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जब मैंने सुना कि बाबा रामदेव रिटायर अफसरों को बुला रहे हैं ,तब मुझे लगा कि अब मेरे दिन फिर लौटने वाले हैं ,..लेकिन जब पता चला कि उनको ईमानदार लोग चाहिए ,मैं निराशा में डूब गया ..मैं ठहरा पक्का भ्रष्टाचारी ,..मुझे तो खाने के तरीके ईजाद करने के अलावा कुछ आता ही नहीं ,..लेकिन भाई लोगों मैं एक रहस्य जरूर सबको बताना चाहता हूँ ,..भ्रष्टाचारी बहुत तकलीफ में हैं ,..सबसे बड़ा दर्द यह है कि , हम अपनी तकलीफ किसी को बता भी नहीं सकते..सेवाकाल में तो हरगिज नहीं …अब मैं भ्रष्टाचारी का दर्द अपनी कहानी के माध्यम से सबको बताऊँगा ,…शायद बाबा और अन्ना को हमारी बिरादरी पर रहम आ ही जाये
मैं नकदी लाल पुत्र श्री उधारी लाल ( पूर्व बाढ़ राहत अधिकारी )..आज स्वीकार करता हूँ कि मैंने अपने सेवाकाल में करोड़ों का माल बनाया ,..कई घोटाले किये ..जनता की पूड़ी सब्जी खायी …… जानवरों,फसलों का मुआवजा तो छोड़िये ,..मरे बन्दों को भी हजम कर गया ,..नाव ,..स्टीमर ,..दवा-दारू ,.टेंट, मिटटी,पत्थर ऐसी कोई चीज नहीं जिसको मैंने हजम ना किया हो ,.. अब क्या -क्या बताएं ,… एक बार तो खुद के डूबने का भी पैसा भी खा चूका हूँ
इतना सब कुछ करने के बाद भी अब बुढ़ापे में मेरे पास ले देकर दो फ्लैट, एक फार्म हॉउस, एक सगी बीबी ,दो सौतेली बीबियाँ ,दो लड़कियाँ ,तीन घरजमाई और करीब डेढ़ दर्जन बीमारियाँ ही बची हैं ,….….अब आप पूछेंगे की पैंतीस साल खाने के बाद भी सिर्फ इतना ही कमाया ? .. तो मित्रों ये बड़ी दर्दनाक कहानी है ,……भगवान इतना निर्दयी होगा मैंने कभी नहीं सोचा था ,..मैंने भगवान को खुश रखने के लिए क्या-क्या नहीं किया ,..रोज प्रसाद चढ़ाया ,..सभी मंदिरों की यात्रा की ( चाहे फ्री में की हो ),. नियम से कमाई(उपरी) का २.५% दान देता रहा ,…हमेशा मुर्गा-दारू खाने से पहले चालीसा पाठ किया .. खैर .. मेरे साथ इतने बड़े बड़े धोखे हो चुके हैं की उनके सामने सरकार के धोखों को भी शर्म आ जायेगी ,...मैं ये बातें बाद में बताऊँगा पहले फ्लैशबैक में चलते हैं ,…
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…………. मैं इस महकमे में बीस हजार रुपये (जो मेरे बाप ने उधार लेकर दिए थे ) घूस देकर भर्ती हो गया , जब पहली पगार बाप के हाथ में रखी तो उन्होंने कड़कते हुए पूछा ,..” नमक का दारोगा “ तो पढ़ी ही होगी ,..
मैंने हाँ में सर हिलाया ,…………जी बाबु जी
लेकिन याद रखना उसमें जो पंडित था,. वो मुंशी जी के साथ ही स्वर्ग चला गया ,….अब तो जितना खाओगे उतना ही ऊपर जाओगे ,.समझ गए ?….. बाबु जी ने मेरी आँखों में देखकर कहा ..मेरे सामने हाँ कहने के अलावा कोई चारा नहीं था
अब आप लोग ही बताईये की,.. अपने पूज्य पिताजी के आदेश का पालन करना कोई गुनाह है क्या ?
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फिर मैंने खाने का सिलसिला शुरू किया जो बिदाई पार्टी के बाद ही रुका,…हालाँकि सरकारी माल हजम करने के लिए हाजमा दुरुस्त होना बहुत जरूरी है ,.. मैंने अपने लिए नियम बनाये,.. कुछ विशेष नियमों से आपका परिचय जरूरी है —–
१-हमेशा साहब को पटा कर रखो ,..साथ ही साथ साहबाइन की चरणवंदना आवश्यक है,..उनको हर मौके- बेमौके कीमती गिफ्ट जरूर भेजते रहो /
२-खाने से पहले बंटवारे का हिसाब जरूरी है /
३-अपनी जेब में नेताओं का आशीर्वाद जरूर रखो , चाहे जेब कितनी भी ढीली करनी पड़ जाये ( आखिरी बाप वही होते हैं )
४-अपने आस पास दो चार दलालों का मजबूत घेरा जरूर बनाओ ,..किसी भी आम आदमी को अपने पास फटकने भी ना दो ,..यदि कोई आ भी जाये तो इतनी कानूनी शराफत दिखाओ की बेचारा दर्शन पा कर धन्य हो जाये और दुबारा गलती से भी ना आये /
५- बाढ़ आने से एक महीना पहले ही सभी साहबों ,नेताओं के परिवार को जल-विहार का हार्दिक निमंत्रण पहुँच जाना चाहिए /
इन विशेष नियमों के पालन के अलावा मैं कुछ आसनों को भी लगातार करता रहा , (ये आसन बाबा रामदेव युग की शुरुआत के बहुत पहले से प्रचलित हैं )…
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…….अब आप सब को मेरी कर्मठता पर यकीन हो ही गया होगा ,…तो अब मेरी तकलीफों को पढ़िए ,…ना सिर्फ पढ़िए बल्कि इनको समझिये और हो सके तो औरों को भी समझाइये …..
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मुझे पहला बड़ा झटका तब लगा जब पता नहीं कहाँ से एक ईमानदार साहब आ गया, और मुझे सस्पेंड कर दिया ,….उसको निपटाने के लिए मैंने अपनी चार साल की कमाई लगा दी ,..सुन्दरकांड का पाठ करवाया…. सो अलग .. खैर ईश्वर और मंत्री की कृपा से मैं बच गया ,…एक साल बाद पता चला कि उस अफसर का क़त्ल हो गया ... मैं खुश हुआ और दुखी भी ,…दुखी इसलिए हुआ कि , ये काम एक साल पहले हो जाता तो ……………मजा आ जाता ..खैर …
मुझे दूसरा बड़ा झटका खुद की पहली बीबी ने ही दे दिया ,..ले गए थे उसको स्विटज़रलैंड घुमाने ,.वो किसी और के साथ ही घूम गयी ,..साथ में मेरा खून पसीने से कमाया कालाधन, जो उसके नाम से जमा था ले गयी ,..गहने तो जाने ही थे ...खैर मैंने बेईज्ज़ती के डर से तुरंत दूसरी बीबी का इंतजाम किया ,..इसमें भी काफी खर्चा हुआ …………..
तीसरा बड़ा झटका तब लगा जब एक अघोषित बीबी ने विद्रोह किया ,..उसको फ्लैट दिया ,..दस लाख रुपये बच्चे के नाम जमा किये ( मुझे आज तक नहीं विश्वास हुआ कि बच्चा मेरा ही था )....लेकिन प्रभु के आगे किसकी चली ……..
फिर मेरी लड़की एक लड़की के साथ मोटा माल लेकर भाग गयी ,. यकीन मानिये साढ़े तीन लाख तो सिर्फ पत्रकारों को कलम बंद रखने के दिए ,..जो माल गया सो अलग ,………..मेरे जीवन का सबसे दुखद दिन वो था, जब मेरी वही लड़की छह महीने बाद दो- दो घरजमाईओं के साथ वापस आ गयी , मेरे पूछने से पहले ही उसने चेता दिया,…” अगर आपने मुझसे कुछ पूछा तो मैं सीधा विजिलेंस दफ्तर चली जाऊंगी …मैंने तुरंत तीनों को अपना आशीर्वाद देने में ही भलाई समझी ..
फिर मेरा लड़का ,…… …. काफी खर्चा करके विदेश में पढाया ,..उसने वहीँ गोरी लुगाई का जुगाड़ कर लिया ,..बिजनेस के लिए और पैसे लेकर वहीँ सेट हो गया ,..अब कभी-कभार इन्टरनेट पर दर्शन दे देता है ,……………………………
खैर मेरी छोटी लड़की ने कुछ समझदारी दिखाई ,..हालांकि जब उसने मेरे ही दलाल कल्लू चायवाले से भागकर शादी की तब मुझे बहुत गुस्सा आया था ,..लेकिन अब वही थोडा बहुत मेरे काम आ जाते हैं ..
अब पेंशन से ज्यादा खर्चा तो मेरी दवाइओं का है ,.दिल ,जिगर ,फेफड़े तो कमजोर हैं ही ,..इतना मुर्गा खाने के बाद भी हड्डियाँ जबाब दे रही हैं ,…शुगर ,हाई ब्लडप्रेशर की क्या बात ,..जबसे ये निकम्मे आन्दोलन चले हैं ,..तबसे अचानक ब्लडप्रेशर लो भी हो जाता है ,…कुल मिलाकर घोर संकट में हूँ ,..भगवान ऐसे दिन मेरे दुश्मनों को जरूर दिखाए ..
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अब आप सभी विद्वान् पाठक मुझे सही राह दिखाओ ,….मेरे दर्द का कुछ तो इलाज करो …..मैंने क्या गुनाह किया ,.जो इतनी बार धोखा मिला,..क्या भगवान ने इस देश को गाँधी जी के सहारे ही छोड़ दिया है ???,…. कुछ नही कर सकते तो कमेन्ट ही दे दो ……..
धन्यवाद
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