ने सबको निःशब्द कर दिया ………………………………………………………………………………………………
ऐ पुल्लू ,.चिंता न कर ,…इधर आ ,..बैठ ,...अरे नन्हे इस मूरख को समझाओ , जान है तो जहान है,…चाचा नन्हे की ड्यूटी लगा अपना गुस्सा खैनी पर रगड़ने लगे
पुल्लू भैया काहे निराश हो रहे हो ,..हम सब हैं ना,..अरे भूल गए,.. जब पिछली बार तुम बीमार हुए थे तो मुझसे कहा था ,..कुछ भी करके बचा लो ,..अब मरने की बात काहे करने लगे..??? नन्हे ने पुल्लू की नम आँखों को पोछते हुए पूछा
अब का-का बताये भैया ,..हर तरफ से परेशान हूँ ,..परधान बिना नोट लिए कुछ करता नहीं ,..कर्जा दे नहीं सकता ,..भैंस भी मर गयी ,..बच्चो को रोटी देना मुश्किल है ,..तीन साल से नए कपडे का चिथड़ा भी घर नहीं आया ,..कहने को तो नरेगा ,.नीला कार्ड सब कुछ है गरीबो के लिए,.. लेकिन सरकार हमको गरीब कहाँ मानती ,..जमीन जो है ,…पता नहीं बाप दादों ने ऊसर जमीन किसी को बेंच क्यों नहीं दी ….अरे दान ही दे देते ..….कहते कहते पुल्लू का गला रुंध गया आँखे छलछला आयी ..
बड़े बुजदिल हो यार ,..अरे सबका यही हाल है … शुक्र है उस मालिक का जिसने अभी तक हमको जिन्दा रखा है ,..वर्ना ये !!!!!…….अच्छा ये बता भौजी ने आज लाल साड़ी पहनी है ना ………..चन्द्रिका ने चुहल की
तुम्हारी…. ऐसी की तैसी…सरऊ जब उसके पास है ही एक लाल साडी तो हरी कहाँ से पहनेगी ,….नोखे तुम ठीक कहते हो ,..ये चन्द्रिका बड़ा खराब है ,..सब की साड़ियाँ ही चेक करता रहता है ,..किसी दिन पीटेंगे इसको …….पुल्लू ने चन्द्रिका को डांटा …..लेकिन चन्द्रिका खुश हुआ उसका तीर निशाने पर लगा और पुल्लू का मूड कुछ बदल गया
तब तक आसरे काका गुटखा चबाते हुए मंच पर पहुंचे,..उनको देखते ही भीखू चाचा गरजे ,..आसरे यह क्या तुम फिर गुटखा चबा रहे हो ,..इससे कैंसर हो जाता है ,..जानते तो हो ,..फिर भी बाज नहीं आते
अरे भैया कहाँ चबा रहे हैं ,.एक पुडिया लेता हूँ दो दिन उसी के सहारे कट जाते है ,..और तुम भी तो खैनी खाते हो उसका क्या.? …आसरे काका ने सफाई के साथ सवाल भी दागा ..
अच्छा छोडो,.. यह बताओ इस देश के हाल कब सुधरेंगे..???..और बम फूटने कब बंद होंगे..??? चाचा ने बड़ी आशा के साथ पूंछा
…………आसरे काका ने गहरी सांस भरी ………….फिर बोले ..
भैया मुझे तो सारे फसाद कि जड़ नेता लगते हैं ,…यही बम रखवाते हैं ,..अब देखो न जब भी इनको ज्यादा खतरा लगता है तभी एक धमाका हो जाता है,.
जो आतंकी पुलिस पकड़ भी लेती है ,..उसका पूरा आदर-सत्कार भी कराते हैं ,….देश को तो लूट ही रहे हैं ,…बदमाशी भी करते हैं ,…एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी ……………………………………कोई मेरी माने तो सभी नेताओं को मंगल गृह पर भेज दो ,.. सुना है वहां हवा पानी भी है,.. तेरह साल बाद इनका वापसी टिकट कटाओ ,..तब आएगी इनकी अकल ठिकाने ,…हालात भी तभी सुधरेंगे …गलत कहूं तो बताओ …
आसरे काका बात पूरी करते करते तैश में आ गए ..
कोई बोलने की हिम्मत नहीं जुटा सका बस सहमती में सिर हिले ….…………………………………..
तभी सीता दादी चिल्लाते हुए पहुंची ,……..तुम सब मूरख लोग यहाँ लगे हो और मेरा खेत चन्द्रिका की भैंस चर गयी,…..तुरंत सब भागे ,…भैंस पकड़ने ,…चन्द्रिका उल्टा भागा दादी से बचने के लिए …...मूरख मंच पर चर्चा का एक दिन पूरा हुआ …लेकिन चर्चा जारी रहेगी ……

संतोष कुमार

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh