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राज मंत्रणा

हमार देश
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आदरणीय मित्रों, बिना टेलीविजन के कहीं का भी आँखों देखा हाल देखने की मेरी क्षमता कल रात ही जाग्रत हुई है ,..इसे मैं १२ घंटे से ज्यादा गुप्त नहीं रख सकता अतः जो पहली बार देखा उसे इस मंच पर सार्वजनिक करना मेरी मजबूरी है ,… तो पेश है भारतवर्ष के महान शासक परिवार के महल १० राजपथ से अर्धरात्रीय सभा की राज मंत्रणा का आँखों देखा हाल ,..
आपातकालीन दरबार लगा है ,.. राजमाता चिंता में डूबी हुई बार-बार अमूल चाकलेट खाते युवराज को दुलार रही हैं ,..सभी दरबारी सर झुकाए आदेश की प्रतीक्षा कर रहे हैं ,.. कई दरबारी इस चिंता में हैं कि यहाँ देर लग गयी तो आज भी मनोरंजन का सारा इंतजाम बेकार हो जायेगा ,.. एक दरबारी ने दूसरे के कान में पुछा ,..आज नृत्य किस अप्सरा का होगा ? दूसरे ने शराबी आँखों से पहले को कातर नजर से देखा ,..मानो कह रहा हो ,..यार क्यों जले पर मिर्च लगाकर नमक छिड़क रहे हो ..
तभी आतंरिक सुरक्षा विभाग का मंत्री फाइल, लुंगी, चश्मा संभालते हांफते हुए तेजी से अन्दर दाखिल हुआ ,..
इतनी देर कहाँ लगा दी ? ….. राजमाता की कड़कती आवाज ने सभा का मौन तोडा ..
क्या पूछ रही हो माते ? आपके दुश्मनों का सफाया करने में एक महीने में मैं सांभर ,रसम का स्वाद भूल गया , और आप ?..
ठीक है ,. चलो बताओ क्या क्या हो गया ?
दुश्मनों को दसों दिशाओं से घेर लिया गया है ,.. बाबा के चेले की डिग्री फर्जी साबित हो जाएगी ,.. गाँधी टोपी वाले अन्ना को हम अनशन पर बैठने तो क्या, राजधानी में कहीं खड़े भी नहीं होने देंगे ,..आखिर आप के राज में कोई शत प्रतिशत ईमानदार तो जिन्दा रह ही नहीं सकता , ..सो आप चिंता ना करें सब को कहीं ना कहीं लपेट ही लेंगे ….. मंत्री ने आखिरी बात कहते हुए प्रशंसा की चाहत भरी नज़रों से राजमाता को देखा ,.
…………………………
मेरे आका इजाजत हो तो एक बात अर्ज करूं ?….. पिग्गी राजा ने प्रस्ताव रखा
तुमको यहाँ बोलने की आज्ञा किसने दी ??… जो तुम्हारा काम है वही ठीक से नहीं कर पा रहे हो ,… गन्दगी दूसरों पर फेंकते फेंकते तुम से भी बदबू आने लगी है ,… निकल जाओ यहाँ से ,..कल नहा धोकर आना .. गौरान्वित पिग्गी तुरंत आज्ञा का पालन करते है ( खास चमचो की खासियत होती है कि वो फटकार को भी आशीर्वाद समझते हैं )
उनके पीछे युवराज भी चाकलेट छोड़ जाने लगते हैं ,..राजमाता के इशारे पर वो पुनः आसन लेते हैं
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प्रचार प्रमुख अपनी फाइल आगे बढ़ाते हुए बोला ,..जय हो ,.. आपके आदेशानुसार सभी मीडिया के लोगों को मैनेज कर लिया गया है ,..कुछ खर्चा ज्यादा हो गया ,लेकिन ,….
खर्चे की चिंता तुम क्यों करते हो ? हमारे राज में हमें धन की कमी…? ?……. राजमाता ने खा जाने वाली नज़रों से प्रचार प्रमुख को देखा ..
लेकिन कहीं कोई गड़बड़ ना कर सके नहीं तो तुम……. ?..?.. …… अपने इस नाचीज गुलाम को इतना कमजोर ना समझें माते ,..प्रचार प्रमुख मिमियाया ..
ठीक है ,..अब तुम भी जाओ और अपना काम करो ,… प्रचार प्रमुख दंडवत प्रणाम करके सभा से निकल गया
………………………..
,… लेकिन माता प्रजा का क्या करेंगे ?…………….तीन वरिष्ठ सदस्यों ने एकसुर में कहने की हिम्मत जुटाई..
क्यों प्रजा को क्या हो गया ?..……… राजमाता ने विस्मय से पूछा
माता जनता विद्रोह करने पर उतारू है ……
लेकिन क्यों ?… हमने प्रजा का मन बहलाने के लिए क्या नहीं किया ,.. युवराज तो उनके गंदे घरों में खाना तक खा आये ,.. सब बेकार हो गया....
राजमाता चिंता में और ज्यादा डूब गयी ..
सभी मंत्री एकस्वर में स्तुति गान करने लगे ..

हम तेरे मंत्री माते ,तू हमारी माता है
तेरे अलावा माते कुछ न हमें भाता है
तू दे आदेश तो पूरी जनता मरवा देंगे
तेरे विद्रोही को हम कभी नहीं जीने देंगे

ठीक है -ठीक है ,..लेकिन प्रधानमन्त्री का क्या कहना है ?
अरे माते, उनका भी कुछ कहना हो सकता है ,…जो आप आदेश दें उनको तो बस वही कहना है ,..

तो ठीक है ,….अगली सभा में कुछ जनता के सैम्पल जरूर लाना ,.. हम खुद उनकी तकलीफों को समझेंगे ,नहीं -नहीं हम दिखायेंगे कि हम जनता के लिए कितने चिंतित हैं ,… हाँ कुछ चैनल वालों को जरूर बुला लेना
…………………….

. आज की सभा समाप्त होती है…………. सभी दरबारी नमन करते हुए बाहर चले जाते हैं ,..
मम्मी मेरा नम्बर कब आएगा ?…………. युवराज राजमाता से पूछते हैं
बेटा यही चिंता तो मुझे भी खाए जा रही है ,……………….
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ये घटना पूरी तरह से काल्पनिक है ,.किसी से समानता महज संयोग हो सकता है ,..आजकल तो कुछ भी हो जाता है ,. आगे का आँखों देखा हाल सबकी प्रतिक्रियाओं पर निर्भर है ,.. हमारी विश्वसनीयता (अ)संदिग्ध है ,...वन्दे मातरम

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